अफगानिस्तान में कई ऐसे लोग हैं जो किसी तरह से देश से निकलना चाहते हैं. वे पड़ोसी देश ईरान जाने के लिए जान तक जोखिम में डाल रहे हैं. उन्हें देश में कोई भविष्य नजर नहीं आता है और तालिबान का खौफ भी है.
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अमेरिका और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान अब तालिबान के नियंत्रण में है, लेकिन देश आर्थिक और सामाजिक अराजकता से घिरा हुआ है. देश की जनता भूख और गरीबी से बेहाल है. इन्हीं हालात के चलते मजार-ए-शरीफ निवासी सत्तार अमीरी अपने छोटे बच्चे और पत्नी को लेकर ट्रक में सवार होकर रेगिस्तान के रास्ते ईरान के लिए रवाना हो गए हैं. उन्हें मंजिल मिलेगी या नहीं, यह कोई नहीं जानता. लेकिन अमीरी जैसे सैकड़ों अफगान अपना देश छोड़ने को मजबूर हैं. 25 साल के अमीरी कहते हैं, "मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. अफगानिस्तान में कोई भविष्य नहीं है."
रेगिस्तान की यह यात्रा घातक हो सकती है. वे रास्ता भटक सकते हैं या फिर ईरानी सीमा प्रहरियों द्वारा चलाई गई गोलियों से घायल भी हो सकते हैं. अमीरी जैसे परेशान अफगान अपनी जान जोखिम में डालने से नहीं डरते. दशकों के युद्ध के बाद अफगानिस्तान अब एक गहरी मानवीय त्रासदी की चपेट में है.
कई अफगान अब काम की तलाश में ईरान की ओर रुख कर रहे हैं और अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अफगानिस्तान में अपने परिवारों को भेज रहे हैं. पूर्व सरकार और विदेशी एजेंसियों के साथ उनके रिश्ते के कारण कई अफगान तालिबान द्वारा निशाना बनाए जाने से भी डरते हैं. तालिबान की वापसी के साथ ही कई लोगों की नौकरी चली गई. वे बमुश्किल से दस डॉलर तक भी नहीं कमा पा रहे हैं.
अब महिला पुतलों के सिर कटवा रहा तालिबान
अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में कपड़ा और अन्य दुकानदारों को अपनी दुकान के महिला पुतलों का सिर काटने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस आदेश को लेकर स्थानीय दुकानदार गुस्से में हैं जबकि बाहर आदेश का मजाक उड़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
महिला पुतलों के सिर काटने का आदेश
अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी दुकानदारों को महिला पुतलों के सिर काटने का आदेश दिया है. तालिबान का तर्क है कि इस तरह का इंसानी बुत इस्लामिक कानूनों का उल्लंघन करता है. हेरात के एक शख्स की दुकान पर इन पुतलों के सिर काटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसका अफगानिस्तान के अंदर और बाहर काफी मजाक उड़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Sayed Aqa Saeedi/dpa/picture alliance
महिलाओं और लड़कियों पर पाबंदियां
अगस्त में सत्ता में लौटने के बाद से ही तालिबान ने इस्लामिक कानूनों की कट्टर व्याख्या को लोगों पर लागू किया है. लोगों की आजादी पर कई तरह की पाबंदियां लग गई हैं, खासकर महिलाओं और लड़कियों पर. हालांकि कट्टर इस्लामिक गुट ने इन पुतलों को लेकर अब तक कोई औपचारिक राष्ट्रीय नीति या प्रतिबंध घोषित नहीं किए हैं लेकिन कई स्थानीय धड़े ऐसी चीजों को अनैतिक बताकर लोगों पर नकेल कसने का काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Jalil Rezayee/dpa/picture alliance
स्कार्फ से ढंकने की कोशिश रही बेकार
हेरात में सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई को रोकने के मंत्रालय के प्रमुख अजीज रहमान ने बुधवार को ऐसा आदेश दिए जाने की पुष्टि भी की. आदेश आने के बाद कुछ दुकानदारों ने स्कार्फ या बैग से ढंककर पुतलों का सिर छिपाने की कोशिश की लेकिन यह बेकार रही. रहमान ने यह भी कहा, "अगर वे सिर्फ सिर ढकेंगे या पूरे पुतले को ही छिपा देंगे तो अल्लाह उनकी दुकान, या घर में नहीं घुसेगा और उन्हें आशीर्वाद भी नहीं देगा."
