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नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन रिसाव के लिये आखिर कौन जिम्मेदार

२९ सितम्बर २०२२

नॉर्ड स्ट्रीम पाइलाइनों में रिसाव पर अनिश्चितता और आशंकाओं के बीच चौथी जगह से रिसाव की खबर आई है. अब तक पक्के तौर पर यह पता नहीं चला है कि रिसाव किसी हादसे का नतीजा है या कोई तोड़फोड़ की घटना.

नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन से गैस का रिसाव
रिसाव वाली जगहों से लगातार गैस निकल रही है तस्वीर: 2022 Planet Labs PBC/handout/AFP

रूस से बाल्टिक सागर हो कर यूरोप आने वाली गैस पाइपलाइन में अब चौथी जगह से रिसाव की खबर आई है. स्वीडन के तटरक्षक बलों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. तटरक्षक बल के अधिकारी का कहना है, "स्वीडन की तरफ दो और डेनमार्क की तरफ भी दो जगहों से रिसाव हो रहा है." इससे पहले कुल तीन जगहों से रिसाव की पुष्टि हुई थी.

तटरक्षक अधिकारी ने यह भी कहा कि स्वीडन की तरफ रिसाव की दोनों जगहें "एक दूसरे के काफी करीब हैं." मीडिया में आ रही खबरों में नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन में रिसाव की बात कही गई है लेकिन तटरक्षक अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की. वह यह भी नहीं बता सके कि चौथे रिसाव की खबर अब क्यों आई है.

रिसाव से पहले धमाके

पाइपलाइनों से रिसाव शुरू होने के पहले वहां धमाके होने की खबर मिली है. भूकंप पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों ने पहला धमाका सोमवार को डेनमार्क के बोर्नहोम द्वीप के ऊत्तर पश्चिम में दर्ज किया. इसके बाद दूसरा धमाका भी उसी जगह सोमवार की रात को ही दर्ज हुआ जो पहले से ज्यादा ताकतवर था. डेनमार्क में भूकंप पर नजर रखने वाले केंद्रों के मुताबिक यह धमाका 2.3 तीव्रता वाले भूकंप के बराबर ताकतर था. डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड के भूकंप निगरानी केंद्रों ने भी धमाके दर्ज किये हैं. 

रिसाव से पहले इन जगहों पर धमाके की खबरें आई हैंतस्वीर: Danish Defence Command/AP/picture alliance

गैस पाइपलाइनों में भारी रिसाव के कारण कई सौ मीटर के घेरे में सागर की सतह पर बुलबुले निकल रहे हैं. इनकी वजह  से फिलहाल पाइपलाइनों का निरीक्षण संभव नहीं है. अरबों यूरो की लागत से बने नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन 1 और 2 पहले से ही यूरोप और रूस के भूराजनीतिक संबंधों के केंद्र में रहे हैं. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से इसकी अहमियत और बढ़ गई है. फिलहाल दोनों पाइपलाइनों से गैस की सप्लाई बंद है लेकिन उनमें गैस भरी हुई है.

डेनमार्क की ऊर्जा एजेंसी का कहना है कि टूटी पाइपलाइन से तकरीबन आधी गैस निकल चुकी है और बाकी बची गैस के रविवार तक बाहर निकल जाने की उम्मीद है. इस रिसाव के कारण वहां भारी मात्रा में मीथेन गैस निकल रही है जो प्राकृतिक गैस का प्रमुख घटक है.  ग्रीनपीस का कहना है कि इस रिसाव से करीब 3 करोड़ टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन होगा जो डेनमार्क के सालाना कार्बन उत्सर्जन का करीब दो तिहाई है.

पाइपलाइन की मरम्मत

गैस पाइपलाइन ग्रिड कंपनी गासुनी डॉयचलैंड ने उम्मीद जताई है कि गैस पाइपलाइन को हुए नुकसान की मरम्मत की जा सकती है. कंपनी के प्रबंध निदेशक येंस शुमान का कहना है, "पाइपलाइन हादसों को संभालने के लिये अच्छी टीमें मौजूद हैं. आपातकालीन पाइप के लिये सामान तट या तट से दूर विशेषज्ञ भी हैं."

हालांकि जर्मन सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि अगर बड़ी मात्रा में खारा पानी पाइपों में घुस गया तो उनमें जंग लग जायेगी और नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन हमेशा के लिये बेकार हो जायेगी. डेनामार्क के सुरक्षा बलों का कहना है कि सबसे बड़े रिसाव से जो इलाका प्रभावित हुआ उसके व्यास करीब एक किलोमीटर है. सुरक्षा एजेंसी ने जहाजों को उस तरह जाने से रोक दिया है.

