सऊदी अरब में प्रदर्शनों में शामिल महिला के खिलाफ मुकदमा
१४ अप्रैल २०१७
सऊदी अरब में शिया विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में पहली बार किसी महिला के खिलाफ अदालत में मुकदमा शुरू हुआ. आखिर इस महिला के खिलाफ क्या आरोप हैं, जानिए.
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43 साल की इस महिला पर देश के शिया बहुल इलाके में विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने का आरोप है. सऊदी अरब के ओजाक अखबार ने खबर दी है कि इस महिला के खिलाफ कातिफ शहर में मुकदमा शुरू हुआ है. सुन्नी बहुल सऊदी अरब में कातिफ एक तटीय शहर है और यहां शिया लोग बहुलता में हैं. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, "यह पहली महिला है जिस पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं." हालांकि रिपोर्ट में महिला का नाम नहीं दिया गया है, सिर्फ उसकी उम्र बताई गई है, 43 साल.
2011 में कातिफ में शियाओं ने प्रदर्शन किए थे और सऊदी अरब में अपने लिए बराबर अधिकारों की मांग की थी. सऊदी अरब के ज्यादातर शिया देश के पूर्वी हिस्से में रहते हैं, जो तेल संसाधनों से मालामाल है. लेकिन सऊदी शिया लंबे समय से अपने साथ भेदभाव होने के आरोप लगाते रहे हैं.
हज में क्या करते हैं लोग
दुनिया भर से लाखों मुसलमान हर साल हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं. लेकिन वहां जाकर वे करते क्या हैं? जानिए...
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इहराम
श्रद्धालुओं को खास तरह के कपड़े पहनने होते हैं. पुरुष दो टुकड़ों वाला एक बिना सिलाई का सफेद चोगा पहनते हैं. महिलाएं भी सेफद रंग के खुले कपड़े पहनती हैं जिनमें बस उनके हाथ और चेहरा बिना ढका रहता है. इस दौरान श्रद्धालुओं को सेक्स, लड़ाई-झगड़े, खुशबू और बाल व नाखून काटने से परहेज करना होता है.
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तवाफ
मक्का में पहुंचकर श्रद्धालु तवाफ करते हैं. यानी काबा का सात बार घड़ी की विपरीत दिशा में चक्कर लगाते हैं.
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सई
हाजी मस्जिद के दो पत्थरों के बीच सात बार चक्कर लगाते हैं. इसे सई कहते हैं. यह इब्राहिम की बीवी हाजरा की पानी की तलाश की प्रतिमूर्ति होता है.
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अब तक उमरा
अब तक जो हुआ वह हज नहीं है. इसे उमरा कहते हैं. हज की मुख्य रस्में इसके बाद शुरू होती हैं. इसकी शुरुआत शनिवार से होती है जब हाजी मुख्य मस्जिद से पांच किलोमीटर दूर मीना पहुंचते हैं.
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जबल उर रहमा
अगले दिन लोग जबल उर रहमा नामक पहाड़ी के पास जमा होते हैं. मीना से 10 किलोमीटर दूर अराफात पहाड़ी के इर्द गिर्द जमा ये लोग नमाज अता करते हैं.
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मुजदलफा
सूरज छिपने के बाद हाजी अराफात और मीना के बीच स्थित मुजदलफा जाते हैं. वहां वे आधी रात तक रहते हैं. वहीं वे शैतान को मारने के लिए पत्थर जमा करते हैं.
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फिर ईद
अगला दिन ईद के जश्न का होता है जब हाजी मीना लौटते हैं. वहां वे रोजाना के तीन बार के पत्थर मारने की रस्म निभाते हैं. आमतौर पर सात पत्थर मारने होते हैं.
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पहली बार के बाद
पहली बार पत्थर मारने के बाद बकरे हलाल किये जाते हैं और जरूरतमंद लोगों के बीच मांस बांटा जाता है. बकरे की हलाली को अब्राहम के अल्लाह की खातिर अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी का प्रतीक माना जाता है.
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सफाई
अब हाजी अपने बाल कटाते हैं. पुरुष पूरी तरह गंजे हो जाते हैं जबकि महिलाएं एक उंगल बाल कटवाती हैं. यहां से वे अपने सामान्य कपड़े पहन सकते हैं.
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फिर से तवाफ
हाजी दोबारा मक्का की मुख्य मस्जिद में लौटते हैं और काबा के सात चक्कर लगाते हैं.
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पत्थर
हाजी दोबारा मीना जाते हैं और अगले दो-तीन दिन तक पत्थर मारने की रस्म अदायगी होती है.
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और फिर काबा
एक बार फिर लोग काबा जाते हैं और उसके सात चक्कर लगाते हैं. इसके साथ ही हज पूरा हो जाता है.
