उड़ने वाली कार की सैर
४ अक्टूबर २०१७Flying cars take off
आप भले ही गाड़ियों के शौकीन हों. हो सकता है कि आपको घूमना भी पसंद न हो. लेकिन फोल्क्सवागेन की चलती फिरती घरनुमा ये बस ऐसी है कि हो सकता है इसे देखते ही आपको ऐसी ही किसी बस में घूमने निकल पड़ने का दिल करे.
सिर्फ बस नहीं, ये है चलता फिरता पूरा घर
आप भले ही गाड़ियों के शौकीन हों. हो सकता है कि आपको घूमना भी पसंद न हो. लेकिन फोल्क्सवागेन की चलती फिरती घरनुमा ये बस ऐसी है कि हो सकता है इसे देखते ही आपको ऐसी ही किसी बस में घूमने निकल पड़ने का दिल करे.
शुरुआत हुई साल 1950 में
जर्मन कार निर्माता फोल्क्सवागेन की यह छोटी मगर बेहद लोकप्रिय बस 1950 में आई. वीडब्ल्यू को दीवाने कैम्पर नाम की इस गाड़ी को आज भी देखते ही पहचान सकते हैं. क्योंकि इसे पहचाने के लिए बस दो हिस्सों में बंटी विंडशील्ड पर गौर करना ही काफी है. लेकिन बात ये है कि दुनियाभर के लोगों में इस बस की दीवानगी है क्यों.
लाजवाब आईडिया
लोगों को पहली बार देखते ही इस बस का आइडिया बहुत पसंद आया. यह एक छोटे घर की तरह है. इसमें रहा जा सकता है, सोया जा सकता है, दिनों महीनों तक की यात्रा पर यात्रा की जा सकती है. यह तो किसी सपने की तरह था.
यहां सब कुछ है
एकदम छोटी लेकिन इस शानदार बस में स्काईलाइट (छत पर बना एक झरोखा), फोल्ड हो सकने वाली छत और तिरछी खुलने वाली बढ़िया खि़ड़कियां थीं. इसमें बैठने और सो सकने के लिए काफी सारी जगह थी. दरअसल बस एक टॉयलेट को छोड़कर इसमें सब कुछ था.
बस को ही बना लिया घर
वीडब्ल्यू की 1950 की इस बस को खूब पसंद किया गया. लोग इन बसों में दुनियाभर में घूमे. कुछ लोगों ने तो इसे अपना घर ही बना लिया और दुनिया भर की जगहों में घूमते रहे. लोगों ने 100 दिन से लेकर सालों तक इस बस को घर बनाकर सफर किया और इन यात्राओं के ढेरों वीडियो बनाकर यूट्यूब में डाले.
सबकी पसंद वीडब्ल्यू
सिर्फ कुछ घुमक्कड़ और हिप्पी ही नहीं बल्कि ऐसे सारे लड़के लड़कियां जो थोड़ी और आजादी चाहते थे और दुनिया देखना चाहते थे, उन सब ने इन बसों में खूब घूमा और इसे बहुत चाहा.
एक नाम कई काम
सिर्फ आम लोग नहीं बल्कि पुलिस, रेड क्रॉस, और अग्निशमन विभाग में भी यह वैन थी. आप खुद ही सोचिए कि जो गाड़ी इतनी तरह से इस्तेमाल की जा सकती है उसका इतना पॉपुलर होना तो स्वाभाविक ही है ना.
सड़कों से अलमारियों तक
इन बसों को न जाने कितनी फिल्मों और कितनी किताबों में लिखा देखा गया. इस बस को 2013 में बनाना बंद जरूर कर दिया गया है लेकिन यह इतनी पसंद की जाती है कि अब भी लोगों की शेल्फ में इसके छोटे रूप देखे जा सकते हैं.
एक के बाद एक जेनरेशन
फोल्क्सवागेन की इस बस की पहली जनरेशन (1950–1967), दूसरी जनरेशन (1967–1979), तीसरी जनरेशन (1979–1992), चौथी जनरेशन (1990–2003) पांचवी जनरेशन 2003 में आई. साल 2013 के बाद इनका प्रोडक्शन बंद हो गया.
कब बंद हुई
2013 में सकड़ पर चलने वाली गाड़ियों के लिए नए नियम आए. इनमें एयरबैग और नए एबीएस ब्रेक्स होना जरूरी था. लेकिन इन बसों का सफर यहीं तक था. नए एंटी स्किड ब्रेक और एयरबैग इन बसों में फिट नहीं हो सके और ये बसें सड़कों से बाहर होकर बस लोगों के दिलों में रह गयीं.