फ्रांस कोरोना के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. पेरिस में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए शहर को "मैक्सिमम वायरस अलर्ट" पर रखा गया है.
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3 अक्टूबर को फ्रांस में कोरोना के 16,972 मामले दर्ज किए गए. महामारी की शुरुआत से यह फ्रांस में एक दिन में दर्ज हुए सबसे अधिक मामले हैं. अब तक वहां कोविड-19 के कारण 32,230 लोगों की जान जा चुकी है. संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पेरिस में किसी भी काम के लिए लोगों के जमा होने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. शहर के सभी कैफे और बार बंद कर दिए गए हैं. हालांकि रेस्तरां को अब भी खुलने की अनुमति है. शहर के पुलिस प्रमुख डिडियर लालमेंट ने कहा कि अगले दो हफ्तों तक पेरिस निवासियों को इन नियमों का पालन करना होगा. उन्होंने कहा, "हम लगातार वायरस की स्थिति के अनुरूप खुद को ढाल रहे हैं. हम इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं."
केवल पेरिस ही नहीं, ये नियम उसके आसपास के इलाकों पर भी लागू होंगे. सार्वजनिक स्थलों पर ना ही परिवार कोई आयोजन कर सकेंगे और ना ही छात्रों को किसी भी तरह की पार्टी करने की इजाजत होगी. रेस्तरां के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं. मेजों के बीच में अधिक दूरी होगी और रेस्तरां के आकार के हिसाब से तय किया जाएगा कि कितने लोगों को अंदर जाने की इजाजत है. साथ ही रेस्तरां में आने वालों के नाम और नंबर भी नोट किए जाएंगे.
पेरिस में जिम पहले से ही बंद पड़े हैं. खेल के मैदान और स्विमिंग पूल 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ही खोले जाएंगे. सिनेमा, थिएटर और म्यूजियम में भी रेस्तरां जैसे नियम लगाए गए हैं. लेकिन बड़े बड़े शो, इवेंट, ट्रेड फेयर इत्यादि पर रोक है. फिलहाल टेनिस की मशहूर प्रतियोगिता फ्रेंच ओपन चल रही है जिसे देखने आम तौर पर लाखों की संख्या में लोग जमा हुआ करते थे. इस बार हर दिन कुल एक हजार लोगों को ही स्टेडियम में आने की अनुमति है.
पेरिस में हर दिन औसतन 3,500 नए मामले सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 36 फीसदी आईसीयू बिस्तरों पर कोरोना के मरीज हैं. पेरिस से पहले मार्से और प्रॉवॉन्स में भी हाई अलर्ट घोषित किया जा चुका है. ये शहर पर्यटन के जरिए कमाते हैं. ऐसे में यहां सभी बार और रेस्तरां के बंद किए जाने पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन देखे गए. 12 दिन तक बंद रहने के बाद सोमवार को इन दोनों शहरों में रेस्तरां को फिर से खोलने की इजाजत दी गई. लेकिन इन्हें भी पेरिस जैसे ही नियमों का पालन करना होगा.
यूरोप के कई देशों में कोरोना का संक्रमण दोबारा तेजी से बढ़ने लगा है. इनमें ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी प्रमुख हैं. रोमेनिया और चेक गणराज्य में भी संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है.
लोगों की नजरें इस वक्त कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर टिकी हुईं हैं. कई देशों में इस वक्त कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. रूस, अमेरिका, चीन और भारत में तेजी से काम हो रहा है. जानिए कहां-कहां वैक्सीन पर काम चल रहा है.
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वैक्सीन पर नजर
भारत में केंद्र सरकार हर एक व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी में जुटी हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के मुताबिक जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है. इसके लिए वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज हासिल करने की योजना है.
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भारत में वैक्सीन की रेस
इस वक्त भारत में दो वैक्सीन पर काम चल रहा है. दोनों ही वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में हैं. एक वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक बना रही है और दूसरी वैक्सीन पर जाइडस कैडिला काम कर रही है. अगर ट्रायल सही तरीके से चलता है तो अगले साल तक भारत में यह वैक्सीन उपलब्ध होगी.
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अमेरिका में वैक्सीन कब
चुनाव के प्रचार के दौरान डॉनल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि नवंबर तक अमेरिका में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. हाल ही में उन्होंने कहा था कि अगले साल अप्रैल तक देश की पूरी आबादी के लिए पर्याप्त टीका उपलब्ध होगा. इस बीच अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना के टीके के फेज 1 के नतीजे सकारात्मक आए हैं. कंपनी अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर टीका बना रही है.
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एस्ट्राजेनेका से उम्मीद ज्यादा !
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मिलकर कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रही है. लेकिन पिछले दिनों ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति बीमार हो गया था जिसके बाद परीक्षण को रोक दिया गया था. एक हफ्ते तक ट्रायल रोकने के बाद उसे दोबारा शुरू कर दिया गया था.
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जर्मन कंपनी का टीका
जर्मनी की बायोएनटेक ने न्यूयॉर्क स्थित फाइजर के साथ टीका बनाने को लेकर करार किया है. कंपनी एक ऐसी वैक्सीन पर काम कर रही है जिसमें दो खुराक दी जाएगी. कंपनियों ने कहा है कि अगर ट्रायल सफल रहा तो अक्टूबर के आखिरी तक सरकार से मंजूरी ली जा सकती है. कंपनी का कहना है कि अगर वैक्सीन सफल होती है तो अगले साल के अंत तक 1.3 अरब टीके तैयार हो जाएंगे.
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चीन की वैक्सीन कहां पहुंची
चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला और इसके बाद देश दावा करता आ रहा है कि वह भी तेज गति से कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रहा है. चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है.
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रूस की स्पुतनिक-5 वैक्सीन
11 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान कर सबको चौंका दिया कि रूस कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने वाला पहला देश बन गया है. वैक्सीन को स्पुतनिक-5 नाम दिया गया और तीसरे चरण के ट्रायल के बिना ही इसे मंजूरी मिल गई. विशेषज्ञों ने ऐसे कदम की आलोचना भी की.