आईएसएस: लड़कियों को प्रेरणा दे रही पहली यूरोपीय महिला कमांडर
४ अक्टूबर २०२२
समैंथा क्रिस्टोफोरेटी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहली यूरोपीय महिला कमांडर हैं. युवा लड़कियों को प्रेरणा देने के लिए उनकी हमशक्ल बार्बी गुड़िया भी बनाई गई थी. अब उन्होंने युवा लड़कियों से बात की है.
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इतालवी अंतरिक्ष यात्री समैंथा क्रिस्टोफोरेटी हाल ही में आईएसएस की कमान संभालने वाली पहली यूरोपीय महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं. अपनी हमशक्ल बार्बी के साथ स्पेससूट पहने, शून्य गुरुत्वाकर्षण में तैरते हुए उन्होंने आठ से 11 साल की उम्र की पांच लड़कियों के साथ बातचीत में आईएसएस में हो रहे कुछ प्रयोगों के बारे में बताया.
क्रिस्टोफोरेटी ने बताया कि वो अंतरिक्ष यात्री इसलिए बनीं क्योंकि बचपन में रात के समय आकाश, अंतरिक्ष में उड़ने का ख्याल और रोमांचक और खोजी काम करना उन्हें आकर्षित करता था. उन्होंने बताया, "और फिर मुझे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दिलचस्पी हो गई, मुझे उड़ना बहुत पसंद था, तो मैं पायलट बन गई. अंतरिक्ष यात्री बन कर मेरे वो सभी शौक और रुचियां एक साथ आ गईं."
45 साल की क्रिस्टोफोरेटी इतालवी वायु सेना की पूर्व पायलट हैं. वो अप्रैल से आईएसएस पर हैं और कुछ ही दिनों पहले उसकी कमांडर बनाई गईं. उन्हें 10 अक्टूबर को पृथ्वी पर वापस आना है. आईएसएस पर यह उनकी दूसरी यात्रा है. 2014 से 2015 के बीच उन्होंने आईएसएस में 199 दिन बिताए थे और किसी महिला द्वारा अंतरिक्ष में सबसे लंबे प्रवास का रिकॉर्ड बनाया था.
एसटीईएम में करियर शुरू करने की प्रेरणा
2002 में कमांडर का पद बनाए जाने के बाद वो पद पर आसीन होने वाली पांचवीं महिला और पहली गैर-अमेरिकी महिला हैं. बार्बी बनाने वाली कंपनी मैटल ने 2019 में उनकी हमशक्ल गुड़िया बनाई और 2021 में उसे बाजार में उतारा. कंपनी ने इस बार्बी की बिक्री से हुए मुनाफे में से कुछ हिस्सा 'वीमेन इन ऐरोस्पेस यूरोप' नाम की धर्मार्थ संस्था को दान दे दिया.
यह महिला सुलझाएगी ब्लैकहोल की गुत्थी
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युवा लड़कियों के साथ उनकी बातचीत का आयोजन 'इंस्पायरिंग गर्ल्स इंटरनैशनल' नाम की धर्मार्थ संस्था ने किया था जो लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय रोल मॉडलों से रुबरु कराती है. क्रिस्टोफोरेटी के साथ वीडियो पर बातचीत एक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके तहत युवा लड़कियों को एसटीईएम - यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित- के क्षेत्रों में करियर शुरू करने की प्रेरणा दी जाती है.
स्पेससूट पहने पहली बार्बी 1965 में बनाई गई थी. इस बार्बी को 1960 के दशक के मर्क्युरी कार्यक्रम के अंतरिक्ष यात्रियों के सूट पहने दिखाया गया था. इस कार्यक्रम के तहत पहली बार अमेरिका ने अंतरिक्ष में अपने अंतरिक्ष यात्री भेजे थे और इसी ने भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों का रास्ता खोला था.
सीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्री: एक विशिष्ट वर्ग में अल्पसंख्यक
पहली अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्री मे जेमिसन को भी उड़ान का मौका पुरुषों और अश्वेत महिलाओं के 30 सालों बाद मिल पाया था. भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स का नाम भी इस गौरवशाली सूची में शामिल है.
तस्वीर: WAM/AP Photo/picture alliance
अंतरिक्ष में पहली अश्वेत महिला
मे जेमिसन (बाईं तरफ) "सिर्फ" पहली अश्वेत अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं. वो अमेरिकी अंतरिक्ष यान की सवारी करने वाली पहली अश्वेत महिला थीं. उन्होंने अंतरिक्ष में पदार्थों और बोन सेल रिसर्च पर प्रयोग भी किए और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेसोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में भी काम किया. वो एक गैर लाभकारी एसटीईएम शिक्षण संस्थान चलाती हैं और एक उत्सुक जैज डांसर हैं.
