जर्मनी में सीरियल किलिंग का रोंगटे खड़े करने वाला ऐसा मामला सामने आया है जो उपन्यास या फिल्म की कहानी जैसा लगता है. सच ही कहा गया है, हकीकत कल्पना से ज्यादा अजीब होती है.
विज्ञापन
जर्मनी के इस नर्स का मामला हैरान कर देने वाला है. 2015 में नील्स होएगेल को दो हत्याओं का दोषी पाया गया था और अदालत ने उम्रकैद की सजा दी थी. धीरे धीरे जांच में और कत्लों की बात सामने आयी. जांचकर्ताओं को शक था कि उसने और भी कत्ल किए हैं. 10-15 से शुरू हुई संख्या अब 100 तक पहुंच गयी है और पुलिस का कहना है कि इस संख्या के और भी बढ़ने की संभावना है.
यह हैरतअंगेज मामला 2005 में सामने आया जब डेलमेनहोर्स्ट अस्पताल में एक नर्स ने नील्स को एक मरीज को इंजेक्शन देते हुए देखा. मरीज को बचाया लिया गया और 2008 में नील्स को गिरफ्तार किया गया. अदालत ने उसे कत्ल की कोशिश में साढ़े सात साल की कैद की सजा सुनायी. मामला मीडिया में उछला तो एक महिला ने शिकायत की कि उसकी मां की भी इसी तरह जान गयी थी. जांच के दौरान इस और एक अन्य कत्ल की पुष्टि हुई और नील्स को उम्र कैद सुनायी गयी. लेकिन जैसे जैसे छानबीन आगे बढ़ रही है, संख्या भी बढ़ती चली जा रही है. यह जर्मनी का सबसे बड़ा सीरियल किलिंग का मामला बन गया है.
जब रियल लाइफ मर्डर मिस्ट्री बनी फिल्मों की स्क्रिप्ट
बॉलीवुड में ऐसी तमाम फिल्में बनीं जो असल जिदंगी की किसी मर्डर मिस्ट्री को दिखाती हैं. इनमें कुछ घटनाओं का रहस्य तो सुलझ गया लेकिन कुछ पर अब भी सवाल हैं. एक नजर ऐसी फिल्मों पर, जो असली घटनाओं पर आधारित हैं.
तस्वीर: AP
तलवार
साल 2008 के चर्चित आरुषि हत्याकांड पर बनी फिल्म है, तलवार. नोएडा में रहने वाले तलवार परिवार की बेटी आरुषि और उनके नौकर हेमराज की हत्या की गुत्थी अब तक सुलझ नहीं सकी है. निचली अदालत ने आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के लिए आरुषि के माता-पिता को दोषी ठहराया था. लेकिन उच्च न्यायालय ने माता-पिता को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.
तस्वीर: AP
नो वन किल्ड जेसिका
साल 1999 में कांग्रेस नेता विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने मॉडल जेसिका लाल की गोली मार कर हत्या कर दी थी. जेसिका की हत्या और न्याय पाने के लिए जेसिका के परिवार के संघर्ष को इस फिल्म में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है.
तस्वीर: AP
मद्रास कैफे
1980 के दशक में श्रीलंकाई गृहयुद्ध में भारतीय हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि पर बनी मद्रास कैफे को आलोचकों ने बेहद सराहा. फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से जुड़े पूरे घटनाक्रम को दिखाया गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नॉट ए लव स्टोरी
मुंबई के एक मशहूर टीवी प्रोडक्शन हाउस सिनर्जी एडलैब्स के अधिकारी नीरज ग्रोवर की हत्या कर दी गई थी. हत्याकांड की इसी पृष्ठभूमि पर रामगोपाल वर्मा ने यह फिल्म बनायी. असल मामले में ग्रोवर की हत्या के आरोप में अभिनेत्री मारिया सुसाइराज और उनके प्रेमी लेफ्टिनेंट एमएल जेरोम मैथ्यू को गिरफ्तार भी किया गया था.
तस्वीर: Bohra Bros Prod. Pvt. Ltd..
वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई
यह फिल्म कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और हाजी मस्तान के संबंधों को प्रतीकात्मक ढंग से दिखाती है. फिल्म 70 के दशक के उस मुंबई को दिखाती है जब शहर में अंडरवर्ल्ड का दबदबा हुआ करता था. हालांकि विवादों से बचने के लिए फिल्म में चरित्रों और जगहों के नाम बदले गये हैं.
तस्वीर: Balaji Motion Pictures
शूटआउट एट लोखंडवाला
यह फिल्म साल 1991 में एसीपी एए खान की अगुवाई में मुंबई पुलिस और गैंगस्टर माया डोलास के बीच हुई मुठभेड़ पर आधारित है. यह मुठभेड़ मुंबई के लोखंडवाला परिसर में हुई थी, जिसमें डी कंपनी के लिए काम करने वाले 25 साल के डोलास की मौत हो गयी थी.
तस्वीर: Balaji Telefilms
फिराक
यह अभिनेत्री नंदिता दास की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी. साल 2008 में आई यह फिल्म 2002 के गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि पर बनायी गयी थी. इसमें दंगों की बजाय आम लोगों पर इन दंगों का क्या असर हुआ उसको दिखाया गया था.
तस्वीर: Percept Picture Company
ब्लैक फ्राइडे
निर्देशक अनुराग कश्यप की यह फिल्म साल 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित है. यह बॉलीवुड की सबसे विवादित फिल्मों में से एक है. फिल्म को साल 2004 में रिलीज किया जाना था लेकिन विवादों के चलते फिल्म 2007 में रिलीज हो सकी.
