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जी20: भारत ने रखे बड़े लक्ष्य, क्रिप्टो के सामने झुकी दुनिया

१० सितम्बर २०२३

आर्थिक मोर्चे पर भारत की प्राथमिकता गरीब देशों पर कर्ज का बोझ कम करने के लिए दबाव बनाने की थी लेकिन उस मोर्चे पर कोई खास प्रगति नहीं हुई. मल्टीलैटरल डेवपलमेंट बैंक की बात जरूर हुई है लेकिन अभी उस पर काफी काम होना है.

राजघाट पर जो बाइडेन के साथ नरेन्द्र मोदी और अन्य वैश्विक नेता
अमेरिका भी भारत के ट्रेड कॉरिडोर के अहम लक्ष्य में मुख्य साझीदार होगातस्वीर: AFP

जी20 की शिखर बैठक ऐसे मौके पर हुई, जब दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दो भागों में बंटी हुई है. ऐसे में जहां यूरोपीय देश और अमेरिका इस मौके को रूस को संदेश देने के लिए इस्तेमाल करना चाह रहे थे. वहीं भारत का सभी पक्षों को घोषणा पत्र पर राजी करने की जुगत कर रहा था. ऐसे में आर्थिक मोर्चे पर किसी बड़े आर्थिक मुद्दे पर सहमति की संभावना नहीं थी. इन हालातों में जी20 में बहुत समझदारी से क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन पर बनाई गई सहमति सबसे अहम आर्थिक समझौता रहा. ऐसे समय में यह अहम राजनीतिक कदम भी है, जब चीन ने क्रिप्टो पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है.

फिलहाल बना रहेगा चीन के कर्ज का दबाव

इसके अलावा कर्ज के बोझ तले दबे ग्लोबल साउथ के देशों के लिए कर्ज की राहत के लिए मल्टीलैटरल डेवपलमेंट बैंक और यूरोप तक का ट्रेड कॉरिडोर भी कुछ बड़े कदम रहे. हालांकि भारत अपनी अध्यक्षता में चीन पर दबाव बनाकर उसके कर्ज तले दबे गरीब देशों को राहत दिलाने की जो मंशा रखता था, उसमें उसे सफलता नहीं मिल सकी.

भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स में आधिकारिक हवाले से कहा जा रहा है कि चीन को छोड़कर ज्यादातर देश ऐसे समझौते के करीब पहुंच चुके है, जिसमें कर्ज तले दबे देशों के कर्ज का प्रबंधन किया जाना है. हालांकि समिट खत्म होने तक ऐसा नहीं हो सका.

खराब होती चीनी अर्थव्यवस्था के बीच गरीब देशों पर कर्ज के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक बनाने पर सहमति बनी है. यह बैंक इन देशों को राहत देने के लिए सस्ती दरों पर कर्ज देगा. हालांकि अभी इस पर कोई ठोस प्रगति होने में समय लगेगा.

कितनी सफल रही भारत की जी20 अध्यक्षता?

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क्रिप्टो पर दुनिया ने लिया यू-टर्न

क्रिप्टो के विनियमन पर सहमति को बड़ी सफलता माना जा रहा है लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि क्रिप्टो के मामले में यह दुनिया का एक यूटर्न भी है. इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि आखिरकार पूरी दुनिया को इस टेक्नोलॉजी के सामने झुकना पड़ा. तो यह मुद्रा जिसे भारत और दुनिया की आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया जा रहा था, आखिर उसके बने रहने की घोषणा हो गई.

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी बोर्ड ने 45 पन्नों का एक डॉक्यूमेंट जी20 में पेश किया था. इन बड़ी संस्थाओं की ओर से कहा गया था कि क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है, इसलिए इसे रेगुलेट किया जाना चाहिए. यह वही आईएमएफ है, जो कुछ साल पहले तक क्रिप्टो को दुनिया के लिए खतरा बता रहा था. जी20 के अध्यक्ष भारत के ही केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक के गवर्नर इसे पोंजी स्कीम तक करार दे चुके थे.

जी20: कैसा रहा आर्थिक शक्तियों के जुटने का पहला दिन

राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते जी20 में आए प्रमुख नेतातस्वीर: Kenny Holston/Pool- The New York Times/AP/dpa

बड़ा सपना यूरोप तक जाने वाला ट्रेड कॉरिडोर

अंतरमहाद्वीपीय आर्थिक कॉरिडोर को लेकर भी इस दौरान चर्चा हुई. हालांकि यह एक बहुपक्षीय चर्चा का हिस्सा थी. इसमें भारत, सऊदी अरब और अन्य पश्चिम एशियाई देश, यूरोपीय देश और अमेरिका सभी शामिल रहे. यह आर्थिक कॉरिडोर भारत को यूरोप से जोड़ने का बहुत ही महत्वाकांक्षी विचार है. इस दौरान यह पश्चिम एशिया से गुजरेगा. कॉरिडोर जॉर्डन, इस्राएल से होकर गुजरेगा. जिन इलाकों को यह जोड़ेगा, उनमें डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक ग्रीन कॉरिडोर होगा. हालांकि अमेरिका भी इसमें शामिल है लेकिन उसे इस कॉरिडोर में नहीं जोड़ा जाएगा.

जी20: नई दिल्ली घोषणा पर सहमति का एलान

भारत डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के अपने अनुभव और ज्ञान को भी दुनिया तक ले जाना चाहता है. इसके जरिए उसका लक्ष्य दुनिया में आर्थिक समावेश को बढ़ावा देना है. इस पर भी काम किए जाने पर बात हुई. इसे जी20 फाइनेंशियल इंक्लूजन एक्शन प्लान 2024-26 में भी शामिल किया गया है.

चुनौतियों से घिरा रहेगा बायोफ्यूल अलायंस

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस भी बना. इसमें शामिल देशों का लक्ष्य पेट्रोल में ईथेनॉल मिलाकर जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को कम करना है. इसमें भारत, बांग्लादेश, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील समेत नौ देश शामिल हैं. जबकि कनाडा और सिंगापुर इस सहयोग से ऑब्जर्वर के तौर पर जुड़े हैं. हालांकि यह पहल अच्छी है लेकिन भारत में बढ़ती खाद्य महंगाई और दुनिया में बढ़ती खाद्य असुरक्षा के बीच फिलहाल इसके सामने काफी चुनौतियां हैं.

20 जैसे मंच पर विकसित और विकासशील दोनों ही देश होते हैं. ऐसे में यह अच्छा मौका हो सकता था जहां संसाधन संपन्न देश और मानव संसाधन संपन्न देश आपस में बात करते और विकासशील देशों में स्किल डेवलपमेंट के मौके बढ़ाने, युवा कामगारों की ट्रेनिंग और सीमापार नौकरियों जैसे मुद्दों पर और बात करते. इस मौके पर कोई खास प्रगति नहीं दिखी.

क्या है दिल्ली में हो रहे G20 का पूरा एजेंडा

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