दुनिया का सबसे बड़ा मेंढक-प्रोजेक्ट एक ऐप की मदद से आम लोगों के विज्ञान जगत में योगदान की मिसाल बन गया है. ऑस्ट्रेलिया में लोग दस लाख मेंढक गिन चुके हैं.
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ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक के दिमाग की उपज, फ्रॉगिड (FrogID) नाम के एक ऐप के जरिए देश में दस लाखवां मेंढक गिना जा चुका है. दस लाखवां मेंढक क्वींसलैंड में एक सिटिजन साइंटिस्ट डॉ. इलियट लीच ने खोजा, जो रॉकेट प्रजाति का है.
फ्रॉगिड मेंढक गिनने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है जिसे यूएनएसडब्ल्यू के सिडनी स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल अर्थ एंड इनवायर्नमेंटल साइंस की डॉ. जोडी राउली चला रही हैं. डॉ राउली ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम में सरीसृप और उभयचर यानी धरती और पानी दोनों में रहने वाले जीवों की क्यूरेटर भी हैं.
एयरपोर्ट पर 130 जहरीले मेंढक
कोलंबिया में एयरपोर्ट पर एक महिला के पास 130 मेंढक पकड़े गए. ये नन्हे लेकिन बेहद जहरीले मेंढक चुराकर ले जाए जा रहे थे.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
बैग में जहरीले मेंढक
बोगोटा की पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक महिला को गिरफ्तार किया. ब्राजील की रहने वाली इस महिला के पास प्लास्टिक के 130 जार थे, जिनमें मेंढक थे.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
लुप्तप्राय प्रजाति
ये मेंढक लुप्त हो जाने के मुहाने पर खड़ी ऊफागा हिस्ट्रियोनिका प्रजाति के हैं. महिला ने कहा कि वह इन्हें अपने आदिवासी दोस्तों को तोहफे में देने के लिए ले जा रही है.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
रंग-बिरंगे मेंढक
ऊफागा प्रजाति के ये मेंढक बेहद खूबसूरत होते हैं. अपने रंग-बिरंगे शरीर के लिए मशहूर ये मेंढक उमस भरे जंगलों में पाए जाते हैं और दुनिया की सबसे घातक प्रजातियों में से हैं.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
130 मेंढक
अधिकारियों ने कहा कि महिला के पास 130 मेंढक थे जिन्हें छिपाकर ले जाया जा रहा था. इन्हें जिन डिब्बों में रखा गया था, उनमें हवा आने-जाने का कोई जरिया नहीं था इसलिए मेंढकों का दम घुट रहा था.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
1,000 डॉलर तक कीमत
एग्जॉटिक जानवरों के संग्रह का शौकीन रखने वाले इन मेंढकों के लिए एक हजार डॉलर यानी लगभग 90 हजार रुपये तक देते हैं. इसलिए इनकी खूब तस्करी होती है. पहले भी इन मेंढकों को चुराने वाले पकड़े गए हैं.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
अस्पताल में देखभाल
दम घुटने से लगभग बेहोश हो चुके इन मेंढकों को फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज किया गया. अधिकारियों ने कहा कि कुछ घंटे और ना मिलते तो इन मेंढकों की मौत हो जाती.
तस्वीर: Bogota Environment Secretary/REUTERS
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यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक बयान में डॉ. राउली कहती हैं कि वह देशभर में फैले उन स्वयंसेवकों की शुक्रगुजार हैं जिन्होंने फ्रॉगिड प्रोजेक्ट में अपना योगदान दिया है.
वह कहती हैं, "यह देशभर के नागरिक-वैज्ञानिकों के अविश्वसनीय योगदान की अद्भुत मिसाल है. फ्रॉगिड ने ना सिर्फ मेंढकों के प्रति लोगों का नजरिया बदला है बल्कि इसकी बदौलत समुदायों, स्कूलों और परिवारों को ऑस्ट्रेलिया के इन अनूठे उभयचरों के संरक्षण और अध्ययन में योगदान देने का मौका भी मिला.”
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दस लाखवां मेंढक
फ्रॉगिड ऐप पर दस लाखवां मेंढक स्पैल्डिंग्स रॉकेट के रूप में मिला, जिसकी आवाज रिकॉर्ड करके डॉ. लीच ने ऐप पर अपलोड की. डॉ राउली कहती हैं कि इस मेंढक की आवाज ऐसी है जैसी लॉनमाउर और चिकन को मिलाकर बनती है.
