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अपराधजर्मनी

इस्लामिक स्टेट के आतंकी को जर्मनी में उम्रकैद

ओंकार सिंह जनौटी डीपीए, एएफपी, एपी
१० सितम्बर २०२५

जर्मन शहर जोलिंगन में चाकू से जानलेवा हमला करने वाले आईएस के आतंकी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. सीरिया से जर्मनी आए इसा अल एच को तीन लोगों की हत्या और 10 बार हत्या की कोशिश का दोषी पाया गया.

जर्मन शहर जोलिंगन में चाकू से हमला करने वाला इस्लामिक स्टेट का आतंकवादी इसा अल एच
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP

जर्मन प्रांत नॉर्थ राइन वेस्टफालिया की उच्च प्रांतीय अदालत ने 27 साल के इसा अल एच के जुर्म को गंभीर करार देते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई.  इस दौरान उसे खास सेल में रखा जाएगा. इसा अल एच ने 23 अगस्त 2024 को जोलिंगन शहर में एक स्ट्रीट फेस्टिवल के दौरान लोगों परचाकू से जानलेवा हमला किया था. हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और 10 बुरी तरह जख्मी हुए. दोषी का नाम इसा अल एच इसलिए लिखा जा रहा है ताकि उसकी निजी पहचान सार्वजनिक न हो. जर्मनी के निजता संबंधी कानून के कारण पहचान सार्वजनिक नहीं की जा सकती. वारदात के बाद इसा एच फरार हो गया, लेकिन कुछ घंटों बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

सुनवाई के दौरान इसा अल एचतस्वीर: Leon Kuegeler/Reuters

इस्लामिक स्टेट ने ली जिम्मेदारी

हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली. मई 2025 में सुनवाई शुरू होते ही आरोपी ने अपना गुनाह स्वीकार किया. सुनवाई की शुरुआत में इसा अल एच ने कहा कि उसने यह हमला बोस्निया में मुसलमानों के नरसंहार और इराक समेत कई देशों में पश्चिमी दखलंदाजी की वजह से किया. हालांकि आखिर में सबको चौंकाते हुए हमलावर ने कहा कि गाजा में बच्चे मर रहे थे और वहीं जर्मनी में लोग सड़कों पर नाच रहे थे, वह इससे व्यथित था. खुद बचाव पक्ष इस दलील से बहुत सहमत नहीं हुआ.

संघीय अभियोजन कार्यालय के मुताबिक हमलावर, इस्लामिक विचारधारा से प्रेरित था. अभियोजन कार्यालय के मुनताबिक, इसा अल एच ने पीड़ियों को "पश्चिमी समाज के प्रतिनिधि" मानते हुए उन पर जानलेवा हमला किया.

कोर्ट के मुताबिक, 2019 से इसा अल एच कट्टरपंथी बनने लगा. वह अपने टिकटॉक प्रोफाइल पर इस्लामिक स्टेट का प्रोपेगंडा फैला रहा था. उसकी ऑनलाइन एक्टिविटी से भी यह स्पष्ट हो रहा था.

हमले के बाद जोलिंगन में जर्मनी की शरणार्थी नीति के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: Ying Tang/NurPhoto/picture alliance

जोलिंगन हमले का जर्मन राजनीति और समाज पर असर

इसा अल एच, एक रिफ्यूजी के तौर पर बुल्गारिया के रास्ते जर्मनी पहुंचा. जर्मनी आकर उसने शरण का आवेदन भरा. हमले के बाद भी मनोवैज्ञानिक पैमाने पर वह कानून की सख्ती से बचने के लिए खुद को मानसिक रूप से अस्थिर साबित करने की कोशिश करता रहा. जांच में पता चला कि प्रांतीय सरकार की लापरवाही और डिपोर्टेशन से जुड़े ढांचे में कमजोरी के चलते उसे सीरिया डिपोर्ट नहीं किया जा सका. ये जानकारियां सामने आने के बाद पूरे जर्मनी में रिफ्यूजी पॉलिसी पर तीखी बहस छिड़ गई.

हमले के कुछ ही दिन बाद तत्कालीन जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स जोलिंगन पहुंचे. घटनास्थल पर पहुंचे शॉल्त्स ने कहा कि, "जो कुछ भी हमारे नियंत्रण में है वह किया जाएगा." हालांकि कुछ महीनों बाद ही चांसलर ने स्वीकार किया कि बहुत कुछ नहीं हो सका है.

जोलिंगन के इस हमले ने जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को अप्रवासन और शरणार्थी नीति पर उग्र होने का मौका दिया. हमले के करीब आठ महीने बाद फरवरी 2025 में हुए आम चुनावों में तत्कालीन चांसलर शॉल्त्स की पार्टी एसपीडी को बुरी शिकस्त का सामना करना पड़ा. वोटों के लिहाज से एएफडी पहली बार, जर्मनी में दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी. तब से मुख्यधारा की राजनीति में एएफडी लगातार शीर्ष पर बनी हुई है.

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