जर्मन सरकार ने नाम और लैंगिक पहचान बदलने को आसान करने वाले प्रस्तावित बिल को मंजूरी दे दी है. भविष्य में ऐसे लोगों को कोर्ट के चक्कर नहीं काटने होंगे.
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जर्मनी की पारिवारिक मामलों की मंत्री लीजा पॉज ने नए बिल को उन लोगों के लिए बड़ी राहत बताया है, जो अपना लिंग बदलना चाहते हैं. पॉज ने बिल को ट्रांसजेंडरों और इंटरसेक्स लोगों के लिए "एक बड़ा लम्हा" करार दिया.
प्रस्तावित "सेल्फ डिटरमिनेश एक्ट" यानी स्व-निर्धारण एक्ट के जरिए सरकारी दस्तावेजों में नाम और लिंग की पहचान बदलना आसान हो जाएगा. परिवार मामलों की मंत्री के मुताबिक इस सुधार से "उन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हो सकेगी, जिनके साथ लंबे समय से भेदभाव होता रहा है." उन्होंने इसे एक सामाजिक और राजनैतिक विकास भी बताया.
जर्मनी के मौजूदा कानून के तहत जेंडर पहचान बदलने वाले लोगों को पहले दो मनोवैज्ञानिक रिपोर्टें जमा करनी होती हैं. इसके बाद ड्रिस्ट्रिक्ट कोर्ट फैसला करता है. इन प्रक्रिया से गुजर चुके लोगों की शिकायत है कि यह प्रोसेस बहुत लंबा, शर्मिंदा करने वाला और खर्चीला है.
जर्मनी के न्याय मंत्री मार्को बुशमन के मुताबिक, "यह अधिकार हर किसी का है कि राज्य उनकी लैंगिक पहचान का सम्मान करे. मौजूदा कानून ट्रांसजेंडर लोगों का शोषण करता है. हम इस अशोभनीय स्थिति को खत्म करना चाहते हैं."
शोएब खान, कामयाब कश्मीरी ट्रांसजेंडर
02:37
नया कानून प्रक्रिया को कैसे बदलेगा?
प्रस्तावित बिल में कहा गया है कि नया कानून बनने के बाद अपनी लैंगिक पहचान बदलने की इच्छा रखने वाले लोग, एक स्वघोषित दस्तावेज, जरूरी विभाग के पास जमा करेंगे. प्रस्तावित कानून के मुताबिक, ऐसा स्वघोषित दस्तावेज देने के तीन महीने पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जेंडर पहचान बदलने के बाद एक साल तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा.
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14 साल से कम उम्र के बच्चों के मामले में अभिभावक, रजिस्ट्री ऑफिस में जरूरी डेक्लेरेशन जमा कर सकते हैं. किशोरों और अन्य नाबालिगों को ऐसा करने के लिए अभिभावकों की अनुमति लेनी होगी. विवाद की स्थिति में फैमिली कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा.
सुधार के तहत जेंडर पहचान बदलने वाले शख्स का पुराना जेंडर, उसकी अनुमति के बिना उजागर नहीं किया जाएगा. इसके लिए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया. हालांकि सरकार का कहना है कि कुछ मामलों में अपवाद हैं. आपराधिक न्याय प्रणाली के बचने के लिए नाम और जेंडर बदलने की छूट नहीं दी जाएगी.
LGBTQ की ABCD
भारत समेत कई देशों में समलैंगिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिन्हें हम एक शब्द "समलैंगिक" में समेट देते हैं, वे खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी कहते हैं. आखिर क्या है LGBTQ?
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एल से लेस्बियन
लेस्बियन यानी वे महिलाएं जो महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं. 1996 में आई फिल्म फायर ने जब इस मुद्दे को उठाया तब काफी बवाल हुआ. आज 20 साल बाद भी यह मुद्दा उतना ही संवेदनशील है.
