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भारत आएगा जर्मनी का जंगी जहाज

चारु कार्तिकेय
११ जनवरी २०२२

हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को लेकर जर्मनी की नीति की घोषणा के बाद जर्मनी का जंगी जहाज 'बायर्न' मुंबई पहुंचने वाला है. इसे इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के खिलाफ एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है.

Japan | Ankunft Bundeswehr Fregatte „Bayern“ in Tokio
तस्वीर: David Mareuil/AFP/Getty Images

उम्मीद की जा रही है कि 'बायर्न' 21 जनवरी को मुंबई पहुंचेगा और वहां कुछ दिन बिताएगा. देश में कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए इस जहाज को वर्चुअल तरीके से लोगों को दिखाने के बारे में विचार किया जा रहा है.

इसे जर्मनी ने अगस्त में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में "गश्त और प्रशिक्षण" के एक अभियान पर भेजा था. उसके बाद दक्षिणी चीन सागर में प्रवेश कर यह करीब 20 सालों में ऐसा करने वाला पहला जर्मन युद्धपोत बन गया था.

चीन के दावे

चीन पूरे दक्षिणी चीन सागर पर अपने स्वामित्व का दावा करता है लेकिन अन्य देश इस दावे से सहमत नहीं हैं. एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने एक फैसले में यह भी कहा था कि चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है. लेकिन चीन ने अपनी नीति जारी रखी है और इलाके में कई सैन्य सीमा चौकियां भी बना ली हैं.

'बायर्न' के कप्तान तिलो काल्स्की टोक्यो में जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी के साथतस्वीर: David Mareuil/AFP/Getty Images

जर्मनी ने 2020 में जब 'बायर्न' को इलाके में भेजा था तब उस समय की सरकार ने यह स्पष्ट कहा था कि इस मिशन के जरिए देश यह संदेश देना चाहता है कि वो इस इलाके को लेकर चीन के दावों को नहीं मानता है.

और भी कई देश चीन के इन दावों को खारिज करते रहे हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं, जो प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहे हैं.

जर्मनी के लिए यह एक रस्सी पर चलने जैसा है. एक तरफ तो उसके चीन के साथ करीबी आर्थिक रिश्ते हैं और दूसरी तरफ सामरिक दृष्टि से चीन की महत्वाकांक्षाओं को नकारने की जिम्मेदारी. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि 'बायर्न' की तैनाती के बाद देश इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को और बढ़ाएगा.

देखना होगा की इससे चीन-जर्मनी रिश्तों पर क्या असर पड़ता है. पिछले साल ऐसी खबरें आई थीं कि सितंबर में 'बायर्न' शंघाई पोत पर रुकना चाह रहा था, लेकिन चीन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी.

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