भारत और फ्रांस ने की यूक्रेन युद्ध रोकने की साझा अपील
५ मई २०२२
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संक्षिप्त फ्रांस दौरे पर दोनों देशों ने रूस और यूक्रेन पर चर्चा की. हालांकि सिर्फ फ्रांस ने रूस की निंदा की, जबकि भारत ने परहेज किया.
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भारत और फ्रांस ने यूक्रेन में जारी हिंसा और आक्रामक गतिविधियों को फौरन रोकने की संयुक्त अपील की है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान वहां के पुनः निर्वाचित राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों से मुलाकात की.
एक साझा बयान में दोनों नेताओं ने कहा, "फ्रांस और भारत यूक्रेन में जारी युद्ध और मानवीय संकट पर बेहद चिंतित हैं. दोनों देश बिना किसी लाग-लपेट के इस बात की निंदा करते हैं कि यूक्रेन में आम नागरिक मारे गए हैं, और अपील करते हैं कि फौरन युद्ध रोककर दोनों देश कूटनीति और बातचीत का रूख करें ताकि लोगों को पहुंच रही तकलीफों का फौरन अंत हो सके.”
हालांकि इस बयान में रूस की आलोचना सिर्फ फ्रांस ने की और भारत ने अपने रणनीतिक साझीदार रूस की निंदा से परहेज किया. फ्रांस ने कहा कि रूस का यूक्रेन पर हमला अवैध और नाजायज है. दोनों देशों ने कहा कि इस युद्ध के कारण पैदा होने वाले खाद्य संकट का वे ‘समन्वयित और बहुपक्षीय तरीकों से' जवाब देंगे.
भारत को रूस का विकल्प देने की कोशिश
नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले माक्रों के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति भारतीय प्रधानमंत्री से बातचीत में इस बात पर जोर देंगे कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर युद्ध के दुष्परिणाम यूरोपीय संघ के बाहर एशिया को भी झेलने होंगे. एक बयान में फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि उनका देश रूसी हथियार और ऊर्जा पर भारत की निर्भरता कम करने में मदद करना चाहता है. उन्होंने कहा, "मकसद यह नहीं है कि भारत के पास कोई विकल्प ना रहे, बल्कि उसके पास हल हों.”
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फ्रांस ने कहा कि इमानुएल माक्रों के भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बहुत करीबी संबंध हैं. 2017 के बाद से मोदी तीन बार फ्रांस की यात्रा कर चुके हैं. 2018 में माक्रों ने भारत का दौरा किया था. पेरिस में मुलाकात के दौरान मोदी ने माक्रों को एक बार फिर भारत यात्रा का न्योता दिया ताकि दोनों देशों के बीच अक्षय ऊर्जा और रक्षा तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत किया जा सके.
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परमाणु समझौते को लेकर उत्सुकता
दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और फ्रांस के रिश्ते आपसी विश्वास पर आधारित हैं. साझा बयान में भी दोनों देशों ने कहा कि खासतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग को और मजबूत किया जाएगा. भारत ने फ्रांस से दर्जनों राफाएल विमान खरीदे थे. दोनों देश परमाणु ऊर्जा के नागरिक इस्तेमाल पर भी सहयोग कर रहे हैं. फ्रांस की सरकारी कंपनी ईडीएफ भारत के जैतपुर में छह ईपीआर रिएक्टर बनाने को लेकर उत्सुक है.
किन वजहों से चुना गया राफाल?
यह भारत के रक्षा इतिहास का यह सबसे बड़ा सौदा था लेकिन आठ साल तक अटका रहा. आखिर क्या खासियत है राफाल में जो इस पर इतनी मशक्कत हुई.
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फ्रांस में राजनाथ सिंह
भारत ने 2012 में फ्रांस से 126 राफाल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया. लेकिन सौदा तकनीकी मामलों में उलझकर फंस गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के बाद मामला आगे बढ़ा. अक्टूबर 2019 में राजनाथ सिंह पहली डिलीवरी के लिए फ्रांस पहुंचे.
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ऊंचे इलाकों का मशीनी परिंदा
सैन्य क्षमता के मामले में भारत अपने परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से बहुत आगे है. लेकिन नई दिल्ली का चीन के साथ भी सीमा विवाद है. भारत और चीन के बीच हिमालय का ऊंचा इलाका है. राफाल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है.