वह कहती हैं, "इस आवाज को तो आप भूल ही नहीं सकते. लेकिन इस प्रजाति की क्वींसलैंड में बहुत कम रिकॉर्डिंग हैं. यह सिर्फ तब बोलता है जब उत्तर-पश्चिमी नॉर्दर्न टेरीटरी से लेकर क्वींसलैंड में लिचफील्ड नेशनल पार्क तक में बारिश का मौसम होता है. ईलियट लीच ने जो रिकॉर्डिंग भेजी है, वह उस इलाके से फ्रॉगिड पर पहली रिकॉर्डिंग है. इससे फ्रॉगिड के कुल इलाके में 36.5 फीसदी की वृद्धि हुई है.”
एग्जॉटिक जानवरों की फैक्ट्री
सांप, मेंढक, छिपकली और कछुए जैसे जानवरों को पालने वालों की संख्या बढ़ रही है और साथ ही बढ़ रही है इन्हें तैयार करने वालों की संख्या. देखिए, निकारागुआ में कैसे इन ‘एग्जॉटिक जानवरों’ को तैयार किया जा रहा है.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
पालने के लिए तैयार होते जानवर
मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ के शहर तिकुआंतेपे में ये लाल आंखों वाले मेंढक तैयार हो रहे हैं अमेरिका, कनाडा या एशिया जाने के लिए.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
खास चिड़ियाघर
तिकुआंतेपे का ‘एग्जॉटिक फॉना’ एक खास चिड़ियाघर है जहां एग्जॉटिक जानवरों की ब्रीडिंग कराई जाती है.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
एग्जॉटिक जानवर
एग्जॉटिक जानवर उन्हें कहते हैं जिन्हें अक्सर आप पालतू जानवरों के रूप में नहीं देखेंगे. इन जानवरों को यहां खासतौर पर तैयार किया जाता है और फिर निर्यात किया जाता है.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
बढ़ रही हैै मांग
ब्रीडर बताते हैं कि इन जानवरों की मांग बहुत बड़ी है क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो कुत्ते या बिल्ली जैसे आम पालतू जानवर नहीं चाहते. वे मेंढक, सांप, छिपकली, मकड़ी और कछुए आदि पालना चाहते हैं.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
हजारों ऑर्डर
अमेरिका से ‘एग्जॉटिक फॉना’ के लिए सैकड़ों और हजारों की तादाद में ऑर्डर आते हैं. इस चिड़ियाघर को सरकारी लाइसेंस मिला है और वे 18 जानवरों की ब्रीडिंग करते हैं.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
सरकारी बढ़ावा
इस कारोबार की सफलता को देखते हुए निकारागुआ की सरकार और ज्यादा लोगों को इसमें आने को प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
40 हजार परिवार
दक्षिण अमेरिका के सबसे गरीब देशों में से एक निकारागुआ की सरकार का कहना है कि लगभग 40 हजार परिवार इस व्यापार में लगे हुए हैं.
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करोड़ों की आय
एक स्थानीय अखबार में छपी खबर के मुताबिक 2019 में इस व्यापार से तीन लाख डॉलर यानी लगभग ढाई करोड़ रुपये की आय हुई थी.
तस्वीर: Maynor Valenzuela/REUTERS
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फ्रॉगिड ऐप को डॉ. राउली के साथ ऑस्ट्रेलिया म्यूजियम की डायरेक्टर और सीईओ किम मैके की पहल पर तैयार किया गया है. लोग इस ऐप पर अपने इलाके के मेंढकों की जानकारियां अपलोड कर सकते हैं. फ्रॉगिड को 2017 में शुरू किया गया था.
न्यू साउथ वेल्स के कला और पर्यटन मामलों के मंत्री जॉन ग्राहम कहते हैं कि यह एक बहुत मौलिक आईडिया है जो आम लोगों, ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम और यूएनएसडब्ल्यू को साथ मिलकर काम करने के मौके दे रहा है ताकि मेंढकों की प्रजातियों को संरक्षित किया जा सके.
ग्राहम ने कहा, "फ्रॉगिड ऐप और इसके जरिए जमा हुई दस लाख मेंढकों की जानकारियां इस बात की मिसाल हैं कि तकनीक और साइंस ऑस्ट्रेलिया के लोगों को पर्यावरणसे जुड़ी एक अहम समस्या को हल करने के लिए सशक्त बना सकती है.”
