जर्मनी में चरमपंथी ठिकानों पर हजारों पुलिसकर्मियों का छापा
७ दिसम्बर २०२२
जर्मनी में हजारों की संख्या में पुलिसकर्मियों ने धुर दक्षिणपंथी चरमपंथियों के दर्जनों ठिकानों पर छापे मारे हैं. कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. आरोप है कि ये लोग ताकत के जरिये देश में सरकार पलटने की कोशिश कर रहे थे.
कई राज्यों में दर्जनों ठिकानों पर हजारों पुलिसकर्मियों ने छापा मारा हैतस्वीर: Boris Roessler/picture alliance/dpa
अभियोजकों के मुताबिक "आतंकवादी संगठन की सदस्यता" के संदेह में अब तक 22 लोगों को हिरासत में लिया गया है. इनके अलावा एक रूसी नागरिक समेत 3 और लोग भी हिरासत में हैं जिन पर संगठन को मदद देने का संदेह जताया गया है.
सेना के बैरक में भी संदिग्ध
जर्मन साप्ताहिक डेयर श्पीगल ने खबर दी है कि जिन ठिकानों की तलाशी ली गई है उनमें जर्मनी की स्पेशल फोर्स यूनिट केएसके के दक्षिण पश्चिमी राज्य काल्व के बैरक भी शामिल हैं. यह यूनिट पहले भी धुर दक्षिणपंथी गतिविधियों में कुछ सैनिकों के शामिल होने की जांच में अधिकारियों की नजर में रही है. संघीय अभियोजकों ने बैरक की तलाशी की खबर की पुष्टि करने से मना कर दिया है.
इस मामले में जर्मन सेना का एक सक्रिय सैनिक और कई रिजर्व सैनिक संदेह के दायरे में हैं. इस सैनिक के घर और ग्राफ जेपेलिन बैरक में दफ्तर पर छापे मारे गये हैं. सेना के मिलिट्री काउंटर इंटेलिजेंस सर्विस ने यह जानकारी दी है.
जर्मनी के बाहर ऑस्ट्रिया और इटली में भी छापे मारे गये हैंतस्वीर: Boris Roessler/picture alliance/dpa
संदिग्धों की गिरफ्तारी जर्मनी के बाडेन वुर्टेमबर्ग, बवेरिया, बर्लिन, हेसे, लोअर सैक्सनी, सैक्सनी, थुरिंजिया राज्यों से हुई है.जर्मनी के साथ ही ऑस्ट्रिया के कित्जबॉयहेल और इटली के पेरुजिया में भी एक-एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है.
अभियोजकों का कहना है कि संदिग्ध सरगानाओं की पहचान हाइनरिष अष्टम पी आर और रुडिगर वी पी के रूप में हुई है जिन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. इन लोगों पर पिछले साल, "जर्मनी की मौजूदा व्यवस्था को बदल कर अपने तरीके की सरकार स्थापित करने के लक्ष्य के साथ एक आतंकवादी संगठन" बनाने के आरोप हैं.
संदिग्ध इस बात को जानते थे कि उनका लक्ष्य सिर्फ सैन्य तरीकों और ताकत के इस्तेमाल से ही हासिल हो सकता है. अभियोजकों का मानना है कि ये लोग अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए मौजूदा सरकार के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करने की तैयारी में थे. संदिग्ध पर 2021 के नवंबर से ही इसकी तैयारी करने के आरोप लगे हैं. अभियोजों के मुताबिक, "संदिग्धों ने हथियारबंद लोगों के समूह के साथ जर्मन संसद में घुसने की योजना बनाई थी."
कथित राइषबुर्गर संगठन के सदस्य जर्मन संविधान को नहीं मानते हैंतस्वीर: Christian Mang/REUTERS
रूसी अधिकारियों से संदिग्धों का संपर्क
संघीय अभियोजकों का कहना है कि हाइनरिष अष्टम पी आर ने रूसी अधिकारियों से संपर्क किया था और उनका मकसद मौजूदा जर्मन सरकार को हटाने के बाद देश में एक नई व्यवस्था लागू करने का था. इस ग्रुप को एक रूसी महिला विटालिया बी से सहयोग मिलने की बात भी कही जा रही है. अभियोजकों ने बताया, "मौजूदा जांच के मुताबिक अभी इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि जिस अधिकारी से संपर्क किया गया उसने इनके अनुरोध का सकारात्मक जवाब दिया या नहीं."
डेयर श्पीगल के मुताबिक पुलिस ने बिर्गिट एम डब्ल्यू नाम की एक और महिला को भी हिरासत में लिया है. यह महिला पहले जज अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड पार्टी यानी एएफडी की सांसद भी रह चुकी है. एएफडी एक धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक दल है जो चरमपंथियों से अपने संबंध के चलते जर्मन एजेंसियों की नजर में बार बार जांच का विषय बन रहा है.
