अल कायदा आतंकियों पर मिराज लड़ाकू विमान से हमले, 50 मरे
३ नवम्बर २०२०
फ्रांसीसी सुरक्षाबलों ने 50 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है और माली में एक ऑपरेशन में 4 चार अन्य लोगों को पकड़ लिया है. फ्रांस की रक्षा मंत्री ने कहा कि कार्रवाई अल कायदा के लिए एक बड़ा झटका है.
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फ्रांस की सरकार ने कहा है कि अल कायदा से जुड़े 50 से अधिक आतंकवादी मध्य माली में एक सैन्य ऑपरेशन में मारे गए हैं. फ्रांस ने पिछले सप्ताह इस क्षेत्र में जिहादी विरोधी अभियान की शुरुआत की थी. फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कहा, "मैं एक ऐसे ऑपरेशन के बारे में बताना चाहूंगी जो अति महत्वपूर्ण है और जिसको 30 अक्टूबर को अंजाम दिया गया. इसके तहत 50 से अधिक आतंकियों को मारा गया है और भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए."
फ्रांस की सेना के प्रवक्ता कर्नल फ्रेडरिक बार्बरी ने कहा, "चार आतंकियों को पकड़ा गया है." साथ ही एक आत्मघाती जैकेट भी बरामद किया गया है. उन्होंने बताया कि यह संगठन क्षेत्र में सेना के ठिकाने पर हमले की तैयारी में था.
फ्रांस का यह ऑपरेशन उस इलाके में हुआ जो बुर्किना फासो और नाइजर की सीमा के पास है. यहां पर सेना चरमपंथियों के खिलाफ लड़ रही है. पार्ली राजधानी बामाको में हैं और उन्होंने सरकार के मंत्रियों से मुलाकात भी की हैं. उन्होंने बताया कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तब की गई जब ड्रोन ने मोटर साइकिलों के काफिले को देखा और उसके बाद सेना ने हवाई हमले किए.
आतंकियों ने ड्रोन से बचने के लिए पेड़ों का सहारा लिया जिसके बाद फ्रांसीसी सेना ने दो मिराज लड़ाकू विमान और ड्रोन आतंकियों पर हमले के लिए लगाए. लड़ाकू विमान और ड्रोन के जरिए आतंकियों पर मिसाइल दागे गए. हवाई हमले में आतंकियों की 30 मोटर साइकिलें तबाह हो गईं हैं.
पार्ली ने कहा कि सैन्य कार्रवाई स्थानीय आतंकवादी समूह के लिए एक बड़ा झटका है, जिसका रिश्ता अल कायदा और सपोर्ट ग्रुप फॉर इस्लाम एंड मुस्लिम से है, जो कि एक क्षेत्रीय जिहादी गठबंधन है.
माली की अंतरिम सरकार ने हाल ही में इस्लामी संगठनों द्वारा चार बंधकों की रिहाई के बदले 200 कैदियों को रिहा किया था, माना जाता है कि उनमें से कुछ आतंकी हैं. रिहा किए गए बंधकों में 75 साल की सोफी पेट्रोनिन भी हैं, जो कि दुनिया में अंतिम फ्रेंच बंधक थी.
फ्रांस ने साहेल क्षेत्र में चरमपंथियों से निपटने के लिए पांच हजार सैनिकों की तैनाती की हुई है. माली में 2013 से फ्रांस की सेना अल कायदा से जुड़े गुट के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है, जिसमें अब तक 41 से अधिक फ्रांसीसी सैनिकों की मौत हो चुकी है.
यूरोप के देशों की भारत के राज्यों से तुलना की जा सकती है. इन देशों का आकर लगभग भारत के राज्यों जैसा ही है. हर देश की अलग भाषा, अलग खानपान और यहां तक कि अलग जीवन स्तर भी.
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बुल्गारिया
यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में बुल्गारिया सबसे गरीब देश है. यहां भ्रष्टाचार भी सबसे व्यापक है. जर्मनी ट्रेड एंड इनवेस्ट (GTAI) के अनुसार, 2018 में यहां औसत आय केवल 580 यूरो प्रति माह थी. यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से कई युवा लोगों ने देश छोड़ दिया. इनमें बहुत से पढ़े-लिखे लोग भी शामिल थे.
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रोमानिया
यूरोपीय संघ की आर्थिक रैंकिंग में नीचे से दूसरे स्थान पर है रोमानिया. यूरोपीय परिषद के अनुसार 2019 में यहां औसत आमदनी 1050 यूरो थी, जबकि उसी दौरान जर्मनी में यह 3994 यूरो थी.
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ग्रीस
आसमान से गिरे खजूर पर अटके, यह कहावत ग्रीस के लिए सही बैठती है. यह देश कर्ज संकट से अभी पूरी तरह उबरा भी नहीं था कि कोरोना की मार पड़ गई. ग्रीस मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है, जो इस दौरान ना के बराबर रहा है.
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फ्रांस
2018 के आंकड़ों के अनुसार यहां औसत रूप से हर व्यक्ति के पास 26,500 यूरो की संपत्ति है. जर्मन लोगों की तुलना में यह 10,000 यूरो ज्यादा है. वजह यह है कि फ्रांस में बहुत से लोग दो-दो घरों के मालिक हैं.
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इटली
ना कोई विकास, ना ही कोई सुधार. पिछले कुछ सालों में इटली की स्थिति को इन शब्दों में बयान किया जा सकता है. कोरोना की मार सबसे ज्यादा इटली को ही पड़ी. वह ईयू के राहत पैकेज के एक बड़े हिस्से की उम्मीद कर रहा है.
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स्पेन
सकल घरेलू उत्पाद में यहां लगभग 15 प्रतिशत योगदान पर्यटन का है. इस उद्योग को कोरोना के कारण भारी नुकसान हुआ. और अब जब लोगों ने एक बार फिर स्पेन जाना शुरू कर दिया है, तो कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बन गया है.
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स्वीडन
यहां के लोग जितने संपन्न हैं, उतना ही ज्यादा इन्हें टैक्स भी चुकाना पड़ता है. जब कोरोना स्वीडन तक पहुंचा, तो सरकार ने लॉकडाउन ना करने का फैसला किया. नतीजतन काफी मौतें भी हुईं. टैक्स दरों के बावजूद स्वीडन में लोगों के पास औसत 27,511 यूरो है, यानी फ्रांस से भी ज्यादा.
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नीदरलैंड्स
स्वीडन, डेनमार्क ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स - इन चार देशों के समूह को यूरोप में "किफायती चार" के नाम से जाना जाता है. इन्होंने पहले इटली की आर्थिक मदद करने से इनकार किया, फिर ईयू के कोरोना राहत पैकेज के मामले में भी ये चारों जरूरतमंद देशों की मदद करने से बचते दिखे. नीदरलैंड्स के लोगों के पास औसतन 60,000 यूरो की संपत्ति है.
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जर्मनी
जर्मनी के बारे में कहा जा सकता है कि जर्मनी की सरकार अमीर है, लोग नहीं. आर्थिक प्रदर्शन के लिहाज से यह ईयू का बेहतरीन देश है लेकिन यहां के लोगों के पास औसत रूप से महज 16,800 यूरो की ही संपत्ति है. आर्थिक रूप से कमजोर इटली के लोगों की संपत्ति भी इससे दोगुना है.