जर्मन राष्ट्रपति: हर एक पर है महामारी को मिटाने का जिम्मा
रिचर्ड कोनोर
२४ दिसम्बर २०२१
जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा है कि महामारी को मिटाने की जिम्मेदारी सरकार के साथ साथ, हर एक नागरिक पर है. अपने क्रिसमस भाषण में उन्होंने इस साल जर्मनी में आई भीषण बाढ़ का भी जिक्र किया.
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क्रिसमस के मौके पर जर्मन राष्ट्रपति फ्रांस वाल्टर श्टाइनमायर मे जनता से अपील की है कि कोरोना जैसी महामारी को हराने के संदर्भ में वे आजादी, भरोसा और जिम्मेदारी के मायने एक बार फिर से समझने की कोशिश करें. शनिवार को जर्मन टीवी पर प्रसारित होने वाले उनके संदेश की लिखित प्रति से यह पता चला है. राष्ट्रपति ने कहा है कि सरकारें अकेले इस महामारी को खत्म नहीं कर सकतीं बल्कि इसे हराना का जिम्मा हर एक को निजी तौर पर लेना होगा. राष्ट्रपति ने उन लोगों का खास तौर पर शुक्रिया अदा किया जिन्होंने कोविड के टीके लिए हैं और सभी तरह के नियम कायदों का पालन कर अपनी जिम्मेदारी निभाई है.
'सरकार की अकेले की जिम्मेदारी नहीं'
महामारी के दौरान बढ़ चढ़ कर भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, सरकारी अधिकारियों और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को प्रशंसा और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्टाइनमायर ने कहा, "सरकार का तो यह कर्तव्य है और उसे करना ही होगा, लेकिन केवल सरकार ही नहीं. हमारी जगह सरकार तो अपने ऊपर मास्क नहीं लगा सकती है और ना ही हमारी जगह खुद टीका लगवा सकती है. यानि यह हममें से हर एक के ऊपर है कि अपना फर्ज निभाएं."
जर्मनी में टीका लेना सभी के लिए अनिवार्य नहीं है लेकिन फिलहाल इसे अनिवार्य बनाने पर विचार हो रहा है. टीके के पक्ष और विपक्ष वाले लोगों में लंबी बहस चलती आई है. इस पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "हम समझते हैं कि दो साल के बाद लोग तंग आ गए हैं, सब परेशान हैं, इसके कारण कई बार हमें अलगाव की भावना और कभी कभी तो खुलेआम गुस्सा भी देखने को मिल रहा है."
श्टाइनमायर ने अपील की है कि लोगों को अपने वैचारिक मतभेद के कारण आपस में फूट नहीं पड़ने देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एक लोकतंत्र में हर किसी की एक ही राय होना जरूरी नहीं है लेकिन यह याद रखना चाहिए कि "हम एक देश हैं. महामारी बीत जाने के बाद भी हमें एक दूसरे की आंखों में देखने की हालत में होना चाहिए."
जलवायु के कितने अनुकूल होते हैं क्रिसमस के "ग्रीन" तोहफे
क्रिसमस का समय तोहफे देने का समय होता है. इंटरनेट पर भी कई तरह के तोहफे मौजूद हैं, यहां तक कि पर्यावरण का ख्याल रखने वाले तोहफे भी हैं. लेकिन कैसे सुनिश्चित करें कि आप कहीं और उत्सर्जन ही तो तोहफे में नहीं दे रहे?
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थोड़ा ध्यान देने की जरूरत
तोहफे तो कई हैं लेकिन खरीदने से पहले एक बार देख लें कि आपका तोहफा कैसे बना था, कहां से आया और क्या वो लंबी चलने वाली कोई चीज है?
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कैसे कपड़े खरीदें
ऐसे ब्रांड ढूंढना आसान है जो सूती या ऊनी जैसे प्राकृतिक कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं और प्रदूषण फैलाने वाले पेट्रोलियम से बने रासायनिक कपड़ों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. लेकिन सिर्फ इतने से बात नहीं बनेगी. यह भी जानना जरूरी है कि ब्रांड ने उत्पादन के दौरान अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल किया है या नहीं.