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राफाल की क्षमता
किसी चपल बाज की तरह राफाल एक मिनट में 60,000 फुट की ऊंचाई तक जा सकता है. हालांकि यूरोफाइटर टायफून इस मामले में राफाल से आगे है, लेकिन टायफून राफाल से महंगा भी है.
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रफ्तार और बारीकी
भारतीय वायुसेना ने लंबे टेस्ट के बाद वित्तीय कारणों से राफाल को चुना. उड़ान भरते वक्त राफाल की उच्चतम रफ्तार 2130 किलोमीटर प्रति घंटा है. वायुसेना के मुताबिक हवा से जमीन में मार करने में राफाल टायफून से ज्यादा कारगर दिखा.
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राफाल बनाम टायफून
राफाल जहां हवा से जमीन पर मार करने में अचूक है. वहीं जबरदस्त रडार वाला यूरोफाइटर टायफून हवा से हवा में मार करने के मामले में अब तक सबसे उन्नत विमान है. एविशन क्षेत्र के जानकार दोनों विमान में 19-20 का ही फर्क करते हैं.
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भरोसेमंद राफाल
जर्मनी और ब्रिटेन ने लगातार यूरोफाइटर को बेचने की कोशिशें जारी रखी हैं. घातक दांव पेंचों के मामले में नए टायफून का कोई तोड़ नहीं है. लेकिन राफाल जांचा परखा और विश्वसनीय लड़ाकू विमान है.
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फ्रांस पर भरोसा
राफाल सौदे का आधार भारत और फ्रांस की दोस्ती भी है. 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए. लेकिन यूरोपीय संघ और अमेरिका के निकटता के बावजूद फ्रांस ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए.
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मिराज अपग्रेड
भारतीय वायुसेना राफाल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दासो के मिराज 2000 विमान पहले से इस्तेमाल कर रही है. कारगिल युद्ध में मिराज विमानों की काफी तारीफ हुई. बाद में दासो ने मिराज को अपग्रेड करने में भी आनाकानी नहीं की.
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परमाणु प्रतिरक्षा में सक्षम
राफाल हथियारों के एक अत्याधुनिक पैकेज के साथ आता है जिसमें मेटोर मिसाइलें भी शामिल हैं. इन्हें दुनिया की सबसे आधुनिक मिसाइलों में गिना जाता है. ये विमान वायु रक्षा, इंटरसेप्शन, ग्राउंड सपोर्ट, अंदर जाकर हमले, पैमाइश, एंटी-शिप स्ट्राइक और परमाणु प्रतिरक्षा में सक्षम है.
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किससे जीता राफाल
अमेरिका भारत को एफ-16 और एफ-18, रूस मिग-35, जर्मनी और ब्रिटेन यूरोफाइटर टायफून और स्वीडन ग्रिपन विमान बेचना चाह रहे थे. लेकिन बाजी राफाल ने मारी.
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10 अरब डॉलर का सौदा
राफाल एक ट्विन-जेट एयरक्राफ्ट होता है जो हर तरह के लड़ाकू अभियान को अंजाम दे सकता है. भारत को ये लड़ाकू विमान देने की प्रक्रिया के पूरा होने में लगभग साढ़े पांच साल लगेंगे. 2012 में दासो ने भारत से 126 लड़ाकू विमानों का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था और ये सौदा लगभग 10 अरब डॉलर का था.
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36 पर सहमति
बीते बीस साल में भारत का यह सबसे बड़ा लड़ाकू विमान खरीद सौदा है. इसके पहले भारत ने 1996 में रूस के साथ सुखोई विमानों के लिए बड़ी डील की थी. लेकिन फिर कीमत और विमानों की एसेंबलिंग को लेकर विवाद हो गया और दोनों पक्ष राफाल जेट्स की संख्या घटाकर 36 करने पर सहमत हुए.
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ईडीएफ को लेकर भारत से समझौता इमानुएल माक्रों के लिए भी बेहद अहम है. हाल ही में चुनाव जीतने वाले माक्रों ने अपने प्रचार अभियान के दौरान वादा किया था कि वह देश की न्यूक्लियर इंडस्ट्री को फिर से आगे बढ़ाएंगे.
फ्रांस दौरे के बारे में नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर कहा कि यह एक संक्षिप्त लेकिन फलदायी दौरा था. मोदी ने लिखा, "मेरी फ्रांस यात्रा छोटी लेकिन फलदायी रही. मुझे इमानुएल माक्रों से कई मुद्दों पर बात करने का मौका मिला. मैंने उन्हें और फ्रांसीसी सरकार को अतिथि सत्कार के लिए धन्यवाद भी कहा.”