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जर्मनी: सेना की ताकत बढ़ाने के लिए नई सैन्य सेवा की तैयारी

स्वाति मिश्रा
१३ जून २०२४

जर्मनी अपनी सेना का आकार बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है. इसी क्रम में अब सैन्य सेवा लागू करने की तैयारी है, ताकि हर साल बड़ी संख्या में युवा पुरुषों को युद्ध की नौबत आने पर लड़ाई और प्रतिरक्षा के लिए तैयार रखा जा सके.

जर्मन सेना बुंडेसवेयर के सैनिक रोटेनबुर्ग इलाके में एक तलाशी अभियान के दौरान गश्त लगाते हुए.
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स कई बार रेखांकित कर चुके हैं कि यूक्रेन युद्ध के बाद बने यूरोप के नए हालात जर्मनी को मजबूर कर रहे हैं कि वह अपनी सेना को ताकतवर बनाए. साथ ही, रक्षा पर खर्च बढ़ाने और अपने साथ-साथ नाटो सहयोगियों की प्रतिरक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है. तस्वीर: Philipp Schulze/dpa/picture alliance

जर्मनी अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए ज्यादा युवाओं को सैन्य सेवा से जोड़ने की तैयारी कर रहा है. जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने 12 जून को एक योजना पेश की, जिसका लक्ष्य ऐसे काबिल युवाओं की पहचान करना है, जो संभावित सैन्य सेवा के लिए आगे आएं. इन्हें युद्ध की स्थिति में प्रतिरक्षा के लिए तैयार किया जाएगा.

इस प्रस्तावित सैन्य सेवा का ढांचा मुख्य रूप से ऐच्छिक होगा. इसमें छह महीने की बुनियादी सैन्य सेवा शामिल होगी और 17 महीने तक की अतिरिक्त स्वैच्छिक सेवा का भी विकल्प होगा.

सैन्य सेवा का नया मॉडल क्या हो, इसकी रूपरेखा बनाने पर कई महीनों से तैयारी हो रही है. अनिवार्य सैन्य सेवा जर्मनी में बड़ा विवादित मुद्दा है. इसके लिए जर्मनी के संविधान में भी संशोधन करना होगा, जो कि काफी जटिल प्रक्रिया है. राजनीतिक दलों में भी इसपर विरोध और संकोच है.तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS

मिलिट्री सर्विस के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा

युवा पुरुषों को एक प्रश्नावली का जवाब देना होगा, जिसमें मिलिट्री सर्विस के लिए उनकी सहमति और योग्यता पूछी जाएगी. इसके बाद एक मेडिकल जांच होगी. सेना सबसे योग्य संभावित उम्मीदवारों को छांटेगी. पिस्टोरियस ने कहा, "हम सबसे अच्छे और सबसे ज्यादा प्रेरित लोगों को लेना चाहते हैं." बीते महीनों में प्रस्तावित सैन्य सेवा की रूपरेखा पर काफी चर्चा रही. सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा लागू करनी चाहिए या नहीं, इसपर असमंजस की स्थिति थी.

अब रक्षा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि मिलिट्री सर्विस अनिवार्य नहीं होगी. किसी को भी उसकी मर्जी या मान्यताओं के खिलाफ जाकर बुंडेसवेयर, यानी जर्मन सेना में सेवा देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, "बेशक लोगों के पास मिलिट्री सर्विस से इनकार करने का अधिकार होगा. यह चीज नहीं बदलेगी." सेना का अनुमान है कि सालाना करीब चार लाख लोग प्रश्नावली भरेंगे और इनमें से एक चौथाई लोग सैन्य सेवा के लिए दिलचस्पी दिखा सकते हैं. ऐसे में हर साल करीब 40,000 उम्मीदवारों की शारीरिक और मेडिकल जांच होगी.

स्वेच्छा से रुचि दिखाने वालों को सैन्य सेवा में लेने पर जोर देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, "हम उबाऊ और बेमतलब की सैन्य सेवा नहीं चाहते." उन्होंने जोर दिया कि सेना सबसे तंदरुस्त, सबसे उपयुक्त और प्रेरित युवाओं को ही प्रशिक्षण के लिए बुलाएगी. युवा महिलाओं को भी प्रश्नावली दी जाएगी, लेकिन उनके लिए यह अनिवार्य नहीं होगा. 

जर्मनी की सेना में बहुत कम है महिलाओं की संख्या

यूक्रेन युद्ध के बाद से ही जर्मनी को महसूस हो रहा खतरा

योजना के मुताबिक, सालाना करीब चार लाख उम्मीदवारों का एक पूल बनाया जाएगा. इस पूल के अलावा शुरुआत में 5,000 अतिरिक्त उम्मीदवारों की भी सैन्य सेवा के लिए भर्ती होगी. इसकी शुरुआत 2025 से किए जाने का प्रस्ताव है. आगे आने वाले सालों में चयनित उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाई जाएगी. रक्षा मंत्री ने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि यह संख्या साल-दर-साल बढ़ती रहे और इस तरह हमारी क्षमताएं भी बढ़ें. हमें इस वृद्धि का प्रबंध करना होगा." सेना में विस्तार का औचित्य बताते हुए पिस्टोरियस ने याद दिलाया कि कुछ साल पहले के मुकाबले अब खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है.