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स्थानीय चीजें खरीदना बेहतर
2020 की मैकिंजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फैशन उद्योग हर साल करीब 2.1 अरब टन उत्सर्जन करता है, जो कुल वैश्विक उत्सर्जन का चार प्रतिशत है. यातायात से होने वाला कार्बन उत्सर्जन इसका एक बड़ा हिस्सा है. इसलिए अपने घर के आस पास ही बनी चीजों को या एक अच्छी सेकंडहैंड दुकाने से चीजों को खरीदना बेहतर है.
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बड़े काम का बांस
आज भी कई उत्पाद और उनके पैकेट प्लास्टिक से बनाए जाते हैं जो स्वाभाविक तरीके से सड़नशील नहीं होता है. लेकिन तेजी से उगने वाले बांस के कई उपयोग हो सकते हैं और इसके रखरखाव में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होती. इसका तौलिए से लेकर साइकिलों और यहां तक कि बीयर बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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डिजिटल युग की समस्या
स्ट्रीमिंग सेवाओं का सब्सक्रिप्शन और किसी फिल्म या किताब की डिजिटल कॉपी तोहफे में देना अच्छा लग सकता है. लेकिन ये डिजिटल फाइलें कहीं रखी जाती हैं और उसमें बहुत सी ऊर्जा की खपत होती है. वाईफाई और छोटे स्क्रीनों के इस्तेमाल से मदद मिल सकती है, लेकिन अक्षय ऊर्जा के स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ाना और बेहतर होगा.
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भोजन भी ऐसा वैसा नहीं
खाने के स्वादिष्ट पकवान भी एक अच्छा विकल्प हैं लेकिन यहां भी कार्बन पदचिन्ह देख लेने की जरूरत है. कई खाने के सामान को बनाने और दुनिया के एक कोने से दूसरी जगह पहुंचाने में ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होता है. फलों और बादाम आदि के मुकाबले चीज और चॉकलेट बनाने में 20 गुना ज्यादा तक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है.
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अनुभव भेंट कीजिए
सिनेमा या कॉन्सर्ट के टिकट, भोजन या यात्रा जैसे तोहफे कम उत्सर्जन वाले हो सकते हैं. हवाई जहाज की जगह ट्रेन से यात्रा कीजिए और किसी दूर दराज के रिजॉर्ट की जगह किसी छोटे स्थानीय सराय में रुक सकते हैं. होटलों में भी ध्यान दीजिए. हो सकता है वो तौलियों के दोबारा इस्तेमाल को प्रोत्साहन दे रहा हो लेकिन सिर्फ एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिए जाने वाले प्रसाधनों का क्या?
एक कम उत्सर्जन वाले तोहफे की जगह क्यों न एक कदम और आगे बढ़ कर एक कार्बन नेगेटिव तोहफा चुना जाए. जैसे किसी वन का खर्च उठा लेना, कहीं मूंगों की देखभाल की जिम्मेदारी ले लेना या अफ्रीका और एशिया में कहीं ऊर्जा के सस्टेनेबल स्रोतों का समर्थन करना. इन सब से सही मायनों में पर्यावरण में से कार्बन हटाने में मदद मिल सकती है. हां इसके लिए थोड़ी रिसर्च जरूर करनी होगी ताकि पैसे बर्बाद ना हो जाएं. (मार्टिन कूबलर)
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पुरानी अवधारणाओं की याद
श्टाइनमायर ने उम्मीद जताई है कि "बेशकीमती पुराने शब्दों" का फिर से वजन बढ़ेगा. उन्होंने कहा, "भरोसे का क्या मतलब होता है? जाहिर है कि अंधविश्वास नहीं. लेकिन इसका मतलब यह तो हो सकता है कि ढंग की सलाह पर यकीन करें, भले ही मन की कुछ शंकाएं उस समय तक दूर नहीं हो पाई हों?"
राष्ट्रपति ने आजादी और जिम्मेदारी को लेकर अपनी समझ पर फिर से विचार करने की अपील की. उन्होंने कहा, "आजादी का मतलब क्या हर नियम के खिलाफ जोर शोर से विरोध प्रदर्शन करना है? क्या कभी इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि मैं खुद पर काबू रखूं ताकि सबकी आजादी को बचाया जा सके?" उन्होंने कहा कि इस तरह रवैया जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सहमति बनाने में भी बहुत काम आएगा.
