क्या प्रवासियों को गले लगाना मैर्केल को महंगा पड़ेगा?
जेफरसन चेस
२५ जुलाई २०१७
जर्मनी में चुनावों से पहले गर्माते सियासी माहौल में चांसलर अंगेला मैर्केल को अपनी प्रवासी नीति के चलते आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. उनके प्रतिद्ंवद्वी सोशल डेमोक्रैट मार्टिन शुल्त्स उन्हें निशाना बना रहे हैं.
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एसपीडी की तरफ से चांसलर पद के उम्मीदवार बनाये गये मार्टिन शुल्त्स महीनों से ऐसा कोई मुद्दा तलाश रहे थे जिसके सहारे वह चांसलर मैर्केल की बढ़ती लोकप्रियता का मुकाबला कर सकें. मैर्केल की प्रवासी नीतियों के रूप में अब उन्हें यह मुद्दा मिल गया है. उन्होंने जर्मन अखबार "बिल्ड" के साथ इंटरव्यू में मुख्यतः मुस्लिम देशों से आने वाले शरणार्थियों को लेकर मैर्केल की नीतियों पर वार किया है.
उन्होंने कहा, "2015 में दस लाख शरणार्थी जर्मनी में आये और ज्यादा सरकार की निगरानी के बिना." उन्होंने कहा, "चांसलर ने ऑस्ट्रिया से लगने वाली सीमा को मानवीय आधार पर खोल दिया लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने यूरोप में हमारे साझीदारों से कोई सलाह मशविरा नहीं किया. अगर हमने कदम नहीं उठाया, तो यही हालात फिर से दोहराये जा सकते हैं."
मैर्केल ने जर्मन मतदाताओं से वादा किया है कि जो कुछ दो साल पहले हुआ, फिर से वैसा नहीं होगा. 2015 में लाखों की तादाद में शरणार्थी जर्मनी आये जिनमें से ज्यादातर युद्ध प्रभावित सीरिया से थे. पिछले साल शरणार्थियों की संख्या में कमी आयी, लेकिन यह संख्या फिर बढ़ सकती हैं क्योंकि नाइजीरिया, इरिट्रिया और लीबिया जैसे उत्तरी अफ्रीकी देशों में मुश्किल हालात के कारण लोगों के वहां से भागने का सिलसिला थमा नहीं है.
ऐसा क्या है अंगेला मैर्केल के व्यक्तित्व में
अंगेला मैर्केल चौथी बार जर्मनी की चांसलर बन गई है. अपनी गंभीर मुद्रा और सुरक्षात्मक शासनशैली के लिए जानी जाने वाली चांसलर मैर्केल के व्यक्तित्व के कुछ अलग पहलू दिखाती तस्वीरें.
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'शक्ति का त्रिकोण'
मैर्केल को अक्सर हाथ मिलाकर खड़े होने पर एक त्रिकोण सी मुद्रा में देखा जाता है. जनता के सामने हों या कैमरे के सामने- ये हस्त मुद्रा उनकी पहचान है. और एक बेहद शक्तिशाली नेता होने के कारण कई लोग इसे शक्ति का त्रिकोण कहते हैं.
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यूरोप की नेता
जर्मन चांसलर अपनी लगभग हर सार्वजनिक उपस्थिति में शांत और गंभीर होती हैं, खासकर यूरोप के भीतर. इसी कारण सही मौकों पर आई उनकी मुस्कान खबर बन जाती है. जैसे हाल ही में ब्रातिस्लावा में आयोजित यूरोपीय नेताओं के सम्मेलन में.
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सेल्फी में चांसलर
2015 में जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या में आए उभार के दौरान ही एक सीरियाई युवा के साथ उनकी ये सेल्फी बहुत महत्वपूर्ण संदेश बन गई. शरणार्थियों के लिए द्वार खुले रखने वाली मैर्केल ने अपने मत को साफ करते हुए तमाम स्कूलों और शरणार्थी कैंपों का दौरा किया.
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गठबंधन सरकार में जुगलबंदी
जर्मनी की चांसलर और सीडीयू पार्टी की मुखिया के तौर पर मैर्केल के सामने चुनौतियां भी बड़ी हैं. वह सरकार में अपनी सहयोगी पार्टी एसपीडी के बड़े नेता जिग्मार गाब्रिएल की तरह तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देतीं बल्कि बहुत ही ठंडे दिमाग से वस्तुनिष्ठता वाले बयानों के लिए जानी जाती हैं.