रूस ने अपने रक्षा खर्च में काफी इजाफा किया है और उसने खुद को एक युद्ध अर्थव्यवस्था में बदल लिया है. इसी के साथ उन्होंने कहा, "नाटो देशों और अन्य पड़ोसी राष्ट्रों के खिलाफ मौखिक हमले प्रत्यक्ष रूप से ज्यादा तेज हो रहे हैं." बुंडेसवेयर पिछले लंबे समय से कम संख्याबल से जूझ रही है. युवाओं को आकर्षित करने की कोशिशें बहुत कामयाब नहीं रही हैं. उसके पास अभी केवल 181,000 सैनिक हैं. मौजूदा आकलन के मुताबिक, जर्मनी को नाटो में 460,000 सैनिकों का योगदान देने की जरूरत है. इनमें दो लाख सक्रिय सैनिक होंगे और बाकी रिजर्व फोर्स, यानी ऐसे प्रशिक्षित सैनिक जो जरूरत पड़ने पर लड़ सकें. इसके अलावा बुंडेसवेयर को सैन्य ढांचे में विस्तार और सुधार की भी जरूरत है.

मई 2024 में जर्मन टीवी चैनल एमडीआर ने एक सर्वेक्षण कराया. कुल 25,000 प्रतिभागियों में से ज्यादातर ने सैन्य सेवा का समर्थन किया. हर दूसरे प्रतिभागी ने राय दी कि पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए यह प्रावधान हो. हालांकि, 30 साल से कम के युवा प्रतिभागियों में से दो-तिहाई अनिवार्य सैन्य सेवा से असहमत थे. तस्वीर: Stefan Sauer/dpa/picture alliance

आक्रामक रूस के आगे जर्मन सेना को "वॉर रेडी" बनाने का लक्ष्य

शीत युद्ध के दौरान 1956 में जर्मनी ने पुरुषों के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा का प्रावधान लागू किया था. 55 साल बाद 2011 में इसे खत्म कर दिया गया. लेकिन फिर यूरोप की हालिया घटनाओं, खासकर यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उपजी सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर जर्मन सेना का आकार बढ़ाने की जरूरत महसूस की जाने लगी. रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ना केवल लगातार इस जरूरत को रेखांकित करते रहे, बल्कि उन्होंने पूर्व जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के अनिवार्य सैन्य सेवा खत्म करने के निर्णय को गलती भी बताया. पिस्टोरियस जर्मन सेना बुंडेयवेयर में बड़े स्तर पर और दीर्घकालिक बदलाव पर जोर देते हुए इसे युद्ध के लिए तैयार रखने की हिमायत करते आ रहे हैं.

क्या रूस के साथ युद्ध की आशंका पर चिंतित है जर्मनी?

नवंबर 2023 में बर्लिन में हुए सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि जर्मनी और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए बुंडेसवेयर को अपग्रेड करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "हमें ऐसे बुंडेसवेयर की जरूरत है, जो अपनी रक्षा कर सके. हमारी सुरक्षा और आजादी की हिफाजत के लिए युद्ध लड़ सके."चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भी मजबूत बुंडेसवेयर की अनिवार्यता रेखांकित करते रहे हैं. वह स्पष्ट कह चुके हैं कि जर्मनी लंबे समय से इस पक्ष को टालता आया है, लेकिन अब शांति व्यवस्था पर कायम खतरे को देखते हुए इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि जर्मनी को अपनी रक्षा क्षमताओं में एक दीर्घकालिक और स्थायी बदलाव की जरूरत है.

जर्मन सेना ने 2023 में जो रक्षा नीति दिशानिर्देश जारी किया, उसमें भी यही संकल्प दिखा. यूक्रेन युद्ध के साथ यूरोप में शुरू हुई लड़ाई और बदली हुई रक्षा परिस्थितियों का संदर्भ देते हुए गाइडलाइंस में लिखा था, "इस टर्निंग पॉइंट ने बुनियादी तौर पर जर्मनी और बुंडेसवेयर की भूमिका को बदल दिया है. यूरोप के मध्य में सबसे बड़ा आबादी वाले और आर्थिक तौर से मजबूत देश के तौर पर हमारी एक जिम्मेदारी है. हमें यूरोप में समवेत सुरक्षा और निवारण का आधार बनना होगा. हमारे लोग, यूरोप के हमारे सहयोगी, उत्तर अमेरिका और दुनिया हमसे इस जिम्मेदारी का सामना करने की उम्मीद करती है."

रूस को जवाब देने की तैयारी में जुटा नाटो

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