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सकारात्मक बने रहें
अपने भाषण की शुरुआत में राष्ट्रपति इसी साल जर्मनी में आई भीषण बाढ़ का जिक्र करेंगे. जुलाई में देश के पश्चिमी हिस्से ने बाढ़ की तबाही झेली और अब तक हालात सामान्य नहीं हुए हैं. इसके अलावा इसी साल पश्चिमी सेनाओं ने अफगानिस्तान को छोड़ा जिसके बाद तालिबान ने फिर से वहां अपना कब्जा जमा लिया. ऐसे सभी घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "जब हम इस साल पर नजर डालते हैं तो ऐसी कई चीजों को देख कर दुख होता है."
लेकिन बाढ़ की विभीषिका के दौरान और उसके कहीं बाद तक जिस तरह आम लोगों, स्वयंसेवियों ने आगे आकर बाढ़ पीड़ितों की मदद की उस पर राष्ट्रपति ने संतोष जताया. उन्होंने कहा, "मैं उन तमाम लोगों के बारे में सोच रहा हूं जिन्होंने बाढ़ पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, दान और दूसरे तरीकों से मदद पहुंचाई." इस मौके पर जर्मन राष्ट्रपति ने देश के युवाओं के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अडिग रहने की प्रशंसा की.
ईसाई धर्म से जुड़ी "बड़ी खोज"
इस्राएली पुरातत्वविदों ने एक रोमन जहाज के मलबे से कई प्राचीन और मूल्यवान कलाकृतियों को खोजा है. इनमें ईसाई 'गुड शेफर्ड' या पवित्र चरवाहे की अंगूठी भी शामिल है.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP Photo/picture alliance
प्राचीन अंगूठी
रोमन जहाज से पुरातत्वविदों को 'गुड शेफर्ड' की अंगूठी मिली है, जो सबसे पुराने ईसाई प्रतीकों में से एक है.
तस्वीर: Debbie Hill/UPI/newscom/picture alliance
चांदी के सिक्के
इन प्राचीन चीजों को येरुशलम के एंटीक्विटीज अथॉरिटी में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है. रोमन और मामलुक काल के कैसरिया के तट पर दो जहाजों के मलबे में कई पुरातत्व कलाकृतियां मिलीं हैं.
तस्वीर: Debbie Hill/UPI/newscom/picture alliance
1700 साल पुरानी अंगूठी
इस सोने की अंगूठी में हरा रत्न लगा है, जिस पर एक चरवाहे की आकृति बनी हुई है. आकृति में एक युवक अपने कंधों पर भेड़ ले जा रहा है. कहा जाता है कि यह अंगूठी ईसाई धर्म के औपचारिक रूप से संगठित होने से पहले रोमन काल में फैली ईसा मसीह का प्रतीक थी.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP Photo/picture alliance
पूरा खजाना ही मिल गया
मलबे से सैकड़ों रोमन युग के चांदी और कांस्य के सिक्के बरामद किए गए हैं. जबकि 500 चांदी के सिक्के मामलुक साम्राज्य के हैं. रोमन साम्राज्य और मामलुक सल्तनत ने कई शताब्दियों तक पूर्वी भूमध्य सागर के बड़े क्षेत्रों पर शासन किया.
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
कीमती पत्थर
इस्राएली डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्विटीज की हेलेना सोकोलोव के मुताबिक मलबा कैसरिया शहर में पाया गया, जो रोमन काल में क्षेत्रीय राजधानी और रोमन गतिविधि का केंद्र था. सिक्कों के अलावा, विशेषज्ञों को घंटियां, मिट्टी और धातु से बनी कई वस्तुएं और एक लंगर मिला.
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
"असामान्य खोज"
इस्राएली डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्विटीज में सिक्का विभाग के प्रमुख रॉबर्ट कोल ने खोज को "असामान्य" बताया है. कोल के मुताबिक, "पत्थर पर खुदी हुई पवित्र चरवाहे की छवि ईसाई धर्म के शुरुआती निशानों में से एक है."
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance