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इटली ने शरणार्थियों का जत्था अल्बानिया भेजा, क्या है यह डील

१७ अक्टूबर २०२४

इटली ने शरणार्थियों का पहला जत्था अल्बानिया भेजा है. शरण मांगने के आवेदनों पर फैसला होने तक वे अल्बानिया के विशेष केंद्रों में रखे जाएंगे. क्या है इटली और अल्बानिया में हुआ समझौता, जिसमें कई यूरोपीय देशों की दिलचस्पी है?

16 अक्टूबर 2024 को माइग्रेंट्स को लेकर अल्बानिया के बंदरगाह जा रहा इटली का एक नौसैनिक विमान
इटली के अधिकारियों ने बताया कि नौसेना के एक जहाज पर 16 पुरुषों को अल्बानिया भेजा गयातस्वीर: Florion Goga/REUTERS

समुद्र से बचाए गए शरणार्थियों को सीधे बाल्कन देश अल्बानिया भेजने की अपनी विवादास्पद योजना की शुरुआत करते हुए इटली ने अनियमित प्रवासियों की पहली खेप अल्बानिया के शेंगजिन बंदरगाह पर भेजी है. इटली की प्रधानमंत्री और धुर-दक्षिणपंथी नेता जॉर्जिया मेलोनी ने इसे एक नया, साहसी और अभूतपूर्व फैसला बताया है. उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से यूरोपीय भावना को दर्शाता है." उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ से बाहर के देशों को भी इसपर अमल करना चाहिए.

समुद्र के रास्ते अनियमित तौर पर आने वाले प्रवासियों के आवेदनों पर जब तक विचार होगा, वे अल्बानिया में बने असाइलम प्रॉसेसिंग सेंटरों में रहेंगेतस्वीर: Armando Babani/ZUMAPRESS.com/picture alliance

समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, इटली के अधिकारियों ने बताया कि लिब्रा नाम के नौसेना के एक जहाज पर 16 पुरुषों को अल्बानिया भेजा गया. इन्हें लीबिया से निकलने के बाद समुद्र में बचाया गया था. इनमें दस बांग्लादेश और छह मिस्र से थे. इटली ने अगले पांच सालों में अल्बानिया में दो प्रवासी प्रसंस्करण केंद्रों पर 730 मिलियन डॉलर खर्च करने का वादा किया है. इन केंद्रों में केवल वयस्क पुरुषों को रखा जाएगा. महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, कमजोर और बीमार लोग इटली में ही रह सकेंगे.

सितंबर 2024 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर इटली की यात्रा पर गए. यहां उन्होंने अनियमित प्रवासियों की संख्या कम करने की कामयाब कोशिशों के लिए पीएम मेलोनी की काफी तारीफ कीतस्वीर: Simon Dawson/Avalon/Photoshot/picture alliance

अल्बानिया के साथ इटली का क्या समझौता हुआ?

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने नवंबर 2023 में अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा के साथ पांच साल के एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत इटली के तट रक्षकों द्वारा हर महीने समुद्र से पकड़े जाने वाले करीब 3,000 प्रवासियों को अल्बानिया भेजा जाएगा. शरण मांगने के उनके आवेदनों पर जब तक विचार होगा, वे अल्बानिया में बने असाइलम प्रॉसेसिंग सेंटरों में रहेंगे.

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अंतरराष्ट्रीय और यूरोपीय संघ के कानून के तहत, प्रवासियों को शरण के लिए आवेदन करने का अधिकार है. हालांकि, इटली समेत कई यूरोपीय देश अनियमित तरीके से आने वाले प्रवासियों और शरणागतों की बड़ी संख्या को अपने लिए बड़ी समस्या के तौर पर देखते हैं. ऐसे में मेलोनी सरकार की यह योजना कई देशों का ध्यान आकर्षित कर रही है.

