यूरोप में शरण मांगने वालों की संख्या 28 फीसदी बढ़ी
२३ मार्च २०२२
पहली बार जिन लोगों ने यूरोपीय संघ के किसी भी देश में शरण पाने लिए आवेदन किया है, उनकी संख्या में 2021 में काफी बढ़ोत्तरी आई है. यूरोपीय संघ के सांख्यिकी कार्यालय यूरोस्टैट के आंकड़े इसमें 28 फीसदी की उछाल बताते हैं.
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यूरोप के लिए 2015-16 का साल शरणार्थियों की आमद के मामले में रिकॉर्ड बना गया. सीरिया में युद्ध शुरू होने के कारण वहां से जान बचाकर भागने वालों के आने का सिलसिला सालों तक चलता रहा. उस साल अपने यूरोपीय संघ के देशों में सबसे बड़ी संख्या में शरणार्थी पहुंचे. साल 2021 के आंकड़े हालांकि उस चरम से काफी नीचे हैं लेकिन साल दर साल तुलना करें तो उसमें करीब 28 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.
इस समय यूक्रेन में जारी रूसी युद्ध के कारण भी लगातार लोगों का भागना जारी है. इसके मद्देनजर अभी से ऐसा मानना गलत नहीं होगा कि इस साल पिछले साल का रिकॉर्ड टूटना तय है. युद्ध के एक महीने में ही यूक्रेन से 35 लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं.
2021 का हाल
यूरोस्टैट ने जानकारी दी है कि साल 2021 में 535,000 ऐसे लोगों के आवेदन मिले, जो यूरोपीय संघ के बाहर के देशों से आए थे और पहली बार शरण मांगी थी. यह आंकड़े यूरोपीय संघ के सभी 27 देशों से लिए गए हैं. इस तरह की तादाद इसके पहले सन 2014 में देखी गई थी. पिछले साल भी शरण मांगने वालों में सबसे बड़ा हिस्सा सीरियाई लोगों का ही रहा. पिछले करीब एक दशक से सीरियाई लोगों का हिस्सा इन आवेदनों में सबसे ज्यादा है. बीते साल यह करीब 18 फीसदी के आसपास था.
सीरिया के बाद जो देश आते हैं, उनमें हैं अफगानिस्तान के 16 फीसदी और इराक के 5 फीसदी लोग. साल दर साल की संख्या को देखा जाए, तो केवल एक साल में ही शरण मांगने वाले अफगानों की तादाद में 90 फीसदी का उछाल आया है. कारण बना दशकों चली हिंसा और फिर पुनर्निमाण की राह पर बढ़ रहे अफगानिस्तान में तालिबान शासन की फिर से वापसी. अगस्त 2021 में करीब दो दशक के बाद एक बार फिर तालिबान सत्ता में आ गए.
वहीं, साल दर साल ही देखा जाए तो सीरिया और इराक से आकर यूरोप में शरण के लिए आवेदन करने वालों में भी 50 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है.
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कमी भी दिखी
ऐसा भी नहीं कि सभी देशों से लोग यूरोप आकर शरण मांग रहे हैं. कोलंबिया जैसे देश से लोगों के आवेदनों में 55 प्रतिशत की कमी भी आई. वहीं, वेनेजुएला के लोगों के एप्लिकेशन भी 43 फीसदी कम आए. पिछले साल रूसी लोगों के शरण मांगने में भी 20 फीसदी की कमी दर्ज हुई.
सभी आवेदकों की उम्र को देखा जाए तो इसमें करीब एक तिहाई 18 साल से कम उम्र के हैं. 65 से ऊपर की उम्र वालों को देखें तो पुरुषों के मुकाबले वृद्ध महिलाएं ज्यादा हैं. सभी को देखें तो हर तीन में से एक भी महिला नहीं है यानि कुल मिलाकर शरण मांगने वालों में पुरुषों की संख्या कहीं ज्यादा है.
कायम है जर्मनी का जलवा
सारे आवेदकों में से 28 फीसदी ने जर्मनी में शरण लेनी चाही है. इसके बाद यूरोप के जिन देशों में शरण मांगी गई है वे हैं फ्रांस, स्पेन, इटली और ऑस्ट्रिया. इन चारों देशों को मिलाकर शरणार्थियों का हिस्सा बनता है करीब दो-तिहाई.
इसके अलावा साइप्रस जैसे यूरोपीय देश में उनकी आबादी के अनुपात में इस साल सबसे ज्यादा शरणार्थियों ने आवेदन डाला. यूरोस्टैट ने कहा है कि लगभग 759,000 लोगों का आवेदन पिछले साल के अंत तक बाकी रहा और उन्हें शरण दिए जाने पर अंतिम फैसला नहीं आया है.
आरपी/एनआर (रॉयटर्स)
रूस से जंग के बीच क्या कर रहे हैं यूक्रेन के बच्चे
युद्ध के शुरुआती दो हफ्ते में ही 20 लाख से ज्यादा यूक्रेनी रिफ्यूजी बन गए हैं. शरणार्थियों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे ही हैं क्योंकि यूक्रेन में अभी 18 से 60 की उम्र के पुरुषों के देश से जाने पर रोक है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
कितना प्यारा दिल...
