डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को बांट दिया है. उनके चुनाव ने देश के लोगों के बीच दीवारें खड़ी कर दी हैं. लेकिन ये दीवारें कितनी बड़ी होंगी? कितनी ऊंची? गेल मैक्कार्मिक से पूछिए.
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गेल मैक्कार्मिक अपने पार्टनर से अलग हो गई हैं. 22 साल लंबी उनकी शादी टूट गई है. गेल कैलिफॉर्निया की जेल में गार्ड के पद से रिटायर हुई हैं. वह खुद को समाजवाद की ओर झुकाव रखने वाली डेमोक्रैट बताती हैं. लेकिन तब उन्हें बड़ा धक्का लगा जब बीते साल यूं ही लंच के दौरान उनके पति ने अपने दोस्तों से कहा कि वह तो ट्रंप को वोट देंगे. 73 साल की गेल कहती हैं कि इस खुलासे ने ही सब कुछ तोड़ दिया. वह बताती हैं, "इस बात ने मुझे एकदम दूर कर दिया कि वह ट्रंप के लिए वोट कर सकते हैं. मुझे ऐसा लगा कि मैं खुद को धोखा दे रही हूं. इस खुलासे ने हमारे बीच ऐसे भेद सामने ला दिये जो पहले कभी नहीं दिखे थे. मुझे अहसास हुआ कि मैं अपनी जिंदगी में कुछ न कुछ बर्दाश्त करते हुए कितना दूर निकल आई हूं. वो सब बर्दाश्त करते हुए, जो अपनी जवानी के दिनों में मैं कभी ना करती." गेल कहती हैं कि उनके रिपब्लिकन पति से उन्हें दिक्कत नहीं थी लेकिन ट्रंप का समर्थन बर्दाश्त से बाहर था.
तस्वीरों में, ट्रंप के इन कदमों ने मचा रखी है खलबली
ट्रंप के इन कदमों से मची है खलखली
डॉनल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बने अभी कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन उन्होंने अपने कई कदमों से दुनिया में खलबली मचा दी है. देखिए अब तक ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति क्या क्या किया है.
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वादों पर अमल
ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में दो हफ्ते से भी कम समय के भीतर 17 अध्यादेश जारी किए हैं. वैसे इतने ही अध्यादेश ओबामा ने भी जारी किए थे. लेकिन जिस तरह के अध्यादेश ट्रंप ने जारी किए हैं, उनसे सब हैरान हैं. लगता है वह अपने चुनावी वादों को पूरा करने में जुटे हैं.
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है क्या अध्यादेश
अध्यादेश के जरिए राष्ट्रपति अमेरिकी एजेंसियों को आदेश दे सकते हैं और इसके लिए अमेरिकी संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती. किसी आदेश को तेजी से लागू कराने के लिए अध्यादेश का सहारा लिया जाता है.
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ओबामा केयर को कमजोर करना
अपने पहले अध्यादेश ने ट्रंप ने किफायती स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले ओबामा कार्यकाल के कानून पर निशाना साधा है. हालांकि ट्रंप के लिए अकेले दम पर इस कानून को खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन उनके अध्यादेश से इसे लागू करने में कई दिक्कतें आएंगी.
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गर्भपात
ट्रंप ने उस नीति को फिर से लागू कर दिया है जो गर्भपात के लिए काउंसलिंग और गर्भपात के अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों की सरकारी फंडिंग पर रोक लगाती है. पहली बार इसे रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने लागू किया था. लेकिन बिल क्लिंटन और ओबामा जैसे डेमोक्रैट राष्ट्रपतियों ने इसे किनारे रख दिया तो रिपब्लिकन जॉर्ज बुश ने इसे लागू किया था.
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बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों की वापसी
ट्रंप ने प्रत्यर्पण के दायरे को बढ़ाने का आदेश दिया है. वह चाहते हैं कि बिना दस्तावेज के अपने यहां लोगों को रखने वाले शहर से पैसा वसूला जाए और संदिग्ध अपराधी अप्रवासियों को हिरासत में लिया जाए. ट्रंप 10 हजार नए इमिग्रेशन एजेंट भर्ती करना चाहते हैं.
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दीवार
25 जनवरी को ट्रंप ने मेक्सिको से लगने वाली अमेरिका की सीमा पर दीवार बनाने वाले अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए. इस दीवार को बनाने की बात चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बार बार कही थी. ट्रंप ने अमेरिका में बिना दस्तावेजों के रह रहे अप्रवासियों को “हटाये जाने योग्य विदेशी” कहा है.
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वीजा बैन
ट्रंप के जिस अध्यादेश को लेकर शायद दुनिया में सबसे ज्यादा आलोचना हो रही है, वह है सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थायी रोक. उनके आलोचक जहां इसे धर्म के आधार पर भेदभाव का नाम दे रहे हैं, वहीं ट्रंप इसे देश को हमलों से सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी बता रहे हैं.
