जर्मनी के बुनियादी ढांचे पर लगातार कौन कर रहा है हमला
२ अक्टूबर २०२५
तकरीबन हर दिन ही जर्मनी के क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमले हो रहे हैं. हाल ही में जब कई यूरोपीय हवाई अड्डों के ऊपर ड्रोन देखे गए, उसी सप्ताह एक साइबर हमले ने सुरक्षा सॉफ्टवेयर को ठप कर दिया.
यह सिक्यॉरिटी सॉफ्टवेयर बर्लिन एयरपोर्ट में भी इस्तेमाल होता है. नतीजतन, यात्री और कर्मचारी दोनों ही परेशान हुए. इसी बीच जर्मनी की राष्ट्रीय रेल सेवा 'डॉयचे बान' भी फिर से तोड़फोड़ का शिकार हुई.
पोलैंड में घुसे रूसी ड्रोनों से हरकत में आया नाटो
निजी कंपनियों पर भी इस तरह के साइबर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. जर्मनी में डिजिटल इकॉनमी संगठन 'बिटकॉम' के अनुसार, अर्थव्यवस्था को इससे लगभग 28,900 करोड़ यूरो का नुकसान हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 68 फीसदी मामलों में इसके पीछे अपराधी गिरोह होते हैं. लेकिन सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों में करीब आधों ने कहा कि उन्हें कम-से-कम एक हमले का तार रूस से मिला है. लगभग उतनी ही कंपनियों ने वारदातों का चीन से संबंध होने की बात कही.
'खतरा बढ़ता जा रहा है'
यूरोप में हाल ही में हुए ड्रोन हमलों के लिए रूस की सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
थिंकटैंक 'एजी क्रिटिस' के बुनियादी ढांचा सुरक्षा विशेषज्ञ मानुएल अतुग बताते हैं, "इस बात कि संभावना बहुत कम है कि इनके पीछे कोई व्यक्ति हो सकता है. ये महंगे उपकरणों के साथ काम करने वाले प्रोफेशनल्स हैं, यानी इसके पीछे किसी देश की सरकार का हाथ होने की संभावना बहुत ज्यादा है."
अतुग का अनुमान है कि इन हमलों का मकसद समाज को अंदर से अस्थिर करना हो सकता है, ताकि लोग संस्थानों और सरकार पर से भरोसा खो दें.
सितंबर महीने में जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी 'बीएनडी' ने बताया कि सरकारी संस्थानों और अहम ढांचों पर "लगभग हर दिन" साइबर हमले हो रहे हैं. जर्मनी के चांसलर फ्रीडरीष मैर्त्स ने भी माना कि "दूसरे विश्व युद्ध के बाद शायद ही कभी देश की सुरक्षा इतनी गंभीर स्थिति में पहुंची हो."
मैर्त्स की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स (सीडीयू) के नेता और सुरक्षा विशेषज्ञ रोडेरिष कीजवेटर ने कारोबारी खबरों के एक प्रमुख अखबार 'हांडेल्सब्लाट' से कहा, "खतरा लगातार बढ़ रहा है क्योंकि रूस अब सिर्फ निगरानी करने वाले ड्रोन ही नहीं, बल्कि हथियारों से लैस ड्रोन भी भेज रहा है." उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार इतनी गंभीर सुरक्षा समस्याओं को केवल निजी ऑपरेटरों (जैसे एयरपोर्ट प्रबंधन) पर नहीं छोड़ सकती. उन्होंने आपातकाल घोषित करने का समर्थन किया, ताकि अनिवार्य सैन्य सेवा जैसे विशेष उपाय फिर से लागू किए जा सकें.
कोपेनहेगन और ओस्लो हवाई अड्डों के पास दिखे संदिग्ध ड्रोन, रूसी गतिविधि से इनकार नहीं
जर्मनी की जनता भी अब बढ़ते खतरे को महसूस कर रही है. 2025 की शुरुआत में पीडब्लूसी द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 67 फीसदी जर्मन नागरिक रूस से होने वाले "हाइब्रिड हमलों" से डरते हैं. सर्वे में हिस्सा लेने वाले करीब 50 प्रतिशत प्रतिभागियों की राय में उनकी सरकार इन हमलों से बचाव के लिए ठीक से तैयार नहीं है.
असल में, डिजिटल ढांचे के मामले में जर्मनी काफी पीछे है. जर्मन सेना के पास बड़ी संख्या में आईटी विशेषज्ञ हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानुएल अतुग के अनुसार, "टैंक आज भी 1989 के सॉफ्टवेयर पर चल रहे हैं." यानी, जर्मन सरकार अब भी आधुनिक साइबर हमलों के खिलाफ "काफी कमजोर सुरक्षा" रखती है.
