फ्रांस के क्षेत्रीय नतीजे अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले देश की जनता के रुख का रुझान देते हैं. अतिदक्षिणपंथ की हार और उदार दक्षिणपंथियों की जीत नए राष्ट्रपति के लिए रास्ता तय कर सकते हैं.
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फ्रांस में कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. रविवार को हुए क्षेत्रीय चुनावों में मरीन ला पेन की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है. अगले साल देश में राष्ट्रपति चुनावों से पहले ला पेन की पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाना उनके भविष्य पर बड़े सवाल खड़े करता है.
रविवार को हुए चुनावों के बाद आए एग्जिट पोल में रीअसेंबलमेंट नेशनल पार्टी को देश के दक्षिणी प्रोवेन्स आल्प्स कोट डे अजुर (PACA) से बड़ी उम्मीदें थीं. मरीन ला पेन की पार्टी उम्मीद कर रही थी कि इस राज्य में अपना क्षेत्रीय आधार मजबूत कर वह अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में जोरदार ताल ठोकेगी. लेकिन तमाम वामपंथी दलों में एकजुट होकर उनकी इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
दुनिया को मिले 52 लाख नए करोड़पति
2020 में जब पूरी दुनिया महामारी की मार से बेहाल थी, धन बढ़ रहा था. क्रेडिस स्विस की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2020 में दुनिया में 52 लाख नए करोड़पति जुड़े हैं. किन देशों में सबसे ज्यादा करोड़पति जुड़े, जानिए...
तस्वीर: Ed Jones/AFP
नंबर 6: ब्रिटेन
दुनिया में करोड़पतियों की संख्या कुल आबादी के एक फीसदी से ज्यादा हो गई है. सिर्फ ब्रिटेन में 2020 में दो लाख 58 हजार नए करोड़पति जुड़े हैं, यानी उनकी कुल संपत्ति एक मिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गई.
तस्वीर: Dominic Lipinski/empics/picture alliance
नंबर 5: फ्रांस
2020 में दुनिया में कुल पांच करोड़ 61 लाख करोड़पति थे. सिर्फ फ्रांस में तीन लाख नौ हजार नए करोड़पति जुड़े.
तस्वीर: ROBIN UTRECHT/picture alliance
नंबर 4: जापान
क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट दिखाती है कि महामारी के दौरान सरकार द्वारा खर्चे गए और अनुदान में दिए गए धन का फायदा अमीरों को हुआ. जापान में इस साल तीन लाख 90 हजार नए लोगों की आय एक मिलियन डॉलर यानी पांच करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई.
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नंबर 3: ऑस्ट्रेलिया
पिछले एक साल में ऑस्ट्रेलिया में तीन लाख 92 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर को पार कर गई.
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नंबर 2: जर्मनी
जर्मनी में एक मिलियन डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले लोगों में छह लाख 33 हजार लोग और जुड़ गए, जो दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा संख्या है.
2020 में करोड़पतियों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी अमेरिका में देखी गई. वहां 17 लाख 30 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये को पार कर गई.
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राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के लिए भी ये नतीजे असहज कर देने वाले रहे. उनकी पार्टी को भी कोई सीट नहीं मिल रही है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन नतीजों का असर केंद्रीय राजनीति में फेरबदल के रूप में दिखाई दे सकता है.
ला पेन का दर्द
एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक सत्ताधारी कंजर्वेटिव को करीब दस पॉइंट्स से जीत मिल रही है. यह स्पष्ट होने के बाद ला पेन ने अपने समर्थकों से कहा, "आज शाम हम एक भी क्षेत्र में नहीं जीतेंगे क्योंकि सत्ताधारियों ने एक अप्राकृतिक गठबंधन बनाया और हमें बाहर रखने के लिए और लोगों को क्षेत्र में अपना प्रशासकीय कौशल दिखाने से रोकने के लिए पूरा जोर लगाया.”
ला पेन ने सत्ताधारी पार्टी पर भयंकर अव्यवस्थित मतदान का आरोप लगाया क्योंकि लगभग दो तिहाई मतदाता वोटिंग से दूर रहे. हालांकि इन नतीजों के बाद अपनी छवि को नरम करने की ला पेन की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं. ला पेन का आधार देश का पारंपरिक दक्षिणपंथी मतदाताओं के बीच रहा है जो उनके प्रवासी विरोधी और यूरोपीय संघ को लेकर सशंकित दिखने का समर्थक माना जाता है.
फ्रांस के इस रेस्तरां में परोसा जा रहा है भविष्य का भोजन: कीड़े
फ्रांस के एक रेस्तरां का खाना कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है. लेकिन दुनिया की आबादी जिस गति से बढ़ रही है, पोषण विशेषज्ञ पौष्टिक कीट भोजन को भविष्य का भोजन बता रहे हैं. कीट वाला भोजन कई देशों में खाया जाता है.
तस्वीर: Sarah Meyssonnier/REUTERS
खाने में क्या है? कीड़े!
