लगातार आतंकी हमले झेल रहा फ्रांस सख्त कदम उठा रहा है. बहस इस बात की है कि ये कदम आतंकवाद के खिलाफ हैं नहीं. सरकार चाहती है कि मुसलमान उसकी मदद करें.
विज्ञापन
इस्लामिक कट्टरता को लेकर फ्रांस का रुख एकदम कड़ा हो गया है. फ्रांसीसी सरकार और नेता इस बात को लेकर स्पष्ट नजर आते हैं कि देश के मुस्लिम समुदाय को इस्लामिक आतंकवाद से लड़ने में अहम भूमिका निभानी होगी. प्रधानमंत्री मानुएल वाल्स और गृह मंत्री बर्नार्ड कैजेनोएवे ने हाल के दिनों में यह जाहिर कर दिया है कि इस्लामिक कट्टरपंथ को लेकर किसी तरह की ढील नहीं बरती जाएगी.
पिछले एक साल से फ्रांस में लगातार आतंकवादी हमले हो रहे हैं. यूरोप में कई हमले हुए हैं लेकिन फ्रांस में इनका कहर सबसे ज्यादा बरपा है. जनवरी 2015 से लेकर अब तक ढाई सौ से ज्यादा लोग इन हमलों में मारे जा चुके हैं. अब सरकार इस्लामिक आतंकवाद को लेकर सख्त नजर आ रही है. पिछले एक महीने में 20 ऐसी मस्जिदों को बंद कर दिया गया है जहां यह आशंका थी कि इस्लामिक कट्टरपंथ का प्रचार हो रहा है. गृह मंत्री कैजेनोएव ने यह भी बताया कि 2012 से अब तक 80 लोगों को फ्रांस से निकाला जा चुका है. एक दर्जन और लोग निष्कासन के कगार पर हैं. उन्होंने कहा, "जो लोग मस्जिदों में या प्रार्थनाघरों में नफरत का प्रचार करते हैं, उनके लिए फ्रांस में कोई जगह नहीं है. जो लोग गणराज्य के सिद्धांतों का सम्मान नहीं करते, पुरुष और महिला की बराबरी का सम्मान नहीं करते, उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है." उन्होंने बताया कि मस्जिदों को बंद करने का फैसला इसी आधार पर लिया गया है, अब तक 20 मस्जिदें बंद की जा चुकी हैं और कुछ अन्य की तैयारी है.
देखिए, जब गाड़ियां लाती हैं मौत
जब गाड़ियां लाती हैं मौत
आतंकवादी छोटी बड़ी गाड़ियों को आतंक और मौत ले आने वाले खतरनाक औजार के रूप में बदल देने की नीति अपना रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियां लाचार हैं. देखिए यूरोप में कहां कहां हुआ है गाड़ियों से आतंकी हमला.
तस्वीर: Reuters/B. McDermid
मैनहटन
अमेरिका में न्यूयॉर्क शहर के मैनहटन इलाके में एक ट्रक ड्राइवर ने साइकिल और पैदल लेन में घुसकर लोगों को कुचला. इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गयी और करीब 11 लोग बुरी तरह से घायल हैं. पुलिस ने संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया है. इसका नाम सेफुलो साइपोव है और इसकी उम्र 29 साल बताई जा रही है.
तस्वीर: Reuters/A. Kelly
बार्सिलोना
17 अगस्त, 2017 की शाम स्पेन के बार्सिलोना में पर्यटकों के बीच लोकप्रिय शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में हमलावर ने लोगों पर किराये पर ली वैन चढ़ा दी. आतंकी गुट तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 13 लोगों की जान चली गयी है और करीब 100 लोग घायल हैं. जांचकर्ता इसे शहर में कई जगहों पर सिलसिलेवार हमले करने की योजना का हिस्सा मानते हैं.
तस्वीर: Imago/E-Press Photo.com
लंदन
4 जून, 2017 की रात लंदन के लिये भयानक रही. लंदन ब्रिज पर एक सफेद वैन ने कई लोगों को टक्कर मारी. ब्रिज पर लोगों को कुचलने के बाद यह वैन पास के बॉरो मार्केट में घुस गई. कार में सवार संदिग्ध बाहर निकले और लोगों पर चाकुओं से हमला किया. हालांकि पुलिस ने जल्द ही संदिग्धों को घेर लिया और गोलीबारी में मार गिराया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Leal-Ollivas
लंदन
लंदन स्थित ब्रिटिश संसद वेस्टमिंस्टर के पास एक हमलावर ने अपनी कार से फुटपाथ पर जा रहे लोगों को रौंद डाला. मार्च 2017 के इस हमले में एक पुलिसकर्मी समेत चार लोगों की जान चली गयी. हमलावर भी पुलिस की गोली से मारा गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP/J.West
बर्लिन
जुलाई में फ्रांस के नीस में तो दिसंबर में बर्लिन के क्रिसमस मेले में गाड़ी मौत लेकर आई. ट्रक भीड़भाड़ वाले खुले बाजार में घुसा और लोगों को कुचलता हुआ 80 मीटर तक चला. घटना में 12 लोगों की जान गई और 48 लोग घायल हुए.
