यूक्रेन को रूसी संपत्तियों का फायदा मिलने में अभी और इंतजार
२५ मई २०२४
इटली में G7 देशों का एक सम्मेलन हुआ, जिसमें वित्त मंत्रियों ने कहा कि वे राह तलाश रहे हैं, जिससे रूस की फ्रीज संपत्तियों से होने वाले मुनाफे से यूक्रेन की मदद की जा सके.
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रूस की फ्रीज संपत्तियों से हुए मुनाफे को यूक्रेन को दिए जाने के लिए अभी और इंतजार करना होगा. इटली में G7 देशों के एक सम्मेलन के बाद जारी बयान में वित्त मंत्रियों में सिर्फ यह कहा गया कि सहयोगी देश इस दिशा में 'प्रगति' कर रहे हैं.
इटली में G7 देशों की जो दो-दिवसीय बैठक हुई, उसमें कानूनी रूप से लागू हो सकने लायक उपाय की खोज एजेंडे में सबसे ऊपर थी. यूक्रेन लगातार अपने पश्चिमी सहयोगियों से और धनराशि की अपील कर रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है.
जून के मध्य तक पेश कर सकते हैं विकल्प
दरअसल देश ऐसा रास्ता तलाशना चाहते हैं जो कानूनी हो. ऐसे में मंत्रियों ने जारी बयान में कहा है, "हम अंतरराष्ट्रीय कानून और हमारी संबंधित कानूनी प्रणालियों के मुताबिक यूक्रेन के फायदे के लिए रूस की अवरुद्ध की गईं संपत्तियों से मिलने वाले मुनाफे को आगे रखने के संभावित तरीकों पर अपनी चर्चा में प्रगति कर रहे हैं."
उन्हें उम्मीद है कि 13 से 15 जून के बीच इटली के पुगलिया में होने वाले सम्मेलन से पहले वे G7 नेताओं के सामने संभावित विकल्प पेश कर देंगे.
भविष्य में रूस पर और प्रतिबंध
वित्त मंत्रियों ने दोहराया है कि G7 देशों ने रूस की जो संपत्तियां फ्रीज की हैं, वे रूस द्वारा तब तक इस्तेमाल नहीं की जा सकेंगे, जब तक रूस यूक्रेन को हुए नुकसान की भरपाई नहीं करता है.
जारी बयान में उन्होंने कहा कि वे भविष्य में और आर्थिक पाबंदियां लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. साथ ही, रूस के ऊर्जा राजस्व और भविष्य में खनन क्षमताओं को निशाना बनाना जारी रखेंगे. बयान में यह भी कहा गया, "G7 देश उन व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं, जो रूस को उसके सैन्य औद्योगिक बेस के लिए उन्नत सामग्री, टेक्नोलॉजी और उपकरण हासिल करने में मदद करते हैं."
यूक्रेनी वित्त मंत्री भी हुए शामिल
इस सम्मेलन में शनिवार को यूक्रेनी वित्त मंत्री सर्गेई मार्चेंको ने भी हिस्सा लिया. सम्मेलन अमेरिका की ओर से यूक्रेन को 275 मिलियन डॉलर के नए सहायता पैकेज के एलान के अगले दिन समाप्त हुआ. अमेरिका का यह एलान इसकी कांग्रेस की ओर से पिछले महीने पास की गई 61 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता का हिस्सा है, जो फैसला कई महीनों की देरी के बाद लिया गया.
सम्मेलन की शुरुआत में अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने अन्य देशों के वित्त मंत्रियों से अवरुद्ध की हुई रूसी संपत्तियों का उपयोग करने को लेकर विचार-विमर्श करने में 'महत्वाकांक्षी विकल्प' अपनाने का आग्रह किया था. अमेरिका लगातार इन संपत्तियों को रूस को देने के लिए दबाव बना रहा है.
वीएस/एडी (एएफपी)
नाटो के 75 साल: कोल्ड वॉर से यूक्रेन वॉर तक
नाटो 75 साल का हुआ. तनाव और असुरक्षा से भरे शीत युद्ध के लंबे दशकों से लेकर यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप में सुरक्षा की बदलती तस्वीर तक, देखिए नाटो का सफर.
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12 संस्थापक देश
4 अप्रैल 1949 को 12 देशों ने मिलकर नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) का गठन किया. ये संस्थापक देश थे: अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल.
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वॉशिंगटन में दस्तखत हुए
इन 12 देशों के विदेश मंत्रियों ने वॉशिंगटन के डिपार्टमेंटल ऑडिटोरियम में समझौते पर दस्तखत किए. इसे वॉशिंगटन ट्रीटी के नाम से भी जाना जाता है. हस्ताक्षर समारोह के पांच महीनों के भीतर सदस्य देशों की संसद ने समझौते पर कानूनी मुहर लगा दी. इस तरह ये देश संधि में कानूनी और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के साथ दाखिल हुए.