शेफ लॉरेन विये के बनाए खाने सिर्फ उनके लिए है जो खाने के लिए कुछ नया चाहते हैं. आज चॉकलेट में डूबे झींगे, पीले पतंगे और टिड्डियों वाली सब्जियां हैं. इस रेस्तरां में आने वाले ग्राहकों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है.
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पहली बार खाने वालों को पसंद आएगा!
रेस्तरां के शेफ कहते हैं, "यह पहली बार खाने वालों के लिए आदर्श व्यंजन है." उन्होंने बताया कि वे कीट के आटे से पास्ता तैयार कर रहे हैं और शकरकंदी के साथ लार्वा भी परोसा जाएगा. वे कहते हैं, "वास्तव में इसमें दिलचस्प स्वाद है. बहुत से लोग यह नहीं कह सकते कि उन्हें यह पसंद नहीं है."
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यूरोप में कीड़े खाने की अनुमति
यूरोपीय खाद्य सुरक्षा एजेंसी (ईएफएसए) ने इस साल जनवरी में इंसान के उपभोग के लिए पीले ग्रब को उपयुक्त घोषित किया था. मई में यूरोपीय बाजार में बेचने की अनुमति दी गई थी. इसी तरह, यूरोपीय एजेंसी ने कीड़ों की लगभग एक दर्जन प्रजातियों की बिक्री की अनुमति दी है. इनमें टिड्डियां और झींगुर शामिल हैं.
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प्रोटीन, वसा और फाइबर से भरपूर
ये लार्वा प्रोटीन, वसा और फाइबर से भरपूर होते हैं. इन्हें किसी भी खाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, यानी इन्हें खाने और सलाद में इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं पास्ता, बिस्कुट या ब्रेड के आटे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
तस्वीर: Sarah Meyssonnier/REUTERS
"पौष्टिक कीड़े"
यूरोपीय आयोग के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा प्रवक्ता स्टीफान डी कीर्समाइकर कहते हैं, "कीड़े पौष्टिक होते हैं. वे हमें खाद्य प्रणाली में स्थायी और स्वस्थ भोजन प्रदान कर सकते हैं."
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चुनौती भी
हालांकि, शेफ लॉरेन विये को अभी भी दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. एक है लोगों को ऐसा खाना खाने के लिए राजी करना और दूसरा यह पता लगाना कि किन खाद्य पदार्थों से ऐसे कीड़ों को और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है.
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कितना आसान होगा अपनाना
कीटों से बना भोजन भविष्य की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में मददगार हो सकता है. लेकिन अब भी इस क्षेत्र में विकास की जरूरत है. खुद को ऐसे खाने के लिए तैयार करना भी आसान नहीं है.
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हालांकि विश्लेषक इन नतीजों के आधार पर ला पेन को अगले राष्ट्रपति चुनावों में पूरी तरह खारिज करना उचित नहीं मानते.
माक्रों को भी झटका
फ्रांस के 13 क्षेत्रों में चुनावों के बाद आए एग्जिट पोल में सत्ताधारी उदार दक्षिणपंथियों या उदार वामपंथियों की जीत का अनुमान लगाया गया. माक्रों की पार्टी, जो 2015 में हुए पिछले क्षेत्रीय चुनावों के बाद अस्तित्तव में आई है, एक भी सीट जीतने में नाकाम रही.
यह खराब प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि कैसे माक्रों की पार्टी स्थानीय स्तर पर अपना आधार बनाने में विफल रही है और जिस लहर के साथ जीतकर माक्रों राष्ट्रपति बने थे, वह सिर्फ राष्ट्रपति पद के लिए ही थी. इन नतीजों ने अगले साल माक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनने के रास्ते भी तंग कर दिया है. उदार दक्षिणपंथियों ने वापसी की है, जो एक तिकोने मुकाबले का संकेत है.
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नए नेताओं का उभार
इन चुनावों के बाद रूढ़िवादी नेता जेवियर बरट्रैंड की माक्रों के खिलाफ दावेदारी और मजबूत हुई है. उनकी पार्टी ने उत्तरी क्षेत्रों में आरामदायक जीत हासिल की है. बरट्रांड ने खुद को ऐसे फ्रांसीसियों के रखवाले के तौर पर पेश किया है, जो "गुजारा भी नहीं कर पा रहे हैं.” साथ ही, उन्होंने अति दक्षिणपंथ के खिलाफ भी खुद को सबसे मजबूत विरोधी बताया है.
चुनाव की शाम अपने समर्थकों को बरट्रांड ने कहा, "अति दक्षिणपंथी को उसके रास्ते पर आगे बढ़ने से रोक दिया गया है. और हमने उसे बहुत तेजी से पीछे धकेल दिया है. यह नतीजा मुझे राष्ट्रीय स्तर पर मतदाताओं से वोट मांगने की ताकत देता है.”
