यूक्रेन जाकर जर्मनी ने दिया उससे एकजुटता का साफ संदेश
१६ जून २०२२
फ्रांस, इटली और रोमानिया के शीर्ष नेताओं के साथ यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से कीव में मुलाकात की. रूस के साथ युद्ध शुरु होने के बाद से पहली बार मिले.
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों, इटली के मारियो द्रागी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स आखिरकार यूक्रेन चले ही गए. युद्ध शुरु होने के समय से यह इनका पहला यूक्रेन दौरा है. नेताओं ने यूक्रेनी राजधानी कीव में राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की और युद्ध से बर्बाद हो चुके एक उपनगर इरपिन का दौरा भी किया. शॉल्त्स ने इसे "कल्पनातीत क्रूरता" और "बेहिसाब हिंसा" का दृश्य बताया.
चांसलर शॉल्त्स पहले ही बता चुके हैं कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की इसी महीने 26-28 जून के बीच जर्मनी में होने वाले जी7 सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इनके साथ रोमानिया के राष्ट्रपति भी दौरे पर हैं. इन मुलाकातों से यूक्रेन को रूस के खिलाफ अपनी कार्रवाई में इनसे हथियार और मदद मिलने की उम्मीद है. कीव को शिकायत रही है कि फ्रांस, जर्मनी और कुछ हद तक इटली भी हथियारों के माध्यम से उनकी मदद करने में काफी सुस्त रहा है.
यूक्रेन का आरोप रहा है कि इन सबने अपनी तरक्की को यूक्रेन की आजादी के आगे रखा. इस आलोचना पर फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि फ्रांस आर्थिक मदद के साथ-साथ हथियार भी पहुंचा रहा है. माक्रों ने कहा, "फ्रांस और यूरोप शुरु से ही यूक्रेन और उसके लोगों के साथ खड़े हैं."
27 देशों के यूरोपीय संघ में शामिल होने की यूक्रेन की कोशिशें और ज्यादा-से-ज्यादा हथियारों की मांग इस मुलाकात के दो मुख्य बिंदु रहे.
रूस की ओर से इस दौरे पर प्रतिक्रिया आई है. क्रेमलिन ने कहा है कि नेताओं को जेंलेस्की के साथ बिताए अपने समय का इस्तेमाल और हथियार भेजने की बात करने के बजाय "चीजों को ठीक से देखने में करना" चाहिए. रूस ने इस दौरे से पहले ही चेतावनी दी थी कि पश्चिमी देश यूक्रेन में और हथियार पंप ना करें. क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा, "मैं आशा करूंगा कि इन तीनों देशों के नेता और रोमानिया के राष्ट्रपति केवल यूक्रेन में हथियार भेज कर ही यूक्रेन की मदद करने की कोशिश ना करें. यह व्यर्थ होगा और देश को और बर्बाद ही करेगा."
उधर, ब्रसेल्स में नाटो के रक्षा मंत्रियों की बैठक हो रही है, जिसमें कीव के लिए और हथियार भेजे जाने पर सहमति बन सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के लिए एक अरब डॉलर की और मदद का एलान किया है. इससे एंटी-शिप मिसाइलें, एंटी-शिप रॉकेट सिस्टम, युद्धक रॉकेट और कई और हथियार खरीदे जाएंगे.
आरपी/एसएम (रॉयटर्स, डीपीए)
जर्मन सेना अलग से मिले 100 अरब की रकम से क्या खरीदेगी
कई दशकों से पुराने हथियार और साजो सामान से काम चलाने वाली जर्मन सेना को आधुनिक बनाने के लिए जर्मनी 100 अरब यूरो की रकम अलग से खर्च करने जा रहा है. आखिर इतनी बड़ी रकम से सेना के लिए क्या क्या खरीदा जाएगा.
