हिंसा के बाद जॉर्जिया में एलजीबीटी+ समुदाय खौफ में
६ जुलाई २०२१
5 जुलाई को तिब्लिसी में एलजीबीटी+ की प्राइड परेड के विरोध में काफी बवाल हुआ. समुदाय से जुड़े लोगों के दफ्तरों पर हमले हुए और पत्रकारों को निशाना बनाया गया. हंगामे के बाद परेड रद्द कर दी गई.
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जॉर्जिया में एलजीबीटी+ अधिकार कार्यकर्ताओं ने सोमवार को प्राइड परेड रद्द कर दी. हिंसक समूहों के विरोध के बाद यह फैसला लिया गया. राजधानी तिब्लिसी में एलजीबीटी+ समुदाय से जुड़े कार्यकर्ताओं के कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई और पत्रकारों को निशाना बनाया गया.
कार्यकर्ताओं ने एलजीबीटी+ के पांच दिवसीय गौरव समारोह की शुरूआत पिछले गुरुवार को की थी और सोमवार को मध्य तिब्लिसी में "मार्च फॉर डिग्निटी" की योजना बनाई थी, उन्होंने चर्च और रूढ़िवादियों की आलोचना के बावजूद कार्यक्रम को जारी रखने का फैसला किया था. चर्च ने कहा था कि जॉर्जिया में इस तरह के आयोजन के लिए कोई जगह नहीं है.
परेड की शुरुआत के पहले ही इसके विरोधियों ने हंगामा शुरू कर दिया.
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निशाने पर पत्रकार
एलजीबीटी+ कार्यकर्ताओं द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो फुटेज में प्रदर्शनकारियों को दिखाया गया कि वे कैसे इमारत पर चढ़कर इंद्रधनुषी झंडे फाड़ रहे हैं और तिब्लिसी में कार्यकर्ताओं के कार्यालयों पर धावा बोल रहे हैं.
एक अन्य फुटेज में एक पत्रकार को खून से लथपथ दिखाया गया. एक स्कूटर पर सवार शख्स पत्रकारों पर गाड़ी चढ़ाते हुए भी दिखा. तिब्लिसी पुलिस का कहना है कि 50 से अधिक पत्रकारों को हिंसा के दौरान निशाना बनाया गया.
एलजीबीटी कार्यकर्ता तमास शचरिली ने हिंसा पर ट्वीट किया, "कोई भी शब्द अभी मेरी भावनाओं और विचारों की व्याख्या नहीं कर सकता है. आज यही मेरा कार्यक्षेत्र है, मेरा घर है, मेरा परिवार है. घोर हिंसा का सामना करने के लिए सबको अकेला छोड़ दिया गया है."
मीडिया ने यह भी बताया कि एक पर्यटक को चाकू मार दिया गया था क्योंकि उसने कथित तौर पर एक बाली पहन रखी थी.
सरकार पर गंभीर आरोप
आंतरिक मंत्रालय का कहना है कि आठ लोगों को हिंसा के लिए हिरासत में लिया गया है. मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों से कार्यकर्ताओं से परेड रद्द करने का आग्रह किया.
जॉर्जिया में कई पश्चिमी दूतावासों ने एक संयुक्त बयान जारी कर हमले की निंदा की है और कहा है कि अभिव्यक्ति और लोगों को जमा होने की स्वतंत्रता सुनिश्चित होनी चाहिए. बयान में कहा गया, "हिंसा अस्वीकार्य है और इसे माफ नहीं किया जा सकता है."
राष्ट्रपति सालोमे जराबिचविली ने घायल पत्रकार से मिलने के बाद कहा, "हिंसा जॉर्जिया के ताने-बाने के मूल का उल्लंघन है."
देखें: एक ट्रांसजेंडर बनीं जर्मनी की अगली टॉपमॉडल
एक ट्रांसजेंडर बनीं जर्मनी की अगली टॉपमॉडल
एक ट्रांसजेंडर, एक शरणार्थी, एक सुडौल मॉडल - जर्मनी की सबसे लोकप्रिय सौंदर्य प्रतियोगिता का स्वरूप बदलता जा रहा है. प्रतियोगिता के आयोजक शायद यह संदेश देना चाह रहे हैं कि असली सुंदरता ऊपरी नहीं बल्कि अंदरूनी होती है.
तस्वीर: Matthias Balk/dpa/picture alliance
मिलिए विजेता ऐलेक्स से
जर्मनी के कोलोन की रहनी वालीं ऐलेक्स मरिया पीटर सौंदर्य प्रतियोगिता "जर्मनीज नेक्स्ट टॉप मॉडल" के इतिहास में उसे जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर महिला बन गई हैं. जीत के बाद 23 वर्षीय ऐलेक्स ने कहा, "अलग होने के बारे में जितना हम अपने आप से स्वीकार करते हैं, वो उससे ज्यादा सामान्य है."
