गाजा से भागकर जेट स्की से यूरोप तक का सफर
१५ सितम्बर २०२५
गाजा से यूरोप तक का सफर तय करने में फलस्तीनी मुहम्मद अबू दाखा को एक साल से ज्यादा समय, हजारों डॉलर, कई नाकाम कोशिशें और आखिरकार एक जेट स्की का सहारा लेना पड़ा.
अबू दाखा ने अपने इस सफर को वीडियो, तस्वीरों और ऑडियो फाइलों के जरिए दर्ज किया. गाजा में करीब दो साल से जारी इस्राएल-हमास युद्ध में अब तक 57 हजार से ज्यादा फलस्तीनी मारे जा चुके हैं. इसी तबाही से बचने के लिए अबू दाखा कहीं और जाने का फैसला किया. दाखा अप्रैल 2024 में राफा बॉर्डर से मिस्र गए इसके लिए उन्हें 5 हजार डॉलर खर्च करने पड़े.
मिश्र से वह चीन पहुंचे जहां उन्होंने शरण लेने की कोशिश की. हालांकि नाकामी के बाद वे मलेशिया और इंडोनेशिया होते हुए फिर मिस्र लौट आए. इस दौरान उन्होंने अगस्त-सितम्बर 2024 में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी को ईमेल भी किया.
इसके बाद वह लीबिया गए. मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों के अनुसार, यहां हजारों प्रवासी अक्सर तस्करों और मिलिशिया के हाथों शोषण और हिंसा का शिकार होते हैं.
जेट स्की पर खतरनाक सफर
लीबिया से नाव पकड़ने की दस नाकाम कोशिशों के बाद अबू दाखा ने खुद रास्ता बनाने का फैसला किया. उन्होंने एक पुरानी यामाहा जेट स्की ऑनलाइन खरीदी, जिसकी कीमत करीब 5 हजार डॉलर थी. इसके अलावा उन्होंने 1,500 डॉलर में जीपीएस, सैटेलाइट फोन और लाइफ जैकेट जैसी जरूरी चीजें खरीदीं.
उनके साथ दो और फलस्तीनी, 27 साल के दिया और 23 वर्षीय बासेम भी थे. तीनों ने चैटजीपीटी से ईंधन का हिसाब लगाया. हालांकि फिर भी लैम्पेदूसा से 20 किलोमीटर पहले ईंधन खत्म हो गया. सैटेलाइट फोन से मदद मांगने पर यूरोपीय सीमा एजेंसी फ्रंटेक्स के अभियान में लगी एक रोमानियाई नाव ने उन्हें बचाया और 18 अगस्त को लैम्पेदूसा पहुंचाया. यूएनएचसीआर इटली के प्रवक्ता ने इसे "असाधारण मामला” बताया.
लैम्पेदूसा के प्रवासी केंद्र में कुछ दिन रहने के बाद अबू दाखा और उनके साथी सिसली लाए गए. वहां से जेनेवा भेजने के लिए उन्हें बस में बिठाया गया लेकिन रास्ते में ही वे भाग निकले. अबू दाखा ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को एक बोर्डिंग पास दिखाया, जिसमें उनका नाम था और जो 23 अगस्त को जेनेवा से ब्रसेल्स के लिए जारी हुआ था. वहां से वह ट्रेन से जर्मनी पहुंचे. पहले कोलोन और फिर वहां से ओसनाब्रुक, जहां उनका एक रिश्तेदार उन्हें कार से ब्राम्शे ले गया.
वहां उन्होंने शरण की अर्जी दी है. अब वह स्थानीय शरणार्थी केंद्र में रह रहे हैं और अदालत की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. अबू दाखा का परिवार अब भी दक्षिण गाजा के खान यूनिस में एक टेंट शिविर में रह रहा है. उनका घर युद्ध में तबाह हो गया. उनके पिता इंतिसार खूदेर अबू दाखा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "उसके पास इंटरनेट की दुकान थी. सब ठीक चल रहा था, लेकिन सबकुछ खत्म हो गया.”
अबू दाखा चाहते हैं कि उन्हें जर्मनी में रहने का हक मिले और वह अपनी पत्नी और दो बच्चों को भी यहां बुला सकें. उनके एक बच्चे को न्यूरोलॉजिकल बीमारी है और उसे लगातार इलाज की जरूरत है. उन्होंने कहा, "इसीलिए मैंने जेट स्की पर जान जोखिम में डाली. परिवार के बिना जिंदगी का कोई मतलब नहीं.”
बड़े पैमाने पर विस्थापन जारी
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इस्राएल पर बड़ा हमला किया था. इस हमले में 1,200 से ज्यादा लोग मारे गए. उसके बाद इस्राएल ने गाजा पर जवाबी हमले किए हैं, जिनमें हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों विस्थापित हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र और दूसरे संगठनों की रिपोर्टों के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 को संघर्ष शुरू होने के बाद से गाजा की लगभग 23 लाख की पूरी आबादी कम से कम एक बार विस्थापित हुई है. बहुत से लोग कई बार विस्थापित हुए हैं. जुलाई 2025 की एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट बताती है कि मार्च के मध्य में हुए युद्धविराम के बाद से 737,000 से अधिक लोग फिर से विस्थापित हुए हैं.
गाजा पट्टी छोड़कर जाने वाले लोगों की संख्या कम है. फलस्तीनी केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (पीसीएसबी) ने दिसंबर 2024 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि लगभग 100,000 लोग गाजा छोड़ कर जा चुके हैं. जुलाई 2025 में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट भी बताती है कि इस्राएली हमले की शुरुआत के बाद से लगभग 100,000 फिलिस्तीनी गाजा छोड़ चुके हैं.