होश संभालते ही वह दर दर भागने लगा. धीरे धीरे परिवार बिछड़ गया, सारे भाई बहन मारे गए. अब वो अकेली उम्मीद है और फिर से भागने को तैयार है, इस बार ओलंपिक में.
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दक्षिण सूडान के एथलीट गौर मारियल भले ही स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार न हों, लेकिन सम्मान और जज्बे का मेडल वह जीत चुके हैं. कभी गुलाम रहे मारियल का सफर रियो ओलंपिक की सबसे जज्बाती कहानियों में से एक है.
सूडान के गृहयुद्ध के दौरान मारियल बच्चे थे. जान बचाने के लिए मारियल परिवार को अपना घर और इलाका छोड़ना पड़ा. इस दौरान परिवार के सदस्य कभी साथ होते तो कभी अलग अलग. कोशिश यही थी कि किसी की तो जान बचे. ऐसी जिंदगी जीने के दौरान मारियल को पता चला कि उसके परिवार के 28 लोग मारे जा चुके हैं. इनमें से आठ उसके भाई बहन थे. नाबालिग मारियल को भी दो बार अगवा किया गया. अपहर्ताओं ने आखिरकार उन्हें गुलाम बना दिया.
इस दौरान मारियल किसी तरह भाग कर मिस्र पहुंचे और फिर वहां से अमेरिका. सन 2001 में अमेरिका ने उनकी शरण की अर्जी स्वीकार कर ली और मारियल अमेरिकी नागरिक बन गए. इसके बाद एक दौड़ और शुरू हुई, अपनों को खोजने की. लेकिन लंबे वक्त तक कोई सुराग नहीं मिला. इस बीच देश का भूगोल बदल चुका था. दो दशक के रक्तपात के बाद 2005 में शांति समझौता हुआ. और उस संधि के छह साल बाद 2011 में नए देश दक्षिण सूडान का जन्म हुआ.
2012 में मारियल ने इंडिपेंडेंट एथलीट के रूप में लंदन ओलंपिक में हिस्सा लिया. तब भी उन्होंने कहा, "मैं भले ही ओलंपिक की पोशाक पहनूं, लेकिन मेरे भीतर, दिल में हमेशा दक्षिण सूडान के झंडे के साथ खड़ा मिलूंगा." लंदन में वह हालांकि कोई कमाल नहीं कर पाए लेकिन उनकी चर्चा दक्षिण सूडान तक पहुंची. धीरे धीरे मारियल को अपने जीवित मां-बाप की खबरें मिलने लगीं. 2013 में मारियल दक्षिण सूडान गए. 20 साल बाद उन्होंने बहुत कुछ खो चुके अपने मां-बाप को देखा. उस मुलाकात के बारे में मारियल कहते हैं, "मेरी मां मेरे बगल से गुजर गई क्योंकि उसने मुझे पहचाना ही नहीं. उसे पता ही नहीं था कि मैं कौन हूं. फिर किसी ने आवाज देकर बताया और उसने मुझे देखा, इसके बाद अचम्भे के कारण वो गश खाकर गिर पड़ी. जब उसे होश आया तो मैं उसे गले लगाकर गोद उठाया, वो बार बार मुझसे पूछती रही कि क्या तुम ही मेरे बेटे हो?"
अब मारियल का नाम इतिहास में दर्ज हो चुका है. पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली दक्षिण सूडान की टीम की अगुआई मारियल ने ही की. मारियल के मुताबिक, "रियो ओलंपिक में पहली बार मैंने दक्षिण सूडान के झंडे को अपने बदन पर लपेटा, वो यादगार पल था."
अब मारियल और उनके साथियों के सामने एक बार फिर बड़ा मौका है. रविवार को 42.2 किलोमीटर लंबी दौड़ में कुल सात सूडानी धावक होंगे. तीन दक्षिण सूडान की टीम की तरफ से और पांच ओलंपिक की पहली शरणार्थी टीम की ओर से. इन पांचों को केन्या के शरणार्थी कैंप से निकलकर रियो आने का मौका मिला है. स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वालों के नाम खेलों के इतिहास में जाएंगे और मारियल व उनके साथियों के नाम दिलों में.
कभी फटी जेब लिए फिरते थे ये सितारे
फिल्म के बड़े पर्दे पर सितारों को महंगे कपड़े और चमचमाती कारों के साथ देख कर बहुत लोगों को ईर्ष्या होती है. लेकिन ये सितारे भी कभी आम इंसान थे, कभी इनकी जेब भी आज की तरह भारी नहीं थी.
तस्वीर: Strdel/AFP/GettyImages
डैनियल क्रेग
आज उनकी पहचान जेम्स बॉन्ड के रूप में है. वे महंगी महंगी घड़ियों और गाड़ियों के विज्ञापन में नजर आते हैं. लेकिन अपने संघर्ष के दिनों में डैनियल क्रेग लंदन के पार्क में बेंच पर सोया करते थे. उनके पास घर का किराया देने के लिए पैसे नहीं थे. और आज आलम यह है कि फिल्म स्कायफॉल के लिए उन्हें 1.7 करोड़ डॉलर में साइन किया गया.
