जर्मनी: धुर-दक्षिणपंथी एएफडी के खिलाफ कई शहरों में प्रदर्शन
१९ जनवरी २०२४
धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं. हफ्ते के कामकाजी दिनों में हजारों की भीड़ जमा होकर एएफडी के खिलाफ नारे लगा रही है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने प्रदर्शनकारियों के प्रति आभार जताया है.
विज्ञापन
राजधानी बर्लिन समेत जर्मनी के कई शहरों में बीते कुछ दिनों से दक्षिणपंथी चरमपंथ के खिलाफ बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं. 17 जनवरी को भी बर्लिन और फ्रायबुर्ग में शाम के वक्त हजारों लोगों का जमावड़ा लगा. फ्रायबुर्ग में प्रदर्शन के आयोजकों ने बताया कि करीब 10 हजार लोग विरोध में शामिल हुए.
जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी "ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी" (एएफडी) और थुरिंजिया राज्य में इसके नेता ब्यॉर्न होयके, प्रदर्शनों का मुख्य विषय हैं. प्रदर्शनकारियों ने इनके खिलाफ नारेबाजी की. कई प्रदर्शनकारी "नाजी आउट" जैसे पोस्टरों के साथ भी दिखे.
क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?
इस रैलियों और प्रदर्शनों का संबंध पिछले दिनों आई एक खबर से है. जर्मनी की "करेक्टिव" मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में नवंबर 2023 की एक गुप्त बैठक का ब्योरा दिया, जिसमें दक्षिणपंथी विचारधारा के चरमपंथी और एएफडी नेता शामिल थे. इनके बीच जर्मनी में रह रहे लाखों प्रवासियों को देश से बाहर निकालने की एक योजना पर मशविरा हुआ. इस मीटिंग में एएफडी के वरिष्ठ सदस्यों के अलावा क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) और वेर्टेयूनियन ग्रुप के कुछ सदस्य भी शामिल थे.
ऑस्ट्रिया में धुर-दक्षिणपंथी मुहिम के पूर्व प्रमुख मार्टिन जेल्नर ने समाचार एजेंसी डीपीए से पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने बैठक में "रीमाइग्रेशन" पर बात की थी. दक्षिणपंथी विचारधारा के चरमपंथी आमतौर पर "रीमाइग्रेशन" शब्द का इस्तेमाल इस संदर्भ में करते हैं कि विदेशी मूल के लोगों को देश छोड़कर निकल जाना चाहिए.
बैठक में शामिल और भी लोगों ने स्वीकार किया है कि उनके बीच इसपर बातचीत हुई कि प्रवासियों और अन्य समूहों को जर्मनी छोड़कर जाने के लिए किस तरह प्रोत्साहित किया जाए या उन पर दबाव बनाया जाए.
विज्ञापन
एएफडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग
गुप्त बैठक और उसके एजेंडे का ब्योरा सामने आने के बाद से जर्मनी में बहस छिड़ गई है कि क्या एएफडी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. जर्मनी का कानून देश के लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर रहे राजनीतिक दलों पर कार्रवाई की गुंजाइश देता है.
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने दक्षिणपंथी चरमपंथ के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर लोगों का आभार जताया है. शॉल्त्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "इससे हमें हिम्मत मिलती है. यह दिखाता है कि हम लोकतंत्र के समर्थक उन लोगों से कई-कई गुना ज्यादा हैं, जो हमें बांटना चाहते हैं."
जर्मनी के वाइस-चांसलर रोबर्ट हाबेक ने भी एएफडी की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि एएफडी के सदस्य सत्तावादी हैं और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा हैं. स्टर्न मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में हाबेक ने कहा, "दक्षिणपंथी सत्तावादी, गणतंत्र के सार पर हमला कर रहे हैं. वो जर्मनी को रूस जैसे देश में बदलना चाहते हैं."
एएफडी के नेता और उनके सबसे आपत्तिजनक बयान
जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के नेताओं ने कई बार ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें आपत्तिजनक या भड़काऊ कहा जा सकता है. इनमें शरणार्थियों को निशाना बनाने से लेकर नाजी शब्दावली का इस्तेमाल तक शामिल है.
तस्वीर: Imago/reportandum
ब्यॉन होख
थुरिंगिया प्रांत में एएफडी के मुखिया ब्यॉन होख ने 2017 में बर्लिन स्थित होलोकॉस्ट मेमोरियल को "शर्म की स्मारक" कहा था और देश को अपने नाजी इतिहास के लिए पश्चाताप करना बंद करने को कहा था. जुलाई 2023 में उन्होंने नाजी शब्दावली में कहा, "इस यूरोपीय संघ को मर जाना चाहिए ताकि सच्चा यूरोप जिंदा रह सके." 2019 में जर्मनी की एक अदालत ने फैसला दिया कि होख को फासीवादी कहना उन पर लांछन लगाने के बराबर नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/Arifoto Ug/Candy Welz
ऐलीस वाइडल
ऐलीस वाइडल पार्टी की सह मुखिया हैं और उसके सबसे जाने माने चेहरों में से एक हैं. वो शायद ही कभी विवादों से दूर रहती हों. 2018 में जर्मनी की संसद बुंडेस्टाग में एक भाषण के दौरान उन्होंने कहा था, "बुर्के, हिजाब पहनने वाली लड़कियां, सार्वजनिक रूप से समर्थन पाने वाले वो लोग जिन्होंने चाकू से लोगों पर वार किया और ऐसे सभी बेकार लोग हमें समृद्धि और आर्थिक और सामाजिक विकास नहीं दिला सकते हैं."
