फ्रांस में सत्ता के दरवाजे पर पहुंचे धुर दक्षिणपंथी
१ जुलाई २०२४
फ्रांस के धुर दक्षिणपंथी दल देश में सरकार बनाने के इतने नजदीक कभी नहीं थे. संसदीय चुनावों का पहला चरण जीतने के बाद वे प्रधानमंत्री पद पर दावा करने की उम्मीद कर रहे हैं.
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फ्रांस में रविवार को हुए आम चुनावों में नतीजे अनुमानों से ज्यादा दूर नहीं रहे. पहले चरण में धुर दक्षिणपंथी दलों को बड़ी बढ़त मिली जबकि सत्ताधारी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की पार्टी तीसरे नंबर पर रही.
हालांकि अभी 7 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होगा और तभी यह स्पष्ट हो पाएगा कि कट्टरवादी नेता मरीन ला पेन की पार्टी नेशनल रैली (आरएन) को नेशनल असेंबली में बहुमत मिलेगा या नहीं. उसके बाद ही यह तय होगा कि ला पेन की पार्टी के चर्चित नेता 28 वर्षीय जोर्डन बार्डेला प्रधानमंत्री बन पाएंगे या नहीं.
रविवार को हुए पहले चरण के चुनावों के बाद कहा जा रहा है कि माक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन को संसद में बहुमत से कम सीटें मिल पाएंगी. इससे राष्ट्रपति के रूप में माक्रों की ताकत बहुत घट जाएगी जबकि अभी उनके कार्यकाल के तीन साल बाकी हैं.
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दूसरे चरण में होगा फैसला
फ्रांस की सर्वेक्षण संस्थाओं के मुताबिक आरएन को 33.2 से 33.5 फीसदी मत मिलने का अनुमान है जबकि वामपंथी न्यू पॉप्युलर फ्रंट को 28.1 से 28.5 फीसदी और माक्रों के उदारवादी गठबंधन को 21 से 22.1 फीसदी मत मिल सकते हैं.
इस मत प्रतिशत के आधार पर आरएन को 577 सीटों वाली संसद में दूसरे चरण के बाद बहुमत मिलने की संभावना जाहिर की गई है. हालांकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ला पेन की पार्टी पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटें जीत पाएगी.
सर्वेक्षण संस्था इप्सोस ने आरएन के 230-280 सीटें जीतने का अनुमान जताया है जबकि आईफोप (आईएफओपी) ने उसे 240-270 सीटें दी हैं और इलेब ने 260-310 सीटों की जीत का अनुमान जाहिर किया है.
2024 में फ्रांस का पासपोर्ट सबसे ताकतवर, कैसी है भारत की रैंकिंग
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स ने साल 2024 के लिए पासपोर्ट रैंकिंग जारी कर दी है. इस लिस्ट में फ्रांस का पासपोर्ट सबसे ताकतवर है.
तस्वीर: Fotolia/Philippe Devanne
फ्रांस
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में फ्रांस के पासपोर्ट ने शीर्ष स्थान पाया है. फ्रांस के पासपोर्टधारक 194 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं. किसी देश का पासपोर्ट कितना ताकतवर है उसको निर्धारित करने के लिए हेनली पासपोर्ट इंडेक्स वीजा फ्री यात्रा से तय करता है.
तस्वीर: Fotolia/Philippe Devanne
शीर्ष पर ये भी देश
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की ताजा लिस्ट के मुताबिक फ्रांस के साथ जर्मनी, इटली, जापान, सिंगापुर और स्पेन के पास दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट हैं. इन पांच देशों के पासपोर्टधारी 194 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकते हैं.
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दूसरे नंबर पर तीन देश
193 देशों में बिना वीजा यात्रा करने के साथ फिनलैंड, नीदरलैंड्स, दक्षिण कोरिया और स्वीडन के पासपोर्ट शामिल हैं.
इस रैंकिंग में भारत का पासपोर्ट एक स्थान नीचे खिसककर 85वें स्थान पर आ गया है. भारतीय पासपोर्ट के साथ लोग 62 देशों में वीजा फ्री एंट्री कर सकते हैं.