एनआर/एए (एपी, एएफपी, डीपीए)
सरकार को कुछ नहीं मानते ये लोग
जर्मनी में राइषबुर्गर अभियान से जुड़े लोग जर्मन सरकार को कुछ नहीं समझते. ना तो वे टैक्स भरना चाहते हैं और ना ही जुर्माना. इसके समर्थन आज भी खुद को एक काल्पनिक जर्मन साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं.
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क्या मानते हैं राइषबुर्गर
राइषबुर्गर - इस जर्मन शब्द का अर्थ है "राइष के नागरिक" और 'राइष' उनके लिए वह साम्राज्य है जो 1937 या उससे भी काफी पहले 1871 के दौर में हुआ करता था. वे मानते हैं कि उस समय की सीमाएं ही सही हैं और आज का आधुनिक देश जर्मनी असल में मित्र सेनाओं का बनाया प्रशासन है.
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ये करते क्या हैं?
राइषबुर्गर सरकार को किसी भी तरह का टैक्स या जुर्माना भरने में विश्वास नहीं रखते. वे घर जैसी निजी संपत्ति को जर्मन सरकार के नियंत्रण क्षेत्र के बाहर मानते हैं. एक ओर तो ये बेसिक लॉ कहे जाने वाले जर्मन संविधान और दूसरे कानूनों को नहीं मानते लेकिन जर्मन अदालतों में खूब मुकदमे दायर करते हैं. इन लोगों ने अपने काल्पनिक पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस तक बनाए हुए हैं.
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कितने खतरनाक हैं?
सन 1980 के दशक में ये एक अलग थलग किस्म के, बिना किसी नेता वाले समूह के रूप में सामने आए. जर्मन गुप्तचर सेवा का अनुमान है कि आज जर्मनी में करीब 19,000 लोग इस अभियान से जुड़े हैं. इनमें से करीब 950 लोगों की पहचान धुर दक्षिणपंथियों के रूप में हो चुकी है. इनमें से 1,000 के करीब लोगों के पास अपने हथियार रखने का लाइसेंस भी है.
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कौन लोग बनते हैं सदस्य
जर्मन प्रशासन एक औसत राइषबुर्गर को इस तरह परिभाषित करती है कि अकसर वह एक औसत 50 साल का पुरुष होता है, जिसकी सामाजिक और वित्तीय हालत अच्छी ना हो. इस अभियान के ज्यादातर सदस्य जर्मनी के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में बसे हैं. इनमें से एक की पहचान मिस्टर जर्मनी का खिताब जीत चुके व्यक्ति के रूप में हुई, जिसे पुलिस पर गोली चलाने के जुर्म में 2019 में ही सात साल की जेल हुई है.
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कब आया बदलाव
अक्टूबर 2017 में एक जर्मन पुलिस अधिकारी की हत्या के दोषी उम्रकैद की सजा मिली. अतिवादी गुटों के साथ जर्मन प्रशासन के निपटने के तरीकों में यहीं से एक बड़ा बदलाव आया माना जाता है. इस मामले में ना केवल जर्मनी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं और तबसे इनके हिंसा करने की संभावना को और गंभीरता से लिया जाने लगा.
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जर्मन सरकार इनसे कैसे पेश आती है
जर्मन प्रशासन पर आरोप है कि उसने लंबे समय तक इनके खतरे को गंभीरता से नहीं लिया. 2017 में पहली बार जर्मनी की घरेलू गुप्तचर सेवा ने इनके द्वारा अंजाम दिए गए अपराधों के बारे में अलग से दस्तावेज रखने शुरू किए. तब से राइषबुर्गरों के ठिकाने पर अनगिनत छापे डाले गए और इनसे जुड़े कई उपसमूहों को बैन भी किया जा चुका है. पुलिस और सेना के भीतर भी किसी राइषबुर्गर के होने की भी जांच की गई.
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कोई अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
राइषबुर्गर कई मौकों पर रूस का झंडा लहराते देखे गए हैं, जिसके कारण ऐसे आरोप लगे कि जर्मन सरकार को अस्थिर करने के लिए उन्हें रूस से मदद मिलती है. इनकी तुलना कभी तभी अमेरिकी समूह "फ्रीमेन-ऑन-दि-लैंड" से भी होती है, जो सरकार के कानूनों को नहीं मानते और केवल अपने बनाए नियम मानते हैं. (सामांथा अर्ली, रीना गोल्डेनबर्ग/आरपी)