तस्वीर: Reuters
जी से गे
गे यानी वे पुरुष जो पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं. दोस्ताना और कल हो ना हो जैसी फिल्मों में हंसी मजाक में समलैंगिक पुरुषों के मुद्दे को उठाया गया, तो हाल ही में आई अलीगढ़ में इसकी संजीदगी देखने को मिली.
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बी से बायसेक्शुअल
बायसेक्शुअल एक ऐसा व्यक्ति है जो महिला और पुरुष दोनों की ओर आकर्षित महसूस करे. ऐंजेलिना जोली और लेडी गागा खुल कर अपने बायसेक्शुअल होने की बात कह चुकी हैं.
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टी से ट्रांसजेंडर
एल, जी और बी से अलग ट्रांसजेंडर को उनके लैंगिक रुझान के अनुसार नहीं देखा जाता. भारत में जिन्हें हिजड़े या किन्नर कहा जाता है, वे भी ट्रांसजेंडर हैं और बॉलीवुड में जानेमाने बॉबी डार्लिंग जैसे वे लोग भी जो खुद अपना सेक्स बदलवाते हैं.
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क्यू से क्वीयर
इस शब्द का मतलब होता है अजीब. इसके जरिये हर उस व्यक्ति की बात की जा सकती है जो "सामान्य" नहीं है. चाहे जन्म से उस व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के गुण हों और चाहे वह किसी की भी ओर आकर्षित हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Bruna
और भी हैं
यह सूची यहां खत्म नहीं होती. कई बार एलजीबीटीक्यू के आगे ए भी लगा दिखता है. इसका मतलब है एसेक्शुअल यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी सेक्स में कोई रुचि ना हो. इनके अलावा क्रॉसड्रेसर भी होते हैं यानी वे लोग जो विपरीत लिंग की तरह कपड़े पहनना पसंद करते हैं.
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किसे राहत देगा नया कानून
नया कानून उन लोगों को राहत देगा, जो खुद को महिला या पुरुष की लैंगिक पहचान से अलग मानते हैं. इसका फायदा ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स और नॉन-बायनरी लोगों को मिलेगा.
ट्रांसजेंडर वे लोग हैं, जो जन्म से मिले जेंडर को अपनी पहचान नहीं मानते हैं. मसलन कोई शारीरिक बनावट से पुरुष हो, लेकिन वह खुद को स्त्री के रूप में पहचाने, तो ऐसे लोगों को ट्रांस फीमेल कहते हैं. इसके उलट लैंगिक रुझान वाले लोगों को ट्रांस मेल कहा जाता है.
इंटरसेक्स में वे लोग आते हैं, जिनके शारीरिक सेक्स गुण पूरी तरह सिर्फ एक महिला या एक पुरुष जैसे नहीं होते हैं. नॉन बायनरी का अर्थ उन लोगों से है, जो परंपरागत लैंगिक विभाजन सिस्टम में खुद को मेल और फीमेल के रूप में परिभाषित किए जाने के खिलाफ हैं. ऐसे लोग खुद को एक खास जेंडर के दायरे में देखना पंसद नहीं करते हैं.
ओएसजे/एसएम (डीपीए, एएफपी)
लैंगिक पहचान बदलना कहां है आसान और कहां मुश्किल
कई देशों ने लैंगिक पहचान बदलने के लिए मेडिकल या मनोवैज्ञानिक जांच की अनिवार्यता समाप्त कर दी है. जानिए किन किन देशों ने दिया आसानी से लैंगिक पहचान बदलने का अधिकार.
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संयुक्त राष्ट्र के 25 सदस्य
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन और गे एसोसिएशन के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के कम से कम 25 सदस्य देश "निषेधात्मक अपेक्षाओं के बिना कानूनी रूप से लैंगिक पहचान की अनुमति देते हैं." लेकिन सिर्फ कुछ ही देश ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक सरल से बयान के आधार पर अपनी पहचान बदलने की इजाजत देते हैं.
