अकाल को जनसंहार का दर्जा क्यों कर दिया जर्मन संसद ने
१ दिसम्बर २०२२होलोदोमोर अकाल को नरसंहार घोषित करने के जर्मन सांसदों के फैसले का यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने स्वागत किया है. 1932-33 के बीच इस अकाल में यूक्रेन के दसियों लाख लोगों की भूख से मौत हुई थी. जर्मन सांसदों ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित कर इस अकाल को सोवियत संघ की ओर से यूक्रेन पर थोपा गया जनसंहार घोषित किया है.
वो दिन जब अमेरिकी सेना ने वियतनाम में किया जनसंहार
क्या है होलोदोमोर
होलोदोमार का मतलब है भूख से मारना. माना जाता है कि उस वक्त का रूसी नेतृत्व यूक्रेन की आबादी को नियंत्रित करना चाहता था. यूक्रेन के लिए अनुचित रूप से अत्यधिक अनाज का कोटा तय किया गया था. 1932 के नवंबर में सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने यूक्रेन के फार्मों से जमा किए गए अनाज और मवेशियों को जब्त करने के लिए पुलिस को भेजा. इस दौरान अगली फसल के लिए बचा कर रखे गए बीज भी जब्त कर लिया गए.
इसका नतीजा बाद के महीनों में करीब 30-40 लाख यूक्रेनी किसानों और ग्रामीणों की मौत के रूप में सामने आया. येल यूनिवर्सिटी के इतिहासकार टिमोथी श्नाइडर इसे, "साफ तौर पर पहले से नियोजित जन संहार" कहते हैं.
बाल्टिक के पूर्व सोवियत देश समेत कई यूरोपीय देश भी इस घटना को जनसंहार की संज्ञा देते हैं. यूक्रेनी लोगों के लिए होलोदोमोर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देश की पहचान का केंद्रीय हिस्सा है और साथ ही मॉस्को के नेताओं के यूक्रेन पर किए ऐतिहासिक अन्यायों का सबूत भी.
नीदरलैंड्स भी जनसंहार का जिम्मेदार
रूस का विरोध
रूस ने इसे जनसंहार घोषित करने के दावे को खारिज कर दिया है. रूस का कहना है कि सोवियत संघ के रूस समेत दूसरे हिस्सों में भी दसियों लाख लोगों ने कठिनाई झेली थी.
रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, "यह रूस को बुरे रूप में दिखाने के अभियान को आगे बढ़ाने और पुष्ट करने के साथ ही यूक्रेनी लोगों को रूस के विरुद्ध खड़ा करने की एक और कोशिश है जिसे यूक्रेन ने शुरू किया और पश्चिमी देश प्रायोजित कर रहे हैं."
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है, "जर्मन दोबारा से इतिहास लिखने की कोशिश कर रहे हैं...वे अपनी गलती को कम करके दिखाना दूसरे विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी के हाथों हुए असंख्य अपराधों और उनकी अभूतपूर्व यादों पर मिट्टी डालना चाहते हैं."
रूस ने जर्मन संसद पर, प्रस्ताव पारित कर "नस्लभेदी नफरत और भेदभाव वाली फासीवादी विचारधारा को फिर से जिंदा करने और युद्ध अपराधों की जिम्मेदारी से खुद को दूर करने की कोशिश" का आरोप लगाया है.
यूक्रेन ने किया स्वागत
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने जर्मन संसद के इस प्रस्ताव का स्वागत किया है. जेलेंस्की का कहना है कि यह प्रस्ताव, "न्याय और सच्चाई के लिए फैसला" है और "दुनिया के कई देशों के लिए एक अहम संकेत है कि जमीन हड़पने की रूसी कोशिश दोबारा इतिहास लिखने में सफल नहीं होगी."
जर्मन सांसदों ने बहुमत से इस प्रस्ताव को पास किया है. जर्मन यूक्रेनी संसदीय समूह के प्रमुख रॉबिन वागेनेर का कहना है, "अपने प्रस्ताव के साथ हम स्टालिन की हिंसा की क्रूर सच्चाई से निबटेंगे. इसकी सोवियत संघ में जर्मन अपराधों से तुलना नहीं की जा रही है बल्कि ऐतिहासिक सच्चाई से सबक लिया जा रहा है."
इस दौरान विपक्षी दल क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी के संसदीय दल के मानवाधिकार प्रवक्ता मिषाएल ब्रांड ने दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की भूमिका के बारे में कहा, "हम जर्मनों पर खासतौर से एक विशेष ऐतिहासिक कर्ज और यूक्रेन के प्रति जिम्मेदारी है."
एनआर/वीके (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)