8 मार्च तक 12 लाख से ज्यादा शरणार्थी पोलैंड आ चुके थे. इसके अलावा हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, मोलदोवा, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, आयरलैंड में भी यूक्रेनी शरणार्थी पहुंच रहे हैं. इस तस्वीर में यूक्रेन से भागकर आया एक रिफ्यूजी बच्चा बुडापेस्ट के युगाति रेलवे स्टेशन पर ट्रांसपोर्ट का इंतजार करते हुए कांच पर अपने हाथ जोड़कर दिल बना रहा है.
तस्वीर: Marton Monus/REUTERS
हर हाल में हंस पड़ना...
यूक्रेन के पड़ोसी देशों ने वहां से आ रहे शरणार्थियों के लिए बड़े स्तर पर इंतजाम किए हैं. रोमानिया ने कहा कि उसकी सीमाएं जरूरतमंदों के लिए खुली हैं. शरणार्थियों को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी. इस तस्वीर में एक शरणार्थी बच्ची रोमानिया के अपने कैंप के पास खड़ी होकर मुस्कुरा रही है. कैसे भी हालात में हंस पड़ना, खुश हो जाना...बचपन सच में कितना निर्दोष होता है.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
मदद के नन्हे हाथ
पोलैंड की सरकार ने यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए एक अलग फंड बनाने का फैसला किया है. इसके तहत हर एक रिफ्यूजी को एक बार के लिए एक रकम भी दी जाएगी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह यूरोप का सबसे तेजी से बढ़ रहा शरणार्थी संकट है. तस्वीर में एक शरणार्थी बच्चा ट्रॉली के साथ.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
बच्ची और बिल्ली
संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि शरणार्थियों की दूसरी खेप ज्यादा दयनीय स्थिति में हो सकती है. यूएनएचसीआर ने कहा कि अगर युद्ध जारी रहता है, तो बड़ी संख्या में ऐसे शरणार्थी आते रहेंगे जिनके पास ना कोई संसाधन होगा, ना अपना कोई संपर्क. ऐसे में यूरोपीय देशों के लिए जटिल स्थिति होगी. तस्वीर में मरियोपोल से आई एक शरणार्थी बच्ची अपनी बिल्ली के साथ.
तस्वीर: AA/picture alliance
इंतजार
दी इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी (आईआरसी) ने कहा है कि शरणार्थियों के लिए लंबे समय तक मानवीय सहायता का इंतजाम करना होगा. लोगों के रोजगार का इंतजाम करना होगा. वे किराया दे सकें, सामान्य जीवन जी सकें, अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इसके लिए उन्हें मदद देनी होगी. इस तस्वीर में मरियोपोल से आया एक शरणार्थी बच्चा स्कूल की इमारत के भीतर सुरक्षित निकाले जाने का इंतजार कर रहा है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
बदलाव
शरणार्थियों पर हंगरी का रवैया बेहद सख्त रहा है. सात साल पहले उसने शरणार्थियों को अपनी सीमा में घुसने से रोकने के लिए कंटीली बाड़ लगवाई थी और कु्त्ते तैनात किए थे. उसी हंगरी ने अब तक करीब दो लाख यूक्रेनी शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. तस्वीर में हंगरी का एक अस्थायी शरणार्थी शिविर, जिसे म्यूनिसिपल्टी और बैप्टिस्ट चैरिटी मिलकर चला रहे हैं.
तस्वीर: Anna Szilagyi/AP Photo/picture alliance
आम आबादी भी कर रही है मदद
हंगरी के एक अस्थायी शेल्टर के भीतर स्ट्रोलर में बैठी बच्ची. यूक्रेनी शरणार्थियों की मदद के लिए सरकारी इंतजामों के अलावा आम आबादी भी सामने आ रही है. पड़ोसी देशों में स्थानीय लोग खाने-पीने की चीजों के अलावा बच्चों के लिए जरूरत पड़ने वाली चीजें भी डोनेट कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग शेल्टर होम्स में वॉलंटियर सर्विस भी दे रहे हैं.
तस्वीर: Anna Szilagyi/AP/picture alliance
जर्मनी में भी शरणार्थियों का स्वागत
यूक्रेनी शरणार्थी बस और ट्रेन से जर्मनी भी आ रहे हैं. बर्लिन में शरणार्थियों को लेने के लिए रेलवे स्टेशन पर आए आम लोगों की तस्वीरें खूब वायरल हुईं. लोग शरणार्थियों को अपने घर में जगह दे रहे हैं. इस तस्वीर में दिख रही बस शरणार्थियों को लेकर पोलैंड के एक रेलवे स्टेशन जा रही है, जहां से उन्हें जर्मनी ले जाया जाएगा.
तस्वीर: Markus Schreiber/AP Photo/picture alliance