जर्मनी की संघीय संवैधानिक अदालत ने खारिज किया एक चुनाव सुधार
३० जुलाई २०२४जर्मनी की सर्वोच्च संघीय संवैधानिक अदालत ने देश की चुनाव प्रक्रिया में किया गया एक अहम बदलाव खारिज कर दिया है. अदालत ने सरकार के हालिया चुनाव सुधार को "बेसिक लॉ से तालमेल न बैठा पाने वाला" करार दिया और असंवैधानिक घोषित कर दिया.
जर्मनी में पुराने चुनावी सिस्टम के तहत सीधे कोई भी सीट न जीतने के बावजूद, अगर किसी भी पार्टी को पूरे देश में कम से कम पांच फीसदी वोट मिलते थे, तो उसके पांच फीसदी नेता, सांसद बनकर बुंडेसटाग कही जाने वाली संसद में पहुंचते थे.
जर्मनी का जटिल चुनावी सिस्टम
जर्मनी में संसदीय चुनाव के दौरान एक मतदाता दो वोट डालता है. एक (डायरेक्ट) वोट, स्थानीय प्रत्याशी के लिए होता है. दूसरा वोट (अनुपात वोट) राजनीतिक पार्टी चुनने के लिए होता है. इस तरह उम्मीदवार को अलग वोट मिल सकता है और पार्टी को अलग. जर्मनी की संसद में वैसे तो 598 सीटें हैं, जिनमें से आधी सीटों पर भारत की तरह सीधा चुनाव होता है. आधी सीटें पार्टियों को मिले वोट के अनुपात पर बांटी जाती हैं.
मसलन देश भर में अगर किसी पार्टी को डायरेक्ट मतदान से एक भी सीट न मिले, लेकिन उसे राष्ट्रीय स्तर पर पांच फीसदी वोट मिल जाएं तो अंत में बनने वाली संसद में उसके पांच फीसदी सांसद होते थे. वहीं दूसरी तरफ अगर किसी पार्टी को दो सीटें मिलें, लेकिन पांच परसेंट वोट न मिलें तो उसके दो सांसद ही संसद में पहुंच सकते थे.
इस प्रक्रिया के कारण 2021 के चुनावों के बाद 138 अतिरिक्त सांसद बने, और जर्मन संसद में 736 सीटें हो गई. सरकार के मुताबिक, यह बहुत बड़ी संख्या है और इससे खर्चा भी बढ़ता है.
जर्मन संसद के किस चुनाव सुधार को खारिज किया गया
मार्च 2023 में जर्मन संसद ने पांच फीसदी से कम वोट पाने के बावजूद तीन डायरेक्ट सीटें जीतने वाली पार्टियों के लिए संसद में पहुंचने वाले नियम को खत्म कर दिया. इस सुधार से लेफ्ट पार्टी (डी लिंके) और क्रिस्चन सोशल यूनियन (सीएसयू) को नुकसान होने संभावना बनी. दोनों से संघीय संवैधानिक अदालत का दरवाजा खटखटाया. असल में 2021 के चुनाव में लेफ्ट पार्टी ने डायरेक्ट वोट से तीन सीटें जीतीं और पूरे देश में उसे कुल 4.9 फीसदी वोट मिले. पुराने सिस्टम के तहत इस तरह लेफ्ट को संसद में कुल 39 सीटें मिल गईं. नए सुधार से ऐसा संभव नहीं होता.
अपना चांसलर कैसे चुनता है जर्मनी
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की गठबंधन सरकार चाहती है कि संसद में सीटों की अधिकतम संख्या 630 के पार न जाए. इसके लिए चरणबद्ध तरीके से सुधार लागू किए जाने का फैसला किया गया. नए कानून के तहत, एक खास संख्या में वोट न पाने वाली पार्टियों के डायरेक्ट चुने उम्मीदवारों को सदस्यता नहीं मिल सकती थी. अदालत ने कानून के इस प्रवधान को भी खारिज कर दिया.
जर्मनी में सितंबर 2025 में संसदीय चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार के पास नया रास्ता खोजने या पुराना सिस्टम लागू रहेगा.
ओएसजे/आरएस (डीपीए, एएफपी)