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
गुस्से में कपड़ा विक्रेता
6 लाख की आबादी वाले इस शहर के कई दुकानदार आदेश को लेकर गुस्से में हैं. एक कपड़ा विक्रेता बशीर अहमद कहते हैं, "आप देख सकते हैं, हमने सिर काट दिए हैं." उन्होंने यह भी बताया कि हर डमी का दाम करीब साढ़े तीन हजार होता है. उनके मुताबिक "जब कोई पुतले ही नहीं होंगे तो हम अपना सामान कैसे बेचेंगे? जब कोई कपड़ा ढंग से पुतले को पहनाया गया हो तभी वो ग्राहकों को वह पसंद आता है."
तस्वीर: Jalil Rezayee/dpa/picture alliance
शासन के कट्टर कानून
15 अगस्त को सत्ता में वापसी के बाद तालिबान ने 1996 से 2001 के दौरान पहले शासन के कट्टर कानूनों को इस बार हल्का रखने का वादा किया था. तब भी इंसान जैसी दिखने वाली नकली चीजों को बैन किया गया. ये कड़ी पाबंदियां फिर वापस आ रही हैं. नई पाबंदियों में लोगों को दिन में पांच दफा नमाज के लिए आने, मर्दों को दाढ़ी बढ़ाने और पश्चिमी कपड़े ना पहनने के लिए प्रेरित करने की बात भी स्थानीय रिपोर्ट्स में कही गई है.
तस्वीर: Mohd Rasfan/AFP/Getty Images
लड़कियों के ज्यादातर स्कूल बंद
महिलाएं इन पाबंदियों का खासा नुकसान झेल रही हैं और धीरे-धीरे उनकी सार्वजनिक जिंदगी खत्म होती जा रही है. लड़कियों के ज्यादातर स्कूल बंद कर दिए गए हैं. महिलाओं को ज्यादातर सरकारी नौकरियों में शामिल होने से रोक दिया गया है. पिछले हफ्ते एक नए आदेश में महिलाएं के लंबी यात्राओं पर अकेली जाने पर भी रोक लगा दी गई है. उन्हें किसी न किसी पुरुष रिश्तेदार को साथ लेकर ही यात्रा करनी होगी.
तस्वीर: Allauddin Khan/AP/picture alliance
शराब बेचने वालों पर छापेमारी
तालिबान ने शराब बेचने वालों पर छापेमारी तेज कर दी है. ड्रग्स के आदी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और संगीत को भी बैन कर दिया है. तालिबान के सत्ता में आने ने अफगानिस्तान की पहले से ही मदद पर आधारित अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. अमेरिका ने जहां कई बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है, वहीं अफगानिस्तान को मिलने वाली ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मदद भी रोक दी गई है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
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बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी
तालिबान की वापसी के पहले तक सत्तार मोटर मैकेनिक का काम करते थे. उन्होंने हताश होकर अपना मजार-ए-शरीफ का घर बेच डाला और इस पैसे का इस्तेमाल ईरान जाने के लिए किया.
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प्रवासन के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन का कहना है कि पिछले साल अगस्त से दिसंबर के बीच करीब दस लाख अफगान देश छोड़कर भाग गए हैं. ईरानी सीमा के पास दक्षिण-पश्चिमी अफगान शहर जारंज देश छोड़ने की कोशिश करने वालों का प्रमुख केंद्र बन गया है और यहां मानव तस्करी भी आम हो गई है.
जारंज के जर्जर होटलों में देश छोड़ने वाले लोग कालीन पर सोते हैं और सीमा पार करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हैं. उनके चेहरों पर भय और हताशा साफ झलकती है. इस शहर में मानव तस्कर भी परेशान लोगों से पैसे वसूलने में लगे हैं.
