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राजनीतिब्राजील

जी20 की बैठक का हासिल भूख मिटाने के लिए संघ

२० नवम्बर २०२४

जी20 की बैठक का आखिरी दिन यूक्रेन के सहयोगी देशों और रूस के एक दूसरे पर युद्ध भड़काने के आरोपों में घिरा रहा. दो दिन की बैठक दुनिया के ताकतवर देशों से जलवायु सम्मेलन में अटकी बातचीत को उबारने की अपील के साथ खत्म हुई.

जी20 सम्मेलन में गरीबी मिटाने के लिए एक नए संघ को समर्थन देते दुनिया के नेता
जी20 की बैठक में दुनिया की गरीबी मिटाने के लिए बने संघ को 80 देशों का समर्थन मिला हैतस्वीर: Ricardo Stuckert/PR

जी20 की रियो डे जनेरो में बैठक के मेजबान ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं से जलवायु सम्मेलन की बातचीत को उबारने की अपील की. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी तत्काल कदम उठाने की अपील की. बाइडेन ने आग्रह के साथ कहा, "इतिहास हमें देख रहा है."

यूक्रेन में अमेरिका की नीति में पिछले हफ्ते के बदलावों के फैसले ने जी20 का ध्यान ब्राजील के एजेंडे पर पूरी तरह आने नहीं दिया. ब्राजील गरीबी मिटाने और उत्सर्जन को खत्म करने के एजेंडे पर ध्यान लगाए रखना चाहता था. दूसरी तरफ यूरोपीय देशों का ध्यान यूक्रेन युद्ध और रूस की जिम्मेदारी पर था. इन सबके बीच चर्चा जलवायु की भी हुई लेकिन कोई ठोस कदम सामने नहीं आया.

ब्राजील में जलवायु कार्यकर्ता दुनिया के बड़े नेताओं का ध्यान जलवायु परिवर्तन की ओर दिलाने की हर कोशिश कर रहे थेतस्वीर: Tuane Fernandes/REUTERS

यूक्रेन युद्ध की छाया

बैठक से ठीक पहले बाइडेन ने यूक्रेन को रूसी जमीन पर हमले में अमेरिकी मिसाइलों का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी. इसके बाद रूस ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल करने के नियमों को आसान बनाने का एलान कर दिया. जाहिर है कि इसे लेकर वाशिंगटन से लेकर यूरोपीय देशों की राजधानियों और दूसरी जगहों पर हलचल तेज हो गई. जी20 में हिस्सा लेने पहुंचे रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने यहां तक कह दिया कि अमेरिका और रूस, "सीधे सैन्य टकराव की कगार पर पहुंच गए हैं."

गरीबी और जलवायु के साथ ट्रंप की भी चिंता में जी20

बैठक के साझा बयान में रूसी आक्रमण का जिक्र नहीं किया गया. इसमें सिर्फ इतना कहा गया कि नेताओं ने, "सभी सामयिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत किया है जो यूक्रेन में विस्तृत, उचित और स्थायी शांति का समर्थन करती हैं." इससे यूरोपीय देशों को काफी निराशा हुई. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जी20 के साझा घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की जिम्मेदारी का जिक्र नहीं होने पर खासी नाराजगी जताई.

बाइडेन की विदाई और ट्रंप के आने के बीच जी20 के कई देशों की नजरें चीन पर टिकी हैंतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

शॉल्त्स ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन 1,000 दिनों से यूक्रेन पर बम बरसा रहे हैं. उन्होंने कहा, " ये 1,000 वो दिन हैं जिनमें लोगों ने अंधी महत्वाकांक्षा का दंश झेला है, जिसका मकसद सिर्फ ताकत के जरिए अपने देश का विस्तार है." जी20 के नेताओं से शॉल्त्स ने कहा, "अगर ये इस मामले में ये 20 रूस की जिम्मेदारी तय करने के लिए स्पष्ट शब्द नहीं ढूढ पाते तो यह अपर्याप्त है. मुझे इसकी बजाय कुछ और देखना अच्छा लगता."

भूख मिटाने के लिए संघ

सम्मेलन में मेजबान की भूमिका निभा रहे राष्ट्रपति लूला दुनिया भर में भूख मिटाने की समस्या और अजरबैजान के जलवायु सम्मेलन की अटकी बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए समर्थन जुटाने के लिए इस मौके का इस्तेमाल करना चाहते थे. मंगलवार को लूला ने कहा, "हम बाकू का काम बेलेम तक के लिए नहीं छोड़ सकते." बेलेम अमेजन के जंगलों में बसा एक नगर है जहां अगले साल जलवायु सम्मेलन होगा. हालांकि जी20 के साझा बयान में ऐसी कोई बात नहीं है जो जलवायु सम्मेलन की बातचीत को तुरंत आगे बढ़ा सके.

साझा बयान में नेताओं ने गरीब देशों के लिए जलवायु निवेश के रूप में खरबों डॉलर की जरूरत को माना है लेकिन जीवाश्म ईंधन से छुटकारा पाने का स्पष्ट तौर पर जिक्र नहीं है.

बैठक में जलवायु परिवर्तन और गरीबी मिटाने पर जोर था लेकिन कोई बड़ा फैसला सामने नहीं आयातस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

लूला ने कहा कि अगले साल का सम्मेलन गर्म होती धरती पर "लौटाए नहीं जा सकने" वाले नुकसानों से बचने का "आखिरी मौका" होगा. इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "मैं हम सब से भरोसा बनाए रखने और आगे बढ़ते रहने का आग्रह करता हूं. यह मानवता के अस्तित्व के लिए अकेला सबसे बड़ा खतरा है." जी20 के नेताओं के पहले ग्रुप फोटो में बाइडेन छूट गए थे और उनके साथियों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. मंगलवार को उनके साथ नेताओं की एक और तस्वीर ली गई.

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने इस बैठक में जी20 की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका को सौंप दी है. लूला अपनी दो परियोजनाओं को शामिल कराने में सफल हुए. इनमें एक भूख को मिटाने के लिए 80 देशों का एक संघ बनाया गया है. इसके साथ ही जी20 के सदस्य देश दुनिया के अरबपतियों को ज्यादा टैक्स देनेके लिए तैयार करने में सहयोग के लिए भी रजामंद हो गए हैं. गरीबी के खिलाफ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की यह लंबे समय से मांग रही है.

एनआर/ओएसजे (एएफपी, डीपीए)

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