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समाजजर्मनी

महंगे पेट्रोल से भी जर्मनी में नहीं घटी कार के लिये दीवानगी

१६ सितम्बर २०२२

ईंधन की बढ़ती कीमतों और ऊर्जा संकट के दौर में भी जर्मनी की सड़कों पर निजी कारों की भीड़ लगातार बढ़ रही है. ये हालत तब है जब सरकार कई तरीकों से लोगों को सार्वजनिक परिवहन और वैकल्पिक साधनों की तरफ ले जाने की कोशिश में है.

ऊर्जा संकट में भी कार को लेकर दीवानगी गम नहीं हो रही है जर्मनी में
जर्मन सड़कों पर इतनी कारें हैं कि पूरी आबादी को अगली सीटों पर जगह मिल जायेगीतस्वीर: DW

जर्मनी में दादी से लेकर पोती तक सबके लिये कार की फ्रंट सीट पर जगह मौजूद है. जर्मनी में कारों की संख्या बता रही है कि यहां की पूरी आबादी को एक साथ कहीं ले कर जाना हो तो कारों की फ्रंट सीट पर ही सबको जगह मिलेगी और कुछ में तो ड्राइवर अकेला होगा. संघीय सांख्यिकी विभाग की तरफ से जारी ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि जर्मनी में प्रति 1000 लोगों पर निजी कारों की संख्या 580 तक चली गई है. एक दशक पहले यह संख्या 517 थी.

सत्ताधारी गठबंधन में शामिल ग्रीन पार्टी के संसदीय परिवहन प्रवक्ता श्टेफान गेलभार का का कहना है, "बच्चे से लेकर दादी मां तक पूरी आबादी के पास जर्मनी में लाइसेंस वाली कार की फ्रंट सीट पर जगह मौजूद है. कारें ना सिर्फ लोगों के लिए महंगी हैं बल्कि समाज और पूरे बुनियादी ढांचे के लिये भी."

नो लिमिट के साथ गति से हाइवे पर दौड़ती कारें जर्मन लोगों को अभिभूत करती हैंतस्वीर: dpa/picture alliance

ग्रीन पार्टी का कहना है कि परिवहन व्यवस्था में बदलाव के लिये बड़े उपाय करने होंगे सिर्फ डीजल, पेट्रोल से बैट्री की तरफ जाने से कुछ नहीं होगा. गेलभार ने कहा, "हमें ज्यादा, बेहतर और अधिक किफायती सार्वजनिक परिवहन चाहिये साथ ही साइकिल सवारों और पैदल यात्रियों के लिये ज्यादा सुरक्षित बुनियादी ढांचा."

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जर्मन राजनेता ने कारों के लिये सब्सिडी को अनुचित बताया. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी, ग्रीन पार्टी और उदारवादी एफडीपी के गठबंधन ने कारों पर सब्सिडी घटाने के लिये प्रावधान किये हैं.

आबादी से आधी कारें

जर्मनी में लाइसेंस देने वाली अथॉरिटी केबीए के मुताबिक इस साल की शुरुआत में जर्मनी की सड़कों पर चलने के लिये करीब 4.85 करोड़ कारों के पास लाइसेंस था. यह संख्या पिछले साल की तुलना में करीब 3 लाख ज्यादा है. पिछले 14 सालों में यह संख्या 74 लाख बढ़ी है यानी औसतन हर साल 5 लाख से ज्यादा कारें सड़कों पर उतरीं.

जर्मनी में कारों को लेकर दीवानगी आम लोगों से लेकर राजनेताओं तक में हैतस्वीर: dapd

1 जुलाई 2022 को कारों की संख्या 4.87 करोड़ तक जा पहुंची है. यह संख्या अब भी बढ़ रही है और पिछले छह महीने में 150,000 से ज्यादा कारों का बढ़ना यह दिखाता है कि शायद संख्या बढ़ने की गति थोड़ी धीमी है. हालांकि इसके पीछे दूसरे कारण जिम्मेदार हैं. सप्लाई की समस्या के कारण एक तो कारें नहीं मिल रही हैं. कार के जरूरी पुर्जों की सप्लाई में कमी के कारण कई फैक्ट्रियों में अस्थायी तौर पर काम बंद करना पड़ा है. ज्यादातर कार कंपनियां ग्राहकों को नई कारें मुहैया कराने में एक से डेढ़ साल का समय मांग रही हैं.

दूसरा कारण है कारों की लंबी आयु. बीते सालों में जर्मन सड़कों पर चलने वाली कारों की आयु पहले के मुकाबले बढ़ गई है. इस साल की शुरुआत में जर्मनी की सड़कों पर चलने वाले कारों की औसत आयु 10.1 साल है. 2008 में यह इससे दो साल से ज्यादा कम थी.

शहरों में कम और गांवों में ज्यादा कारें

जर्मनी के 16 राज्यों में जहां ग्रामीण आबादी का अनुपात ज्यादा है वहां कारों की संख्या भी ज्यादा है. फ्रांस की सीमा पर मौजूद जारलैंड में 2021 में प्रति 1000 लोगों पर 658 कारें थीं. इसके बाद राइनलैंड पलैटिनेट की बारी आती है जहां 632 और बवेरिया में 622 कारें थीं. शहरी इलाकों वाले राज्य बर्लिन में यह संख्या 337, हैंबर्ग में 435 और ब्रेमन में 438 है.

आधुनिक कारें ज्यादा ताकतवर ईंजन वाली भी हैं. केबीए के आंकड़ों के मुताबिक 100 किलोवाट यानी 136 हॉर्सपावर से ज्यादा ताकतवर इंजन वाले कारों की संख्या में 677,000 का इजाफा हुआ है जबकि कम ताकतवर ईंजन वाले कारों की संख्या 384,000 घट गई है.

हाल ही में अमेरिकी कार कंपनी टेस्ला ने अपनी फैक्ट्री जर्मनी में खोली हैतस्वीर: PATRICK PLEUL/Pool/AFP

बिजली से चलने वाली कारों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. केबीए के आंकड़े बता रहे हैं कि 2022 में 1 जुलाई तक इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड कारों की संख्या 14.4 लाख थी. इनमें आधी से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें थीं. एक साल पहले की तुलना में यह संख्या 256,000 ज्यादा है.

जर्मनी दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां ऑटोबान यानि बिना टोल वाले एक्सप्रेस वे के कई हिस्सों पर पर स्पीड लिमिट नहीं है. बीते सालों में इसकी आलोचना होती रही है. खासतौर से पर्यावरण का ख्याल रखने और ऊर्जा बचाने की मुहिम शुरू होने के बाद से इस पर अकसर सवाल उठ रहे हैं लेकिन जर्मनी के लोग इसे लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते. कार, ऑटोबान और तेज गति के प्रति जर्मन लोगों की दीवानगी  की तुलना कई बार अमेरिकी लोगों के बंदूक संस्कृति से भी की जाती है.

एनआर/ओएसजे (डीपीए)

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