अमेरिका के मिनियापोलिस में पूर्व पुलिसकर्मी डेरेक शॉविन के हाथों मारे गए जॉर्ज फ्लॉयड की पहली बरसी से पहले उनकी याद में परिवार और अधिकार कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली.
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अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या की पहली बरसी से पहले ही कई कार्यकर्ता और उनके परिवार वाले उन्हें याद करने के लिए इकट्ठा हुए. पिछले साल एक श्वेत पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड को घुटने से दबा कर मार डाला था. पिछले साल 25 मई को पुलिस हिरासत में मौत के बाद पूरे अमेरिकी में विरोध की लहर उठ गई. फ्लॉयड की मौत की पहली बरसी से दो दिन पहले रविवार 23 मई को मिनियापोलिस में एक रैली निकाली गई, जिसमें उनके परिवार समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. मंगलवार, 25 मई को फ्लॉयड की मौत की पहली बरसी है. रविवार को फ्लॉयड का परिवार, कई मानवाधिकार कार्यकर्ता और पुलिस की बर्बरता के कई अन्य पीड़ितों के परिवार मिनियापोलिस में कोर्टहाउस के बाहर जमा हुए, जहां लगभग एक महीने तक मुकदमा पहले ही पूरा हो चुका है.
पिछले साल पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड की गर्दन अपने घुटने से दबा रखा था और उसकी गिड़गिड़ाहट को नहीं सुन रहा था, फ्लॉयड बार-बार कह रहे थे, "प्लीज, प्लीज, प्लीज, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं. प्लीज" इस दौरान वह कराह भी रहे थे. अधिकारी ने तब तक अपना घुटना नहीं हटाया, जब तक कि स्वास्थ्यकर्मियों ने उसे स्ट्रेचर पर नहीं चढ़ा दिया. इस दौरान बहुत सारे लोग वहां जमा हो गए और कुछ लोगों ने वीडियो भी बना लिया. यह वीडियो बहुत तेजी से वायरल हुआ था और दुनियाभर में इसको लेकर प्रदर्शन हुए थे.
रविवार को इस रैली में शामिल लोगों के हाथों में फ्लॉयड, फ्लैंडो कैसल और कई अन्य अश्वेत लोगों की तस्वीरें थीं, जो पुलिस ज्यादती के कारण मारे गए. रैली में शामिल लोगों ने ‘ब्लैक लाइव्स मैटर' के नारे लगाए. उन्होंने नारे लगाए, "न्याय नहीं, तो शांति नहीं." इसी साल अप्रैल में अमेरिका की एक अदालत ने फ्लॉयड की हत्या के मामले में पूर्व पुलिसकर्मी डेरेक शॉविन को सभी आरोपों में दोषी पाया था.
पिछला साल दर्दनाक रहा
रैली के दौरान कई कार्यकर्ताओं, फ्लॉयड के परिवार के कई सदस्यों और उनके वकील बेन क्रंप समेत कई अन्य लोगों ने सभा को संबोधित किया. फ्लॉयड की बहन ब्रिजेट ने कहा, "यह एक लंबा साल रहा है. यह एक बहुत ही दर्दनाक वर्ष रहा. मैं उनके लिए खड़ी रहूंगी. मैं उनके लिए आवाज बनूंगी और बदलाव के लिए आवाज उठाती रहूंगी." अधिकार कार्यकर्ता रेवरेंड अल शार्प्टन ने रैली के दौरान कहा, "अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े कलंक में से एक है." उन्होंने कहा, "जॉर्ज फ्लॉयड के साथ-साथ कई अन्य लोगों के साथ जो हुआ, वह न केवल अमेरिका बल्कि दुनिया भर में बदलाव ला रहा है."
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न्यूयॉर्क में भी रैली
इसी तरह की एक रैली न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में रविवार को आयोजित की गई जिसमें फ्लॉयड के भाई टेरेंस भी शामिल हुए थे. टेरेंस ने समर्थकों से कहा कि उन्हें पुलिस द्वारा मारे गए अन्य पीड़ितों की खातिर अपने भाई, जॉर्ज फ्लॉयड का नाम जीवित रखने की जरूरत है. फ्लॉयड की मौत की बरसी से पहले इस आयोजन से संबंधित कई अन्य कार्यक्रम हुए और लोग भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए ऑनलाइन भी मिले. रिपोर्टों के मुताबिक इस तरह के और भी कार्यक्रम सोमवार को निर्धारित हैं.
