फ्रांस में राष्ट्रपति माक्रों का एक साल पूरा
७ मई २०१८Reviewing Macron's first year as president
ड्रोन का मुकाबला करेंगे फ्रांस के बाज
फ्रांस की सेना ने ड्रोन से लड़ने के लिए बाजों की फौज बनाई है. इसके लिए बाजों को बकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है. आतंकवादी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हीं को रोकने के लिए सेना ने यह कदम उठाया है.
खास तैयारी जन्म के पहले से ही
बाज के चार अंडों को ड्रोन पर रख कर ही उनमें से बच्चों के निकलने की प्रक्रिया पूरी कराई गई. पैदा होने के बाद भी बाजों को इन्हीं ड्रोन पर रख कर खिलाया जाता था. नतीजा यह हुआ कि वे ड्रोन से अच्छी तरह परिचित हो गए.
बाजों की ट्रेनिंग
पिछले साल जन्मे चार गोल्डेन ईगल यानी सुनहरे बाजों को सेना की निगरानी में ड्रोन से लड़ने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. इनके नाम हैं अथोस, पोर्थोस, अरामिस और डे आर्टांगनान
ड्रोन का पीछा
इन बाजों ने हरे घास के मैदानों में पिछले दिनों ड्रोन का पीछा किया और फिर चोंच के वार से उन्हें गिरा दिया, इस कामयाबी पर उन्हें पुरस्कार में मांस मिला जिसे उन्होंने उन्हीं ड्रोन के ऊपर बैठ कर खाया.
तेज रफ्तार
बाजों ने ड्रोन का पीछा करते हुए 20 सेकेंड में 200 मीटर तक की दूरी तय कर ली. फिर गोता लगा कर उसके साथ साथ ही घास के मैदान पर नीचे आ गए.
फ्रांस का डर
फ्रांस को पहले ड्रोन से डर नहीं लगता था, शहरों में और दूसरी जगहों पर भी वे अकसर उड़ान भरते थे लेकिन 2015 में ड्रोन को सैन्य ठिकानों और राष्ट्रपति के आवास के आसपास उड़ते देख सेना सजग हो गई.
आतंकवादी हमले
2016 में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से फ्रांस खासतौर से चिंतित हुआ है. उसे डर है कि ड्रोन का इस्तेमाल आतंकवादी अपने मंसूबों के लिए कर सकते हैं और उसी से बचने के लिए बाजों को तैयार किया जा रहा है.
शिकारी बाज
तेज रफ्तार, तीखी नजर और चोंच के वार से हड्डियों को चूर कर देने की ताकत बाज को बेहतरीन शिकारी बनाते हैं. शिकार के लिए इनका इस्तेमाल सदियों से हो रहा है जो इस इंटरनेट दौर में भी जारी है.
शिकारी बाजों का अगला बैच
बहुत जल्द ही अगले बैच के लिए बाज के अंडों से बाज पैदा करने के लिए उसी प्रक्रिया को दोहराया जाएगा. बाज के नाखूनों और चोंच की रक्षा के लिए खास तरह के चमड़े के दस्ताने भी बनवाए गए हैं.