तस्वीर: Jhamu Sughand/Adlabs films
हे राम
कमल हासन अभिनीत यह फिल्म भारत विभाजन और नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर आधारित है. इस फिल्म पर काफी विवाद रहा लेकिन बाद में इसे भारत की ओर से ऑस्कर में भी भेजा गया.
तस्वीर: Raajkamal Films International
9 तस्वीरें1 | 9
हीरो बनना चाहता था
नील्स ने ये हत्याएं ओल्डनबर्ग शहर में काम करते हुए 1999 से 2005 के बीच की. उसने माना है कि वह मरीजों को ऐसी दवाएं इंजेक्ट करता था जिनके कारण दिल का दौरा पड़ता था या फिर खून का बहाव रुक जाता था. जब मरीज की हालत गंभीर हो जाती, तब वह उसकी जान बचाने के लिए फिर एक दवा देता. जब मरीज बच जाता, तो नील्स अपने सहकर्मियों की नजरों में हीरो बन जाता. लेकिन जान बचाने वाली दवा का असर अधिकतर कुछ वक्त के लिए ही हो पाता था और आखिरकार मरीज मर जाता.
अदालत में जब नील्स से ऐसा करने की वजह पूछी गयी तो उसका कहना था कि उसने ऐसा 'बोरियत' के कारण किया. उसका कहना था कि उस पर एक जुनून सवार था. जब वह लोगों को दोबारा जीवित कर पाता, तो बेहद खुश हो जाता और जब विफल रहता, तो निराशा में घिर जाता.
जांचकर्ताओं का कहना है कि नील्स को खुद भी याद नहीं है कि उसने कितनी जानें लीं. 30 मामले ऐसे थे, जो उसे ठीक ठीक याद थे. ओल्डनबर्ग पुलिस प्रमुख का कहना है कि उन्होंने कभी इतना पेचीदा मामला नहीं देखा है, "कई बार बारीकियां ऐसी थी कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे."
आईबी/एमजे (एएफपी, डीपीए)
भारत में क्राइम के लिए कुख्यात शहर
भारत के कुछ इलाके खास किस्म के अपराधों के लिए कुख्यात हैं. एक नजर इन इलाकों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
गाड़ियों की चोरी
उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर गाड़ियों की चोरी के लिए बदनाम हैं. उत्तर भारत के कई शहरों से चोरी हुई गाड़ियां इन्हीं शहरों में ही काट पीटकर बेची जाती हैं.
तस्वीर: Colourbox/Andrey Armyagov
हत्या
सुपारी लेकर हत्या करने जैसे अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश के इटावा और बुलंदशहर कुख्यात हैं. बिहार के बेगूसराय जिले से भी कई गैंगस्टर निकले हैं. कर्नाटक का बेल्लारी भी ऐसे अपराधों के लिए बदनाम होता रहता है.
तस्वीर: Fotolia
कार्ड फर्जीवाड़ा
वोटर आईडी और पैन कार्ड की धांधली के ज्यादातर मामले हैदराबाद से शुरू होते हैं. हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस की जांच में इस बात का पता चला.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelam
लूट पाट, डकैती
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच बसा चंबल का इलाका आज भी लूट पाट और डकैती के लिए बदनाम है. वहां की कई सड़कों पर आज भी रात में लोग अकेले गाड़ी चलाने से घबराते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Dutta
आईटी फ्रॉड
बेंगलुरू में दुनिया भर की कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर बनते हैं और वहीं से खूब हैकिंग भी होती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar
बलात्कार
इस मामले में देश की राजधानी सबसे बदनाम है. दिल्ली की छवि ऐसी बन चुकी हैं कि भारत घूमने जाने वाली विदेशी महिलाएं भी दिल्ली के नाम से थरथराती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Saurabh Das
अपहरण
इसके लिए बिहार बदनाम है. हालांकि बीते बरसों में वहां अपहरण की वारदातों में काफी कमी आई है. लेकिन अभी भी बीच बीच में अपहरण के कुछ मामले सामने आ ही जाते हैं.
तस्वीर: Strdel/AFP/Getty Images
प्रॉपर्टी विवाद
दिल्ली से सटे गुरुग्राम (गुड़गांव) और ग्रेटर नोएडा प्रॉपर्टी के विवादों के लिए कुख्यात हैं. वहां रियल स्टेट का काम करने वाले गुटों में संघर्ष भी लगा रहता है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo
कोयला माफिया
कोयला की कालिख ने झारखंड के धनबाद शहर को बदनाम किया. कोल ब्लॉक आवंटन के बाद हालात कुछ सुधरे, लेकिन अब भी वहां माफिया की जंग छिड़ी रहती है.
तस्वीर: Ravi Mishra/Global Witness
वन्य जीव तस्करी
वन्य जीवों की खाल और जड़ी बूटियों के तस्कर उत्तराखंड में खासे सक्रिय रहते हैं. हर साल उत्तराखंड में कीड़ा जड़ी और तेंदुओं की खाल के साथ तस्करों के पकड़े जाने के मामले सामने आते हैं.
तस्वीर: AP
चरस, अफीम
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू-मनाली की हसीन वादियों को चरस के लिए भी जाना जाता है. कई युवा वहां चरस की खातिर भी पहुंचते हैं. वहीं राजस्थान के बाड़मेर और मध्य प्रदेश के नीमच और मनसौर को अफीम की काला बाजारी भी होती है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. R. Jain
नकल
नकल के लिए बिहार बदनाम है. हर साल वहां से बड़े स्तर पर नकल की खबरें आ ही जाती हैं. साथ ही राज्य टॉप करने वालों पर भी फर्जीवाड़े के केस चलने आम हो चुके हैं.