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भारत के ऊपर कौन
इस रैंकिंग में भारत के ऊपर दक्षिण अफ्रीका (55वें), मालदीव (58वें), सऊदी अरब (63वें), थाईलैंड (66वें), इंडोनेशिया (69वें) और उज्बेकिस्तान (84वें) जैसे देश हैं.
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भारत के पड़ोसी देश
भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान हेनली पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग में 106वें नंबर पर है, जबकि श्रीलंका 101वें नंबर पर, बांग्लादेश 102वें नंबर पर और नेपाल 103वें नंबर पर है.
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तीसरे स्थान पर कौन से देश
192 देशों में वीजा फ्री एंट्री के साथ यूनाइटेड किंग्डम, लग्जमबर्ग, आयरलैंड, डेनमार्क और ऑस्ट्रिया तीसरे स्थान पर है.
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अमेरिका का पासपोर्ट कितना ताकतवर
इस रैंकिंग में अमेरिकी पासपोर्ट भी ताकतवर बना हुआ है. वह इस बार छठे स्थान पर है.
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चीन की मजबूती
चीन का पासपोर्ट पिछले साल के मुकाबले इस साल दो अंकों की उछाल दर्ज करते हुए 64वें स्थान पर आ गया है.
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सबसे कमजोर पासपोर्ट
इस रैंकिंग में अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे नीचे 109वें स्थान पर है. अफगानिस्तान के पासपोर्ट धारक सिर्फ 28 देशों में वीजा फ्री एंट्री कर सकते हैं.
तस्वीर: Jorge Silva/Reuters
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विभाजित मतदाता
दूसरे चरण में नतीजों को पलटने की कोशिश में माक्रों ने दक्षिणपंथी दलों के खिलाफ एक विस्तृत गठबंधन की अपील की है. फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था के मुताबिक दूसरे चरण में उन सीटों पर मतदान होगा जहां पहले चरण में कोई स्पष्ट विजेता नहीं बना.
वामपंथी दलों और माक्रों के गठबंधन में शामिल पार्टियों को अब उम्मीद है कि आरएन के उम्मीदवारों को जीतने से रोकने के लिए मतदाता एक जुट होकर वोट कर सकते हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ेगी.
वामपंथी नेता रफाएल ग्लुक्समान ने कहा, "फ्रांस को विनाश से बचाने के लिए हमारे पास सात दिन हैं.”
हाल के चुनावी इतिहास में फ्रांस के मतदाता इस बार सबसे विभाजित नजर आए हैं और बहुत बड़ी संख्या में वोट डाले गए हैं. 2022 में सिर्फ 47.5 फीसदी मतदान हुआ था जबकि इस बार 65 फीसदी मतदान हुआ है.
माक्रों ने कहा, "पहले चरण में मतदान की ऊंची दर दिखाती है कि यह चुनाव कितना अहम है और लोग राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट करना चाहते हैं.”
बहुमत ना मिलने पर क्या होगा?
अगर आप्रवासी विरोधी और यूरोपीय संघ को संदेह की नजर से देखने वाली पार्टी नेशनल रैली चुनाव जीतने में कामयाब होती है तो आधुनिक फ्रांस के इतिहास में यह एक मोड़ साबित हो सकता है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार होगा जबकि अति दक्षिणपंथी दल सत्ता में होंगे.
ला पेन ने कहा, "अभी जीत नहीं हुई है और फैसला दूसरे चरण में होगा. हमें पूर्ण बहुमत चाहिए ताकि आठ दिन बाद माक्रों जोर्डन बार्डेला को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकें.”
गहरी जड़ों वाले भारत-फ्रांस रिश्ते
भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक समेत कई क्षेत्रों में गहरे रिश्ते हैं. फ्रांस भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक भी है. एक नजर दोनों देशों के आपसी रिश्तों पर.