इनमें ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर भी हैं. स्टार्मर बीते दिनों इटली की यात्रा पर आए थे. उन्होंने अनियमित प्रवासियों की संख्या कम करने के लिए मेलोनी सरकार द्वारा अपनाए जा रहे तरीकों में दिलचस्पी जताई थी. यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने भी इस फैसले को "आउट-ऑफ-द-बॉक्स" सोच का नतीजा बताते हुए समर्थन किया है. हालांकि, कई मानवाधिकार समूह इसे खतरनाक मिसाल कायम करने वाला समझौता कह रहे हैं.

नवंबर 2023 में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और अल्बानिया के प्रधानमंत्री एडी रामा के बीच यह समझौता हुआ थातस्वीर: Matteo Bazzi/ZUMA/picture alliance

किस तादाद में आते हैं शरणार्थी

इटली की भौगोलिक स्थिति देखें, तो इसके पास लंबा समुद्र तट है. यह पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में तीन ओर समुद्र से घिरा है. विशाल समुद्री इलाका होने के कारण लीबिया और ट्यूनीशिया जैसे देशों से होकर नाव से भूमध्यसागर पार करते हुए इटली पहुंचना, अनियमित प्रवासियों द्वारा लिए जाने वाले एक प्रमुख रास्तों में है. हालिया सालों में इन प्रवासियों की संख्या काफी बढ़ती गई. लीबिया जैसे युद्ध और संघर्ष प्रभावित इलाकों के अलावा दक्षिण एशियाई बांग्लादेश तक से अनियमित प्रवासी इस रास्ते आते हैं.

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हालांकि, ताजा सालों में इनकी संख्या कम हुई है. उत्तरी अफ्रीका से इटली पहुंचने वालों की संख्या में 2023 के मुकाबले इस साल 61 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इटली के आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल 15 अक्टूबर तक 138,947 लोगों ने सीमा पार करने का प्रयास किया था. इस साल अब तक 54,129 लोगों ने सीमा पार कर इटली में दाखिल होने की कोशिश की.

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कैसे हैं इटली और अल्बानिया के रिश्ते

इटली की भौगोलिक स्थिति देखें, तो इसके पास लंबा समुद्र तट है. यह पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में तीन ओर समुद्र से घिरा है. विशाल समुद्री इलाका होने के कारण लीबिया और ट्यूनीशिया जैसे देशों से होकर नाव से भूमध्यसागर पार करते हुए इटली पहुंचना, अनियमित प्रवासियों द्वारा लिए जाने वाले एक प्रमुख रास्तों में है.

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अल्बानिया, इटली का पड़ोसी है. दोनों के बीच एड्रियाटिक सागर है. दोनों देशों के बीच गहरे संबध रहे हैं. इसी हफ्ते प्रधानमंत्री एडी रामा ने बताया कि यूरोपीय संघ (ईयू) के कई देशों ने उनकी सरकार से आग्रह किया है कि उनके यहां हजारों की संख्या में आने वाले शरणागतों को अल्बानिया अपने यहां जगह दे. पीएम ने बताया कि उनकी सरकार ऐसे कई आग्रहों को अस्वीकार कर चुकी है और इटली के साथ हुआ समझौता अपवाद है.

लक्जमबर्ग में हुए ईयू के एक सम्मेलन में पीएम ने दोहराया कि इटली के अलावा किसी भी और देश को अल्बानिया में असाइलम सेंटर चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. प्रधानमंत्री ने इटली के साथ गहरे संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका देश रोम के प्रति काफी कृतज्ञता महसूस करता है क्योंकि उसने अतीत में अल्बानिया का बहुत साथ दिया है. फिर चाहे वह 1991 में सोवियत के विघटन के बाद हजारों की संख्या में अल्बानिया के लोगों को अपने यहां जगह देना हो, या 1997 के आर्थिक संकट के दौर में की गई मदद हो, या 2019 में आए भूकंप के बाद दी गई सहायता हो. 

एवाई/एसएम (एपी, एएफपी)

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