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शॉल्त्स, मोदी के बीच बातचीत में छाया रहा यूक्रेन

२५ फ़रवरी २०२३

जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने अपने भारत दौरे के पहले दिन भारत और जर्मनी के संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद जताई. नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई विषयों पर बातचीत की.

राष्ट्रपति भवन में चांसलर शॉल्त्स का स्वागत करते प्रधानमंत्री मोदी
तस्वीर: Manish Swarup/AP

बतौर चांसलर, यह शॉल्त्स की पहली भारत यात्रा है. वो शनिवार 25 फरवरी की सुबह भारत पहुंचे जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति भवन ले जाया गया. वहां भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया और फिर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

वहीं पर मीडिया को एक संक्षेप बयान देते हुए शॉल्त्स ने कहा, "भारत और जर्मनी के बीच पहले से बहुत अच्छे रिश्ते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि हम इस रिश्ते को और मजबूत करेंगे और हम उन सभी विषयों पर चर्चा करेंगे जो हमारे देशों के विकास के लिए प्रासंगिक तो हैं ही और दुनिया में शांति के लिए भी जरूरी हैं.".

हैदराबाद भवन में मोदी और शॉल्त्सतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

निवेश का निमंत्रण

उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद हाउस में चांसलर शॉल्त्स का स्वागत किया और उनके साथ बातचीत की. बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया को संबोधित किया.

 

मोदी ने कहा कि दोनों देशों के "मजबूत संबंध, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, और एक दूसरे के हितों की गहरी समझ पर आधारित हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आर्थिक आदान-प्रदान का भी लंबा इतिहास रहा है."

उन्होंने यह भी कहा, "विश्व की दो बड़ी लोकतान्त्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता सहयोग, दोनों देशों की जनता के लिए तो लाभकारी है ही, आज के तनाव-ग्रस्त विश्व में इससे एक सकारात्मक संदेश भी जाता है."

भारत में जर्मन निवेश की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि "आज 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की वजह से भारत में सभी क्षेत्रों में नए अवसर खुल रहे हैं. इन अवसरों के प्रति जर्मनी की रुचि से हम उत्साहित हैं."

मोदी ने पिछले वर्ष उनकी जर्मनी यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि उस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने "ग्रीन और सस्टेनेबल विकास साझेदारी की घोषणा की थी. इसके माध्यम से, हम जलवायु एक्शन और सतत विकास लक्ष्यों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं."

रक्षा क्षेत्र में बढ़े सहयोग

उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देश "त्रिकोणीय विकास सहयोग के तहत तीसरे देशों के विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं" और पिछले कुछ वर्षों में "हमारे बीच पीपल-टू-पीपल संबंध भी सुदृढ़ हुए हैं."

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भारतीय प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में "सक्रिय सहयोग" की भी बात की और कहा कि "दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं, कि सीमा पार के आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है."

रक्षा क्षेत्र में सहयोग की और गुंजाइश पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि यह दोनों देशों की "सामरिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ बन सकता है. इस क्षेत्र में हमारी अप्रयुक्त क्षमता को पूरी तरह से हासिल करने के लिए हम साथ मिलकर प्रयास करते रहेंगे."

साथ ही उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर भी "सहमति दोहराई कि वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बहुराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार आवश्यक है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के लिए जी4 के अंतर्गत हमारी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट है."

यूक्रेन पर भारत को इशारा

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मोदी ने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया और कहा कि यूक्रेन संकट ने कमोडिटीज के दामों पर असर डाला है. युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति की अहमियत ओर जोर डालते उन्होंने कहा कि भारत किसी भी शांति योजना का समर्थन करेगा.

शॉल्त्स ने अपने संबोधन को यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित रखा और कहा कि यह "रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ शुरू किया गया एक भयावह आक्रमण" है. उन्होंने कहा कि उसकी वजह से जो भारी नुकसान हुआ है वो एक "बड़ी तबाही" है. उन्होंने यह भी कहा कि रूसी युद्ध के परिणामों की वजह से दुनिया कष्ट भोग रही है.

राष्ट्रपति भवन में मीडिया को संबोधित करते चांसलर शॉल्त्सतस्वीर: Michael Kappeler/dpa

उन्होंने विशेष रूप से एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों पर पर युद्ध के असर की तरफ ध्यान दिलाया और कहा कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि इन देशों पर युद्ध का ज्यादा असर ना पड़े.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शॉल्त्स ने बतौर जी20 अध्यक्ष भारत की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, "भारत के पास इस साल जी20 की अध्यक्षता है, जो एक मुश्किल समय में एक बहुत जिम्मेदाराना काम है. लेकिन मुझे विश्वास है कि इस विषय में जो भी किए जाने की जरूरत है भारत उसका पूरी तरह से पालन करेगा."

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी यूक्रेन युद्ध के मामले में उपयुक्त कदम उठाने की बात की. उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है की संयुक्त राष्ट्र में हम बार बार स्पष्ट रूप से यह कहें कि इस विषय पर हम कहां खड़े हैं."

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