रूसी ड्रोन हमलों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं पोलैंड, यूक्रेन, और नाटो
रूस पर भाड़े के एजेंटों की भर्ती का आरोप
पिछले हफ्ते दो अहम रेल लाइनों को निशाना बनाया गया. एक हमला, हैम्बुर्ग और बर्लिन के बीच. दूसरा हमला, कोलोन और ड्युसेलडॉर्फ के बीच. इनमें से एक मामले में ट्रेन की सुरंग में विस्फोट किया गया और दूसरे में ऊपर लगी बिजली की तारें काट दी गईं. ये घटनाएं हमलों की उस शृंखला का हिस्सा हैं, जिन्हें डॉयचे बान ने "लगभग रोजाना होने वाले हमले" का हिस्सा बताया है.
सांसदों और जांचकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि क्या इन तोड़फोड़ की घटनाओं के पीछे रूस हो सकता है? जर्मनी के गृह मंत्री अलेक्जांडर दोबरिंट ने भी कथित "भाड़े के एजेंटों" का जिक्र किया. ऐसे एजेंट जो किसी विदेशी सरकार का हिस्सा नहीं होते, लेकिन पैसे के बदले साइबर अपराध या बुनियादी ढांचे पर हमला करते हैं.
दोबरिंट ने बताया, "ऐसे तीन तथाकथित निचले स्तर के एजेंटों पर फिलहाल म्यूनिख में मुकदमा चल रहा है. आरोप है कि ये तीनों रूस की ओर से रेलवे पर हमला करने की योजना बना रहे थे.
रेल हमले के मामले में लेफ्ट-विंग चरमपंथियों पर भी आरोप
कुछ नेताओं ने ट्रेन को नुकसान पहुंचाने के लिए वामपंथी चरमपंथियों को भी जिम्मेदार ठहराया है. इनमें नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के आंतरिक मंत्री हेरबेर्ट रॉइल भी शामिल हैं. एक लेफ्ट-विंग वेबसाइट पर चिट्ठी जारी की गई थी, जिसमें अगस्त में रेल लाइन पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली गई थी. रॉइल ने कहा, "इसलिए यह संभव है कि इसके लिए उग्र वामपंथी चरमपंथी जिम्मेदार हों."
क्या है "एंग्री बर्ड्स कमांडो" जिसने जर्मन रेल लाइन पर हमले का दावा किया
लेकिन वामपंथी चरमपंथी किस मकसद से रेलवे लाइन पर हमला करेंगे, जबकि आमतौर पर सार्वजनिक परिवहन का समर्थन करना वामपंथियों का एजेंडा होता है?
इस सवाल पर संविधान सुरक्षा के संघीय कार्यालय का कहना है कि वामपंथी कट्टरपंथी 'डॉयचे बान' को बस एक सार्वजनिक सेवा नहीं मानते हैं. उनकी नजर में, "डॉयचे बान जर्मनी की 'पूंजीवादी मुनाफाखोर अर्थव्यवस्था' की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक कंपनी है."
वहीं, सुरक्षा विशेषज्ञ मानुएल अतुग ने ध्यान दिलाया कि "कोई भी उस प्लेटफॉर्म पर गुमनाम पत्र जारी कर सकता है. यह असामान्य है कि किसी भी अन्य वामपंथी समूह या व्यक्ति ने इस हमले के साथ एकजुटता नहीं जताई."
"पश्चिम की एकता का इम्तिहान लेना चाहता है रूस"
उन्होंने कहा, "यह पहली बार नहीं होगा जब वामपंथियों ने परिवहन को रोका हो," लेकिन अधिकारियों को "पहले सही तरह से जांच करनी चाहिए," न कि केवल शक जताकर निष्कर्ष निकालना चाहिए. उनके मुताबिक, यही बात ड्रोन घुसपैठ और साइबर हमलों पर भी लागू होती है.
इस बीच, विपक्षी सांसद मैर्त्स सरकार से मांग कर रहे हैं कि बिना फॉलो-अप के बस संदेह जाहिर करने की जगह वह ठोस कदम उठाए और स्पष्ट करे कि किस जगह से हमले किए जा रहे हैं. ग्रीन्स पार्टी के सुरक्षा मामलों के प्रभारी कोंसटेंटीन नॉत्स ने डॉइचलैंडफुंक रेडियो से कहा, "जर्मन जनता को यह जानने का अधिकार है कि दैनिक या साप्ताहिक स्तर किए जा रहे ये हमले कहां से हो रहे हैं. किसपर संदेह है और उनके पीछे कौन है."