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तेज डिजिटल विकास पर उत्सुक
एक भौतिकशास्त्री के रूप में प्रशिक्षित मैर्केल वैज्ञानिक सोच और अभिरुचि वाली तो रही हैं, लेकिन इंटरनेट और डिजिटल मीडिया में वे बहुत ज्यादा बढ़ चढ़ कर हिस्सा नहीं लेतीं. हालांकि उनका आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट है, जिस पर उनके सरकारी फोटोग्राफर की खींची तस्वीरें डाली जाती हैं. 2015 में यूएन में फेसबुक संस्थापक मार्क जकरबर्ग के साथ.
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उपदेशक की बेटी
एक प्रोटेस्टेंट पादरी की बेटी के रूप में जन्मी मैर्केल के नैतिक मूल्यों पर उनके पिता की शिक्षाओं का गहरा असर माना जाता है. ईसाई परवरिश के साथ बड़ी हुईं मैर्केल को 2016 में पोप फ्रांसिस के साथ वैटिकन में मिलने का मौका मिला. अपनी पसंदीदा किताबों पर चर्चा करते हुए.
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दोस्ताना राजनैतिक संबंधों की चैंपियन
अपने व्यस्त कार्यक्रमों के चलते मैर्केल के जीवन में ऐसे मौके भी कम ही आते हैं जब वे रिलेक्स दिखें. लेकिन 2013 में जर्मनी और फ्रांस के बीच एलिजी समझौते पर हस्ताक्षर होने की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर मैर्केल ने पूरी संसद को न्यौता दिया और दोनों देशों की दोस्ती का जश्न शैंपेन की बोतल के साथ मनाया गया.
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एक निजी चांसलर
चांसलर के रूप में अंगेला मैर्केल साल में बहुत कम ही बार छुट्टियां ले पाती हैं. सार्वजनिक जीवन में होने के कारण अक्सर छुट्टी के समय भी उन पर नजर होती है. जैसे यहां पोलैंड में पति योआखिम जाउअर के साथ छुट्टी पर गईं मैर्केल की तस्वीर. (हाइके मुंड/आरपी)
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हालांकि शुल्त्स इस मुद्दे का चुनावी फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैर्केल उनकी तरफ से होने वाले हमलों से ज्यादा परेशान नहीं दिखायी देती हैं. उनकी मौजूदा सरकार में शुल्त्स की एसपीडी पार्टी जूनियर पार्टनर के तौर पर शामिल है और उसने भी मैर्केल की शरणार्थी का स्वागत करने की नीति का समर्थन किया था. लेकिन मौजूदा हालात का सबसे ज्यादा फायदा धुर दक्षिणपंथी ताकतों को हो सकता है. एएफडी पार्टी की हालिया चुनावी सफलताओं को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है.
देश में प्रवासियों की जितनी संख्या बढ़ेगी, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका से यूरोप में आने वाले लोगों को नियंत्रित करने के लिए दबाव उतना ही ज्यादा बढ़ेगा. शरणार्थियों के मुद्दे पर मैर्केल को अपनी सहयोगी पार्टी सीएसयू का विरोध झेलना पड़ रहा है. सीएसयू का कहना है कि जर्मनी आने वाले सालाना शरणार्थियों की संख्या दो लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. हालांकि मैर्केल इस विचार को खारिज कर चुकी हैं.
सीएसयू के प्रमुख होर्स्ट जेहोफर ने "डी वेल्ट" अखबार को दिये इंटरव्यू में कहा कि सब जानते हैं कि प्रवासियों की लहर जारी रहेगी. उन्होंने अनुमान जताया था जर्मनी की सीमाएं खोलने के मैर्केल के फैसले के कारण सीडीयू-सीएसयू को सितंबर में होने वाले चुनावों में बहुमत गंवाना पड़ सकता है
इसलिए एएफडी पार्टी से डर रहे हैं जर्मन
जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी एएफडी (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी) का उभार कई लोगों के लिए चिंता का कारण है. पार्टी नेताओं के शरणार्थी विरोधी बयान सुर्खियों में रहते हैं. एक नजर इन्हीं विवादित बयानों और पार्टी के अहम नेताओं पर:
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फ्राउके पेट्री
फ्राउके पेट्री एएफडी की सह-अध्यक्ष हैं. उन्होंने बयान दिया था कि जर्मनी में गैर कानूनी तरीके से घुसने वाले शरणार्थियों को जर्मन पुलिस बॉर्डर पर ही गोली मार दे. 41 वर्षीय पेट्री ने 2016 में एक अखबार के साथ बातचीत में यह बात कही थी.