तस्वीर: NASA/Newscom/picture alliance
तीन बार उड़ान भरने वालीं स्टेफनी विल्सन
स्टेफनी विल्सन की एक बहु-प्रतिभावान अंतरिक्ष यात्री हैं. विल्सन एक ऐरोस्पेस इंजीनियर हैं जो पहले गैलिलियो अंतरिक्ष यान पर काम करती थीं. 1996 में नासा ने उन्हें एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुन लिया, लेकिन उन्हें उनका पहला मिशन मिला 2006 में. उसके बाद वो 2007 और 2010 में फिर अंतरिक्ष में गईं. अब वो नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य है चांद पर पहली महिला को भेजना.
तस्वीर: NASA/Bill Ingalls
जोन हिग्गिनबॉथम ने भी किया 10 साल इंतजार
जोन हिग्गिनबॉथम को भी नासा ने स्टेफनी के साथ ही चुना था और उन्हें भी अपनी पहली उड़ान के लिए 10 साल इन्तजार करना पड़ा. एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया और कई दूसरे अभियानों पर काम किया. नौ सालों में वो 53 शटल लॉन्चों का हिस्सा रहीं. जब वो अंतरिक्ष गईं तो वो उस टीम का हिस्सा बनीं जिसने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के निर्माण में मदद की.
तस्वीर: NASA/Yvette Smith
सियैन प्रॉक्टर
सियैन प्रॉक्टर सिर्फ चुनिंदा अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से ही नहीं हैं वो धरती की परिक्रमा करने वाले पहले "सिविलियन साइंस" दल का भी हिस्सा थीं. उन्होंने स्पेसएक्स के "इंस्पिरेशन4" के साथ सितंबर 2021 में उड़ान भरी. उन लोगों को 'सिविलियन' कहा जरूर गया लेकिन सब पेशेवर एविएटर और वैज्ञानिक थे. प्रॉक्टर नासा के सोलर सिस्टम एम्बेसडरों में से एक हैं.
तस्वीर: Inspiration4/John Kraus
चीन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री
पारम्परिक रूप से अंतरिक्ष में हर काम को पहली बार किए जाने का रिकॉर्ड अमेरिका और रूस के पास ही रहा है. लेकिन अब चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी काफी तरक्की कर गया है. 2012 में लिउ यांग चीन की पहली सक्रिय महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं. एक साल बाद वांग यापिंग भी उनके नक्शेकदम पर गईं और तिआनगोंग-1 अंतरिक्ष स्टेशन से फिजिक्स की एक लाइव क्लास भी ली.
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com
भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री
अमेरिका में भारतीय मूल की भी कुछ महिला अंतरिक्ष यात्री हुई हैं, जैसे कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स. चावला पहली बार स्पेस शटल कोलंबिया पर एक रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर गई थीं. कोलंबिया पर ही 2003 में उनका दूसरा मिशन उनके लिए घातक रहा. पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आते समय शटल के टुकड़े टुकड़े हो गए और उस पर सवार दल के सभी लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA
कोरिया की एकलौती अंतरिक्ष यात्री
यी सो-येओन दक्षिण कोरिया की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री ही नहीं हैं, बल्कि वो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली कोरियन हैं. वो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं. 2008 में उन्हें आईएसएस जाने के लिए रूस में होने वाले प्रशिक्षण के लिए चुना गया. उन्होंने अंतरिक्ष में नौ दिन बिताए. वापस लौटते समय उनके यान की लैंडिंग अच्छी नहीं रही और उनकी पीठ में चोट आ गई. उन्होंने 2014 में बतौर अंतरिक्ष यात्री इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: EPA/STR/picture-alliance
जापान की दो महिला अंतरिक्ष यात्री
जापान के अंतरिक्ष कार्यक्रम जाक्सा को अमेरिका के नासा, यूरोप के ईएसए और रूस के रॉसकॉसमॉस के साथ बिग फोर का हिस्सा माना जाता है लेकिन उसने आज तक दो ही महिला अंतरिक्ष यात्री दिए हैं. इनमें पहली थीं चियाकि मुकाई (तस्वीर में) जो कोलंबिया और डिस्कवरी स्पेस शटलों पर गई थीं. दूसरी जापानी महिला अंतरिक्ष यात्री नाओको यामाजाकि डिस्कवरी पर गई थीं.
तस्वीर: JAXA/NASA
यूएई: अंतरिक्ष कार्यक्रम में लिंग संतुलन
संयुक्त अरब अमीरात का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी काफी तरक्की कर रहा है. उसने अंतरिक्ष यात्रियों का भी एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसके लिंग संतुलन से दूसरे देशों को जलन हो सकती है. अप्रैल 2021 में इस कार्यक्रम के लिए नूरा अल-मतरुशी (दाईं तरफ) और मोहम्मद अल-मुल्ला को चुना गया. इनका प्रशिक्षण नासा के साथ होगा.