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स्वीडन
स्वीडन 1972 में ही लैंगिक पहचान बदलने को कानूनी मान्यता देने वाला देश बन गया था. लेकिन हाल ही में वहां नाबालिगों के लिए रीअसाइनमेंट हॉर्मोन ट्रीटमेंट पर पाबंदियां लगाई गई हैं.
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अर्जेंटीना
अर्जेंटीना को ट्रांसजेंडर अधिकारों के क्षेत्र में अगुवाई के लिए जाना जाता है. वहां 2012 में सिर्फ एक बयान के आधार पर राष्ट्रीय पहचान पत्र में लैंगिक पहचान बदलने की इजाजत दे दी गई थी. इसके बाद कई लैटिन अमेरिकी देशों ने ऐसा किया, जिनमें बोलीविया, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू और उरुग्वे शामिल हैं.
तस्वीर: ZUMA Wire/imago
चिली
चिली में ऑस्कर जीतने वाली फिल्म "अ फैंटास्टिक वुमन" की अंतरराष्ट्रीय सफलता ने एक लैंगिक पहचान कानून के लिए समर्थन जुटाने का काम किया. 2019 में यह कानून पास हो गया. फिल्म में मुख्य भूमिका ट्रांसजेंडर अभिनेत्री डैनिएला वेगा ने निभाई थी.
स्कॉटलैंड में हाल ही में लोगों के लिए अपनी लैंगिक पहचान खुद निर्धारित करना आसान बनाने के लिए एक कानून पारित किया गया था. लेकिन कानून स्वीकृति नहीं मिली.
तस्वीर: David Cheskin/empics/picture alliance
डेनमार्क
डेनमार्क 2014 में बिना मेडिकल या मनोवैज्ञानिक जांच कराए लैंगिक पहचान बदलने के लिए वयस्कों को आवेदन करने की अनुमति देने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया था. उसके बाद बेल्जियम, आयरलैंड, माल्टा और नॉर्वे ने भी वैसा ही किया.
स्पेन ने फरवरी 2023 में बयान के आधार पर लैंगिक पहचान बदलने की अनुमति दे दी. इसे देश की 'बराबरी मंत्री' आइरीन मोंटेरो ने "आगे की तरफ एक विशाल कदम" बताया है. स्पेन ऐसा करने वाले यूरोप का सबसे बड़ा देश बन गया है. 14 साल तक के नाबालिग भी अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावकों की इजाजत से आवेदन कर सकते हैं.
तस्वीर: Susana Vera/REUTERS
जर्मनी
जून 2022 में जर्मनी की सरकार ने निजी बयान के आधार पर लैंगिक पहचान बदलने की अनुमति देने की योजना की घोषणा की. देश में 2018 में ही जन्म प्रमाण पत्रों पर तीसरे जेंडर को शामिल करने को कानूनी मान्यता दे दी गई थी.
तस्वीर: lev dolgachov/Zoonar/picture alliance
फ्रांस
फ्रांस में भी ट्रांसजेंडर लोगों को अपनी लैंगिक पहचान बदलने की अनुमति है, लेकिन उन्हें अदालत से स्वीकृति लेनी होती है.
तस्वीर: Julien Mattia/Le Pictorium/IMAGO
भारत
भारत में 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे जेंडर को मान्यता दी. पड़ोसी देशों में से बांग्लादेश में 2018 से ट्रांसजेंडर लोग तीसरे जेंडर के रूप में बतौर मतदाता अपना पंजीकरण करा पा रहे हैं. पाकिस्तान 2009 में तीसरे जेंडर को कानूनी मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक बन गया था. नेपाल में 2013 में नागरिकता प्रमाणपत्रों में एक ट्रांसजेंडर श्रेणी जोड़ दी गई.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में 2013 में पासपोर्ट में एक तीसरी लैंगिक श्रेणी जोड़ने की अनुमति दे दी गई.
तस्वीर: Subel Bhandari/dpa/picture alliance
अमेरिका
अमेरिका में 2021 में विदेश मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को पासपोर्ट में 'X' श्रेणी चुनने की इजाजत दे दी. (एएफपी)