गरीब देशों में कम गुणवत्ता वाले उत्पाद बेच रही हैं कंपनियां
१२ नवम्बर २०२४
रिपोर्ट का दावा है कि भारत जैसे कम आय वाले देशों में खाने पीने की चीजें बनाने वाली नेस्ले और यूनिलीवर जैसी मल्टीनेशनल कंपनियां ज्यादा आय वाले देशों की तुलना में कम हेल्दी प्रॉडक्ट बेचती हैं.
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एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया की 30 सबसे बड़ी खाद्य और पेय निर्माता कंपनियां भारत जैसे कम आय वाले देशों में ऐसे उत्पाद बेचती हैं जो लोगों को स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं.
नीदरलैंड्स स्थित गैर लाभकारी संगठन 'एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव' (एटीएनआई) ने नेस्ले, यूनिलीवर और पेप्सिको जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 52,000 से ज्यादा उत्पादों का मूल्यांकन करने के बाद हाल ही में यह रिपोर्ट जारी की है.
एटीएनआई द्वारा प्रकाशित यह पांचवां सूचकांक है, जो अब तक का सबसे बड़ा मूल्यांकन है. संगठन ने उत्पादों की गुणवत्ता की जांच के लिए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विकसित हेल्थ स्टार रेटिंग (एचएसआर) प्रणाली का उपयोग करके कुल 52,414 उत्पादों का विश्लेषण किया.
इस रेटिंग में पाया गया कि भारत जैसे कम आय वाले देशों में जो खाद्य और पेय उत्पाद बेचे जा रहे थे, उनकी रेटिंग उच्च आय वाले देशों में बेचे जा रहे उत्पादों की तुलना में कम थी.
कम आय वाले देशों में इन कंपनियों को 5 में से 1.8 की रेटिंग और उच्च आय वाले देशों में इन्हें 2.3 की रेटिंग दी गई. जिन उत्पादों को 3.5 से ज्यादा स्कोर मिलता है, उन्हें स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में एक अरब से ज्यादा लोग मोटापे का शिकार हैं. विश्व बैंक के अनुसार, इस आबादी का 70 फीसदी हिस्सा कम और मध्यम आय वाले देशों में पाया जाता है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए एटीएनआई के शोध निदेशक मार्क विजने ने कहा, "यह बिल्कुल साफ है कि ये कंपनियां दुनिया के सबसे गरीब देशों में जो उत्पाद बेच रही हैं वो स्वास्थ्य के लिहाज से बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं."
उन्होंने ऐसे देशों की सरकारों को ज्यादा सचेत रहने की बात कही.
नेस्ले के प्रवक्ता ने ईमेल से दिए जवाब में बताया, "हमने पौष्टिक खाद्य पदार्थों की बिक्री बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को संतुलित आहार की तरफ ले जाने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि नेस्ले विकासशील देशों में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में सहयोग करने के लिए तत्पर है."
पेप्सिको के प्रवक्ता ने इस मामले पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया.
एवाई/आरपी (रॉयटर्स)
भारत में खाने की इन चीजों की वजह से बढ़ रहा है डायबिटीज
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्ययन से पता चला है कि खाना पकाने और खाने की आदतें भारत में लोगों को तेजी से डायबिटीज का शिकार बना रही हैं.
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तेज आंच से हो सकता है नुकसान
खाना पकाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तेज आंच या ऊष्मा से एजीई नाम का हानिकारक यौगिक पैदा होता है. यह खाने के जरिए शरीर में पहुंचकर टाइप-2 डायबिटीज समेत कई अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है.
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क्या है एजीई
एजीई, यानी 'एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स' ऐसा हानिकारक यौगिक है, जो प्रोटीन और शुगर को गर्म करने पर या लंबे समय तक एक दूसरे के संपर्क में रहने पर बनता है. इस प्रक्रिया को ग्लाइकेशन के रूप में जाना जाता है, जो खून में शुगर के स्तर को तेज करने वाली परिस्थितियां बनाता है.
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किस तरह के खाने में होता है एजीई
लाल मांस, चिप्स, तला हुआ चिकन, समोसा, पकौड़े, केक, कुकीज, रेडी-मेड भोजन, मेयोनीज, उच्च तापमान पर पकाया गया मांस, भुनी हुई मूंगफली और सूरजमुखी के बीज जैसे तले-भुने, सेंक कर पकाए गए खाद्य पदार्थों में एजीई की बड़ी मात्रा पाई जाती है. वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे चीज, मक्खन और क्रीम भी एजीई का स्रोत हैं.
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क्या हैं नुकसान
अध्ययन से पता चला है कि खाने में एजीई की मौजूदगी ऑक्सीडेटिव तनाव, इंसुलिन प्रतिरोध और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है. यह टिशू के अलावा पैंक्रियाज को भी क्षति पहुंचा सकता है, जो शरीर में इंसुलिन बनाता है.
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दो समूहों पर किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए ज्यादा वजन और मोटापे से ग्रस्त 38 वयस्क भारतीयों को दो समूहों में बांटा. एक समूह को निम्न और दूसरे समूह को उच्च एजीई वाला आहार दिया गया और उसके प्रभाव की जांच की गई.
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कम एजीई में दिखे बेहतर नतीजे
जिनके खाने में एजीई की मात्रा कम थी, उन वयस्कों की इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार दिखा. खून में मौजूद शुगर के स्तर में भी कमी आई. वहीं, दूसरे समूह के लोगों के परिणाम निराशाजनक रहे.
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धीमी आंच पर पकाएं खाना
अध्ययन से पता चला कि एजीई अक्सर ऐसे खाने के जरिए हमारे आहार का हिस्सा बन जाता है, जिसे तेज आंच या उच्च तापमान पर पकाया जाता है. इसलिए शोधकर्ता खाने को धीमी आंच पर पकाने की सलाह देते हैं.
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क्या है उपाय
खाना पकाने के लिए भाप या उबालने जैसी तकनीक का इस्तेमाल करना बेहतर बताया गया है. इसके अलावा खाने में दालचीनी, हल्दी और अदरक का इस्तेमाल एजीई की मात्रा कम करने में मदद करता है. एवाई/एसएम