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अमेरिका टीपीपी से बाहर
जब ट्रंप ट्रांस-पैसेफिक पार्टनरशिप से बाहर हुए किसी को ज्यादा हैरानी नहीं हुई. अपने चुनावी अभियान में भी उन्होंने यह कहकर इस संधि की आलोचना की थी कि अमेरिका की कीमत पर अन्य देशों को इसका फायदा हो रहा है.
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पाइपलाइन
राष्ट्रपति कार्यालय में ट्रंप का चौथा दिन पाइपलाइनों से जुड़ा था. इनमें डकोटा एक्सेस पाइपलाइन का निर्माण, कीस्टोन पाइपलाइन का निर्माण जारी रखना और सभी पाइपलाइनों के निर्माण में अमेरिकी सामान का इस्तेमाल करना शामिल था. ओबामा ने पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए दोनों पाइपलाइनों को मंजूरी नहीं दी थी.
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सेना का विस्तार लेकिन...
ट्रप ने सेना में नए सैनिकों की भर्ती, नए सैन्य साजोसामान की खरीद और परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाने का आदेश दिया है. लेकिन अन्य संघीय सिविल एजेंसियों में भर्ती पर उन्होंने 90 दिन की रोक लगा दी है, ताकि प्रशासन कर्मचारियों की संख्या को कम करने की दीर्घकालीन योजना तैयार कर सके.
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बड़ा बदलाव
ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में बड़े बदलावों का एलान किया है जिससे स्टीफन बैनन का कद बढ़ेगा. विदेश नीति से जुड़े अहम फैसले करने वाली इस परिषद से ट्रंप ने कई वरिष्ठ सदस्यों की छुट्टी कर दी है जबकि दक्षिणपंथी विचारों के लिए मशहूर ट्रंप के मुख्य रणनीतिकार को इसमें शामिल किया गया है.
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नियमों पर निशाना
ट्रंप चाहते हैं कि संघीय एजेंसियां जब भी कोई नया नियम बनाएं तो पुराने दो कानून खत्म कर दें. उन्होंने नए नियम बनाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. ट्रंप की तरफ से नियुक्त विभाग पहले स्थिति की समीक्षा करेगा और फिर इस बारे में आगे कदम बढाया जाएगा.
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एच1बी वीजा
ट्रंप ने एच1बी वीजा से जुड़े नियमों में भी बदलाव का आदेश दिया है. इससे अमेरिका में काम कर रहे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे. पहले 60 हजार डॉलर प्रति वर्ष के वेतन पर एच1बी वीजा मिल जाता है, लेकिन अब इसके लिए एक लाख तीस हजार डॉलर की शर्त रखी जा रही है.
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किसके कितने अध्यादेश
ट्रंप से पहले बराक ओबामा आठ साल तक अमेरिकी राष्ट्रपति रहे और इस दौरान उन्होंने कुल 277 अध्यादेशों पर हस्ताक्षर किये. इस मामले में ओबामा जॉर्ज बुश से पीछे रहे जिन्होंने बतौर राष्ट्रपति अपने आठ साल में 291 अध्यादेश निकाले थे.
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अमेरिकी इतिहास के सबसे विभाजक चुनाव को तीन महीने बीत चुके हैं. लेकिन अमेरिका आज भी उसी बिखराव और टूट से गुजर रहा है जो तीन महीने पहले जिंदगियों में आया था. अब भी आपको ऐसे अमेरिकी मिल जाएंगे जिनके घाव हरे हैं. रॉयटर्स और इप्सोस के एक सर्वे के मुताबिक रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स के बीच खाई अब भी बढ़ रही है. समाजशास्त्री और राजनीतिशास्त्री कहते हैं कि ऐसे माहौल में राजनीतिक समझौते और बीच के रास्ते और मुश्किल होते जाएंगे.
रॉयटर्स-इप्सोस के सर्वे में 27 दिसंबर से 18 जनवरी के बीच 6426 लोगों से बात की गई. इस बातचीत के दौरान पता चला कि परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच राजनीतिक बहसें चुनाव पूर्व 6 फीसदी से बढ़कर अब 39 फीसदी पर पहुंच गई हैं. 16 फीसदी लोगों ने इस बहस के कारण किसी जानकार, दोस्त या रिश्तेदार से बात बंद कर दी है. चुनाव से पहले ऐसे लोग 15 प्रतिशत थे. 13 प्रतिशत लोगों का कोई न कोई रिश्ता इस कारण खत्म हो गया है. अक्टूबर में ऐसे लोग 12 प्रतिशत थे. ओहायो के एक ट्रंप समर्थक ट्रक ड्राइवर रॉब ब्रुनेलो को अपने परिजनों और दोस्तों से खूब ताने सुनने पड़े हैं. वह कहते हैं, "मेरे लिए तो बहुत खराब दौर रहा है. लोग इस बात को मानने को तैयार ही नहीं थे कि ट्रंप हिलेरी को हरा सकते हैं. यह बात स्वीकार करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा है."