ड्रग्स की लत छुड़ाने वाली अफगान एक्टीविस्ट
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किसी तरह से ईरान पहुंचने की कोशिश
पिछले महीने 300 ट्रक रोजाना ईरान में प्रवेश कर रहे थे, जिनमें से हर एक में 20 अफगान नागरिक थे. इस तरह से हर रोज 6,000 लोग ईरान की ओर पलायन कर रहे थे. पूर्व पुलिसकर्मी मोहम्मद भी ईरान पहुंचने की कोशिश में जुटे हुए हैं. सर्विस रिवॉल्वर लौटने की मांग पर तालिबान उनकी दो बार पिटाई कर चुका है, जो उन्होंने पहले ही लौटा दी थी. मोहम्मद कहते हैं, "अगर वे तीसरी बार आते हैं, तो वे सच में मुझे मार डालेंगे." मोहम्मद डर की वजह से अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहते.
ईरान तक यात्रा में भी कई घंटे लग जाते हैं. ईरानी सीमा पर एक दीवार खड़ी कर दी गई है, लेकिन मानव तस्करों को पता है कि ईरानी गार्डों को रिश्वत देकर अफगान शरणार्थियों को ईरानी शहर में ले जाना कहां संभव है. लेकिन कई ऐसे तस्कर भी हैं जो धोखा देकर पैसे वसूल लेते हैं और अफगानों को अधर में छोड़कर फरार हो जाते हैं.
एए/सीके (एएफपी)
2022 में सबसे ताकतवर पासपोर्ट
हेनली इंडेक्स के मुताबिक जापान और सिंगापुर दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट हैं. अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे नीचे है. सूची में और कौन-कौन से देश टॉप में हैं, देखिए...
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जापान, सिंगापुर सबसे ताकतवर
एशियाई देशों जापान और सिंगापुर के पासपोर्ट धारक 192 देशों की यात्रा बिना पहले से वीजा लिए कर सकते हैं, जो इन्हें दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बनाता है.
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नंबर 2
जर्मनी और दक्षिण कोरिया नंबर दो पर हैं. इनके पासपोर्ट धारक 190 देशों की बिना पहले वीजा लिए यात्रा कर सकते हैं.
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नंबर 3
चार यूरोपीय देश फिनलैंड, इटली, लग्जमबर्ग और स्पेन के पासपोर्ट 188 देशों की यात्रा के अधिकार के साथ तीसरे नंबर पर हैं.
तस्वीर: V. Cheretski/DW
नंबर 4
चौथे नंबर पर भी यूरोपीय देशों का कब्जा है. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स और स्वीडन के पासपोर्ट पर 188 देशों की वीजा-फ्री यात्रा की जा सकती है.
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नंबर 5
आयरलैंड और पुर्तगाल के पासपोर्ट 187 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार देते हैं.
तस्वीर: Zumapress/picture alliance
नंबर 6
बेल्जियम, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, युनाइटेड किंग्डम और अमेरिका के पासपोर्ट नंबर 6 पर हैं. ये लोग 186 देशों में बिना पहले से वीजा लिए जा सकते हैं.
तस्वीर: CSP_alexmillos/imago images
नंबर 7
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक रिपब्लिक, ग्रीस और माल्टा के पासपोर्ट पर 185 देशों की यात्रा वीजा फ्री की जा सकती है.
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नंबर 8
183 देशों की वीजा फ्री यात्रा के अधिकार के साथ हंगरी और पोलैंड के पासपोर्ट नंबर 8 पर हैं.
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नंबर 9
लिथुआनिया और स्लोवाकिया के पासपोर्ट हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में नंबर 9 पर हैं. इन्हें 182 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार है.
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नंबर 10
एस्टोनिया, लातविया और स्लोवेनिया के पासपोर्ट धारक 181 देशों की यात्रा बिना पहले से वीजा लिए कर सकते हैं.
तस्वीर: Fernando Llano/AP Photo/picture alliance
भारत की रैंकिंग सुधरी
इस सूची में भारत अब 90 से उछलकर 83वें नंबर पर आ गया है. भारत के पासपोर्ट पर 60 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार है, जो पिछले साल के 58 देशों से ज्यादा है.