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चीन और रूस को लेकर नर्म होते हैं टिकटॉक यूजरः सर्वे

२० जनवरी २०२५

जर्मनी में जो लोग टिकटॉक देखते हैं, उनका रूस और चीन को लेकर नजरिया अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा नर्म पाया गया है. जर्मनी में आने वाले चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी को लेकर चिंता है.

जर्मनी में टिकटॉक यूजर
एएफडी पार्टी ने चुनाव प्रचार में टिकटॉक का खूब इस्तेमाल किया हैतस्वीर: Guido Schiefer/IMAGO

जर्मनी 23 फरवरी, 2025 को अहम राष्ट्रीय चुनावों की ओर बढ़ रहा है. चुनावों से पहले सोशल मीडिया पर राजनीतिक विचारों और जनमत को प्रभावित करने के मुद्दे गर्मा रहे हैं.

हाल ही में एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि जो लोग टिकटॉक से खबरें पाते हैं, वे चीन को एक तानाशाही के रूप में नहीं देखते, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की आलोचना नहीं करते, और जलवायु परिवर्तन और टीकों के बारे में पारंपरिक मीडिया देखने वालों के मुकाबले ज्यादा संदेहात्मक होते हैं.

सोशल मीडिया, खासकर टिकटॉक, के प्रभाव को लेकर चिंता जताई जा रही है कि यह गलत सूचना फैलाकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकता है.

चीन, रूस से प्रभावित हैं टिकटॉक यूजर

सर्वेक्षण संस्था आलेन्सबाख ने जर्मनी की उदारवादी पार्टी फ्री डेमोक्रेट्स से जुड़े एक फाउंडेशन के लिए किया था. इस सर्वे में यह पाया गया कि टिकटॉक इस्तेमाल करने वाले पारंपरिक मीडिया उपयोगकर्ताओं से ज्यादा साजिश और गलत सूचना में विश्वास करते हैं.

जहां 57 फीसदी जर्मन अखबार पाठक और 56.5 फीसदी सार्वजनिक टीवी दर्शक मानते हैं कि चीन एक तानाशाही है, वहीं टिकटॉक देखने वालों में ऐसे लोग केवल 28.1 फीसदी हैं. टिकटॉक यूजर्स का रूस के यूक्रेन पर आक्रमण को अवैध मानने का प्रतिशत भी बहुत कम है. केवल 13.6 फीसदी ही मानते हैं कि पश्चिम को यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए, जबकि अखबार पाठकों का यह प्रतिशत 40.2 फीसदी है.

यह सर्वेक्षण ऐसे समय आया है जब दुनिया भर में टिकटॉक के प्रभाव पर बहस चल रही है. टिकटॉक को चीन की कंपनी बाइटडांस चलाती है. इस सोशल मीडिया साइट पर आरोप लगते रहे हैं कि यह प्लेटफॉर्म झूठी और पक्षपाती जानकारी फैलाता है.

युवाओं पर सबसे ज्यादा असर

टिकटॉक का उपयोग मुख्य रूप से युवा लोग करते हैं, और यह सर्वेक्षण दिखाता है कि युवा वर्ग इस प्लेटफॉर्म से प्रभावित हो सकता है.

उदाहरण के लिए, 71 फीसदी युवा मानते हैं कि कोविड वैक्सीन लाखों लोगों की जान बचाने में मददगार साबित हुए हैं, जबकि टिकटॉक यूजर्स में यह आंकड़ा 69 फीसदी पर है. यह आंकड़े पारंपरिक मीडिया उपयोगकर्ताओं से बहुत कम हैं, जो सवाल उठाते हैं कि टिकटॉक की सामग्री युवा पीढ़ी की सोच को किस हद तक प्रभावित कर रही है.

फाउंडेशन की उपाध्यक्ष सबीन लोएथोजर-श्नारेनबर्गर ने कहा, "युवाओं के लिए जानकारी से प्रभावित होना बहुत आसान है और टिकटॉक इस मामले में अहम भूमिका निभा रहा है. हमें चीनी और रूसी गलत सूचनाओं को हमारे बीच फैलने से रोकना होगा."

सर्वेक्षण में यह भी देखा गया कि टिकटॉक उपयोगकर्ता चीन और रूस के बजाय जर्मन सरकार के बारे में गलत जानकारी फैलाने के बारे में अधिक विश्वास रखते हैं. यह स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है क्योंकि यह गलत सूचना विदेशी हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का कारण बन सकती है.

चुनाव प्रभावित करने का अभियान

इसके अलावा, एक और रिपोर्ट में जर्मन थिंक-टैंक सीईएमएएस ने बताया कि रूस गलत सूचनाओं का अभियान चला रहा है जिसका उद्देश्य जर्मनी के आने वाले चुनावों में दखल देना है. इस संस्था ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर सैकड़ों जर्मन-भाषी पोस्ट ट्रैक की हैं, जो "रूस की डिसइंफॉर्मेशन रणनीति का हिस्सा" हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक इन पोस्टों का लक्ष्य पुरानी जर्मन पार्टियों को कमजोर करना, अर्थव्यवस्था के बारे में चिंता पैदा करना और धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का समर्थन बढ़ाना था. टिकटॉक का धुरदक्षिणपंथी पार्टियों ने खूब इस्तेमाल किया है. ये पोस्ट जाली जर्मन समाचार वेबसाइटों से लिंक करती थीं या असली साइटों से प्रचार करती थीं, और इन्हें फर्जी अकाउंट्स के नेटवर्क द्वारा फैलाया गया था, जिनसे 28 लाख से ज्यादा व्यूज मिले.

यह रिपोर्ट चुनाव से ठीक एक महीने पहले आई है, और जर्मनी की मुख्य विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टियां चुनाव में जीत की उम्मीद कर रही हैं. हालांकि, एएफडी का ताकतवर उभार चुनावी गणित को और जटिल बना सकता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, रूस, जर्मनी में चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकता है और जर्मन सरकार इसे रोकने के लिए एक कार्यबल गठित कर चुकी है.

सतर्क है सरकार

सीईएमएएस की रिपोर्ट रूस के फर्जी सूचनाओं के अभियानों पर चिंता जताती है, जबकि रूस हमेशा इन आरोपों से इनकार करता है. इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाने के लिए विदेशी ताकतें सक्रिय रूप से काम कर रही हैं, जिसका असर जर्मन राजनीति और चुनावों पर पड़ सकता है.

इसी बीच, अमेरिकी अरबपति इलॉन मस्क ने एक्स पर एएफडी पार्टी को समर्थन दिया है. मस्क ने इसी महीने एएफडी की चांसलर पद की उम्मीदवार एलिस वाइडेल के साथ लाइव चैट की. एक सर्वेक्षण में एएफडी को 21 फीसदी समर्थन मिला है, जो पिछले चुनावों के मुकाबले दोगुना है. जर्मनी की सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी तीसरे स्थान पर है, और ग्रीन्स पार्टी का समर्थन घटकर 13 फीसदी रह गया है.

जर्मन राजनीति में क्यों दखल दे रहे हैं मस्क

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जर्मनी का घरेलू खुफिया विभाग (बीएफवी) भी विदेशी हस्तक्षेप के खतरे को लेकर सतर्क है और चुनावों से पहले इस पर नजर रखने के लिए एक विशेष कार्यबल का गठन किया है.

वीके/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)

 

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