देखिए, अमेरिका में कहां कहां से आए आतंकवादी
कहां से आए अमेरिका में आतंकवादी
डॉनल्ड ट्रंप 7 मुस्लिम बहुल देशों से लोगों के आने पर बैन चाहते हैं. तर्क है आतंकवादियों को रोकना. 1975 से 2015 के बीच किस देश से कितने आतंकी आए और उन्होंने कितने अमेरिकी लोगों को मारा? आंकड़े सीएटीओ इंस्टिट्यूट के हैं.
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सऊदी अरब (प्रतिबंध सूची में नहीं)
सऊदी अरब से अमेरिका में कुल 19 आतंकवादी आए हैं और उन्होंने 2369 लोगों की जान ली है.
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यूएई (प्रतिबंध सूची में नहीं)
यहां से आए दो आतंकवादी अमेरिका में 314 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार थे.
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मिस्र (प्रतिबंध सूची में नहीं)
मिस्र से आए 11 आतंकवादी 1975 से 2015 के बीच 165 अमेरिकी नागरिकों की जान ले चुके थे.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/C. Ruttle
लेबनान (प्रतिबंध सूची में नहीं)
चार लेबनानी आतंकवादी अब तक 159 अमेरिकी नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/C. Ruttle
ईरान (प्रतिबंध सूची में)
अमेरिका में 6 आतंकवादी ईरानी मूल के आए लेकिन उन्होंने किसी की जान नहीं ली.
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इराक (प्रतिबंध सूची में)
इराक से दो आतंकवादी आए जरूर लेकिन वे किसी को मार नहीं सके.
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लीबिया (प्रतिबंध सूची में)
लीबिया से अब तक अमेरिका में कोई आतंकवादी नहीं आया है.
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सोमालिया (प्रतिबंध सूची में)
दो सोमालियाई नागरिकों को अमेरिका में आतंकवाद का जिम्मेदार पाया गया लेकिन उन्होंने मारा किसी को नहीं.
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सूडान (प्रतिबंध सूची में)
सूडान से 6 लोग ऐसे आए जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए लेकिन उन्होंने किसी को मारा नहीं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/C. Ruttle
सीरिया
सीरियाई मूल के किसी व्यक्ति को अमेरिका में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं पाया गया.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/C. Ruttle
यमन
यमन का एक व्यक्ति आतंकवादी संपर्कों के कारण आतंकवाद का जिम्मेदार पाया गया लेकिन उसने मारा किसी को नहीं.
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इसी तस्वीर का दूसरा पहलू भी है. इन्हीं मतभेदों के बीच नये रिश्तों के रास्ते भी निकल रहे हैं. और मतभेदों के बीच रिश्ते ना टूटने की कहानियां भी कम नहीं हैं. 40 फीसदी लोग कहते हैं कि उनकी किसी न किसी से बहस जरूर हुई लेकिन रिश्ता सलामत है. 21 फीसदी लोगों को चुनाव के कारण नये दोस्त मिले. इलिनॉय की सैंडी कॉर्बिन ऐसी ही मिसाल हैं. चुनाव के दौरान क्लिंटन के समर्थन के कारण उन्हें कुछ नये दोस्त मिले हैं. वह कहती हैं, "अब हम खूब बातें करते हैं. मैं तो कहती हूं कि ऐसा चुनाव के कारण ही हुआ है."
लेकिन कड़वा सत्य यह है कि ट्रंप पर बहस अब देश में आम हो चली है. फिलाडेल्फिया के रिटायर्ट पुलिस अफसर 64 साल के विलियम लूमी कहते हैं, "जब लोगों को पता चला कि मैंने ट्रंप को वोट दिया है तो सब उलट पुलट गया. अब बचपन के एक दोस्त से बातचीत बंद हो चुकी है. मैंने उससे फेसबुक पर कुछ सवाल पूछ लिये जो उसे अच्छे नहीं लगे. जवाब में उनसे मुझे एक बुरा सा मेसेज भेजा. तब से हमने कोई बात नहीं की है." 57 साल की सू कोरेन अपने ट्रंप समर्थक दोनों बेटों से बात नहीं कर रही हैं. उन्होंने फेसबुक पर कम से कम 50 लोगों को अनफ्रेंड किया है. वह कहती हैं, "जिंदगी अब वैसी नहीं जैसी चुनावों से पहले थी. यह मेरा गुस्सा है. मेरी खीज है. मेरा अविश्वास है. वे सोचते हैं कि हमारा राष्ट्रपति हीरो है. मुझे लगता है वह एक पागल है."
मिजूरी के एक रिटायर्ट टूर ऑपरेटर डेनिस कोर्नर ट्रंप समर्थक हैं. लेकिन उन्होंने किसी को नहीं खोया है, जिसके लिए उन्होंने एक नुस्खा आजमाया. लोगों को भी वह ऐसा ही करने की सलाह देते हैं. उनकी सलाह है कि राजनीति पर बात ही मत करो.