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पूर्व सेक्रेटरी को नाजी दौर की हत्याओं के लिए सजा

२० दिसम्बर २०२२

नाजी कंसंट्रेशन कैंप के एक पूर्व सेक्रेटरी को हत्या के 10,505 मामलों में शामिल होने के लिए दोषी करार दिया गया है. 97 साल की सेक्रेटरी को दो साल की निलंबित कैद की सजा सुनाई गई है.

Deutschland | Fortsetzung des Prozesses gegen eine frühere KZ-Sekretärin
तस्वीर: Christian Charisius/dpa/picture alliance

जर्मन निजता कानूनों के तहत इस सेक्रेटरी की पहचान इर्मगार्ड एफ के रूप में की गई है. पूर्व सेक्रेटरी ने सुनवाई के दौरान ज्यादातर वक्त चुप्पी साध रखी थी. आखिर में उसने बस इतना कहा, "जो कुछ भी हुआ मुझे उसका दुख है. मुझे अफसोस है कि मैं उस वक्त स्टुटहोफ में थी. मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं कह सकती."

स्टुटहोफ में वह नाजी यातना शिविर था, जहां हजारों यहूदी कैदियों को बेदर्दी के साथ मार डाला गया था. दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के 77 साल बाद इर्मगार्ड एफ का ये मुकदमा निश्चित रूप से जर्मनी में यहूदी जनसंहार होलोकॉस्ट के अपराधों के लिए चले आखिरी मामलों में से एक है.

स्टुटहोफ के कमांडेंट की सेक्रेटरी

इर्मगार्ड एफ स्टुटहोफ यातना शिविर के कमांडेंट के दफ्तर में सिविलियन कर्मचारी के रूप में काम करती थीं. उन्होंने वहां जून 1943 से अप्रैल 1945 के बीच काम किया. यही वजह है कि उन्हें उन दिनों में कैदियों को मारने की गतिविधियों में शामिल माना गया है. उस वक्त उनकी उम्र 18 से 19 साल ही थी इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा जुवेनाइल कोर्ट में चला. अदालत ने निलंबित सजा अभियोजन पक्ष की मांग के मुताबिक ही दी है. 

उस वक्त इर्मगार्ड एफ की उम्र 18-19 साल थीतस्वीर: Bundesarchiv

होलोकॉस्ट के दौरान 1941 से 1945 के बीच जर्मनी की नाजी सत्ता ने एक तंत्र बना कर यूरोप में 60 लाख यहूदियों की हत्या की थी. यह एक नरसंहार था जिसमें यहूदियों की दो तिहाई आबादी खत्म हो गई. 31 वादी संयुक्त रूप से अभियोजन में शामिल हुए थे और उनके 15 कानूनी प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया और वो अभियोजन के तरफ से मांगी गई सजा से सहमत हैं.

किन लोगों ने दी गवाही

यह मुकदमा 30 सितंबर, 2021 को शुरू हुआ. 40 दिन की सुनवाई के दौरान अदालत ने 31 संयुक्त वादियों में से 8 की गवाही सुनी. कैंप में जिंदा बचे लोगों ने स्टुटहोफ में बड़े पैमाने पर हुई मौतों और तकलीफों की बातें बताईं.

सबसे अहम गवाह स्टेफान होएर्डलर थे जो नाजी जर्मनी की सशस्त्र सेवाओं और नौकरशाही के विशेषज्ञ हैं. उन्होंने अदालत के 14 सत्रों में इस पर एक रिपोर्ट पेश की. 

70 सालों से नाजी अत्याचारों का मुआवाजा दिला रहा है यह संगठन

बचाव पक्ष ने इर्मगार्ड एफ को बरी करने की मांग की थी. उनका कहना है उनके मुवक्किल के साथ भेदभाव हुआ है जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई कर रहे दो जजों ने स्टुटहोफ कैंप का भी दौरा किया था. इस दौरान जज दूसरी चीजों के साथ ही यह देखना और पक्का करना चाहते थे कि आरोपी अपने काम की जगह से कैंप का कौन सा हिस्सा देख सकती थी. मुकदमे के केंद्र में यह बात थी कि वह वहां होने वाले अपराध के बारे में कितनी जानकारी रखती थीं.

होप्पे की विश्वासपात्र सेक्रेटरी

टाइपिस्ट के रूप में प्रशिक्षित इर्मगार्ड एफ स्टुटहोफ कंसंट्रेशन कैंप के बाहर स्थित कमांडर पॉल वेर्नर होप्पे के दफ्तर में काम करती थीं. मामले की सुनवाई कर रहे जज डोमिनिक ग्रोस का कहना है कि सारे आदेश वहीं से निकलते थे. ग्रोस का कहना है, "स्टुटहोफ में रहने के दौरान वह इस बात से अनभिज्ञ नहीं थी कि वहां क्या हो रहा था."

बतौर सेक्रेटरी इर्मगार्ड को कैंप में होने वाली मौतों के बारे में जानकारी थीतस्वीर: Daniel Reinhardt/dpa/picture alliance

वह कैंप प्रशासन के केंद्र में काम कर रही थीं और होप्पे के साथ उनका भरोसे का संबंध था. इर्मगार्ड एफ ने यहां तक कि होप्पे के साथ वोएब्बेलिन कंसंट्रेशन कैंप का भी दौरा किया था जिसे 1945 में बंद किया गया.

अपने दफ्तर से वह असेंबली प्वाइंट को देख सकती थीं जहां आने वाले कैदी अकसर कई दिनों तक इंतजार करते. 1944 के पतझड़ में शवदाहगृह लगातार काम कर रहा था. धुआं और दुर्गंध पूरे कैंप में फैला हुआ था. जजों का कहना है कि "यह कल्पना से परे" है कि उन्हें वहां बड़े पैमाने पर हो रही हत्याओं के बारे में पता नहीं था. ग्रोस का कहना है, "वह किसी भी वक्त अपनी नौकरी छोड़ सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया."

अदालत ने उन्हें स्टुटहोफ में हत्या के 10,505 मामलों में मदद करने का दोषी माना है. इनमें से कम से कम 1000 लोगों को जिकलॉन गैस देकर मारा गया. बाकी बचे 9500 लोग वहां की अमानवीय स्थितियों की चपेट में आ कर मरे.

नाजी दमन के बारे में अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज केंद्र अरोल्सन आर्काइव्स का कहना है कि स्टुटहोफ और उसके 39 उपशिविरों में 1929 से 1945 के बीच 28 देशों के कुल 110,000 लोग लाये गये थे, इनमें से 65 हजार जिंदा नहीं बच सके.

एनआर/एमजे (डीपीए)

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