एक अन्य नेता जो इन चुनावों में दोबारा जीतकर आई हैं, वह हैं वैलरी पेक्रेसे. ग्रेटर पेरिस क्षेत्र से जीतीं पेक्रेसे को अब तक 2022 में एक संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है. रविवार को उन्होंने देश के दक्षिणपंथियों की तारीफ की. विश्लेषकों ने इसे पेक्रेसे का बरट्रांड का ही समर्थन करने का संकेत माना है.
यूरोपीय देशों में ऐसे फैली है असमानता
यूरोप के देशों की भारत के राज्यों से तुलना की जा सकती है. इन देशों का आकर लगभग भारत के राज्यों जैसा ही है. हर देश की अलग भाषा, अलग खानपान और यहां तक कि अलग जीवन स्तर भी.
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बुल्गारिया
यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में बुल्गारिया सबसे गरीब देश है. यहां भ्रष्टाचार भी सबसे व्यापक है. जर्मनी ट्रेड एंड इनवेस्ट (GTAI) के अनुसार, 2018 में यहां औसत आय केवल 580 यूरो प्रति माह थी. यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से कई युवा लोगों ने देश छोड़ दिया. इनमें बहुत से पढ़े-लिखे लोग भी शामिल थे.
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रोमानिया
यूरोपीय संघ की आर्थिक रैंकिंग में नीचे से दूसरे स्थान पर है रोमानिया. यूरोपीय परिषद के अनुसार 2019 में यहां औसत आमदनी 1050 यूरो थी, जबकि उसी दौरान जर्मनी में यह 3994 यूरो थी.
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ग्रीस
आसमान से गिरे खजूर पर अटके, यह कहावत ग्रीस के लिए सही बैठती है. यह देश कर्ज संकट से अभी पूरी तरह उबरा भी नहीं था कि कोरोना की मार पड़ गई. ग्रीस मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है, जो इस दौरान ना के बराबर रहा है.
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फ्रांस
2018 के आंकड़ों के अनुसार यहां औसत रूप से हर व्यक्ति के पास 26,500 यूरो की संपत्ति है. जर्मन लोगों की तुलना में यह 10,000 यूरो ज्यादा है. वजह यह है कि फ्रांस में बहुत से लोग दो-दो घरों के मालिक हैं.
तस्वीर: picture alliance/prisma/K. Katja
इटली
ना कोई विकास, ना ही कोई सुधार. पिछले कुछ सालों में इटली की स्थिति को इन शब्दों में बयान किया जा सकता है. कोरोना की मार सबसे ज्यादा इटली को ही पड़ी. वह ईयू के राहत पैकेज के एक बड़े हिस्से की उम्मीद कर रहा है.
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स्पेन
सकल घरेलू उत्पाद में यहां लगभग 15 प्रतिशत योगदान पर्यटन का है. इस उद्योग को कोरोना के कारण भारी नुकसान हुआ. और अब जब लोगों ने एक बार फिर स्पेन जाना शुरू कर दिया है, तो कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बन गया है.
तस्वीर: Reuters/N. Doce
स्वीडन
यहां के लोग जितने संपन्न हैं, उतना ही ज्यादा इन्हें टैक्स भी चुकाना पड़ता है. जब कोरोना स्वीडन तक पहुंचा, तो सरकार ने लॉकडाउन ना करने का फैसला किया. नतीजतन काफी मौतें भी हुईं. टैक्स दरों के बावजूद स्वीडन में लोगों के पास औसत 27,511 यूरो है, यानी फ्रांस से भी ज्यादा.
तस्वीर: imago images/TT/J. Nilsson
नीदरलैंड्स
स्वीडन, डेनमार्क ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स - इन चार देशों के समूह को यूरोप में "किफायती चार" के नाम से जाना जाता है. इन्होंने पहले इटली की आर्थिक मदद करने से इनकार किया, फिर ईयू के कोरोना राहत पैकेज के मामले में भी ये चारों जरूरतमंद देशों की मदद करने से बचते दिखे. नीदरलैंड्स के लोगों के पास औसतन 60,000 यूरो की संपत्ति है.
तस्वीर: picture-alliance/robertharding/F. Hall
जर्मनी
जर्मनी के बारे में कहा जा सकता है कि जर्मनी की सरकार अमीर है, लोग नहीं. आर्थिक प्रदर्शन के लिहाज से यह ईयू का बेहतरीन देश है लेकिन यहां के लोगों के पास औसत रूप से महज 16,800 यूरो की ही संपत्ति है. आर्थिक रूप से कमजोर इटली के लोगों की संपत्ति भी इससे दोगुना है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Kalaene
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इन चुनावों में सिर्फ 35 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया था. हालांकि देश की क्षेत्रीय सरकारों के प्रति लोगों का झुकाव कम ही रहता है. ये सरकारें आर्थिक विकास, परिवहन और हाई स्कूलों के लिए जिम्मेदारहैं.
पेरिस में रहने वाले ज्याँ-जाक ने रॉयटर्स को बताया, "जो भी हो, मेरी आज वोट देने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि नेताओं पर मेरा भरोसा उठ चुका है.”