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११ सितम्बर २०१८![Deutschland Trauerveranstaltung in Köthen](https://static.dw.com/image/45436043_800.webp)
जर्मनी में शरणार्थियों के खिलाफ प्रदर्शन
जर्मनी में शरणार्थियों के खिलाफ हुए प्रदर्शन
जर्मनी में कार्ल मार्क्स का शहर कहा जाने वाला खेमनित्स शरणार्थियों के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के चलते चर्चा में रहा. एक जर्मन व्यक्ति की मौत के बाद उठे मामले ने यहां लोगों को सड़कों पर ला दिया.
कहां से हुई शुरुआत?
जर्मन शहर खेमनित्स में 25 अगस्त को 10 लोगों के बीच बहस इतनी बढ़ी कि नौबत चाकूबाजी तक आ गई. इसमें एक जर्मन व्यक्ति की मौत हो गई और दो लोग घायल हुए.
किस पर शक?
इस मामले में एक 23 वर्षीय सीरियाई और एक 22 वर्षीय ईराकी व्यक्ति पर संदेह जाहिर किया गया. फिलहाल दोनों व्यक्ति पुलिस हिरासत में हैं. जांच दल मान रहा है कि हमला सेल्फ डिफेंस में नहीं किया गया था.
आप्रवासी विरोधी प्रदर्शन
घटना में शामिल लोगों की राष्ट्रीयता पर सवाल उठने लगे, जिसके बाद खेमनित्स में आप्रवासियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. पुलिस के मुताबिक 26 अगस्त की दोपहर तक करीब 800 लोग सड़कों पर निकल आए. इसमें अधिकतर धुर-राष्ट्रवादी धड़े शामिल हुए.
वायरल वीडियो
भीड़ ने शरणार्थियों का विरोध किया और "विदेशी वापस जाओ" के नारे लगाए. इसके बाद एक वीडियो फुटेज चली, जिसमें नजर आया कि प्रदर्शनकारी गैर-जर्मन दिखने वाले लोगों को निशाना बना रहे हैं. हालांकि इस फुटेज की विश्वसनीयता साबित नहीं हो सकी है.
हजारों की संख्या में
27 अगस्त को प्रदर्शन दूसरे दिन में पहुंचे और हजारों की संख्या में लोग खेमनित्स की सड़कों पर जुटे. पुलिस के मुताबिक तकरीबन छह हजार लोग धुर दक्षिणपंथी पार्टी के समर्थन में थे, तो वहीं करीब 1500 लोग वामपंथी पार्टियों के समर्थक थे.
हिंसक हुए प्रदर्शन
रिपोर्टों के अनुसार कुछ धुर दक्षिणपंथी समर्थकों ने नाजी सैल्यूट भी किया. वामपंथियों और दक्षिणपंथियों के बीच झड़प हुई और विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. भीड़ पर काबू पाने के लिए पड़ोसी शहरों ड्रेसडेन और लाइपजिग से भी पुलिस को बुलाना पड़ा.
सोशल मीडिया की भूमिका
पुलिस ने करीब 10 मामलों में कार्रवाई शुरू करी दी है. दोनों समूहों के कुल 18 प्रदर्शनकारी और दो पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं. पुलिस के अनुसार सोशल मीडिया पर फैली फेक न्यूज भी हिंसा के लिए जिम्मेदार है.
मिल रहीं हैं शिकायतें
एक 15 साल की जर्मन लड़की और उसके 17 साल के अफगान दोस्त ने बताया कि उन पर हमला हुआ है. वहीं एक 18 साल की सीरियाई लड़के ने भी अपने साथ पिटाई की शिकायत दर्ज कराई. एक 30 वर्षीय बुल्गारियाई आदमी ने भी धमकी मिलने की बात कही.
सरकार का रुख
जर्मन सरकार ने इस पूरे मामले की निंदा करते हुए कहा है कि ऐसे कृत्यों की "हमारे देश में कोई जगह नहीं है". जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और गृह मंत्री हॉर्स्ट जेहोफर ने सेक्सनी पुलिस को पूरे सहयोग की पेशकश की है.