सुंदरता का समावेशी अवतार
"समावेश" अब एक वैश्विक नारा है और इस कार्यक्रम ने इसे अपने लोगों में एक '*' जोड़ कर शामिल किया. '*' कई लिंग आधारित भूमिकाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक चिन्ह है. ऐसी महिलाएं जो अलग होने की वजह से पहले अधिकारहीन थीं वो अब इस प्रतियोगिता से जुड़ सकती हैं. शरणार्थी, सुडौल महिलाएं और ट्रांसजेंडर - सब को यहां स्पॉटलाइट में एक मौका मिला.
सुडौल और सुंदर
यूक्रेन में पैदा हुई 21 वर्षीय डाशा पांच साल की उम्र से जर्मनी में रह रही हैं. उनका वजन 85 किलो है और वो कहती हैं कि सारी जिंदगी उन्हें लोग परेशान करते रहे और इसी वजह से वो सिर्फ जीतना ही नहीं बल्कि एक अहम संदेश देना चाहती थीं. आत्मविश्वास से भरी डाशा कहती हैं, "मैं एक आदर्श स्थापित करना चाहती हूं और जिन्हें सताया जाता है उनकी मदद करना चाहती हूं."
सपनों का पूरा होना
2015 में, सूलीन अपने परिवार के साथ अपने देश सीरिया से भाग कर तुर्की होते हुए जर्मनी आ गई थीं. जींस की एक कंपनी के लिए मॉडलिंग करते वक्त 20 वर्षीय सूलीन की आंखें भर आई थीं. वो अब एक मॉडल हैं और उन्होंने इस प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया है. वो कहती हैं, "मैं वो लड़की हूं जो अपने सपनों को पूरा नहीं कर पा रही थी. अब मैं यहां हूं और अपने सपने को जी रही हूं."
कद की भी समस्या
पांच फीट छह इंच लंबी रोमिना को आप "छोटी" तो नहीं कहेंगे, लेकिन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए पांच फुट सात इंच का कद अनिवार्य होता है. प्रतियोगिता के लिए प्राकृतिक रूप से ही सुंदर होने के बावजूद रोमिना काइली जेनर जैसे सितारों की नकल करती थीं. उन्होंने अपने होंठों में बोटॉक्स के इंजेक्शन तक लगवाए थे. अब वो ऐसी लड़कियों की मदद करना चाहती हैं जो बिना सोचे समझे सोशल मीडिया के ट्रेंड के पीछे भागती हैं.
शरीर के रंग के परे
सारा नूरू के माता-पिता एथियोपिया से यूरोप आए थे. वो कहती हैं कि वो बवेरिया के एर्डिंग नगर के एक अस्पताल में पैदा होने वाली पहली अश्वेत बच्ची थीं. वो 2009 में इस प्रतियोगिता को जीतने वाली पहली अश्वेत मॉडल बनीं. उन्होंने उसके बाद एक लंबा सफर तय किया और आज वो अपने माता-पिता के मूल देश में विकास की परियोजनाओं से जुड़ी हुई हैं.
तस्वीर: Felix Heyder/dpa/picture-alliance
मॉडलों का सर्कस?
यह प्रतियोगिता 2006 से चल रही है और तब से सुप्रसिद्ध जर्मन सुपरमॉडल हाइडी क्लूम इसकी होस्ट हैं. कई सालों तक इसके मंच पर अधिकतर श्वेत, पतली और लंबी टांगों वाली लंबी महिलाओं को जगह दी जाती थी. ट्रांसजेंडर, कम साइज की और सुडौल महिलाओं की यहां कोई जगह नहीं थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kusch
अंदरूनी सुंदरता
इस प्रतियोगिता के जर्मनी में कई प्रशंसक हैं. खास कर युवा लड़कियां तो कार्यक्रम और उसके मॉडलों को अपना आदर्श मानती हैं. लेकिन आलोचक कहते हैं कि किशोरावस्था में अक्सर लड़कियां इस कार्यक्रम में दुबली और अस्वस्थ मॉडलों की नकल करती हैं जिससे यह संदेश जाता है कि सुंदरता शिक्षा से ज्यादा जरूरी है. इस साल भी महिलावादियों ने कार्यक्रम में "महिलाओं के शरीरों के कामुकीकरण" का विरोध किया. (सुजैन कॉर्ड्स)
तस्वीर: Matthias Balk/dpa/picture alliance
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पूर्व सोवियत गणराज्य जॉर्जिया के रूढ़िवादी समाज में यौन अल्पसंख्यकों के खिलाफ वैमनस्य बहुत मजबूत है. तिब्लिसी में प्राइड परेड आयोजित करने की कोशिश करने वाले समूह ने एक बयान में कहा है कि सोमवार को मार्च के विरोधियों को सरकार और जॉर्जिया के रूढ़िवादी चर्च द्वारा समर्थन हासिल था.