नॉर्ड स्ट्रीम 1 गैस पाइपलाइन की मरम्मत के लिये पाइपलाइन रिपेयर एंड सबसी इंटरवेंशन पूल का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह एजेंसी सदस्य कंपनियों को मरम्मत के लिये उपकरण मुहैया कराती है. इसके सदस्यों में नॉर्वे की इक्विनॉर और नॉर्ड स्ट्री 1 की ऑपरेटर नॉर्ड स्ट्रीम एजी भी शामिल है.

स्वीडन और डेनमार्क के पास हो रहा है रिसाव

तोड़फोड़ है तो किसने किया?

यूरोपीय संघ ने अपनी ऊर्जा के बुनियादी ढांचे में बाधा डालने की कार्रवाई का सख्त सी जवाब देने की बात कही है. संघ ने इस घटना के पीछे तोड़फोड़ की आशंका जताई है. गैस का रिसाव तीसरे दिन भी जारी है लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि इसके पीछे किसका हाथ है. रूस ने भी तोड़फोड़ की कार्रवाई का संदेह जताया है लेकिन इसमें अपना हाथ होने से साफ इनकार किया है और अमेरिकी की ओर उंगली उठाई है. अमेरिका ने भी इससे साफ इनकार किया है. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस मामले में बैठक होगी.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल का कहना है, "यूरोपीय ऊर्जा के बुनियादी ढांचे में जानबूझ कर बाधा डालने की कार्रवाई को बिल्कुल सहन नहीं किया जायेगा और इस पर संयुक्त रूप से कड़ी जवाही कार्रवाई होगी." जर्मनी, डेनमार्क और स्वीडन भी इसी तरह की बात कह चुके हैं. यूरोपीय देश इसे यूरोप के ऊर्जा संकट को बढ़ाने के लिये की गई कार्रवाई बता रहे हैं तो रूस उसे अपनी पाइपलाइनों पर हमला बता रहा है.

अमेरिकी में रूसी दूतावास का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र में बैठक के लिए उसने मांग रखी है और , "रूसी पाइपलाइनों पर अभूतपूर्व हमले के कारण पैदा हुई परिस्थितियों की विस्तृत और निष्पक्ष जांच की जरूरत पर बल दिया है." गुरूवार को रूसी दूतावास ने टेलिग्राम पर बयान जारी किया है. बयान में अमेरिका पर रूस को ऊर्जा बाजार से बाहर निकालने की कोशिश करने और इसके लिये बाजार से अलग तरीकों और प्रतिबंधों का इस्तेमाल करने का लगाया गया है.

रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव का कहना है, "यह आतंक की कार्रवाई लगती है जो किसी देश के स्तर पर हुई है." पेस्कोव  ने कहा, "यह कल्पना करना बहुत मुश्किल है कि इस तरह के आतंकवाद की कार्रवाई बिना किसी देश की मिलीभगत के बगैर हुआ हो. यह बहुत खतरनाक स्थिति है और इसकी तुरंत जांच होनी चाहिये."

अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएऩ ने तीन स्रोतों के हवाले से खबर दी है कि यूरोपीय सुरक्षा अधिकारियों ने रिसाव वाली जगह से थोड़ी ही दूरी पर रूसी नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों की मौजूदगी देखी है. सीएनएन की रिपोर्ट पर जब पेस्कोव से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उनका कहना था कि उस इलाके में नाटो की मौजूदगी और ज्यादा बड़ी है. रूस का यह भी कहना है कि रिसाव डेनमार्क और स्वीडन के तटों के पास हुए है और यह इलाका "पूरी तरह से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के नियंत्रण में है."

यूरोप में सुरक्षा अलर्ट

डेनमार्क के रक्षा मंत्री ने नाटो महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग के साथ बैठक करने के बाद कहा है कि इलाके में सुरक्षा की स्थिति को लेकर चिंता करने की वजहें हैं. रक्षा मंत्री मोर्टे बोड्स्कोव का कहना है, "रूसी सेना की बाल्टिक सागर के इलाके में अहम मौजूदगी है और हमें आशंका है कि वो अपनी आक्रामक गतिविधियां जारी रखेंगे."

नॉर्वे के प्रधानमंत्री ने भी बुधवार को कहा कि तेल और गैस ठिकानों के पास सेना तैनात की जा रही है. उधर डेनमार्क ने भी अपनी तैयारियों का स्तर ऊपर ले जाने की बात कही है. 

एनआर/आरपी (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)

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