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25 साल पुरानी साझेदारी
भारत और फ्रांस के बीच पारंपरिक रूप से करीबी संबंध रहे हैं. दोनों देशों के बीच 1998 से रणनीतिक साझेदारी है, जिसके तहत आपसी संबंधों के अलावा अंतरराष्ट्रीय विषयों पर दोनों देशों के विचारों में मेल रहता है.
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आर्थिक सहयोग
फ्रांस भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. 2020-21 में दोनों देशों के बीच करीब 650 अरब रुपयों का व्यापार हुआ. एक हजार से ज्यादा फ्रांसीसी कंपनियां भारत में सक्रिय हैं जिनमें करीब तीन लाख लोग काम करते हैं. 150 से ज्यादा कंपनियां फ्रांस में मौजूद हैं, जिनमें कम से कम 7,000 लोग काम करते हैं.
दोनों देशों के बीच सितंबर 2008 में सिविल न्यूक्लियर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इस सहयोग के तहत महाराष्ट्र के जैतपुर में न्यूक्लियर पावर परियोजना पर काम चल रहा है, जिसमें भारत की तरफ से एनपीसीआईएल और फ्रांस की तरफ से अरेवा कंपनियां शामिल हैं.
तस्वीर: DW
पर्यावरण और अक्षय ऊर्जा सहयोग
फ्रांस भारत द्वारा 2015 में शुरू किये गए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का संस्थापक सदस्य है. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में फ्रांसीसी कंपनी एनजी एक सौर ऊर्जा पार्क भी बना रही है. इसके अलावा भारत की एनटीपीसी और फ्रांस की ईडीएफ कंपनियां यूरोप, एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका में क्लीन एनर्जी परियोजनाओं पर मिल कर काम कर रही हैं.
तस्वीर: Marinder Manu/AFP
फ्रांस से वित्तीय मदद
विकास की परियोजनाओं पर वित्तीय मदद देने वाली फ्रांस की एजेंसी एफडी ने 2008 से 2022 के बीच भारत सरकार और सरकारी कंपनियां को करीब दो अरब यूरो के लोन दिए हैं. अकेले स्मार्ट शहर मिशन के लिए ही इस एजेंसी ने भारत सरकार को 10 करोड़ यूरो का लोन दिया है.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अंतरिक्ष सहयोग
अंतरिक्ष की परियोजनाओं पर दोनों देशों के बीच 1960 के दशक से ही सहयोग हो रहा है. श्रीहरिकोटा लॉन्च-पैड फ्रांसीसी मदद से बना था. इसरो और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस कई कार्यक्रमों में सहयोग कर रही हैं. सीएनईएस भारत के गगनयान मिशन में भी समर्थन की भूमिका निभा रही है.
तस्वीर: ISRO/AP/picture alliance
फ्रांस में भारतीय समुदाय
अनुमान है कि फ्रांस में भारतीय समुदाय की संख्या करीब 1,09,000 है. फ्रांस में करीब 10,000 भारतीय छात्र भी पढ़ रहे हैं. हर साल करीब 3,000 भारतीय छात्र फ्रांस पढ़ने जाते हैं.
तस्वीर: Benoit Tessier/REUTERS
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बार्डेला ने कहा कि वह सभी फ्रांसीसियों के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह तभी सरकार बनाएंगे जब आरएन को स्पष्ट बहुमत मिलेगा.
अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो विभिन्न दलों के बीच एक स्थिर गठबंधन बनाने की कोशिश होगी. यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है जिसमें महीनों का समय लग सकता है.
रिस्क एनालिसिस करने वाली एक संस्था यूरेशिया ग्रुप ने कहा कि आरएन को बहुमत मिलने की संभावना कम है और ऐसे में देश कम से कम 12 महीने लंबे एक ऐसे दौर से गुजरेगा जिसमें नेशनल असेंबली का कामकाज रुका रहेगा और उसके बाद ‘नेशनल यूनिटी' की सरकार बन सकती है जिसके पास सरकार चलाने की बहुत सीमित क्षमता होगी.