तिब्लिसी प्राइड परेड की निदेशक गिऑर्गी ताबागारी कहती हैं, "हम बस जीवित रहने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे लोगों से बचने की कोशिश कर रहे हैं जो गलियों में घूम रहे हैं." उन्होंने स्थिति को भयावह बताया है.
उन्होंने कहा कि जब वह केंद्रीय तिब्लिसी में संयुक्त राष्ट्र की इमारत से बैठक कर निकल रही थीं, तभी भीड़ ने उनकी कार को घेर लिया था. वह कहती हैं, "मैं लगभग मारी गई थी."
एए/वीके (एएफपी, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
किन देशों में इजाजत है समलैंगिक विवाह की
कोस्टा रिका में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाने के बाद, अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता
कोस्टा रिका के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वहां 26 मई को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई. इसी के साथ कोस्टा रिका समलैंगिक विवाहों को कानूनी रूप से वैध मानने वाला दक्षिण अमेरिका का आठवां देश बन गया. अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
तस्वीर: Reuters/J. C. Ulate
अमेरिका
अमेरिका में 2004 तक सिर्फ एक राज्य में समलैंगिक विवाह मान्य था, लेकिन 2015 तक सभी 50 राज्यों में कानूनी वैधता मिल चुकी थी. सभी राज्यों में अलग अलग कानून हैं.
यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों में समलैंगिक विवाह मान्य हैं. इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में मान्यता 2014 में मिली थी और नॉर्दर्न आयरलैंड में जनवरी 2020 में. इसके अलावा 14 ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज में से नौ में समलैंगिक विवाह मान्य हैं.
तस्वीर: dpa
फ्रांस
फ्रांस में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से मान्य हैं. ये वैधता मेट्रोपोलिटन फ्रांस और फ्रेंच ओवरसीज टेरिटरीज में भी लागू है. फ्रांस में एक सिविल यूनियन योजना नवंबर 1999 से लागू है, जिसके तहत समलैंगिक जोड़े रिश्ता कायम कर सकते हैं.
तस्वीर: Reuters
जर्मनी
जर्मनी में समलैंगिक विवाहों को अक्टूबर 2017 में मान्यता मिली थी. वैसे देश में समलैंगिक जोड़ों को विवाह के अधिकार सीमित रूप से 2001 से ही प्राप्त थे.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Wire/O. Messinger
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिक विवाह दिसंबर 2017 से वैध हैं. कानून पारित होने से पहले पूरे देश में डाक से एक सर्वेक्षण भी कराया गया था, जिसमें 61.6 प्रतिशत लोगों ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का समर्थन किया था.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/T. Forage
ब्राजील
ब्राजील में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से वैध हैं. समलैंगिक रिश्तों को मान्यता 2004 में ही मिल गई थी और विवाह के सीमित अधिकार 2011 में मिल गए थे.
तस्वीर: Getty Images
कनाडा
कनाडा के कुछ प्रांतों में समलैंगिक विवाहों को मान्यता 2003 से ही मिलनी शुरू हो गई थी और जुलाई 2005 में ये वैधता पूरे देश में लागू हो गई.
तस्वीर: Getty Images
नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 को नीदरलैंड्स समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का सबसे पहला देश बन गया था. वहां समलैंगिक जोड़ों के लिए रजिस्टरड पार्टनरशिप जनवरी 1998 से ही उपलब्ध थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. de Waal
दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका अफ्रीका का एकमात्र देश है जहां समलैंगिक विवाह कानूनी रूप से मान्य हैं. यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता नवंबर 2006 में ही मिल गई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ludbrook
ताइवान
ताइवान में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता मई 2019 में मिली थी. ताइवान यह मान्यता देने वाला एशिया का एकलौता देश है. हालांकि समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने जैसे कुछ अधिकार अभी भी नहीं मिले हैं.
तस्वीर: Reuters/T. Siu
20 और देश
इसके अलावा समलैंगिक विवाहों को अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और उरुग्वे में भी कानूनी मान्यता प्राप्त है. इनके आलावा मेक्सिको और इस्राएल में सीमित रूप से इन्हें मान्यता दी जाती है.