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आर्टिकल पांच और साझा सुरक्षा
समवेत सुरक्षा और एक-दूसरे के लिए खड़ा होना, नाटो के मूलभूत सिद्दांतों में है. ट्रीटी का आर्टिकल पांच साझा सुरक्षा की गारंटी देता है. इसके मुताबिक, सदस्य देश सहमति देते हैं कि यूरोप या उत्तरी अमेरिका में एक या एक से ज्यादा सदस्य देशों पर हथियारबंद हमले की स्थिति में इसे पूरे ब्लॉक पर हमला माना जाएगा.
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एक पर हमला, सब पर हमला
हमले की स्थिति में हर सदस्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 51 में दर्ज निजी या सामूहिक आत्मरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उस सदस्य देश की मदद करेगा, जिसपर हमला हुआ है. सभी सदस्य नॉर्थ अटलांटिक इलाके की सुरक्षा बरकरार रखने और हनन की स्थिति में इसे वापस कायम करने के लिए जरूरत पड़ने पर सशस्त्र सेना और हथियारों का भी इस्तेमाल करेंगे.
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9/11 के बाद आर्टिकल पांच का इस्तेमाल
आर्टिकल पांच यह भी कहता है कि जो जवाबी कदम उठाए जाएंगे, उनकी सूचना तुरंत सुरक्षा परिषद को दी जाएगी. जब परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा वापस कायम करने की दिशा में जरूरी कदम उठा लेगा, उसके बाद नाटो की ओर से की जा रही कार्रवाई रोक दी जाएगी. अब तक नाटो ने आर्टिकल पांच का इस्तेमाल केवल 9/11 के आतंकी हमले के बाद किया है.
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नाटो में विस्तार
नाटो में समय-समय पर विस्तार होता रहा है. अब तक विस्तार के 10 चरण रहे हैं. पहली बार 1952 में समूह का विस्तार हुआ, जब ग्रीस और तुर्की ब्लॉक में शामिल हुए. फिर 6 मई 1955 को जर्मनी (तत्कालीन फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी, या वेस्ट जर्मनी) नाटो का 15वां सदस्य बना. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद पूर्वी यूरोप के कई देश नाटो में आए. ये दो चरणों में हुआ.
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शीतयुद्ध के बाद का विस्तार
साल 1999 में हुए पोस्ट-कोल्ड वॉर के पहले विस्तार में चेकिया, हंगरी और पोलैंड सदस्य बने. फिर मार्च 2004 में बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया को नाटो की सदस्यता मिली. नाटो के सबसे नए सदस्य हैं फिनलैंड (अप्रैल 2023) और स्वीडन (मार्च 2024). इस तरह नाटो में अब 32 सदस्य हैं.
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बालकन्स पर रूस के साथ तनाव
2009 में अल्बानिया और क्रोएशिया, 2017 में मॉन्टेनीग्रो और 2020 में नॉर्थ मैसिडोनिया नाटो के सदस्य बने. ये बालकन देश हैं. बाल्कन्स का इलाका लंबे समय से रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव की वजह रहा है. पश्चिम की ओर से यूरोपीय संघ और नाटो यहां विस्तार करना चाहते हैं, वहीं रूस भी अपने इस पूर्व प्रभावक्षेत्र में सहयोगी तलाश रहा है.
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रूस का नाटो पर विस्तारवाद का आरोप
ऐसे में रूस लंबे समय से बालकन्स में नाटो के विस्तार का विरोध करता रहा है. वह इसे नाटो की विस्तारवादी नीति बताता है और अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. 2014 में क्रीमिया पर रूसी कब्जे के बाद मॉस्को का नाटो से विरोध और गहराता गया. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद तनाव अपने चरम पर पहुंच गया.
तस्वीर: Maxim Shemetov/REUTERS
यूक्रेन में जारी युद्ध का गहरा असर
यूक्रेन युद्ध ने यूरोप में सुरक्षा की भावना को गहराई तक हिला दिया है. यूक्रेन को मदद चाहिए, ना केवल फंड बल्कि सैन्य साजो-सामान भी. ऐसे में अभी नाटो के आगे सबसे बड़ी चुनौती यह है कि युद्ध के बीच कीव को किस तरह मदद मुहैया कराई जाए.
नाटो सीधे तौर पर युद्ध का हिस्सा नहीं बन सकता, लेकिन यूक्रेन में रूस को बढ़त पूरी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अकल्पनीय चुनौती होगी. ऐसे में नाटो देशों के बीच यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता के प्रारूप, स्वभाव और आकार पर बातचीत जारी है. रूस के साथ समीकरण नाटो की सबसे बड़ी चुनौतियों में है.
तस्वीर: Christopher Ruano/picture alliance/Planetpi/Planet Pix/ZUMA Press Wire