तस्वीर: Reuters/F. Bensch
नीस
फ्रांस के नीस शहर में सड़कों पर जुटे बास्टिल डे मनाते लोगों को एक ट्रक रौंदता हुआ निकल गया. करीब दो किलोमीटर तक अनगिनत लोगों को कुचलते निकले इस ट्रक की चपेट में आने से अब तक कम से कम 84 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और बहुत सारे लोग घायल हैं.
तस्वीर: Reuters/E. Gaillard
इस्राएल और फलस्तीन
नीस में हमलावर की ये शैली दुनिया में कोई पहली बार नहीं आजमाई गई है. इस्राएल और फलस्तीन के कुछ इलाकों से कारों को लोगों के ऊपर चढ़ाने की कई घटनाएं सामने आई हैं. पिछली अक्टूबर से ही वहां ऐसे हमलों की चपेट में आने से 215 फलीस्तीनी, 34 इस्राएली, दो अमेरिकी, एक एरिट्रियाई और एक सूडानी नागरिक की मौत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Safadi
ब्रिटेन
हाल के सालों में पश्चिमी देशों को इसी किस्म के तीन बड़े हमले झेलने पड़े. दो ब्रिटेन में और एक अन्य हमला कनाडा में हुआ. मई 2013 में नाइजीरियाई मूल के दो इस्लामी कट्टरपंथियों ने अपनी कार को एक ब्रिटिश सैनिक ली रिग्बी पर चढ़ा दिया था. दिन दहाड़े उनका गला काटने की कोशिश भी की. उन्हें ब्रिटिश सेना के हाथों मुसलमानों के मारे जाने पर गुस्सा था.
तस्वीर: Reuters
कनाडा
लंदन की घटना के करीब 18 महीने बाद कनाडा में भी एक इस्लामी कट्टरपंथी ने एक कनेडियन सैनिक पैट्रिक विंसेंट के ऊपर गाड़ी चढ़ा कर उसे मार डाला और एक अन्य को घायल किया. इसके बाद 25 साल के हमलावर मार्टिन रुले ने खुद पुलिस को फोन कर जिहाद के नाम पर यह हमला करने की बात कही. मार्टिन ने अपना धर्म बदल कर इस्लाम कुबूल किया था.
तस्वीर: Reuters/Christinne Muschi
स्कॉटलैंड
जून 2007 में दो आदमियों ने अपनी जलती हुई जीप को ले जाकर स्कॉटलैंड के ग्लासगो एयरपोर्ट की मुख्य टर्मिनल बिल्डिंग में घुसा दिया. इनमें से एक हमलावर को आजीवन कारावास की सजा मिली. मामले की सुनवाई कर रहे जज ने हमलावर को "धार्मिक कट्टरपंथी" माना.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हत्या की प्रेरणा
कई सालों से इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन कभी वीडियो बनाकर तो कभी सोशल मीडिया पर संदेश भेज कर नए समर्थकों और अनुयायियों से उनके हाथ में जो आए उसी से हमले करने की अपील करते रहे हैं. ऐसे ही संदेशों के कारण कई जगहों पर आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP
'काफिर' के खिलाफ
सितंबर 2014 में आईएस के 'आक्रमण मंत्री' माने जाने वाले अबु मोहम्मद अल-अदानी ने ये संदेश जारी किया था: "अगर तुम कोई बम नहीं फोड़ सकते, गोली नहीं चला सकते, तो किसी फ्रेंच या अमेरिकन काफिर से अकेले में मिलो और फिर चाहे पत्थर से उसका सिर फोड़ो या चाकू से गला काटो, या कार के नीचे दबा दो."
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
12 तस्वीरें1 | 12
एक दिन पहले ही देश के प्रधानमंत्री मानुएएल वाल्स ने फ्रांस मेंरहने वाले मुसलमानों को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा, "जो लोग स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करते, उनसे लड़ने में अगर इस्लाम देश की मदद नहीं करेगा तो फिर देश भी प्रार्थना करने की आजादी नहीं दे पाएगा." हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि फ्रांस में इस्लाम की जगह है लेकिन साथ ही उन्होंने एक समझौते की अपील की जिसके तहत आतंकवाद और कट्टरपंथ से लड़ने में सहयोग लिया और दिया जा सके.
इस्लामिक कट्टरपंथ को लेकर फ्रांस लगातार सख्त कदम उठा रहा है. अब इस बारे में बात हो रही है कि फ्रांस की मस्जिदों के लिए इमाम वहीं तैयार हों. साथ ही, मस्जिदों को मिलने वाली विदेशी फंडिंग पर भी पाबंदी लगाने पर विचार किया जा रहा है. वाल्स ने कहा, "जो भी है, उसे फ्रांस के मुसलमानों और उनके प्रतिनिधियों के सामने एक दम साफ-साफ रख देने की जरूरत है. ऐसा करने के लिए, खासकर मुसलमानों की तरफ से, एक मजबूत प्रतिबद्धता की जरूरत होगी. और मेरी मुसलमानों से अपील है कि वे खुद, अपने परिवारों के साथ और अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर इस लड़ाई में शामिल हों."
