अगर जन्म से पहले ही बच्चे की जेनेटिक गड़बड़ी के बारे में पता किया जा सके, तो डॉक्टर वक्त रहते इलाज कर सकते हैं. एनआईपीटी तकनीक से ऐसा मुमकिन हो सकता है.
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शोध कंपनी मेडजेनोम ने गर्भावस्था में सटीक जांच के लिए नॉन-इनवोसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी) पेश किया है जो शिशु के जन्म से काफी पहले डाउन सिंड्रोम जैसी असामान्य क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रभावी, सटीक और सुरक्षित तरीका साबित होगा.
मेडजेनोम में एनआईपीटी की कार्यक्रम निदेशक प्रिया कदम ने नुकसानरहित जांच प्रक्रिया के महत्व के बारे में बताया, "एनआईपीटी किसी खास उम्र के लोगों के लिए नहीं है और इसे बच्चे की सेहत सुनिश्चित करने के लिए सभी गर्भवती महिलाओं को मुहैया कराया जा सकता है. इसके अलावा अधिक सटीक होने, सुरक्षा और गड़बड़ी की कमी की कम दर के कारण एनआईपीटी किसी भी गर्भवती महिला के लिए उपयुक्त विकल्प है और इसे गर्भावस्था के 9वें सप्ताह में ही कराया जा सकता है."
उन्होंने आगे कहा, "एनआईपीटी एक क्रांतिकारी जांच है और बेहतर जागरूकता और स्वीकृति के साथ यह टेस्ट हमारे देश की जेनेटिक गड़बड़ी के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है."
गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
प्रेग्नेंट महिलाओं को तो डॉक्टर से ज्यादा नसीहतें परिवार वाले देते हैं. अनुभव से सीखी दादी परदादी की बातें कई बार काम की होती हैं लेकिन हर नसीहत को मानने की जरूरत नहीं.
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अब से तुम्हें दो के लिए खाना है
यह सबसे आम धारणा है. जी नहीं, गर्भवती महिला को दो के लिए नहीं खाना होता क्योंकि बच्चे का आकर वयस्क जितना नहीं होता. गर्भावस्था में भूख हार्मोन के रिसाव के कारण लगती है, इसलिए नहीं कि बच्चा खाना मांग रहा होता है. कुल मिला कर प्रति दिन 300 कैलोरी ज्यादा लेना काफी होता है.
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दूध दही खाने से होगा गोरा बच्चा
भारत में गोरेपन के लिए लोग पागल हैं. बच्चे के पैदा होने से पहले ही उसके गोरा चिट्टा होने की बातें शुरू हो जाती हैं. दूध दही जैसी सफेद चीजें खा कर आपका बच्चा गोरा नहीं होगा और ना ही नारियल पानी पीने से. बच्चे का रंग माता पिता के जीन्स निर्धारित करते हैं.
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घी खाने से डिलीवरी में आसानी
यह समझना जरूरी है कि हमारा शरीर एक मशीन है जिसमें अलग अलग तरह के सिस्टम होते हैं. जब आप कुछ खाते हैं तो वह पाचन तंत्र में पहुंचता है, प्रजनन तंत्र में नहीं. इसलिए आप कितना भी घी खा लें, वह ल्यूब्रिकेंट का काम नहीं कर सकता.
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सेक्स करना सही नहीं
गर्भावस्था के दौरान महिला सेक्स का उतना ही आनंद ले सकती है जितना उससे पहले या बाद में. सेक्स करने से बच्चे को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता, बल्कि इसे योनि के लिए एक अच्छी कसरत के रूप में देखा जा सकता है.
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सुंदर बच्चे की तस्वीर देखो
जरूरत से ज्यादा तनाव से बचें, अच्छा सोचें, ये इसलिए जरूरी है ताकि सही प्रकार के हार्मोन शरीर में सक्रिय रहें लेकिन अपने सामने लड्डू गोपाल की तस्वीर लगा लेने से आपका बच्चा उनके जैसा नहीं दिखने लगेगा.
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सीढियां मत चढ़ो
आप सीढियां भी चढ़ सकती हैं, कसरत भी कर सकती हैं और जहां चाहे घूमने भी जा सकती हैं. आपके शरीर को जिस चीज की आदत है, उसे बनाए रखें. अगर पहले ये सब नहीं करती रही हैं, तो एक्सपेरिमेंट करने की जरूरत नहीं है.
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पेट का आकार बताता है लड़का या लड़की
पेट सामने की ओर निकला है तो बेटी, फैला हुआ है तो बेटा. जी नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होता. हां खेल खेल में मन बहलाने के लिए यह बुरा नहीं है.
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गोलू मोलू बच्चा यानी चंगी सेहत
अगर आप गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा घी और चीनी का सेवन करती हैं, तो उसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ेगा. जी हां, बच्चा गोलमटोल पैदा होगा लेकिन यह खुश होने की बात नहीं है. सामान्य से ज्यादा वजन के बच्चे बड़े हो कर डायबटीज और दिल की बीमारियों का शिकार होते हैं.
