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अपराधजर्मनी

आतंकवाद से निपटने के लिए जर्मन पुलिस चाहती है ज्यादा ताकत

२२ अक्टूबर २०२४

छुरेबाजी की वारदातों में तेजी के कारण जर्मनी की आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंताएं काफी बढ़ गई हैं. कानून व्यवस्था को चाक-चौबंद करने और आतंकवाद से निपटने के लिए जर्मन पुलिस को ज्यादा शक्तियां दी जाएंगी.

अगस्त 2024 में जर्मनी के जोलिंगन शहर में चाकू से हुए हमले के बाद घटनास्थल पर जर्मन विशेष पुलिस बल के कर्मी.
जर्मनी में चाकू से होने वाले हमलों में आई तेजी के कारण असुरक्षा की भावना बढ़ी हैतस्वीर: Thilo Schmuelgen/REUTERS

जर्मनी की पुलिस बेहतर और प्रभावी रणनीति के साथ अपराधों से निपटना चाहती है. इसके लिए पुलिस महकमा लोगों के डेटा को लंबे समय तक अपने पास रखना और इस्तेमाल करना चाहता है.

जर्मन पुलिस यूनियन (जीडीपी) के नेता योखेन कोपेल्के ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि "न्यूनतम" जरूरी डेटा रखकर इसकी मदद से विभाग ज्यादा आसानी से आतंकवादियों की पहचान कर सकता है और उन्हें गिरफ्तार कर सकता है. कोपेल्के ने इस दिशा में जारी राजनीतिक ऊहापोह और मतभेद की आलोचना की.

जर्मनी में डेटा सुरक्षा और सर्विलांस, काफी गंभीरता से लिए जाने वाले विषय हैंतस्वीर: Thilo Schmuelgen/REUTERS

यह कहते हुए कि वे कई साल से केवल राजनीतिक तर्क-वितर्क के बारे में सुनते आ रहे हैं, कोपेल्के ने कहा, "राजनीतिक मतभेद बहुत हुआ." राजनीतिक रुख पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "मैं बस हैरानी से अपना सिर हिला सकता हूं. हम राजनीतिक विवादों से इतर इसका समाधान चाहते हैं."

कोपेल्के ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को तत्काल सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने की जरूरत है. इसके अलावा आईपी एड्रेस, इंटरनेट ट्रैफिक और लोकेशन, साइबर सुरक्षा और इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों से जरूरी सहयोग अनिवार्य करने की मांग भी की.

चाकू हमलों से निपटने के लिए जर्मन सरकार लाई बिल

आंतरिक सुरक्षा के लिए व्यापक रणनीति की जरूरत

जर्मनी में चाकू से होने वाले हमलों में आई तेजी के कारण असुरक्षा की भावना बढ़ी है. इसी पृष्ठभूमि में जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग ने नागरिकों की सुरक्षा से जुड़े एक मसौदे को मंजूरी दे दी है. इसका लक्ष्य देश में बढ़ रही चाकूबाजी जैसी घटनाओं पर विराम लगाना है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में मौजूदा गठबंधन सरकार ने इस साल हुई कई आतंकवादी घटनाओं के बाद नया सुरक्षा प्रस्ताव लाने की बात कही थी.

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इस कदम की प्रशंसा करते हुए इंटीरियर मंत्री नैन्सी फेजर ने कहा, "हम सार्वजनिक कार्यक्रमों में चाकू ले जाने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और राज्यों को चाकू पर कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए सक्षम बना रहे हैं."

अगस्त में ही नए "सिक्यॉरिटी पैकेज" पर सहमति कायम होने की जानकारी देते हुए सरकार ने बताया कि प्रस्तावित कदम देश में सुरक्षा की स्थिति बेहतर करेंगे. इनसे ना केवल डिपोर्टेशन करना आसान होगा, बल्कि "हिंसक इस्लामिक" वारदातों के खिलाफ संघर्ष में एजेंसियों को मदद मिलेगी. इससे जुड़े बयान में सरकार ने कहा, "जोलिंगन में हुई घटना ने दिखाया कि इस्लामिक आतंक जर्मनी के समक्ष सबसे बड़े खतरों में से एक है."

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सिक्यॉरिटी पैकेज पर टिप्पणी करते हुए आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने उस समय कहा था, "हम व्यापक कदम उठाने पर सहमत हुए हैं. सरकार के सभी हिस्सों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा." फेजर ने हथियार से जुड़े कानूनों को सख्त बनाने, सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा अधिकार देने पर भी जोर दिया.

