रिपोर्ट: फ्रांस के चर्चों में लाखों बच्चों का यौन शोषण
६ अक्टूबर २०२१
फ्रांस के कैथोलिक चर्चों में बच्चों के बड़े पैमाने पर यौन शोषण का पहला बड़ा खुलासा हुआ है. अनुमानित तौर पर बीते 70 सालों में 3.30 लाख बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए.
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फ्रांस में कैथोलिक चर्चों में बच्चों के यौन शोषण की जांच स्वतंत्र आयोग ने की और इसकी रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है. आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 70 साल के दौरान करीब 3.30 लाख बच्चे यौन उत्पीड़न के शिकार हुए. इस रिपोर्ट के लेखक कैथोलिक चर्च पर इस भयावह तथ्य से लगातार आंखें मूंदने का आरोप लगाते हैं.
आयोग के अध्यक्ष ज्यां-मार्क सावे हैं, उन्होंने कहा, "कैथोलिक चर्च ने वर्षों से एक गहरी, पूर्ण और क्रूर उदासीनता दिखाई." उनके मुताबिक यौन शोषण वाले बच्चों की रक्षा करने के बजाय चर्च ने खुद का बचाव किया. रिपोर्ट के मुताबिक यौन शोषण का शिकार होने वाले बच्चों में ज्यादातर लड़के हैं, जिनमें से ज्यादातर 10 से 13 साल के बीच के थे और यौन शोषण का शिकार होने वाली 20 फीसदी लड़कियां हैं.
फ्रांस में ताजा खुलासे ने रोमन कैथोलिक चर्च को झकझोर कर रख दिया है. आयोग की रिपोर्ट ने बाल यौन शोषण को रोकने के लिए "आवश्यक कदम" उठाने में विफल रहने के लिए चर्च की आलोचना की है. रिपोर्ट ने यहां तक कहा कि बच्चों को कभी-कभी जानबूझकर दुर्व्यवहार करने वालों के संपर्क में लाया जाता था. फ्रांस कॉन्फ्रेंस ऑफ बिशप के प्रमुख मोनसिग्नोर एरिक डी मौलिन्स-ब्यूफोर्ट ने कहा कि चर्च इस रिपोर्ट से शर्मिंदा है और उन्होंने माफी मांगते हुए कार्रवाई का वादा किया है.
2500 पन्नों के दस्तावेज में बताया गया है कि कैसे बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले 3,000 में से दो तिहाई पादरी थे, उन्होंने ने सात दशकों में फ्रांस में कैथोलिक चर्च में काम किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि पादरी या चर्च से संबद्ध अन्य लोगों द्वारा उत्पीड़न के शिकार बच्चों की संख्या 2,16,000 हो सकती है.
कैथोलिक गिरजे के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने विनाशकारी रिपोर्ट पर "दर्द" जाहिर करते हुए कहा कि उनकी सहानुभूति पीड़ितों के साथ है.
स्वतंत्र आयोग की रिपोर्ट 1950 के बाद से मीडिया में आई खबरों, पुलिस रिकॉर्ड, अदालतों और चश्मदीदों के बयान पर अध्ययन कर तैयार किया गया है. आयोग ने दो साल तक इस रिपोर्ट पर काम किया.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
सर्वे: 29 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक स्थलों पर छेड़खानी का सामना किया
एक सर्वे के मुताबिक भारत में 29 प्रतिशत महिलाओं ने ट्रेन, स्टेशनों, सार्वजनिक जगहों और सड़कों पर छेड़छाड़ या यौन शोषण का अनुभव किया.
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पब्लिक प्लेस पर छेड़खानी
लोकल सर्कल्स के सर्वे में दावा किया गया है कि 29 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक स्थानों पर छेड़खानी और यौन शोषण का सामना किया. 9 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उन्होंने या उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने एक बार से ज्यादा इसको अनुभव किया.
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कहां सबसे ज्यादा छेड़खानी
ट्रेन, स्टेशन, सार्वजनिक स्थल और सड़कें शीर्ष स्थान हैं जहां भारतीय महिलाओं ने छेड़छाड़ या यौन शोषण का सामना किया. सर्वे में शामिल 17 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि लोकल ट्रेनों, मेट्रो या इसके स्टेशनों पर ऐसा हुआ. 20 प्रतिशत ने कहा कि भीड़भाड़ वाले समारोहों में ऐसा हुआ. 7 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि धार्मिक स्थानों पर उनके साथ ऐसी घटना हुई, वहीं 10 फीसदी ने बाजार को ऐसी घटना वाली जगह बताया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Adhikary
सिर्फ 23 प्रतिशत ने दर्ज कराई एफआईआर
छेड़खानी का सामना करने वाली सिर्फ 23 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्होंने एफआईआर या पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. सर्वे में दावा किया गया कि 15 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की या कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं 23 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया, 15 प्रतिशत ने एफआईआर नहीं करने का फैसला किया.
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319 जिलों में सर्वे
लोकल सर्कल्स ने इस सर्वे के लिए भारत के 319 जिलों में 14,000 नागरिकों से 24,000 से ज्यादा प्रतिक्रिया हासिल किए और उनके आधार पर ये नतीजा जारी किया. सर्वे में 65 प्रतिशत पुरुष थे जबकि 35 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं.
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चिंता है बलात्कार की घटनाएं
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो ने 2019 में कहा था कि महिलाओं के खिलाफ दर्ज 4 लाख मामलों में से 32,033 मामले रेप से संबंधित थे. अक्सर रेप की पीड़ित महिलाएं धमकी के डर से मामले की रिपोर्ट नहीं करती हैं.
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महिला सुरक्षा से जुड़ा बजट
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था हेल्पलाइन केंद्रों की स्थापना, आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाओं और अधिकारियों के लिए लिंग-संवेदीकरण प्रशिक्षण के लिए निर्धारित राशि का इस्तेमाल नहीं किया गया. उसके मुताबिक फंड में पहले ही आवंटन कम है और उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है.