अमेरिकी वीजा के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना रहे हैं छात्र
१३ जून २०२५
नाइजीरियाई छात्र ओवोलाबी इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट हटाने में जुटे हैं. उनका ध्यान ऐसे पोस्ट पर है जो अमेरिकी नीतियों को लेकर हैं. खासतौर से डॉनल्ड ट्रंप के बयानों पर दी गई प्रतिक्रियाओं से जुड़े पोस्ट.
23 साल के ओवोलाबी को इस साल कनेक्टिकट के यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू हैवन के साइबर सिक्योरिटी के मास्टर्स कोर्स में दाखिला मिला है. ट्रंप प्रशासन छात्रों के वीजा के लिए अपॉइंटमेंट रोक रहा है. अमेरिका में जल्दी ही सोशल मीडिया को लेकर नए दिशानिर्देश लागू होने वाले हैं.
ओवोलाबी का कहना है, "मैं नहीं जानता कि फेसबुक या एक्स पर क्या लिखना है, जो अब मुझे मुश्किल में ना डाले. ऐसा लगता है कि कोई मेरी हर गतिविधि पर नजर रखे है." ओवोलाबी ने डर की वजह से सिर्फ अपना पहला नाम ही बताया. वह अमेरिकी वीजा के लिए राजधानी अबूजा में अपॉइंटमेंट लेने वाले थे, तभी पता चला कि फिलहाल सारे आवेदनों पर अपॉइंटमेंट रोक दिया गया है.
उप-सहारा अफ्रीका से हर साल 50,000 छात्र अफ्रीका में आते हैं. हालांकि भारत और चीन से आने वाले छात्रों की संख्या इससे बहुत ज्यादा है. उन छात्रों में भी डर बैठ गया है. 2024 में नाईजीरिया से 20,000 छात्र अमेरिका में पढ़ने आए. किसी अफ्रीकी देश के लिए यह सबसे ज्यादा है.
मई में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने सभी दूतावासों को नए वीजा अपॉइंटमेंट रोकने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन इस प्रक्रिया की समीक्षा करेगा और छात्रों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की छानबीन का दायरा बढ़ाएगा.
यह निर्देश अंतरराष्ट्रीय छात्रों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का हिस्सा है. ट्रंप प्रशासन वीजा रद्द करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रत्यर्पण की कार्रवाई बढ़ा रहा है. अमेरिकी प्रशासन ने प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों को भी निशाना बनाया है. जून की शुरुआत में एक संघीय अदालत के जज ने पढ़ने या फिर इवी लीग स्कूल के एक्सचेंज प्रोग्राम में आने वाले विदेशी नागरिकों को आने से रोकने की कार्रवाई पर तात्कालिक रोक लगा दी.
विदेशी छात्रों को लेकर बनाई जा रही नीतियां वास्तव में आप्रवासियों पर कार्रवाई का हिस्सा है. अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस का कहना है कि इसका लक्ष्य सीमा पर सख्ती और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है.
अनुचित डिजिटल निगरानी
2019 से ही अमेरिकी वीजा के लिए भेजे जा रहे आवेदनों में सोशल मीडिया पहचान की जानकारी देना जरूरी कर दिया गया है. इनमें फेसबुक और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म को शामिल किया गया है. हालांकि रूबियो की घोषणा के बाद आवेदनों की जांच बढ़ गई है. डिजिटल अधिकारों से जुड़े वकीलों का कहना है कि इससे आवेदकों के डिजिटल निगरानी और डाटा प्राइवेसी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
उनकी दलील है कि जिस स्तर पर जांच की तैयारी की जा रही है वह डिडिटल निगरानी और आप्रवासन से जुड़ी प्रक्रियाओं के लिए खतरनाक मिसाल बन जाएगी. नई प्रक्रियाओं का ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है. हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस का कहना है कि देश में आने की इच्छा रखने वाले हर शख्स की छानबीन के लिए अमेरिका "हर औजार" का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है.
