जर्मनी: खुद पर कीचड़ पोतने वाली पत्रकार ने माफी मांगी
२३ जुलाई २०२१
बाकी रिपोर्टरों से अलग दिखने के लिए कई बार पत्रकार संवेदनशीलता खो देते हैं. बाढ़ के बाद रिपोर्टिंग के लिए पहुंची एक जर्मन रिपोर्टर ने भी कुछ ऐसा ही किया. अब उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी है.
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जर्मनी के प्रमुख प्राइवेट टीवी चैनल आरटीएल की पत्रकार और प्रेजेंटर सुजाना ओलेन रिपोर्टिंग के लिए बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचीं. फिर रिपोर्टिंग शुरू करने से पहले उन्होंने घुटनों के बल झुककर अपने कपड़ों और चेहरे पर बाढ़ का कीचड़ लगाना शुरू कर दिया. कीचड़ लगाने का यह वीडियो वायरल हो गया और 39 साल की पत्रकार की आलोचना होने लगी.
ओलेन ने कपड़ों और चेहरे पर कीचड़ लगाने के फैसले को खुद भी "एक गंभीर गलती" कहा है. सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर ओलेन ने लिखा, "मैंने सोमवार को गुटेन मॉर्गन डॉयचलैंड कार्यक्रम के लिए बाढ़ प्रभावित इलाके में काम करते हुए एक गंभीर गलती की. बीते दिनों में मैंने निजी रूप से भी उस इलाके में मदद की है. साफ कपड़ों में कैमरे के सामने खड़े होते हुए मुझे शर्म आ रही थी. इसी का नतीजा था कि बिना दोबारा सोचे मैंने अपने कपड़ों में मिट्टी लगा ली. एक पत्रकार होने के नाते मुझे ऐसा कभी नहीं करना चाहिए था. उन प्रभावित इलाकों के दुखों को दिल से समझने के बावजूद मैंने ये किया. मुझे माफ कर दें."
चैनल ने छुट्टी पर भेजा
जर्मनी के सबसे बड़े निजी प्रसारकों में से एक आरटीएल ने इस मुद्दे पर सफाई दी है. गुरुवार को कंपनी की प्रवक्ता ने कहा, "हमारी रिपोर्टर की गतिविधियों ने साफ तौर पर पत्रकारिता के सिद्धांतों और हमारे मानकों का उल्लंघन किया है. हमने सोमवार को, इस मामले की जानकारी मिलने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया है."
जर्मनी में 14 जुलाई को भारी बारिश के बाद भयानक बाढ़ आई. मध्य, पश्चिमी और दक्षिणी जर्मनी में आई भीषण बाढ़ ने कम से कम 165 लोगों की जान ली और अरबों यूरो का नुकसान पहुंचाया है. सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं. बाढ़ ने जलवायु परिवर्तन के खतरे के साथ साथ देश के आपदा प्रबंधन तंत्र और सरकारी प्रसारकों के काम काज के तरीकों पर सवाल खड़े किए हैं.
ओएसजे/एमजे (डीपीए, ईपीडी)
जर्मनीः बाढ़ से पहले और बाद की तस्वीरें
जर्मनी में पिछले हफ्ते आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 188 हो गई है. चांसलर अंगेला मैर्केल ने प्रभावित इलाकों के दौरे पर कहा कि मंजर भयानक है. देखिए, बाढ़ से पहले और बाद की ये तस्वीरें:
शुल्ड गांव, पहले
राइनलैंड पलैटिनेट प्रांत के एफिल क्षेत्र में 700 लोगों का यह सुंदर सा गांव एक शांत जगह थी. अगली तस्वीर में देखिए, बाढ़ के बाद क्या बचा.
तस्वीर: 2021 Google Maps
शुल्ड गांव, बाद में
बाढ़ में शुल्ड के आधे से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं. यह बाढ़ से सबसे पहले और सबसे ज्यादा प्रभावित गांवों में से है.
तस्वीर: Michael Probst/AP Photo/picture alliance
ब्लेसेम गांव, पहले
कोलोन के पश्चिम में एरफ्टश्टाट जिले का ब्लेसम एरफ्ट नदी के किनारे है. अगली तस्वीर में देखिए, बाढ़ ने क्या किया.
तस्वीर: 2021 Google Maps
ब्लेसेम गांव, बाद में
बाढ़ के बाद गांव पूरी तरह पानी में डूब गया. कारें और पेड़ माचिस की डिबिया और तिल्लीयों की तरह तैर रहे थे. बाढ़ इतनी भयानक थी कि कासल और कई भवनों के हिस्से बह गए.
आहर घाटी में बसा आल्टेनार कस्बा जर्मन शहर बॉन से ज्यादा दूर नहीं है. शांत नदी के किनारे चुप से बसे इस गांव का हाल अगली तस्वीर में देखिए.
तस्वीर: Gerhard Launer/euroluftbild/ZB/picture alliance
आल्टेनार, बाद में
आमतौर पर आहर नदी में ज्यादा पानी नहीं होता लेकिन बारिश के बाद यह नदी उफनती देखी गई और इसे रोक लेने को कुछ नहीं था.
तस्वीर: Polizei /dpa/picture alliance
डेरनाऊ, पहले
आहर घाटी में बसा डेरनाऊ चारों ओर विनयर्ड्स से घिरा है. अगली तस्वीर में देखिए बाढ़ के बाद क्या बचा.
तस्वीर: Westend61/imago images
डेरनाऊ, बाद में
बाढ़ के जरिए आए कीचड़ ने किसी घर को नहीं बख्शा. हर गली का हर घर डूबा हुआ देखा जा सकता है.
तस्वीर: Christoph Hardt/Future Image/imago images
बाड म्युन्स्टरआइफल, पहले
कोलोन शहर के दक्षिण पश्चिम में एफिल क्षेत्र का एक सुंदर गांव बाड म्युन्स्टरआइफल अपने आधे लकड़ी के बने घरों के लिए जाना जाता है. अगली तस्वीर में देखिए मंजर.
तस्वीर: Goldmann/dpa/picture alliance
बाड म्युन्स्टरआइफल, बाद में
बाढ़ ने सदियों पुरानी इमारतों को भारी नुकसान पहुंचाया है. कुछ गलियां तो पूरी की पूरी बह गई हैं.