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सबसे बड़ा हिस्सा वायु सेना को
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक 100 अरब में से तकरीबन 40 अरब रकम से ज्यादा की रकम वायु सेना पर खर्च होगी. जर्मन नौसेना के लिए 19.3 और थल सेना के लिए 16.6 अरब यूरो की रकम खर्च की जाएगी. बाकी रकम संयुक्त रूप से सेना के लिये नई तकनीकों के विकास पर खर्च होगी.
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लड़ाकू विमान
जर्मन वायु सेना के पास फिलहाल टोरनाडो लड़ाकू विमान है जो बहुत पुराना हो चुका है और कई विमान तो अब उड़ने के काबिल भी नहीं रहे. जर्मन सरकार अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने की इच्छा रखती है. इतना ही नहीं वायु सेना में नया यूरोफाइटर और टोरनाडो की जगह लेने के लिए एक और विमान बेड़ा भी तैयार होगा.
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एयर डिफेंस सिस्टम
जर्मनी इस्राएल से एक नया एयर डिफेंस सिस्टम एरो खरीदने की तैयारी में है. जर्मनी के पास पहले से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम है लेकिन यह कम ऊंचाई और दूरी की मिसाइलों के लिए है. एरो पृथ्वी से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर और लंबी दूरी तय कर के आने वाली मिसाइलों को रोकता है.
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अर्ली वार्निंग सिस्टम
जर्मनी एक अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने की भी तैयारी में है. यह वार्निंग सिस्टम अंतरिक्ष में रहते हुए काम करेगा और मिसाइलों से हमले की जानकारी मुहैया करायेगा जिससे कि समय रहते एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हमलावर मिसाइल को बेकार किया जा सके. एक ड्रोन डिफेंस सिस्टम भी विकसित करने की बात हो रही है.
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हथियारबंद ड्रोन
जर्मनी की संसद ने हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए 140 मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी है. इसके लिए करीब 15.26 करोड़ यूरो का करार होगा. हाल के महीनों तक जर्मन सेना को हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी लेकिन अब मिल गयी है.
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कमांड और कंट्रोल सिस्टम
सेना के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए जर्मन सेना 20.7 अरब यूरो की रकम खर्च कर रही है. इसमें एनक्रिप्टेड रेडियो, बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और कई दूसरी चीजें शामिल हैं. इससे पहले माली जैसे देशों में जर्मन सेना उधार के एनक्रिप्टेड रेडियो का इस्तेमाल करती थी ताकि संयुक्त अभियानों में समस्या ना हो.
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लड़ाकू जलपोत और पनडुब्बी
नौसेना के लिए जंगी जहाज, मिसाइल और पनडुब्बी भी जर्मन सेना की खरीदारी की लिस्ट में शामिल है. जर्मनी के-130 टाइप के पांच और लड़ाकू जलपोत खरीदेगा. ये जलपोत इसी तरह के पुराने जहाजों की जगह लेंगे. इसके साथ ही एफ-126 टाइप के दो और फ्रिगेट भी खरीदने के विकल्प पर भी विचार हो रहा है.
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समुद्री गश्ती विमान
जर्मन सेना को बोइंग के बनाये पी8ए विमान भी मिलेंगे जो समुद्र में गश्त के लिए इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा भारी हथियारों से लैस लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी सेना में शामिल होंगे. फिलहाल सेना एच145एम इस्तेमाल कर रही है जिन्हें भारी हथियारों से लैस करने के बाद इनमें भी हमलावर हेलीकॉप्टर की क्षमता आ जायेगी.
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वर्दी और हेलमेट
सरकार जर्मन सैनिकों के यूनिफॉर्म, हेलमेट और नाइट विजन जैसे उपकरणों पर करीब 2 अरब यूरो की रकम खर्च करेगी.
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मार्डर टैंक बदला जायेगा
थल सेना के लिए खरीदारी में मार्डर टैंक के दस्ते को बदलना भी शामिल है. इसके लिए नये टैंकों के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.