हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को लेकर जर्मनी की नीति की घोषणा के बाद जर्मनी का जंगी जहाज 'बायर्न' मुंबई पहुंचने वाला है. इसे इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है.
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उम्मीद की जा रही है कि 'बायर्न' 21 जनवरी को मुंबई पहुंचेगा और वहां कुछ दिन बिताएगा. देश में कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए इस जहाज को वर्चुअल तरीके से लोगों को दिखाने के बारे में विचार किया जा रहा है.
इसे जर्मनी ने अगस्त में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में "गश्त और प्रशिक्षण" के एक अभियान पर भेजा था. उसके बाद दक्षिणी चीन सागर में प्रवेश कर यह करीब 20 सालों में ऐसा करने वाला पहला जर्मन युद्धपोत बन गया था.
चीन के दावे
चीन पूरे दक्षिणी चीन सागर पर अपने स्वामित्व का दावा करता है लेकिन अन्य देश इस दावे से सहमत नहीं हैं. एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने एक फैसले में यह भी कहा था कि चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है. लेकिन चीन ने अपनी नीति जारी रखी है और इलाके में कई सैन्य सीमा चौकियां भी बना ली हैं.
जर्मनी ने 2020 में जब 'बायर्न' को इलाके में भेजा था तब उस समय की सरकार ने यह स्पष्ट कहा था कि इस मिशन के जरिए देश यह संदेश देना चाहता है कि वो इस इलाके को लेकर चीन के दावों को नहीं मानता है.
और भी कई देश चीन के इन दावों को खारिज करते रहे हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं, जो प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहे हैं.
जर्मनी के लिए यह एक रस्सी पर चलने जैसा है. एक तरफ तो उसके चीन के साथ करीबी आर्थिक रिश्ते हैं और दूसरी तरफ सामरिक दृष्टि से चीन की महत्वाकांक्षाओं को नकारने की जिम्मेदारी. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि 'बायर्न' की तैनाती के बाद देश इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को और बढ़ाएगा.
देखना होगा की इससे चीन-जर्मनी रिश्तों पर क्या असर पड़ता है. पिछले साल ऐसी खबरें आई थीं कि सितंबर में 'बायर्न' शंघाई पोत पर रुकना चाह रहा था, लेकिन चीन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी.
एक साथ कई कूटनीतिक विवादों में फंसा है चीन
भारत के साथ सीमा-विवाद हो, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर आलोचना हो या महामारी के फैलने के पीछे उसकी भूमिका को लेकर जांच की मांग, चीन इन दिनों कई मोर्चों पर कूटनीतिक विवादों में फंसा हुआ है. आइए एक नजर डालते हैं इन विवादों पर.
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कोरोनावायरस
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने मांग की है कि चीन जिस तरह से कोरोनावायरस को रोकने में असफल रहा उसके लिए उसकी जवाबदेही सिद्ध की जानी चाहिए. कोरोनावायरस चीन के शहर वुहान से ही निकला था. चीन पर कुछ देशों ने तानाशाह जैसी "वायरस डिप्लोमैसी" का भी आरोप लगाया है.
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अमेरिका
विश्व की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आपसी रिश्ते पिछले कई दशकों में इतना नीचे नहीं गिरे जितने आज गिर गए हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद तो चल ही रहे हैं, साथ ही अमेरिका के बार बार कोरोनावायरस के फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहराने से भी दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं. चीन भी अमेरिका पर हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनों को समर्थन देने का आरोप लगाता आया है.
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हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग अपने आप में चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक समस्या है. चीन ने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहा लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने इसका विरोध किया. हॉन्ग कॉन्ग कभी ब्रिटेन की कॉलोनी था और चीन के नए कदमों के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को विस्तृत वीजा अधिकार देगा.
चीन ने लोकतांत्रिक-शासन वाले देश ताइवान पर हमेशा से अपने आधिपत्य का दावा किया है. अब चीन ने ताइवान पर उसका स्वामित्व स्वीकार कर लेने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन भारी मतों से दोबारा चुनी गई ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन के दावों को ठुकराते हुए कह दिया है कि सिर्फ ताइवान के लोग उसके भविष्य का फैसला कर सकते हैं.
तस्वीर: Office of President | Taiwan
भारत
भारत और चीन के बीच उनकी विवादित सीमा पर गंभीर गतिरोध चल रहा है. सुदूर लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं. दोनों में हाथापाई भी हुई थी.
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शिंकियांग
चीन की उसके अपने पश्चिमी प्रांत में उइगुर मुसलमानों के प्रति बर्ताव पर अमेरिका और कई देशों ने आलोचना की है. मई में ही अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने उइगुरों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने वाले एक विधेयक को बहुमत से पारित किया.
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हुआवेई
अमेरिका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं. उसने अपने मित्र देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने मोबाइल नेटवर्क में उसका इस्तेमाल करेंगे तो उनके इंटेलिजेंस प्राप्त की जाने वाली संपर्क प्रणालियों से कट जाने का जोखिम रहेगा. हुआवेई ने इन आरोपों से इंकार किया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Porzycki
कनाडा
चीन और कनाडा के रिश्ते तब से खराब हो गए हैं जब 2018 में कनाडा ने हुआवेई के संस्थापक की बेटी मेंग वानझाऊ को हिरासत में ले लिया था. उसके तुरंत बाद चीन ने कनाडा के दो नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया था और केनोला बीज के आयात को ब्लॉक कर दिया था. मई 2020 में मेंग अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ दायर किया गया एक केस हार गईं.
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यूरोपीय संघ
पिछले साल यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने आपस में तय किया कि वो चीन के प्रति अपनी रण-नीति और मजबूत करेंगे. संघ हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन की दबाव वाली कूटनीति को ले कर चिंतित है. संघ उसकी कंपनियों के चीन के बाजार तक पहुंचने में पेश आने वाली मुश्किलों को लेकर भी परेशान रहा है. बताया जा रहा है कि संघ की एक रिपोर्ट में चीन पर आरोप थे कि वो कोरोनावायरस के बारे में गलत जानकारी फैला रहा था.
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ऑस्ट्रेलिया
मई 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से जौ (बार्ली) के आयत पर शुल्क लगा दिया था. दोनों देशों के बीच लंबे समय से झगड़ा चल रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में खटास 2018 में आई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने अपने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क से हुआवेई को बैन कर दिया था. चीन ऑस्ट्रेलिया की कोरोनावायरस की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर भी नाराज है.
तस्वीर: Imago-Images/VCGI
दक्षिण चीन सागर
दक्षिण चीन सागर ऊर्जा के स्त्रोतों से समृद्ध इलाका है और चीन के इस इलाके में कई विवादित दावे हैं जो फिलीपींस, ब्रूनेई, विएतनाम, मलेशिया और ताइवान के दावों से टकराते हैं. ये इलाका एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग भी है. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीन इस इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोरोनावायरस के डिस्ट्रैक्शन का फाय उठा रहा है.