हालांकि मुस्लिम समुदाय वाल्स की बातों से पूरी तरह सहमत नजर नहीं आता. बहुत से लोग मानते हैं कि इस्लामिक आतंकवाद की समस्या की जड़ इस्लाम में नहीं है. पिछले हफ्ते आतंकवादियों ने एक पादरी की हत्या कर दी थी. उस पादरी के सम्मान में आयोजित एक समारोह के बाद एक मुस्लिम संगठन के सदस्य ब्राहिम ऐत मूसा ने कहा, "ये (आतंकवादी) लोग अपराधी हैं, शराबी हैं, मनोरोगी हैं और ऐसे लोग तो कतई नहीं हैं जो मस्जिदों में जाते हैं." यूरोप वन रेडियो से बातचीत में मूसा ने कहा कि पादरी की हत्या की घटना और मस्जिदों को मिलने वाली फंडिंग में कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि हत्यारों का मस्जिदों से कोई लेना देना नहीं था."
याद कीजिए, शार्ली एब्दो पर हुआ खूंखार अटैक
फ्रांसीसी पत्रिका पर कट्टरपंथियों का हमला
फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के पेरिस कार्यालय को कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया है. भारी गोलीबारी में कई पत्रकारों की जान चली गई है. इस पत्रिका पर इस्लामी मान्यताओं को चोट पहुंचाने वाले कार्टून छापने का आरोप है.
तस्वीर: Reuters/J. Naegelen
पेरिस की यह पत्रिका अपनी निर्भीक टिप्पणियों और व्यंग्यात्मक कार्टूनों के लिए दुनिया भर में जानी जाती है.
तस्वीर: B. Guay/AFP/Getty Images
शार्ली एब्दॉ के दफ्तर पर आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी जिसमें 12 पत्रकारों और पुलिसकर्मियों की जान चली गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/T. Camus
घटनास्थल पर मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने गोलीबारी की आवाज सुनी और हमलावरों को "अल्लाहु अकबर" के नारे लगाते भी सुना.
तस्वीर: M. Bureau/AFP/Getty Images
आतंकियों के हमले में जान गंवाने वालों में पत्रिका के संपादक और 2012 में पैगंबर मोहम्मद पर कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट शामिल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/Y. Valat
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने पत्रकारों से बातचीत में इसे एक एक “आंतकी हमला” बताया. उन्होंने कहा कि बीते दिनों में कई ऐसी आतंकी वारदातों को असफल किया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/C. Ena
राष्ट्रपति ओलांद ने इन हमलों को बेहद कायराना करार दिया. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथियों ने पत्रकारों की हत्या कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार के खिलाफ काम किया है.
तस्वीर: K. Tribouillard/AFP/Getty Images
6 तस्वीरें1 | 6
फ्रेंच काउंसिल ऑफ द मुस्लिम फातिह के अध्यक्ष अनवर कबिबेख ने कहा कि फ्रांसीसी मुसलमान अपनी जिम्मेदारी जानते हैं. उन्होंने कहा, "जनवरी 2015 में हुए हमलों के बाद से मुसलमान अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. बहुत ठोस काम किया गया है." लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी संस्था हर विकल्प पर विचार करने को तैयार है.
लेकिन असली मुद्दा तो आतंकवाद और उसके खिलाफ लड़ाई है. फ्रांस मुस्लिम नागरिकों के साथ अपने रिश्तों को नई तरह से परिभाषित जरूर कर रहा है लेकिन इसका फायदा उस लड़ाई में होगा या नहीं, इस बात को लेकर विशेषज्ञों को संदेह है. नेशनल सेंटर ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में इस्लामिक एक्सपर्ट स्वेरीन लबाट ने अंग्रेजी वेबसाइट द लोकल से कहा, "मुसलमानों से फ्रांसीसी राज्य के संबंध हमेशा जटिल रहे हैं. इस बारे में तो 50 साल पहले ही कुछ किया जाना चाहिए था. लेकिन जो लोग कट्टरपंथी तैयार करना चाहते हैं वे करते ही रहेंगे क्योंकि यह काम मस्जिदों में नहीं हो रहा है. युवाओं को तो इंटरनेट पर कट्टरपंथ की ओर आकर्षित किया जा रहा है."
लबाट कहती हैं कि सरकार को यह स्पष्ट तौर पर जाहिर करना होगा कि जो भी नए नियम बनाए जा रहे हैं वे इस्लाम के खिलाफ नहीं बल्कि हर तरह के कट्टरपंथियों के खिलाफ हैं.