कैसे काम करताहै ऐप
फ्रॉगिड को 2017 में शुरू किया गया था. मैके बताती हैं कि अब तक 45 हजार से ज्यादा स्वयंसेवी नागरिक वैज्ञानिकों ने डेटा अपलोड किया है. ऐप जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल करता है. लोग जहां किसी मेंढक को देखते हैं वे उसकी आवाज और फोटो ऐप पर अपलोड कर देते हैं और जीपीएस तकनीक उस डेटा की जगह रिकॉर्ड कर लेती है.
क्या यह मेंढक डरावना है?
जिसने इसे जोंबी नाम दिया, उसने क्या इसका रूप देखकर ऐसा सोचा? यह मेंढक हाल ही में खोजा गया है. क्या आपको यह मेंढक डरावना लगा? कुछ और तस्वीरें देखकर तय कीजिए...
तस्वीर: Antoine Fouquet
क्यों रखा यह नाम?
जर्मनी के प्राणीविज्ञानी राफाएल एर्न्स्ट उस टीम का हिस्सा थे जिसने मेंढकों की यह नई प्रजाति खोजी है. वह बताते हैं कि यह नाम इसलिए चुना क्योंकि जिन शोधकर्ताओं ने इस मेंढक को जमीन के नीचे से निकाला, वे उस वक्त जोंबी जैसे दिख रहे थे.
तस्वीर: Antoine Fouquet
कैसे मिला यह मेंढक?
राफाएल एर्न्स्ट ने अमेजन के जंगलों में लगभग दो साल करीब-करीब अकेले गुजारे हैं. वह अपनी पीएचडी के लिए रिसर्च कर रहे थे. उनका मकसद उभयचरों की विलुप्ति के कारण खोजना था. उसी दौरान उन्होंने यह मेंढक खोज लिया.
तस्वीर: Raffael Ernst
दिखते ही नहीं
राफाएल एर्न्स्ट बताते हैं कि इन मेंढकों को खोजना आसान नहीं था क्योंकि ये बहुत कम समय के लिए सक्रिय रहते हैं.
तस्वीर: Antoine Fouquet
विलुप्ति का खतरा
राफाएल एर्न्स्ट कहते हैं कि जब जब वे लोग कोई नई प्रजाति खोजते हैं, तो उन्हें उनकी विलुप्ति का खतरा सताने लगता है. जैसे जोंबी मेंढक अभी खोजा गया है. लेकिन यह एक लुप्तप्राय प्रजाति हो सकती है.
तस्वीर: Antoine Fouquet
ऐसे और भी हैं
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इस इलाके में ऐसी प्रजातियां छह गुना ज्यादा हो सकती हैं, जिन्हें अभी तक खोजा नहीं गया है.
तस्वीर: Monique Hölting
अमेजन पर खतरा
शोधकर्ता अमेजन जंगलों में रहने वाले प्राणियों को लेकर चिंतित हैं. राफाएल एर्न्स्ट कहते हैं कि इन जंगलों पर दबाव बढ़ रहा है और इंसानों की अवैध गतिविधियां भी.
तस्वीर: Raffael Ernst
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ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम रिसर्च इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर क्रिस हेल्गन कहते हैं कि मेंढक ना सिर्फ करिश्माई और रंगीन प्राणी हैं बल्कि एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण भी हैं.
उन्होंने कहा, "मेंढक पर्यावरण में होने वाले बदलावों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं. प्रदूषण, जमीन और पानी के इस्तेमाल या जलवायु में बदलाव हो तो इनमें फौरन प्रतिक्रिया होती है. इस तरह वे हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य के अहम संकेत हैं.”
ऑस्ट्रेलिया में 249 मूल प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से बहुतों पर लुप्त हो जाने का खतरा मंडरा रहा है. फ्रॉगिड के जरिए वैज्ञानिकों को मेंढकों की पांच नई प्रजातियां मिली हैं. इस ऐप से मिले डेटा पर 20 से ज्यादा शोध पत्र लिखे जा चुके हैं. और तो और, इन आंकड़ों ने एक एल्बम के लिए भी प्रेरणा दी है, जिसे खूब सराहा गया.