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बर्लिन में यूरोपियन सऊदी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स के निदेशक अली अब्दुबीसी कहते हैं कि सऊदी अरब में शिया प्रदर्शनों के सिलसिले में 200 से ज्यादा लोगों को दोषी करार दिया गया है और इनमें से कुछ को मौत की सजा भी सुनायी गयी है.
जिस महिला के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ है, अब्दुबीसी उसकी पहचान नेमा अलमात्रोड के तौर पर करते हैं जो पेशे से नर्स हैं. वह भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि अलमात्रोड ऐसी पहली महिला हैं जिन पर कातिफ के प्रदर्शनों के सिलसिले में मुकदमा चलाया जा रहा है.
अब्दुबीसी कहते हैं कि प्रदर्शनों में शामिल होने के अलावा अलमात्रोड का और कोई दोष नहीं है. ओजक की रिपोर्ट में कहा गया है कि रियाद में मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजकों ने उनके खिलाफ "सुरक्षा व्यवस्था को अस्थिर करने, सामाजिक ताने बाने पर नकारात्मक असर डालने, विध्वंस और दंगा भड़काने के आरोप लगाए." अब्दुसीसी नहीं जानते हैं कि अगर अलमात्रोड को दोषी करार दिया जाता है तो उन्हें कितनी सजा हो सकती है.
एके/आरपी (एएफपी)
इन हकों के लिए अब भी तरस रही हैं सऊदी महिलाएं
सऊदी अरब में लंबी जद्दोजहद के बाद महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार तो मिल गया है. लेकिन कई बुनियादी हकों के लिए वे अब भी जूझ रही हैं.
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पुरुषों के बगैर नहीं
सऊदी अरब में औरतें किसी मर्द के बगैर घर में भी नहीं रह सकती हैं. अगर घर के मर्द नहीं हैं तो गार्ड का होना जरूरी है. बाहर जाने के लिए घर के किसी मर्द का साथ होना जरूरी है, फिर चाहे डॉक्टर के यहां जाना हो या खरीदारी करने.
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फैशन और मेकअप
देश भर में महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए कपड़ों के तौर तरीकों के कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. बाहर निकलने वाले कपड़े तंग नहीं होने चाहिए. पूरा शरीर सिर से पांव तक ढका होना चाहिए, जिसके लिए बुर्के को उपयुक्त माना जाता है. हालांकि चेहरे को ढकने के नियम नहीं हैं लेकिन इसकी मांग उठती रहती है. महिलाओं को बहुत ज्यादा मेकअप होने पर भी टोका जाता है.
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मर्दों से संपर्क
ऐसी महिला और पुरुष का साथ होना जिनके बीच खून का संबंध नहीं है, अच्छा नहीं माना जाता. डेली टेलीग्राफ के मुताबिक सामाजिक स्थलों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रवेश द्वार भी अलग अलग होते हैं. सामाजिक स्थलों जैसे पार्कों, समुद्र किनारे और यातायात के दौरान भी महिलाओं और पुरुषों की अलग अलग व्यवस्था होती है. अगर उन्हें अनुमति के बगैर साथ पाया गया तो भारी हर्जाना देना पड़ सकता है.
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रोजगार
सऊदी सरकार चाहती है कि महिलाएं कामकाजी बनें. कई सऊदी महिलाएं रिटेल सेक्टर के अलावा ट्रैफिक कंट्रोल और इमरजेंसी कॉल सेंटर में नौकरी कर रही हैं. लेकिन उच्च पदों पर महिलाएं ना के बराबर हैं और दफ्तर में उनके लिए खास सुविधाएं भी नहीं है.
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आधी गवाही
सऊदी अरब में महिलाएं अदालत में जाकर गवाही दे सकती हैं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी गवाही को पुरुषों के मुकाबले आधा ही माना जाता है. सऊदी अरब में पहली बार 2013 में एक महिला वकील को प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला था.
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खेलकूद में
सऊदी अरब में लोगों के लिए यह स्वीकारना मुश्किल है कि महिलाएं भी खेलकूद में हिस्सा ले सकती हैं. जब सऊदी अरब ने 2012 में पहली बार महिला एथलीट्स को लंदन भेजा तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें "यौनकर्मी" कह कर पुकारा. महिलाओं के कसरत करने को भी कई लोग अच्छा नहीं मानते हैं. रियो ओलंपिक में सऊदी अरब ने चार महिला खिलाड़ियों को भेजा था.
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संपत्ति खरीदने का हक
ऐसी औपचारिक बंदिश तो नहीं है जो सऊदी अरब में महिलाओं को संपत्ति खरीदने या किराये पर लेने से रोकती हो, लेकिन मानवाधिकार समूहों का कहना है कि किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना महिलाओं के लिए ऐसा करना खासा मुश्किल काम है.