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कंपनी ने एक बयान में कहा कि मां की बांह से लिए गए खून के मामूली नमूने से एनआईपीटी स्क्रीनिंग टेस्ट में भ्रूण के कोशिकामुक्त डीएनए का विश्लेषण और क्रोमोसोम संबंधी दिक्कतों की जांच की जाती है. कंपनी के अनुसार यह परीक्षण पूरी तरह सुरक्षित है और इसमें कोई नुकसान नहीं होता है. 99 फीसदी से अधिक स्तर तक बीमारी का पता लगाने की दर और 0.03 फीसदी से भी कम गलती के साथ यह जांच काफी हद तक सटीक है. जिन परिस्थितियों में एनआईपीटी को लागू किया गया वहां नुकसानदायक प्रक्रियाओं में 50-70 फीसदी तक की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई.
इस अध्ययन में एनआईपीटी स्क्रीनिंग 516 गर्भवतियों पर किया गया, जिनमें पहली और दूसरी तिमाही में पारंपरिक स्क्रीनिंग टेस्ट (डबल मार्कर, क्वॉड्रपल मार्कर टेस्ट) में अत्यधिक जोखिम की जांच की गई. इन परीक्षणों की पुश्टि नुकसानदायक परीक्षण या जन्म के बाद क्लिनिकल परीक्षण के माध्यम से हुई. जांच के परीक्षणों के लिए 98 फीसदी से अधिक मामलों में कम जोखिम और 2 फीसदी में अधिक जोखिम की जानकारी मिली.
इस बात पर गौर करना चाहिए कि पारंपरिक जांच के माध्यम से अधिक जोखिम वाली गर्भावस्थाओं को एनआईपीटी के साथ कम जोखिम वाला पाया गया. इसका मतलब है कि बड़ी तादाद में महिलाएं (98.2 फीसदी) एमिनोसेंटेसिस जैसी नुकसानदायक प्रक्रियाओं से बच सकती हैं जिससे भावनात्मक परेशानी होती है और इनमें गर्भपात का भी जोखिम होता है.
मेडजेनोम फिलहाल बेंगलुरू स्थित अपनी सीएपी प्रमाणित प्रयोगशाला में विभिन्न प्रमुख बीमारियों के लिए विभिन्न प्रकार के परीक्षणों की पेशकश कर रही है, जिनमें एक्जोम सीक्वेंसिंग, लिक्विड बायोप्सी और कैरियर स्क्रीनिंग शामिल है.
आईएएनएस/आईबी
कैसे रखें गर्भावस्था में ख्याल
होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए. इनसे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है.
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गर्भावस्था के दौरान मां कैसा महसूस कर रही है यह बहुत जरूरी है, इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ता है. मां के लिए उसका बच्चा दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है. जरूरी है कि वह इस खुशी के एहसास को मरने न दे.
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मां औप बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी घर के दूसरे सदस्यों पर भी होती है. शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण मां का मूड पल भर में बदल सकता है. ऐसे में बाकियों को सहयोग बनाकर चलना जरूरी है, खासकर पति को.
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सुबह नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. इसके बाद जैतून के तेल से मालिश मां के लिए फायदेमंद है, यह सलाह है जर्मन दाई हाएके सोयार्त्सा की.
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मां के शरीर में हो रहे हार्मोन परिवर्तन के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. हफ्ते में एक दिन चेहरे पर मास्क का इस्तेमाल अच्छा है. एक चम्मच दही में कच्चा एवोकाडो मिलाकर लगाएं और दस मिनट बाद धो दें.
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गर्भावस्था के दौरान कसरत जरूरी है. आसन लगाकर पेट के निचले हिस्से से सांस खींचकर छोड़ना तनाव दूर करता है. इस दौरान दिमाग में एक ही ख्याल हो, "यह सांस मेरे बच्चे को छू कर गुजर रही है."
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सुबह बहुत कुछ खा सकना आसान नहीं, अक्सर सुबह के वक्त मां को उल्टी की शिकायत रहती है. हर्बल चाय या फिर हल्का फुल्का बिस्कुट या टोस्ट खाना बेहतर है. नाश्ते में इस बात पर ध्यान दें कि वह फाइबर वाला खाना हो. फल खाना और भी अच्छा है.
अक्सर गर्भावस्था के दौरान बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं. बालों के लिए इस दौरान हल्के केमिकल वाले शैंपू का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हफ्ते में एक दिन एक चम्मच जैतून के तेल में दही और अंडे का पीला भाग मिलाकर लगाने से बालों की नमी लौट आती है. गर्भावस्था में हेयर कलर का इस्तेमाल ना करें.
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शरीर और दिमाग के स्वस्थ होने के साथ दोनों के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान पैदल चलना भी फायदेमंद है. स्वीमिंग के दौरान पानी से कमर को काफी राहत मिलती है.
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मां के लिए दांतों को साफ रखना भी जरूरी है, दिन में दो बार ब्रश करें लेकिन नर्म ब्रश से. शुरुआती छह महीनों में दांतों का खास ख्याल रखें और डेंटिस्ट से भी नियमित रूप से मिलते रहें.
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विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे के लिए हरी सब्जियां और आयोडीन युक्त भोजन फायदेमंद है. बच्चे को खूब आयरन और कैल्शियम की भी जरूरत होती है. ध्यान रहे कि खानपान में इन चीजों की कमी नहीं होनी चाहिए. नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना भी जरूरी है.
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दिन में करीब दो लीटर पानी पीना स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा है. ज्यादा पानी पीने से मां का शरीर चुस्त महसूस करता है.