लंदन के बैंकों को लुभा रहा है फ्रैंकफर्ट
४ सितम्बर २०१८दूसरे विश्व युद्ध के कारण जर्मनी के कई शहरों का नक्शा बदल गया. लेकिन अगर पुरानी और नई तस्वीरों की तुलना की जाए तो पता चलता है कि ज्यादा नुकसान जंग ने नहीं, डिजाइनरों की आधुनिकीकरण की होड़ ने पहुंचाया है.
जर्मनी के शहर: तब और अब
दूसरे विश्व युद्ध के कारण जर्मनी के कई शहरों का नक्शा बदल गया. लेकिन अगर पुरानी और नई तस्वीरों की तुलना की जाए तो पता चलता है कि ज्यादा नुकसान जंग ने नहीं, डिजाइनरों की आधुनिकीकरण की होड़ ने पहुंचाया है.
बॉन, 1955
यह तस्वीर बॉन के रेलवे स्टेशन के बाहर की है. ये उन 14 जोड़ी तस्वीरों में से एक है जिसे 'प्लेसेज इन जर्मनी, 1950 एंड टुडे' नाम की प्रदर्शनी में दिखाया जा रहा है. अधिकतर तस्वीरों में सुनहरा कल और बेजान आज नजर आता है.
बॉन, 2011
जिस जगह पर कभी पेड़ हुआ करते थे, वहां 70 के दशक में इमारतों को नया रूप दिया गया और काफी खाली जगह भी छोड़ी गयी. उस समय इसे शहर की पहचान के तौर पर बनाया गया था लेकिन अब यह खाली जगह 'बॉन होल' के नाम से जानी जाती है.
ओल्डनबुर्ग, 1955
इस प्रदर्शनी को तैयार किया है जर्मनी के वास्तुकार क्रिस्टॉफ मेकलर ने. उनका मकसद यह दर्शाना है कि जंग के बाद के काल में डिजाइनरों ने देश का हुलिया किस तरह से बदला (या फिर बिगाड़ा) है. ओल्डनबुर्ग का यह नजारा किसी चित्रकार को भी प्रेरित कर सकता है.
ओल्डनबुर्ग, 2013
कुछ वक्त पहले शहर में नई सड़कों का निर्माण हुआ और शहर की खूबसूरती मरती रही. क्रिस्टॉफ मेकलर इस तरह की तस्वीरों के जरिए यही बात समझाना चाहते हैं कि देश को जंग ने नहीं, बल्कि उसके बाद लोगों की संस्कृति को बचा कर ना रखने की सोच ने नुकसान पहुंचाया है.
कोलोन, 1920
दूसरे विश्व युद्ध से पहले कोलोन के कैथीड्रल के आसपास का इलाका बहुत चहल पहल वाला हुआ करता था. कोलोन का कैथीड्रल दुनिया भर में मशहूर है और यह जगह हमेशा से इस शहर की पहचान रही है.
कोलोन, 2013
दूसरे विश्व युद्ध में कोलोन की लगभग सभी इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा. 20 के दशक में ही इसे नया रूप देने का विचार शुरू हो गया था ताकि राजशाही के अंत को दर्शाया जा सके.
हाले, 1950
इस शहर का पूरा नाम है हाले अन डेय जाले, यानि जाले नदी पर बसा हाले. यहां का फ्रांके स्क्वेयर शहर की संस्कृति को दर्शाता है. इस शहर में आया बदलाव सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है.
हाले, 2012
आज फ्रांके स्क्वेयर पर संस्कृति नहीं, गाड़ियों की भीड़ नजर आती है. 50 से 70 के बीच जर्मनी में शहरों का आधुनिकीकरण हुआ. रेलवे स्टेशन, हाइवे और पुलों के निर्माण पर इस दौरान खूब जोर रहा.
फ्रैंकफर्ट, 1955
हालांकि फ्रैंकफर्ट जैसे शहर में 50 के दशक में भी ट्रैफिक देखने को मिलता था. लेकिन उसके बावजूद शहर के इस मेन स्क्वेयर पर कई तरह के कैफे और स्टोर हुआ करते थे जहां लोग एक दूसरे से मिल सकते थे.
फ्रैंकफर्ट, 2013
आज यहां ना तो पहले जैसे कैफे हैं और ना ही बुकस्टोर. अगर कुछ है, तो मेट्रो की तरफ जाने का रास्ता और ढेर सारी ऊंची इमारतें. इन्हें आज फ्रैंकफर्ट की स्काईलाइन के नाम से जाना जाता है.
हाइडलबर्ग, 1950
इसे जर्मनी के सबसे खूबसूरत शहरों में गिना जाता है. लेकिन यहां का मशहूर बिस्मार्क प्लात्स शहर के मुख्य बस अड्डे जैसा रहा है. कभी रेलवे स्टेशन भी यहीं हुआ करता था. इस जगह को पूरी तरह बदलने की योजना सफल नहीं हो पाई.
हाइडलबर्ग, 2013
लेकिन 70 के दशक में रेलवे स्टेशन को शहर के बाहर शिफ्ट कर दिया गया. इस तरह की और कई तस्वीरें इस प्रदर्शनी में देखी जा सकती हैं.