डिजिटल अधिकार से जुड़े मामलों की वकील खदीजा अल-उस्मान का कहना है कि वीजा का आवेदन करने वाले की सोशल मीडिया पर गतिविधियों की आप्रवासन की प्रक्रिया के तौर पर छानबीन करना वैध सुरक्षा चिंताओं और अनुचित डिजिटल निगरानी के बीच की रेखा को धूमिल कर देगा. खदीजा पाराडिग्म इनिशिएटिव से जुड़ी हैं जो अफ्रीका का एक सामाजिक संगठन है.
अल-उस्मान का कहना है कि ऑनलाइन गतिविधियों के आधार पर आवेदकों की प्रोफाइल तैयार करने से एक्स या फेसबुक पर डाली गई किसी पोस्ट का गलत मतलब निकला जा सकता है. फेसबुक पर डाली गई किसी राय या फिर राजनीतिक चुटकुलों की वजह से किसी का वीजा रोका जा सकता है. अल-उस्मान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "हमने देखा है, यहां तक कि अमेरिकी सोशल मीडिया कांपनियां भी पोस्ट का गलत मतलब निकालती हैं. इसका मतलब है कि हास्य या फिर राजनीतिक आलोचना को अनुचित तरीके से सुरक्षा के लिए खतरा बताया जा सकता है."
दूसरे देशों में भी निगरानी का डर
डिजिटल अधिकारों की वकालत करने वालों ने चेतावनी दी है कि अमेरिका का यह कदम दूसरे देशों को भी इस बात के लिए उकसावा देगा कि डिजिटल निगरानी को आप्रवासन प्रक्रिया का हिस्सा बना दिया जाए. अगर यह हुआ तो सारे सोशल मीडिया यूजर गलत प्रोफाइलिंग के खतरे में आ जाएंगे. नाइजीरिया की डिजीसिविक इनिशिएटिव के निदेशक मोजिरायो ओगुनलाना ने पूछा है, "अगर कोई गुस्से के आवेग में कहता है, 'अमेरिका इस्राएल का समर्थन क्यों करता है? और इसे एक्स या फेसबुक पर डाल देता है तो क्या इसका मतलब है कि वह आतंकवादी है? या फिर क्या वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है? क्या यह उन्हें वीजा नहीं देने का वैध कारण है?'"
ओगुनलाना का कहना है कि लोग अमेरिकी सरकार की धार्मिक या राजनीतिक विचारधारा से जुड़ी अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को खुद ही सेंसर करने लगेंगे, अगर उन्हें वीजा के लिए आवेदन करना हुआ तो.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इसका बहुत बुरा असर हो सकता है. बारबाडोस के छात्र ब्लैकमैन ने भी अपना पूरा नाम नहीं बताया. राजधानी ब्रिजटाउन में रहने वाले छात्र ने बताया कि उसने अपना एक्स और फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया जब उन्हें ईमेल के जरिए पता चला कि उनका वीजा के लिए आवेदन प्रशासनिक कारणों से होल्ड पर डाल दिया गया है. वह मसाचुसेट्स युनिवर्सिटी में फार्मेसी की मास्टर डिग्री के लिए वहां जाना चाहते हैं. अगस्त में उनकी क्लास शुरू होगी लेकिन अब तक उन्हें यह जानकारी नहीं मिली है कि उनके आवेदन पर आगे क्या हुआ.
उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट तो डिलीट कर दिए लेकिन उन्हें डर है कि 'ब्लैक लाइव्स मैटर' अभियान के समर्थन में जो उन्होंने ब्लॉग पोस्ट किए थे वो अब भी ऑनलाइन हैं. 20 साल के ब्लैकमैन ने कहा, "इंटरनेट ने मुझ जैसे युवाओं को नस्लभेद और पुलिस की क्रूरता के खिलाफ बोलने का मंच दिया है. अब मुझे चुप करा दिया गया और लगता है जैसे मेरी निगरानी होती है."