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भारत: बढ़ रही हैं राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारियां

५ जुलाई २०२२

ट्वीट के लिए हो या अखबार में मांस लपेट कर बेचने के लिए, भारत में राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारियों का चलन बढ़ता जा रहा है. अस्पष्ट कानूनी प्रावधानों को इन मामलों में लोगों की आजादी छीनने का जरिया बनाया जा रहा है.

Indien | Jahangirpuri, Delhi, 21.04.2022
तस्वीर: Aamir Ansari/DW

उत्तर प्रदेश के संभल में एक ढाबा चलाने वाले तालिब हुसैन को पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उनके खिलाफ हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों वाले अखबार में मांसाहारी खाना पैक करने की शिकायत की गई थी.

शिकायतकर्ता का कहना था कि ऐसा करने से उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं. भारतीय डंड संहिता की धारा 295 ए के तहत यह शिकायत का वैध आधार है और दोषी पाए जाने पर तीन साल तक जेल की सजा का प्रावधान भी है.

जुबैर के खिलाफ शिकायत का आधार उनके द्वारा 2018 में किया गया एक ट्वीट हैतस्वीर: Dinesh Joshi/AP Photo/picture alliance

लेकिन किस किस तरह के कदम से भावनाएं आहत हुईं यह फैसला पुलिस और अदालतों के विवेक पर छोड़ा गया है. इसी वजह से कई मामलों में छोटी छोटी बातों पर भी इस धारा के तहत कोई ना कोई शिकायत कर देता है और फिर पुलिस आरोपित व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लेती है.

(पढ़ें: कम नहीं हो रही पत्रकार जुबैर की मुश्किलें)

सालों बाद गिरफ्तारी

पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर को भी पुलिस ने जिन धाराओं के तहत गिरफ्तार किया उनमें यह धारा भी शामिल है. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि उनके जिस ट्वीट के खिलाफ 'धार्मिक भावनाएं आहत' करने की शिकायत की है वो ट्वीट उन्होंने 2018 में किया था.

अगर आप किसी के कदम, बयान, संदेश या सोशल मीडिया पोस्ट से आहत हुए हैं तो आप कितनी अवधि तक उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं, इस सवाल पर भी कानून मूक है. नतीजतन, इस लिहाज से भी गिरफ्तारी पूरी तरह पुलिस के विवेक पर निर्भर है.

नूपुर शर्मा के बयान के खिलाफ प्रदर्शनों को लेकर भी कई लोगों को गिरफ्तार किया गयातस्वीर: Ajay Aggarwal/Hindustan Times/imago

मई 2022 में महाराष्ट्र में अभिनेत्री केतकी चितले को उनकी एक फेसबुक पोस्ट की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था. 29 साल की चितले ने फेसबुक पर मराठी में किसी और की लिखी एक कविता डाली थी जिसमें एक ऐसे शख्स की आलोचना है जिसका चित्रण एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से मिलता जुलता है.

(पढ़ें: कनाडा में फिल्म "काली" के पोस्टर पर विवाद, भारतीय उच्चायोग ने जताई नाराजगी)

इस फेसबुक पोस्ट के लिए ठाणे पुलिस की अपराध शाखा ने चितले के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 (मानहानि), 501 (मानहानि करने वाली सामग्री छापना) और 153ए (दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था.

एक साथ कई एफआईआर

लेकिन सिर्फ ठाणे ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के कई जिलों में चितले के खिलाफ कुल 22 एफआईआर दर्ज की गईं. उन्हें हाल ही में इनमें से सिर्फ एक मामले में जमानत मिली है जिसकी बदौलत वो जेल से बाहर निकल पाई हैं. 21 मामलों में सुनवाई अभी बाकी है.

महाराष्ट्र में शरद पवार पर टिप्पणी पर केतकी चितले के खिलाफ 22 एफआईआर दर्ज कर दिए गएतस्वीर: Hindustan Times/imago images

पुलिस को गिरफ्तारी की इजाजत कानून देता है लेकिन उसके लिए भी एक तय प्रक्रिया है, जिसका अक्सर पुलिस द्वारा उल्लंघन देखा जा रहा है. संभव है कि पुलिस ऐसा राजनैतिक आदेशों के तहत करती हो. कई मामलों में अदालतें पुलिस की कार्रवाई को उलट भी देती हैं.

(पढ़ें: वायरल वीडियो वाले यूपी के एमएलए पर ही एफआईआर)

जून में सहारनपुर में पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बाद पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. बाद में हिरासत में पुलिस द्वारा आठ लोगों को मारते पीटते हुए दिखाने वाला वीडियो भी वायरल हुआ.

लेकिन उन्हें लगभग एक महीना जेल में रखने के बावजूद पुलिस उनके खिलाफ कोई भी सबूत इकट्ठा नहीं कर पाई. रविवार तीन जुलाई को उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हो पाने के बाद अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.

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