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चार्ली चैप्लिन
उल्टे जूते और छोटी पतलून पहन कर दुनिया को हंसाने वाले चार्ली चैप्लिन का बचपन भी बेहद दुखद था. पिता का देहांत हो गया था और मां इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं, उन्हें पागलखाने में भर्ती कराना पड़ा. चार्ली चैप्लिन ने बहुत छोटी उम्र से ही थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था, जिसके लिए उन्हें पैसे भी मिला करते थे.
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नवाजुद्दीन सिद्दीकी
उत्तर प्रदेश के एक किसान के घर पैदा हुए नवाज ने भी दर दर की ठोकरें खाई हैं. आज उनकी मौजूदगी फिल्म को हिट कराने का फॉर्मूला बन गयी है. एक वक्त था जब वह चौकीदार का काम कर दो वक्त की रोटी कमाते थे. नवाज का कहना है कि उनके परिवार और जान पहचान वालों को कभी इस बात पर यकीन नहीं आया कि "एक काला कलूटा लड़का" हीरो बन कर दिखा सकता है.
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इरफान खान
एक इंटरव्यू के दौरान इरफान खान ने कहा कि उन्होंने वह वक्त भी देखा है जब जुरासिक पार्क देखने के लिए उनकी जेब में पैसे नहीं थे. आज वही इरफान खान जुरासिक पार्क जैसी अंतरराष्ट्रीय फिल्म की पहचान बन गए हैं. 90 के दशक की शुरुआत से ही इरफान टीवी में छोटे मोटे किरदार निभाने लगे थे. शोहरत की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते उन्हें कई साल लग गए.
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हैली बेरी
ऑस्कर और एमी पुरस्कार जीत चुकीं हैली बेरी के पास आज सात करोड़ डॉलर की संपत्ति है. लेकिन उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब वे हॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने आईं, तो उन्हें बेघर लोगों के लिए बने शेल्टर में आश्रय लेना पड़ा. ऐसा इसलिए क्योंकि वे घर से खाली हाथ निकली थीं और उनकी मां का कहना था कि या तो घर लौट आओ, या फिर खुद ही अपना ध्यान रखो.
तस्वीर: picture alliance/kpa
जेनिफर लोपेज
आज जेलो के पास 11 करोड़ डॉलर की संपत्ति है. लेकिन 18 साल की उम्र में मां के साथ झगड़ा होने के बाद वह घर छोड़ कर चली गयी थीं. जिस डांस स्टूडियो में वह नृत्य सीखती थीं, वहीं उन्होंने सोफे पर सोना शुरू कर दिया. जेलो की मां चाहती थीं कि वह पढ़ाई करें और कॉलेज में दाखिला लें, जबकि जेलो नाच गाने को ही अपनी जिंदगी बनाना चाहती थीं.
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सिल्वेस्टर स्टेलॉन
इन्हें रैम्बो और रॉकी के नाम से जाना जाता है. लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब सिल्वेस्टर स्टैलॉन बस अड्डे पर रात गुजारते थे. वहीं उन्होंने एक पोर्न फिल्म की शूटिंग का विज्ञापन देखा. दो दिन के शूट के लिए उन्हें 200 डॉलर मिले. यह उनकी पहली फिल्म थी. शोहरत तो उन्हें बाद में मिली लेकिन कम से कम इस पैसे से बस अड्डे से फौरन राहत जरूर मिल गयी.
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जिम कैरी
इन्होंने मास्क बन कर पूरी दुनिया को हंसाया है लेकिन इनका खुद का जीवन मुश्किलों से भरा था. जिम कैरी 12 साल के थे जब उनके पिता की नौकरी चली गयी. परिवार के पास घर का किराया देने के लिए पैसे नहीं थे. पहले उन्होंने अपनी गाड़ी को ही घर में तब्दील कर लिया और फिर बाद में बड़ी बहन, जो कि शादीशुदा थीं, उनके घर के आंगन में तंबू लगा कर रहने लगे.
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ओप्रा विन्फ्री
इनकी कहानी किसी परिकथा जैसी है. परिवार के पास कपड़े खरीदने के लिए पैसा नहीं होता था, इसलिए ओप्रा बोरी पहन कर गुजारा करती थीं. नौ साल की उम्र में उनके साथ बलात्कार हुआ. लेकिन ओप्रा ने कभी हिम्मत नहीं हारी. आज वह पूरी दुनिया के लिए महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं और तीन अरब डॉलर की संपत्ति की मालकिन भी.
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रजनीकांत
इनकी कहानी कौन नहीं जानता. आज इन्हें दक्षिण भारत में भगवान की तरह देखा जाता है लेकिन कभी रजनीकांत स्टेशन पर कुली का और बस कंडक्टर का काम किया करते थे. आज रजनीकांत भारत के सबसे रईस लोगों में से एक हैं. उनके पास पांच करोड़ डॉलर की संपत्ति है.