अलेक्जांडर सोज़ेल ने ड्रोन में इन्सान के उडऩे का सपना सच कर दिया है. स्पोर्ट पायलट के रूप में वे हमेशा इलेक्ट्रिक मल्टीकॉप्टर से सीधे हवा में उड़ान भरने के सपने देखते थे. सालों तक वे अपनी टीम के साथ इस सपने को पूरा करने के लिए हाथ पांव मारते रहे. लेकिन इंसान समेत ड्रोन जैसे भारी एक जहाज को हवा में उड़ाना आसान नहीं था. बल्कि शुरुआत में तो यह असंभव लग रहा था पर अलेक्जांडर सोज़ेल इसमें कामयाब रहे हैं.
अपनी तकनीकी दूरदर्शिता और उड़ान से प्यार के चलते उन्होंने आखिरकार इंसान को उड़ाने वाला ड्रोन बना दिया. वह उड़ने के अनुभव को कुछ यूं बयां करते हैं, “जब आप ऊपर हवा में होते हैं, तो आस पास कुछ भी नहीं दिखता. आप मुक्त महसूस करते हैं. और किसी चीज के बारे में नहीं सोचते. लेकिन आपका ध्यान फिर भी पूरी तरह केंद्रित होता है.”
सोजेल पूरी दुनिया में अकेले हैं जो इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से विमान को सीधा उड़ाने में कामयाब रहे हैं. बहुत सी कंपनियां इस पर प्रोजेक्ट चला रही हैं जिनमें बड़ी हेलीकॉप्टर कंपनियां भी हैं. लेकिन अब तक वो कामयाब नहीं हो पाई हैं. उन्होंने जब अपना पहली उड़ान का वीडिया यूट्यूब पर डाला तो तहलका मच गया. उसे लाखों बार देखा गया है. पहली उड़ान सिर्फ पांच मिनट चली थी और उन्हें 15 मीटर से ऊंचा जाने की अनुमति नहीं थी. लेकिन यह अद्भुत अनुभव रहा.
सोजेल कहते हैं कि यह उड़ने वाली मशीन नहीं बल्कि एक तकनीकी कंस्ट्रक्शन है जिसके ऊपर हमने एक सीट रख दी है. इस परीक्षण के जरिये उन्होंने दिखाया है कि इलेक्ट्रिक मोटर के जरिये सीधी उड़ान भरी जा सकती है. अब वह एक और मशीन बना रहे हैं जिसके बारे में वह ज्यादा उत्साहती हैं. वह कहते हैं, “वह असल विमान होगा और स्वाभाविक रूप से उसमें सुरक्षा , सुविधा, आराम और हैंडलिंग के अलग मानक हैं, जिन्हें हम पूरा भी करना चाहते हैं.“
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मिलिए हवा में उड़ने वाले चार सिरों वाले ड्रोन यानि क्वाड्रोकॉप्टर से. इनके कई फायदे सामने आ रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaक्वाड्रोकॉप्टर को बनाने वाली एक पेरिस की कंपनी है. स्मार्टफोन की मदद से नियंत्रित किया जाने वाला यह उपकरण बैटरी पर चलता है. इसमें दो कैमरे लगे हैं. कैमरे में कैद होने वाली तस्वीरें आपके स्मार्टफोन में देखी जा सकती हैं. इसका इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मन शहर ड्रेसडेन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर पेड़ों के ऊपरी हिस्से के अध्ययन के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं. हवा में उड़ने वाले ड्रोन की मदद से उन्हें पेड़ों की 3डी तस्वीर मिलती है. इस तकनीक में अब स्थानीय पर्यावरण मंत्रालय भी दिलचस्पी ले रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसेंसोकॉप्टर नाम के इस उपकरण का वजन सिर्फ 700 ग्राम का है. और इसमें निगरानी के लिए कैमरे लगे हुए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaयह एक आठ डैनो वाली हैलीकॉप्टर जैसी मशीन है जिसमें एक कैमरा लगा हुआ है. यह साइकल रेस या कार रेस के दौरान हवा में उड़ते उड़ते तस्वीरें खींचता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस मशीन की बैटरी सिर्फ छह मिनट चलती है. फिर इसे बदलना पड़ता है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तीन मिनट में ही बैटरी बदल दी जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइसी सिद्धांत पर खतरनाक मानवरहित विमान ड्रोन भी बनते हैं. हवा में उड़ने वाले यह कैमरे धरती की तस्वीरें लेते हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesयूएवी विमान अमेरिकी सेना को बहुत पसंद हैं. माना जाता है कि अमेरिकी सेना के पास इस तरह के सात हजार विमान हैं. दस साल पहले उनके पास सिर्फ 50 थे.
तस्वीर: APअनमैन्ड एरियल वेहिकल (यूएवी) यानी ड्रोन विमानों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है. फिलहाल 50 देश ड्रोन विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpaग्लोबल हॉक नाम के इस ड्रोन विमान में थर्मल इमेजिंग के कैमरे लगे हुए हैं. जिन्हें जापान के फुकुशिमा दाइची के क्षतिग्रस्त परमाणु संयंत्र की तस्वीरें लेने के लिए इस्तेमाल किया गया.
तस्वीर: picture alliance / dpaइस स्काउट ड्रोन विमान को वियतनाम युद्ध में भी इस्तेमाल किया गया. इसे AN-USD-5 के नाम से भी जाना जाता है.
तस्वीर: APA MQ-9 रीपर में लेसर से चलने वाले हथियार लगे हुए हैं और AGM-114 मिसाइलें लगी हुई हैं. दक्षिणी अफगानिस्तान में युद्धक मिशन के लिए इसे कर्नल लेक्स टर्नर ने चलाया.
तस्वीर: AP2004 से अक्टूबर 2011 के मध्य तक अमेरिका ने पाकिस्तान में करीब 300 ड्रोन हमले किए हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpaइल्मेनाउ में रिसर्चर एक ऑटोमेटिक क्वाड्रोकॉप्टर विकसित कर रहे हैं. वह मोबाइल नेटवर्क डाउन होने पर उसे ठीक कर सकेगा. इस प्रोजेक्ट पर करीब पैंसठ लाख यूरो खर्च किए जा रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सोजेल इस तरह से काम कर रहे हैं कि उनकी बनाई मशीन को बाजार हाथोंहाथ ले. योजना है कि 18 रोटर वाला ऐसा मल्टीकॉप्टर बनाया जाए जिसमें एक या दो लोगों के लिए केबिन हो. फायदा ये होगा कि एक दो मोटर यदि न भी चले तो इस मशीनी परिंदे को सुरक्षित नीचे उतारा जा सकेगा.
बैटरी के बोझ की भरपाई के लिए बॉडी एकदम हल्के कार्बन से बनाई जा रही है. इरादा है कि टू सीटर मल्टीकॉप्टर का भार सिर्फ 450 किलोग्राम हो ताकि वह एक घंटे तक उड़ सके.
आईबी/वीके