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ब्योर्न होके
जर्मन प्रांत थुरिंगिया में एएफडी पार्टी के प्रमुख ने बर्लिन के यहूदी नरसंहार स्मारक को "शर्म का स्मारक" बताया था. उन्होंने यह भी कहा कि जर्मनी को अपने नाजी अतीत पर प्रायश्चित करना और उसके लिए हर्जाना देना बंद कर देना चाहिए.
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अलेक्जांडर गाउलैंड
पार्टी के डिप्टी चेयरमैन अलेक्जांडर गाउलैंड ने कहा था कि जर्मन फुटबॉल टीम के डिफेंडर जेरोम बोआटेंग मैदान पर बढ़िया खेलते हैं, लेकिन लोग नहीं चाहेंगे कि बोआटेंग जैसा कोई व्यक्ति उनका पड़ोसी बने. शरणार्थियों के लिए दरवाजे बंद करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि हमें बच्चों की आंखों से ब्लैकमेल नहीं होना है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Murat
बेआट्रिक्स फॉन स्टोर्च
यूरोपीय संसद की सदस्य स्टोर्च ने कहा कि "जो सीमा पर स्टॉप को स्वीकार नहीं करेंगे, वे हमलावर हैं और हमें हमलावरों के खिलाफ खुद की रक्षा करनी है." शुरू में एएफडी की मुहिम यूरो और बेलआउट पैकेज के खिलाफ थी लेकिन जल्द ही उसने आप्रवासी विरोध की नीति अपना ली.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Murat
मार्कुस प्रेत्सेल
मार्कुस प्रेत्सेल जर्मनी के सबसे बड़े राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफालिया के चेयरमैन हैं. उन्होंने बर्लिन के क्रिसमस बाजार में हुए हमले के बाद लिखा था, "ये मैर्केल के मारे लोग हैं." इस हमले में 12 लोग मारे गए थे. प्रेत्सेल फ्राउके पेट्री के पति हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Murat
आंद्रे वेंट
वेंट जर्मनी के पूर्वी राज्य सेक्सनी में प्रांतीय विधानसभा के सदस्य हैं. उन्होंने अपने इस सवाल से सुर्खी बटोरी कि जर्मनी में अकेले दम पर आने वाले नाबालिगों की नसबंदी पर सरकार ने कितना खर्च उठाया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जुलाई तक ऐसे 52 हजार लोगों ने जर्मनी में शरण मांगी है. इनमें ज्यादातर पुरूष हैं.
तस्वीर: picture alliance/ZB/H. Schmidt
आंद्रे पोगेनबुर्ग
सेक्सनी अनहाल्ट प्रांत में एएफडी के प्रमुख पोगेनबुर्ग ने अपने एक अतिवादी बयान से सबको हैरान कर दिया. फरवरी 2017 में उन्होंने प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों से मिलकर धुर वामपंथ को हमेशा के लिए खत्म कर देने की बात कही.
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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रवासी और शरणार्थियों से जुड़ा मुद्दा अकेला ऐसा विषय है जो लोगों को एएफडी को वोट देने के लिए प्रेरित करेगा. "ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग" अखबार ने सितंबर 2016 में एएफडी की एक बड़ी चुनावी जीत के बाद एक विश्लेषण किया था. इसके अनुसार एएफडी को वोट देने वाले 82 प्रतिशत लोगों ने कहा कि प्रवासन उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. वहीं 17 प्रतिशत लोगों कहना था कि एएफडी शरणार्थी मुद्दे से निपटने के मामले में सबसे बेहतर स्थिति में है.
जाहिर है जर्मनी में प्रवासियों की संख्या जितनी बढ़ेगी, उसका सीधा फायदा एएफडी को होगा. और चौथी बार चांसलर बनने की कोशिशों पर इसका असर हो सकता है.