एए/वीके (एएफपी, एपी)
रंगभेद के खिलाफ दुनिया भर में प्रदर्शन
अमेरिका के मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से पूरी दुनिया आंदोलित है. वीकएंड में सभी महादेशों में लाखों लोगों ने नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है. भारत में भी सेलेब्रिटी "ब्लैक लाइव्स मैटर" का समर्थन कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/A. Morissard
पेरिस: भेदभाव का विरोध
कुछ दिन पहले फ्रांस की राजधानी में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस का इस्तेमाल कर तितर बितर कर दिया था. शनिवार को भी आइफेल टॉवर और अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी गई थी. फिर भी दसियों हजार लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. पेरिस के बाहरी इलाकों में रहने वाले काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस हिंसा आम है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/A. Morissard
लिएज: प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बेल्जियम का भी औपनिवेशिक शोषण और लोगों को गुलाम बनाने का इतिहास रहा है. आज का डेमोक्रैटिक रिपब्लिक कॉन्गो कभी किंग लियोपोल्ड द्वितीय की निजी संपत्ति हुआ करता था. उनके नाम पर वहां नस्लवादी शासन चलता था. ब्रसेल्स, अंटवैर्पेन और लिएज शहरों में कोरोना के प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन हुए.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/B. Arnaud
म्यूनिख: रंग बिरंगा बवेरिया
जर्मनी के बड़े प्रदर्शनों में से एक दक्षिणी प्रांत बवेरिया की राजधानी म्यूनिख में हुआ. यहां करीब 30,000 लोग नस्लवाद का विरोध करने सड़कों पर उतरे. इसके अलावा कोलोन, फ्रैंकफर्ट और हैम्बर्ग में भी प्रदर्शन हुए. राजधानी बर्लिन में प्रदर्शन के लिए जाते लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने कुछ समय के लिए सिटी सेंटर में स्थित अलेक्जांडरप्लात्स का रास्ता रोक दिया था.
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress/S. Babbar
वियना: 50,000 लोगों का विरोध प्रदर्शन
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में शुक्रवार को ही 50,000 लोगों ने प्रदर्शन किया. ये देश में पिछले सालों में हुए बड़े प्रदर्शनों में एक रहा. स्थानीय पुलिसकर्मी भी प्रदर्शन के समर्थन में दिखे. रिपोर्टरों के अनुसार पुलिस की एक गाड़ी पर भी "ब्लैक लाइव्स मैटर" का नारा लिखा दिखा.
तस्वीर: picture-alliance/H. Punz
सोफिया: सैकड़ों नस्लवाद विरोधी
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बुल्गारिया में भी दस लोगों से ज्यादा के साथ प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. फिर भी नस्लवाद का विरोध करने राजधानी सोफिया में सैकड़ों लोग पहुंचे. वे जॉर्ज फ्लयॉड के कहे कथित तौर पर अंतिम शब्द "आई कांट ब्रीद" के नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने साथ बुल्गारियाई समाज में व्याप्त नस्लवाद की ओर भी ध्यान दिलाया.
तस्वीर: picture-alliance/AA
तूरीन: कोरोना काल में विरोध
इस महिला ने अपना नारा कोरोना काल में जरूरी किए गए मास्क के ऊपर लिख रखा है, "काली जिंदगियां इटली में भी कीमती हैं." रोम और मिलान में हुए प्रदर्शनों में कोरोना महामारी की वजह से हुई तालाबंदी के बाद पहली बार लोग इतनी बड़ी तादाद में एक साथ इकट्ठा हुए. यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा अफ्रीकी आप्रवासी इटली में रहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Ujetto
लिस्बन: बिना अनुमति के रैली
पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में निकाले गए मार्च में इस प्रदर्शनकारी ने अपनी तख्ती पर लिख रखा है, "अब कार्रवाई करो." हालांकि विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन पुलिस ने रैली को नहीं रोका. पुर्तगाल में भी काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस बर्बरता की घटना अक्सर होती रहती है. जनवरी 2019 में पुलिस ने नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां चलाई थी.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Mantilla
मेक्सिको सिटी: फ्लॉयड और लोपेस
मेक्सिको में सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का गुस्सा नहीं है बल्कि जोवानी लोपेस के साथ हुए बर्ताव पर भी है. राजमिस्त्री का काम करने वाले लोपेस को मई में पश्चिमी प्रांत खालिस्को में मास्क नहीं पहनने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था. कथित तौर पर पुलिस हिंसा के कारण उनकी मौत हो गई थी. कुछ समय एक वीडियो सामने आने के बाद मेक्सिको के लोगों में आक्रोश है.
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress
सिडनी: मूल निवासियों के खिलाफ नस्लवाद
सिडनी में प्रदर्शन की शुरुआत धुआं करने के परंपरागत महोत्सव के साथ हुई. यहां प्रदर्शन में शामिल होने वालों की एकजुटता सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड के साथ नहीं बल्कि देश के अबोरिजिन मूल निवासियों के साथ भी थी. वे भी पुलिस हिंसा के शिकार रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनमें से किसी की मौत पुलिस हिरासत में नहीं होनी चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/I. Khan
प्रिटोरिया: मुक्का तान कर प्रदर्शन
हवा में तना हुआ मुक्का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का प्रतीक चिह्न है. लेकिन यह प्रतीक हाल के आंदोलन से कहीं पुराना है. जब दक्षिण अफ्रीका की नस्लवादी सरकार ने फरवरी 1990 में नस्लवाद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला को 27 साल बाद जेल से रिहा किया था, तो वे हवा में मुक्का लहराते जेल से बाहर निकले थे. अभी भी दक्षिण अफ्रीका में गोरी आबादी बेहतर स्थिति में है. रिपोर्ट: डाविड एल