तस्वीर: Sebastian Kahnert/dpa/picture-alliance
क्रिस्चियन लूट
लूट कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में फंस चुके हैं. एक बार एक दक्षिणपंथी यूट्यूब वीडियो ब्लॉगर के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "जर्मनी के लिए स्थिति जितनी खराब होगी, एएफडी के लिए उतनी ही अच्छी होगी." उन्होंने प्रवासियों के लिए कहा, "हम उन्हें बाद में गोली मार ही सकते हैं, इसमें कोई समस्या नहीं है. या उन्हें जहरीली गैस से मार सकते हैं, जैसा आप चाहें. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है."
तस्वीर: Soeren Stache/dpa/picture-alliance
बीट्रिक्स फॉन स्टॉर्च
शुरू में एएफडी यूरो और बेलआउट पैकेजों के खिलाफ अभियान चलाती थी, लेकिन यह जल्द ही आप्रवासियों के विरोध में बदल गया. बीट्रिक्स फॉन स्टॉर्च ने 2016 में कहा था, "जो लोग हमारी सीमाओं पर लगे 'रुको' के साइनबोर्ड को नहीं मानते हैं वो हमलावर हैं." उन्होंने आगे कहा, "और हमें खुद को हमलावरों से बचाना है," चाहे इसका मतलब महिलाओं और बच्चों पर गोली चलाना ही क्यों ना हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Murat
हाराल्ड वाइएल
एएफडी के सभी विवाद नस्लवाद को लेकर नहीं हैं, कभी कभी वो पार्टी की हकीकत दिखाने का काम भी करते हैं. सितंबर 2022 में बुंडेस्टाग के सदस्य हाराल्ड वाइएल को पता नहीं था कि उनका माइक चालू है, जब उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि जर्मनी को ऊर्जा के बढ़े हुए दामों की "नाटकीय सर्दियां" भुगतनी पड़े नहीं तो "चीजें हमेशा की तरह चलती रहेंगी."
तस्वीर: Christoph Hardt /Future Image/imago images
मार्कुस प्रेत्जेल
मार्कुस प्रेत्जेल नार्थ राइन-वेस्टफेलिया प्रांत में एएफडी के पूर्व अध्यक्ष हैं और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष फ्राउक पीत्री के पति हैं. उन्होंने दिसंबर 2016 में बर्लिन क्रिसमस बाजार पर हुए घातक हमले के बाद लिखा था, "यह मैर्केल के मृतक हैं."
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Murat
आंद्रे पौगेनबर्ग
सैक्सनी-अनहाल्ट प्रांत में एएफडी के पूर्व प्रमुख आंद्रे पौगेनबर्ग ने फरवरी 2017 में राज्य की संसद में दूसरे सदस्यों को कहा था कि वो चरम वामपंथ के खिलाफ मिल जाएं ताकि "जर्मन नस्ल पर उगी इस खरपतवार से हमेशा के लिए पीछा छुड़ाया जा सके." ये शब्द साफ तौर पर नाजी शब्दावली से लिए गए थे.
तस्वीर: picture alliance/dpa/J. Wolf
एलेग्जेंडर गाउलांद
पार्टी की संसदीय पार्टी के पूर्व नेता एलेग्जेंडर गाउलांद ने जून 2018 में पार्टी के युवा दल के सामने एक भाषण दिया था, जिसके लिए उनकी बहुत आलोचना हुई थी. उन्होंने कहा था कि जर्मनी का एक "शानदार इतिहास रहा है और वह उन शापित 12 सालों से ज्यादा लंबा चला है. जर्मनी के 1,000 सालों के सफल इतिहास में हिटलर और नाजी बस चिड़िया की बीट की एक बूंद हैं." (डैगमार ब्राइटेनबाख और मार्क हैलम)
8 तस्वीरें1 | 8
हाबेक ने यह भी कहा कि धुर-दक्षिणपंथ से जुड़े लोग सुनियोजित तरीके से जर्मनी के गणतंत्र पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि जब उनसे एएफडी पर संभावित प्रतिबंध के बारे में पूछा गया, तो हाबेक ने कहा कि आखिरी फैसला जर्मनी की संवैधानिक अदालत का होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एएफडी समर्थकों को अपनी ओर करने के लिए राजनीतिक दलों को काम करना होगा.
हाबेक ने स्पष्ट किया कि एएफडी पर प्रतिबंध लगाया जाए कि नहीं, यह राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी सवाल है. अगर कानूनी तौर पर यह केस नाकाम रहा, तो इसके नतीजे बहुत गंभीर हो सकते हैं.