जोलिंगन में हुई घटना के बाद सरकार ने कहा कि "इस्लामिक आतंक जर्मनी के आगे सबसे बड़े खतरों में से एक है"तस्वीर: Ayhan Uyanik/REUTERS

सिक्यॉरिटी पैकेज के प्रमुख पक्ष

अगस्त में जर्मन शहर जोलिंगन में चाकू से हुए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना को आतंकवादी गतिविधि करार दिया गया था. यह ऐसी पहली घटना नहीं थी. हालिया महीनों में चाकू से हमले की कई घटनाएं हुई हैं. पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, चाकू से होने वाले शारीरिक हमलों की संख्या में साल-दर-साल 9.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले साल ऐसे हमलों की संख्या 8,951 थी. 2024 के पहले छह महीनों में रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों के पास चाकू से हमलों की 430 घटनाएं सामने आई हैं.

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अगस्त 2024 में सिक्यॉरिटी पैकेज के प्रमुख पक्षों की जानकारी देते हुए सरकार ने बताया कि चरमपंथी हथियार हासिल ना कर पाएं, इसके लिए हथियारों का लाइसेंस देने या वापस लेने से पहले पुलिस और कस्टम जांच जैसे विभागों से मशविरा किया जाएगा. स्थानीय उत्सवों, खेल आयोजनों, प्रदर्शनियों, बाजारों और अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में चाकू ले जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाएगी. बस और ट्रेन जैसे सार्वजनिक परिवहन में भी चाकू पर प्रतिबंध होगा. 

जर्मन शहरों में हथियार मुक्त जोन बनाने की मांग

इसके अलावा आप्रवासन और शरणार्थियों के प्रबंधन और निगरानी से जुड़ा विभाग भविष्य में शरण मांगने वालों की पहचान की पुष्टि के लिए बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल कर सकेगा. इस्लामिक हिंसा से निपटने की दिशा में संदिग्धों की पहचान के लिए 'बायोमेट्रिक तुलना' द्वारा फेशियल रिक्गनीशन करना भी मुमकिन होगा. यह कानून जर्मन सुरक्षा अधिकारियों को ऐसे लोगों को शरण देने से इनकार करने की इजाजत देता है, जिन्होंने यहूदी-विरोधी, नस्लवादी, विदेशियों के प्रति नफरत, लिंग-विशेष, यौन-हिंसा या अमानवीय अपराध किए हैं.

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विपक्ष क्या कह रहा है

विपक्ष ने जर्मन संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट में सुरक्षा पैकेज के उस हिस्से को पास नहीं होने दिया, जिसके जरिए सुरक्षा अधिकारियों को इंटरनेट पर बायोमेट्रिक डेटा की जांच का अधिकार देने की बात कही गई थी. दक्षिण-पश्चिमी राज्य बाडेन-वुर्टेमबुर्ग के आंतरिक मामलों के मंत्री और सीडीयू नेता थोमास स्ट्रोबल ने एक अखबार को जानकारी देते हुए बताया, "यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया."

उन्होंने आरोप लगाया कि आतंकवाद से निपटने के लिए सुरक्षा अधिकारियों को दिए जाने वाले ये विशेष अधिकार महज शिगूफा हैं. जर्मनी में डेटा सुरक्षा और सर्विलांस, काफी गंभीरता से लिए जाने वाले विषय हैं. लोगों से लिए गए डेटा के इस्तेमाल और सुरक्षा पर विस्तृत कानून हैं. 

यूरोप में जर्मनी के बॉर्डर चेक की आलोचना

जर्मन सुरक्षा एजेंसियां इसके जरिए इंटरनेट पर मौजूद बायोमेट्रिक डेटा तक खुली पहुंच चाहती हैं, जिससे समय रहते आतंकवादी गतिविधियों को रोका जा सके. इस कदम को खारिज करने के लिए नैन्सी फेजर ने विपक्ष के नेताओं की आलोचना की. उन्होंने कहा, "चेहरे की पहचान के जरिए ही संदिग्धों, हत्यारों और बलात्कारियों की पहचान की जा सकती है."

सत्तारूढ़ सहयोगी दल एसपीडी और ग्रीन्स के कुछ हिस्सों में भी प्रवासन के सख्त नियमों को लेकर इसकी आलोचना की गई. शरणार्थियों के लिए काम करने वाले समूह 'प्रो असाइल' ने इस योजना की निंदा करते हुए चेतावनी दी कि यह कदम जर्मनी में सुरक्षा की उम्मीद करने वालों के बीच बेघर होने और गरीबी का जोखिम बढ़ाएगा.

एवाई/एसएम (डीपीए)

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